श्रेणी-
जैसलमेर दुर्ग दुर्गों की धान्वन श्रेणी में शामिल है। अर्थात् जैसलमेर दुर्ग धान्वन दुर्ग है।
स्थित-
जैसलमेर दुर्ग राजस्थान राज्य के जैसलमेर जिले में स्थित है।
निर्माण-
जैसलमेर दुर्ग की नींव 12 जुलाई 1155 (श्रावण शुक्ल सप्तमी विक्रम संवत 1212) को श्री कृष्ण के वंशज जैसल भाटी (भाटी रावल जैसल) ने रखी थी। जैसल भाटी की मृत्यु के बाद जैसल भाटी के पुत्र व उत्तराधिकारी शालिवाहन द्वितीय ने जैसलमेर दुर्ग का निर्माण पूरा करवाया था।
आकृति-
राजस्थान में स्थित जैसलमेर दुर्ग त्रिकूटाकृति का है। जैसलमेर दुर्ग अंगड़ाई लेते सिंह व तैरते हुए जहाज के समान दिखाई देता है।
उपनाम या अन्य नाम-
- उत्तरी पश्चिमी सीमा का प्रहरी
- स्वर्ण गिरी
- सोनारगढ़ या सोनगढ़ का किला (सोनार का किला)
उत्तरी पश्चिमी सीमा का प्रहरी-
जैसलमेर दुर्ग को राजस्थान की उत्तरी पश्चिमी सीमा का प्रहरी कहा जाता है।
स्वर्ण गिरी-
जैसलमेर दुर्ग को स्वर्ण गिरी के नाम से भी जाना जाता है।
सोनारगढ़ या सोनगढ़ (सोनार का किला)-
जैसलमेर दुर्ग का सोनार का किला या सोनारगढ़ के नाम से भी जाना जाता है।
कहावत-
घोड़ा कीजे काठ का, पिण्ड (पग) कीजे पाषाण। बख्तर कीजे लोह का, तब पहुंचे जैसाण। यह कहावत जैसलमेर दुर्ग के लिए कही गई है।
कथन-
अबुल फजल ने जैसलमेर दुर्ग के लिए यह कथन कहा है की जैसलमेर दुर्ग तक पहुंचने के लिए पत्थर की टांगे होनी चाहिए।
जैसल कुआँ-
जैसल कुआँ राजस्थान के जैसलमेर दुर्ग में स्थित है। जैसल कुआँ राजस्थान का एकमात्र ऐसा कुआँ है जिसका निर्माण भगवान श्री कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से किया था
अर्द्ध साका-
जैसलमेर दुर्ग में अर्द्ध साका 1550 में राव लूणकरण के समय हुआ था। अर्द्ध साके में केसरिया किया गया लेकिन जौहर नहीं हुआ इसीलिए अर्द्ध साका कहलाता है।
जिनभद्रसूरी संग्रहालय-
जिनभद्रसूरी संग्रहालय राजस्थान राज्य के जैसलमेर जिले के जैसलमेर दुर्ग में स्थित है। जिनभद्रसूरी संग्रहालय ताड़ के पत्तों पर हस्तलिखित पांडु लिपियों का संग्रहालय है।
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य-
जैसलमेर दुर्ग राजस्थान का एकमात्र ऐसा दुर्ग है जिसके निर्माण में कहीं पर भी चूने का प्रयोग नहीं किया गया है अर्थात् जैसलमेर दुर्ग चूने से ना बनाकर जिप्सम से बनाया गया है।
जैसलमेर दुर्ग राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा लिविंग फोर्ट है। राजस्थान का सबसे बड़ा लिविंग फोर्ट चित्तौड़गढ़ दुर्ग है।
जैसलमेर दुर्ग राजस्थान में सर्वाधिक बुर्जों वाला दुर्ग है जिसमें कुल 99 बुर्ज है।
सत्यजीत रे ने जैसलमेर दुर्ग पर सोनार नामक फिल्म बनायी थी।
जैसलमेर दुर्ग डाई साके हेतु प्रसिद्ध है।
जैसलमेर दुर्ग विश्व का एकमात्र ऐसा दुर्ग है जिसकी छत लकड़ी की बनी हुई है।