- लिखित दस्तावेज पुरालेख कहलाते है।
- पुरालेख की सामग्री सरकारी विभागों, प्राचीन घरानों आदि में पायी जाती है।
- राजस्थान का इतिहास जानने के मुख्य स्त्रोतों में पुरालेख एक मुख्य स्त्रोत है।
राजस्थान का इतिहास-
- राजस्थान का इतिहास जानने के तीन प्रमुख स्त्रोत है जैसे-
- (1) पुरातात्विक स्त्रोत
- (2) साहित्यिक स्त्रोत
- (3) पुरालेख
राजस्थान की पुरालेख सामग्री-
- 1. खरीता
- 2. परवाना
- 3. वकील रिपोर्ट
- 4. बहियाँ
- 5. फरमान
- 6. सियाह हुजूर
- 7. दस्तूर कौमवार
- 8. तोजी रिकाॅर्ड
- 9. अड़सट्टा रिकाॅर्ड
- 10. दस्ती रिकाॅर्ड
- 11. मंसूर
- 12. सनद
- 13. वाक्या
- 14. खानसामा
- 15. खतूत महाराजगान व अहलकारान
- 16. अर्जदाश्त
- 17. हस्बुल हुक्म
- 18. हकीकत बही
- 19. कमठाना बही
- 20. हुकूमत बही
- 21. निशान
- 22. रुक्का
1. खरीता-
- खरीता उन पत्रों को कहा जाता है जो एक शासक के द्वारा दूसरे शासक को भेजे जाते थे। अर्थात् एक राजा के द्वारा दूसरे राजा को भेजे जाने वाला पत्र खरीता कहलाता है।
2. परवाना-
- परवाना उन पत्रों को कहा जाता है जो शासक के द्वारा अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को भेजे जाते थे। अर्थात् अपने से छोटे अधिकारी को लिखा गया प्रशासनिक पत्र परवाना कहलाता है। (शासक के द्वारा अपने अधीनस्थ को जारी किया गया आदेश परवाना कहलाता था)
3. वकील रिपोर्ट-
- मुगल दरबार में राजपूत शासकों द्वारा नियुक्त राजदूत दरबार की जो घटनाएँ भेजता था वही वकील रिपोर्ट कहलाती है। अर्थात् प्रत्येक राज्यों से बादशाही दरबार में वकील नियुक्त किये जाते थे तथा ये वकील अपने शासकों के हितों की रक्षा व सूचना भेजते थे। इन वकीलों के द्वारा लिखी गई सूचनाएं वकील रिपोर्ट कहलाती है।
4. बहियाँ-
- बहियों में राजा के दैनिक कार्यों के संचालन का बोध होता है।
5. फरमान-
- फरमान मुगल बादशाह के द्वारा जारी शाही आदेश हाता था। कभी फरमान सार्वजनिक होता था तो कभी फरमान मनसबदारों के लिए होता था।
6. सियाह हुजूर-
- राज परिवार के लिए खर्च का उल्लेख सियाह हुजूर में मिलता है।
7. दस्तूर कौमवार-
- पदाधिकारियों के नाम व जातिवार विवरण दस्तूर कौमवार में मिलता है। दस्तूर कौमवार जयपुर राज्य के अभिलेखों की महत्त्वपूर्ण अभिलेख श्रृंखला भी है।
8. तोजी रिकाॅर्ड-
- दैनिक व्यय का हिसाब या विवरण तोजी रिकाॅर्ड में होता था।
9. अड़सट्टा रिकाॅर्ड-
- अड़सट्टा रिकाॅर्ड में भूमि की किस्म, किसान का नाम, भूमि का नाप तथा लगान का विवरण होता था।
10. दस्ती रिकाॅर्ड-
- दस्ती रिकाॅर्ड जोधपुर राज्य का प्रमुख रिकाॅर्ड था।
11. मंसूर-
- मंसूर एक प्रकार का शाही आदेश था जिसे बादशाह की मौजुदगी में शहजादा जारी करता था। उत्तराधिकार युद्ध के बाद औरंगजेब ने जारी किया था।
12. सनद-
- सनद एक प्रकार की स्वीकृति होती थी जिसके द्वारा मुगल सम्राट अपने अधीनस्थ राजा को जागीर प्रदान करता था।
13. वाक्या-
- वाक्या में राजा व राजपरिवार की विभिन्न गतिविधि, रस्म, व्यवहार दर्ज होता था।
14. खानसामा-
- खानसामा वस्तुओं के निर्माण, क्रय, राजकीय विभागों से सामान क्रय व संग्रह का कार्य करता था।
15. खतूत महाराजगान व अहलकारान-
- खतूत महाराजगान व अहलकारान द्वारा देशी शासकों, मराठों, पिंडारियों, मुगल दरबार व पड़ोसी राज्यों के साथ शासन संबंधी व्यवहार होता था।
16. अर्जदाश्त-
- अर्जदाश्त एक लिखित प्रार्थना पत्र होता था जो की अधिकारी के द्वारा अपने अधीनस्थ कर्मचारी को भेजा जाता था।
17. हस्बुल हुक्म-
- इसके तहत शाही परिवार के किसी सदस्य अथवा सरदार द्वारा प्रेषित आदेश जिसमें किसी व्यक्ति को कोई स्वीकृति दी जाती थी तथा जिसमें बादशाह की सहमति होती थी।
18. हकीकत बही-
- हकीकत बही में राजा के दैनिक क्रियाकलापों व वैवाहिक संबंधों का उल्लेख मिलता है। तथा हकीकत बही में 1857 के भारतीय विद्रोह के अंश में मिलते है।
19. कमठाना बही-
- राजप्रासाद बनाने में खर्चा, दैनिक मजदूरी आदि का उल्लेख मिलता है। अर्थात् कमठाना बही में भवन निर्माण या दूर्ग निर्माण संबंधी जानकारी मिलती है।
20. हुकूमत बही-
- हुकूमत बही में राजा के आदेशों की नकल मिलती है।
21. निशान-
- बादशाह के परिवार के किसी भी सदस्य के द्वारा मनसबदार को अपनी मोहर के साथ जो आदेश जारी किया जाता था वो निशान कहलाता था।
22. रुक्का-
- राजा की ओर से प्राप्त पत्र को खास रुक्का कहा जाता था। अर्थात् राज्य के अधिकारियों के मध्य पत्र व्यवहार को रुक्का कहा जाता था।