Ads Area

वाणिज्यिक बैंक (Commercial Bank)

वाणिज्यिक बैंक (Commercial Bank)-

  • वाणिज्यिक बैंक को 6 भागों में बाटा है जैसे-
  • 1. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (Public Sector Bank)
  • 2. निजी बैंक (Private Bank)
  • 3. विदेशी बैंक (Foreign Bank)
  • 4. क्षेत्रिय ग्रामीण बैंक (Regional Rural Bank)
  • 5. भुगतान बैंक (Payment Bank)
  • 6. लघु वित्त बैंक (Small Finance Bank)


1. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (Public Sector Bank)-

  • वे बैंक जिनमें सरकार की हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से अधिक है सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कहलाते है।
  • वर्तमान में भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या 12 है जैसे- (1 SBI + 11 राष्ट्रीयकृत बैंक = 12  बैंक)


राष्ट्रीयकृत बैंक (Nationalized Bank)-

  • वे बैंक जो पहले निजी क्षेत्र में थे परन्तु सरकार के द्वारा इनका अधिग्रहण कर लिया गया।
  • बैंको का राष्ट्रीयकरण दो चरणों में किया गया था।
  • (I) सन् 1969 में बैंकों के राष्ट्रीयकरण के प्रथम चरण में 14 बड़े बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया था जिनकी पूंजी 50 करोड़ रुपये से अधिक थी।
  • (II) सन् 1980 में बैंको के राष्ट्रीयकरण के दुसरे चरण में 6 अन्य बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया था जिनकी पूंजी 200 करोड़ रुपये से अधिक थी।
  • बैंको के राष्ट्रीयकरण का मुख्य उद्देश्य भारत में बैंकिंग क्षेत्र का विस्तार करना विशेषकर ग्रामिण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवा उपलब्ध करवाना था।
  • वर्तमान में भारत में बैंकिंग क्षेत्र विलय के दौर से गुजर रहा है।


सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (Public Sector Bank)-

  • (I) स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (State Bank of India- SBI)
  • (II) पंजाब नेशनल बैंक (Punjab National Bank- PNB)
  • (III) बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank of Baroda)
  • (IV) केनरा बैंक (Canara Bank)
  • (V) यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (Union Bank of India)
  • (VI) पंजाब एंड सिंध बैंक (Punjab & Sind Bank)


        (I) स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (State Bank of India- SBI)-

        • SBI के सहायक बैंक-
        • सन् 1959 में भारत में 8 रियासती बैंकों को SBI का सहायक बैंक बनाया गया था जैसे-
        • (A) State Bank of Bikaner
        • (B) State Bank of Jaipur
        • (C) State Bank of Patiala
        • (D) State Bank of Indore
        • (E) State Bank of Saurashtra
        • (F) State Bank of Hyderabad
        • (G) State Bank of Mysore
        • (H) State Bank of Travancore
        • सन् 1963 में State Bank of Bikaner और State Bank of Jaipur दोनों बैंकों को मिलाकर एक बैंक State Bank of Bikaner and Jaipur (SBBJ) बना दिया था।
        • सन् 2008 में State Bank of Saurashtra का विलय State Bank of India (SBI) में कर दिया गया था।
        • सन् 2010 में State Bank of Indore का विलय State Bank of India (SBI) में कर दिया गया था।
        • सन् 2017 में State Bank of Bikaner and Jaipur (SBBJ), State Bank of Patiala, State Bank of Hyderabad, State Bank of Mysore, State Bank of Travancore कुल 5 बैंकों का विलय State Bank of India (SBI) में कर दिया गया था।
        • वर्तमान में State Bank of India (SBI) भारत का सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक है।


        (II) पंजाब नेशनल बैंक (Punjab National Bank- PNB)-

        • पंजाब नेशनल बैंक भारत का दुसरा सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक है।
        • पंजाब नेशनल बैंक में ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (Oriental Bank of Commerce- OBC) तथा यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया (United Bank of India) का विलय कर दिया गया था।


        (III) बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank of Baroda)-

        • बैंक ऑफ बड़ौदा भारत का तीसरा सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक है।
        • बैंक ऑफ बड़ौदा में विजया बैंक (Vijaya Bankतथा देना बैंक (Dena Bank) का विलय किया गया था।


        (IV) केनरा बैंक (Canara Bank)-

        • केनरा बैंक भारत का चौथा सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक है।
        • केनरा बैंक में सिंडिकेट बैंक (Syndicate Bank) का विलय किया गया था।


        (V) यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (Union Bank of India)-

        • यूनियन बैंक ऑफ इंडिया भारत का पांचवा सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक है।
        • यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में आंध्रा बैंक (Andhra Bank) तथा कारपोरेशन बैंक (Corporation Bank) का विलय किया गया था।


        (VI) पंजाब एंड सिंध बैंक (Punjab & Sind Bank)-

        • पंजाब एंड सिंध बैंक भारत का सबसे छोटा सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक है।


        बैंकों के विलय का लाभ (Benefits of Merger of Banks)-

        • बैंकों के विलय से बड़े बैंकों की स्थापना की जा सके।
        • बैंकों के विलय से भारतीय बैंक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे।
        • बैंकों के विलय से बैंकों के संचालन की लागत कम होगी।
        • बैंकों के विलय से बैंक तकनिक में और अधिक निवेश किया जा सकता है।


        बैंकों के विलय की चुनौती (Challenge of Merger of Banks)-

        • बैकों के विलय की मुख्य चुनौती बैंक में काम करने वाले कर्मचारियों की है क्योंकि बैंक में काम करने वाले कर्मचारी विलय का विरोध करते है।


        2. निजी बैंक (Private Bank)-

        • भारत में निजी क्षेत्र के बैंकों को RBI के द्वारा लाइसेंस दिया जाता है।
        • भारत में अब तक RBI के द्वारा तीन बार निजी बैंकों को लाइसेंस दिये गये है जैसे-
        • (I) सन् 1993
        • (II) सन् 2001
        • (III) सन् 2015
        • वर्ष 2015 में दो निजी बैंकों को लाइसेंस दिये गये थे जैसे-
        • (I) बंधन बैंक (Bandhan Bank)
        • (II) आईडीएफसी बैंक (IDFC Bank)
        • वर्तमान में भारत में निजी बैंकों की संख्या कुल 21 है।


        बिमल जालान समिति (Bimal Jalan Committee)-

        • भारत में निजी क्षेत्र के बैंकों को लाइसेंस देने की शर्तें निर्धारित करने के लिए बिमल जालान समिति का गठन 26 दिसम्बर 2018 में किया गया था।


        बिमल जालान समिति की मुख्य शर्तें (Main terms of Bimal Jalan Committee)-

        • निजी बैंकों के लाईसेंस के लिए न्यूनतम पूंजी 1000 करोड़ रुपये होनी चाहिए।
        • निजी बैंकों के लाईसेंस के लिए 10 वर्ष का बैंकिंग कार्य का अनुभव होना चाहिए।
        • निजी बैंको के लाईसेंस के लिए 25 प्रतिशत शाखाएं ऐसे क्षेत्रों में खोली जानी चाहिए जहा बैंकिंग सुविधाएं नहीं है।


        On Tap लाइसेंस प्रणाली (On Tap Licensing System)-

        • वर्तमान में RBI के द्वारा On-Tap लाइसेंस की व्यवस्था अपनायी गई है। जिसके अन्तर्गत किसी भी समय बैंक लाइसेंस के लिए आवेदन किया जा सकता है।


        3. विदेशी बैंक (Foreign Bank)-

        • विदेशी बैंक अपनी शाखाएं भारत में खोल सकते है।
        • विदेशी बैंकों को अपनी शाखाएं भारत में खोलने के लिए RBI से अनुमति लेनी होती है।
        • वर्तमान में कुल 46 विदेशी बैंक भारत में कार्यरत है।


        4. क्षेत्रिय ग्रामीण बैंक (Regional Rural Bank- RRB)-

        • 2 अक्टूबर 1975 को भारत में 5 क्षेत्रिय ग्रामीण बैंक खोले गये थे।
        • 1976 में क्षेत्रिय ग्रामीण बैंक अधिनियम पारित किया गया था।
        • क्षेत्रिय ग्रामीण बैंक एक संयुक्त उपक्रम होता है जिसमें केन्द्र सरकार (50%) ,राज्य सरकार (15%) तथा वाणिज्यिक बैंक (35%) की हिस्सेदारी होती है।
        • गोवा तथा सिक्किम में कोई क्षेत्रिय ग्रामीण बैंक नहीं खोले गये।
        • क्षेत्रिय ग्रामीण बैंकों का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध करवाना था।
        • एक समय क्षेत्रिय ग्रामीण बैंकों की संख्या लगभग 200 हो गई थी परन्तु ये अत्यधिक घाटे में रहने लगे इसीलिए इनका विलय वाणिज्यिक बैंकों में किया जाने लगा।
        • वर्तमान में भारत में क्षेत्रिय ग्रामीण बैंकों की कुल संख्या 43 है।


        5. भुगतान बैंक (Payment Bank)-

        • भारत में भुगतान बैंक की स्थापना सन् 2015 में की गई थी।
        • नचिकेत मोर समिति (Nachiket Mor Committee) की सिफारिश पर भारत में भुगतान बैंक की स्थापना की गई थी।
        • भुगतान बैंक का मुख्य उद्देश्य वित्तिय समावेशन तथा भुगतान को आसान बनाना होता है।
        • भुगतान बैंक को शुरु करने के लिए न्यूनतम पूंजी 100 करोड़ रुपये होनी चाहिए।
        • भुगतान बैंक में प्रवर्तक (Promoter) का हिस्सा 40% होना चाहिए।
        • भुगतान बैंक सिर्फ मांग जमाएं ही स्वीकार कर सकते है।
        • भुगतान बैंक के द्वारा अवधि जमाएं स्वीकार नहीं की जाती है।
        • भुगतान बैंक डेबिट कार्ड जारी कर सकते है लेकिन क्रेडिट कार्ड जारी नहीं कर सकते है।
        • भुगतान बैंक के द्वारा किसी भी प्रकार का ऋण नहीं दिया जा सकता है।
        • भुगतान बैंक अधिकतम 2 लाख रुपये की जमाएं स्वीकार कर सकते है।
        • भुगतान बैंक को नकद आरक्षित अनुपात (Cash Reserve Ratio- CRR) तथा सांविधिक तरलता अनुपात (Statutory Liquidity Ratio- SLR) का पालन करना होता है।


        6. लघु वित्त बैंक (Small Finance Bank)-

        • भारत में लघु वित्त बैंक की स्थापना वर्ष 2015 में की गई थी।
        • उषा थोराट समिति (Usha Thorat Committee) की सिफारिश पर भारत में लघु वित्त बैंक की स्थापना की गई थी।
        • लघु वित्त बैंक का उद्देश्य वित्तिय समावेशन तथा छोटे व्यवसायियों को ऋण सुविधा उपलब्ध करवाना होता है।
        • लघु वित्त बैंक सभी प्रकार की जमाएं स्वीकार कर सकते है।
        • लघु वित्त बैंक के द्वारा दिए जाने वाले 100% ऋण में से 50% ऋण 25 लाख रुपये से कम के होने चाहिए।
        • लघु वित्त बैंकों को नकद आरक्षित अनुपात (Cash Reserve Ratio- CRR) तथा सांविधिक तरलता अनुपात (Statutory Liquidity Ratio- SLR) का पालन करना होता है।
        • लघु वित्त बैंक के द्वारा दिये जाने वाले 100% ऋण में से 75% ऋण प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार (Priority Sector Lending- PSL) देना आवश्यक है।
        • लघु वित्त बैंक जैसे- AU Small Finance Bank

        Post a Comment

        0 Comments

        Top Post Ad

        Below Post Ad