मुद्रा की आपूर्ति (Money Supply)-
- मुद्रा की आपूर्ति रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के द्वारा बैंक के माध्यम से की जाती है।
- बैंक में दो प्रकार की जमाएं स्वीकार की जाती है जैसे-
- (I) मांग जमा (Demand Deposit)
- (II) अवधि जमा (Time Deposit)
(I) मांग जमा (Demand Deposit)-
- मांग जमा के तहत दो प्रकार के खाते खोले जाते है जैसे-
- (A) बचत खाता (Saving Account)
- (B) चालू खाता (Current Account)
(II) अवधि जमा (Time Deposit)-
- अवधि जमा के तहत दो प्रकार के खाते खोले जाते है जैसे-
- (A) सावधिक जमा खाता (Fixed Deposit- FD)
- (B) आवर्ती जमा खाता (Recurring Deposit- RD)
मुद्रा समुच्चय (Money Aggregates)-
- 1. पुराने समुच्चय (Old Aggregates)
- 2. नये समुच्चय (New Aggregates)
1. पुराने समुच्चय (Old Aggregates)-
- पुराने समुच्चय का प्रयोग सन् 1977 से 1998 के बीच किया गया था।
- पुराने समुच्चयों में तरलता का अनुक्रम = M0 > M1 > M2 > M3 > M4
- पुराने समुच्चय जैसे-
- (I) M1
- (II) M2
- (III) M3
- (IV) M4
- (V) M0
(I) M1-
- M1 = जनता के पास नकद + बैंको के पास मांग जमाएं + RBI के पास अन्य जमाएं
- (M1 = Cash With Public + Demand Deposits With Banks + Other Deposits With RBI)
- RBI के पास अन्य जमाओं में सरकारी जमाएं, अन्य देशों के केंद्रीय बैंकों की जमाएं, IMF आदि की जमाएं शामिल है।
(II) M2-
- M2 = M1 + डाकघर के पास मांग जमाएं
- (M2 = M1 + Demand Deposites With Post Office)
(III) M3-
- M3 = M1 + बैंकों के पास अवधि जमाएं
- (M3 = M1 + Time Deposits With Banks)
(IV) M4-
- M4 = M3 + डाकघर की सभी जमाएं
- (M4 = M3 + All Deposits of Post Office)
(V) M0-
- M0 = जनता के पास नकद + RBI के पास अन्य जमाएं + RBI के पास बैंकों की नकद जमाएं (CRR)
- (M0 = Cash With Public + Other Deposits With RBI + Cash Deposits of Bank With RBI)
M0-
- M0 को हाई पावर (High Power) मनी भी कहा जाता है क्योंकि M0 सबसे अधिक तकल होता है।
- M0 को मौद्रिक आधार भी कहा जाता है।
- जब भी RBI को तरलता की गणना करनी होती है तब RBI M0 की गणना करता है।
- यदि M0 बढ़ रहा है तब इसका अर्थ है बाजार में तरलता अधिक है।
- यदि M0 घट रहा है तब इसका अर्थ है बाजार में तरलता कम है।
M1 तथा M2-
- M1 तथा M2 को नैरो मनी (Narrow Money) भी कहा जाता है। क्योंकि M1 तथा M2 का ऋण निर्माण में अधिक सहयोग नहीं होता है।
M3 तथा M4-
- M3 तथा M4 को ब्राॅड मनी भी कहा जाता है। क्योंकि M3 तथा M4 ऋण निर्माण में सहयोग करते है।
मुद्रा गुणांक (Money Multiplier)-
- मुद्रा गुणांक का सुत्र = M3/M0
- मुद्रा गुणांक तथा नकद आरक्षित अनुपात (Cash Reserve Ratio- CRR) में नकारात्मक संबंध होता है। अर्थात् CRR के बढ़ने से मुद्रा गुणांक कम होने लगता है।
- डिजिटल भुगतान (Digital Payment) से मुद्रा गुणांक बढ़ता है। क्योंकि डिजिटल भुगतान में लोगों के द्वारा बैंकिंग सुविधाओं का प्रयोग अधिक किया जाता है।
2. नये समुच्चय (New Aggregates)-
- (I) NM1
- (II) NM2
- (III) NM3
- (IV) L1
- (V) L2
- (VI) L3
(I) NM1-
- NM1 = जनता के पास नकद + बैंकों के पास मांग जमाएं + RBI के पास अन्य जमाएं
- (NM1 = Cash With Public + Demand Deposits With Banks + Other Deposits With RBI)
(II) NM2-
- NM2 = NM1 + निवासियों की अल्पकालिक जमाएं + बैंक के द्वारा जारी किये गये जमा प्रमाण पत्र
- (NM2 = NM1 + Short Term Deposits of Residents + Certificate of Deposits)
(III) NM3-
- NM3 = Nm2 + निवासियों की दीर्घकालिक जमाएं + बैंक के द्वारा लिए गये दीर्घकालिक ऋण
- (NM3 = NM2 + Long Term Deposits of Residents + Long Term Loans Taken By Bank)
(IV) L1-
- L1 = NM3 + डाकघर की जमाएं
(V) L2-
- L2 = L1 + पुनर्वित्त संस्थाओं की जमाएं
(VI) L3-
- L3 = L2 + Non Banking Financial Company (NBFC) की जमाएं