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डामोर जनजाति

राजस्थान में डामोर जनजाति का इतिहास-

  • राजस्थान में डामोर जनजाति की उत्पत्ती राजपूतों से मानी जाती है।
  • राजस्थान में डामोर जनजाति के पुरुष भी स्त्रियों की तरह गहने पहनते है।
  • राजस्थान की कुल डामोर जनजाति का लगभग 98 प्रतिशत डामोर जनजाति राजस्थान की गुजरात से लगी सीमा में रहते है।


डामरिया-
  • डामोर जनजाति के लोगों को डामरिया भी कहा जाता है।


चाडिया-
  • डामोर जनजाति के द्वारा होली के अवसर पर किये जाने वाले मनोरंजक कार्यक्रम को चाडिया कहा जाता है।


डामोर जनजाति के प्रमुख मेले-

  • 1. छैला बावजी या झेला बावजी का मेला
  • 2. ग्यारस की रैवाड़ी का मेला


1. छैला बावजी या झेला बावजी का मेला-
  • डामोर जनजाति का छैला बावजी का मेला गुजरात राज्य के पंचमहल नामक स्थान पर भरता है। छैला बावजी के मेले में केवल पुरुष ही भाग लेते है।


2. ग्यारस की रैवाड़ी का मेला-
  • डामोर जनजाति का ग्यारस की रैवाड़ी का मेला प्रतिवर्ष सितम्बर माह में राजस्थान के डूँगरपुर जिले में भरता है।


मुखी-
  • डामोर जनजाति में पंचायत के मुखिया को मुखी कहा जाता है।


फलां-
  • डामोर जनजाति में गाँव की सबसे छोटी इकाई को फलां कहा जाता है। तथा एक गाँव में लगभग 5 से 13 तक फलां होते है।


जनसंख्या-
  • जनगणना 2011 के अनुसार राजस्थान में डामोर जनजाति की कुल जनसंख्या 91.5 हजार है।


जनसंख्या की दृष्टि से राजस्थान में सर्वाधिक डामोर जनजाति वाले जिले क्रमशः-

  • 1. डूँगरपुर
  • 2. बाँसवाड़ा
  • 3. उदयपुर


1. डूँगरपुर-
  • राजस्थान में सर्वाधिक डामोर जानजाति डूँगरपुर जिले में रहती है।

  • डूँगरपुर जिले में डामोर जनजाति की कुल जनसंख्या 56.4 हजार है जो की राजस्थान की कुल डामोर जनजाति का 61.61 प्रतिशत भाग है।


2. बाँसवाड़ा-
  • डूँगरपुर जिले के बाद राजस्थान में दूसरे स्थान पर सबसे अधिक डामोर जनजाति बाँसवाड़ा जिले में रहती है।

  • राजस्थान की कुल डामोर जनजाति का 22.56 प्रतिशत जनसंख्या बाँसवाड़ा जिले में रहती है।


3. उदयपुर-

  • बाँसवाड़ा जिले के बाद राजस्थान में तीसरे स्थान पर सबसे अधिक डामोर जनजाति उदयपुर जिले में रहती है।

  • राजस्थान की कुल डामोर जनजाति का 13.99 प्रतिशत जनसंख्या उदयपुर जिले में रहती है।


सीमलवाड़ा पंचायत समिति (डूँगरपुर, राजस्थान)-
  • राजस्थान राज्य के डूँगरपुर जिले की सीमलवाड़ा पंचायत समिति में सर्वाधिक डामोर जनजाति रहती है।

  • इसीलिए सीमलवाड़ा पंचायत समिति को डामरिया क्षेत्र के नाम से जाना जाता है।


बहुविवाह-
  • डामोर जनजाति के पुरुष एक से अधिक विवाह करने की प्रथा है जिसे बहुविवाह प्रथा कहा जाता है। बहुविवाह प्रथा डामोर जनजाति में प्रचलित है।

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