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सहकारी बैंक

सहकारी बैंक (Cooperative Bank)


2. सहकारी बैंक (Cooperative Bank)-

➠वे बैंक जो सहकारिता के सिद्धान्त पर कार्य करते है सहकारी बैंक कहलाते है।

➠सहकारिता के सिद्धान्त में निम्नलिखित तत्व शामिल है जैसे-

1. एक सब के लिए, सब एक के लिए

2. खुली सदस्यता

3. लोकतांत्रिक नियत्रण

4. पेशेवर प्रबंधन

➠सहकारी बैंक दो प्रकार के होते है जैसे-

(A) शहरी सहकारी बैंक (Urban Cooperative Bank)

(B) राज्य सहकारी बैंक (State Cooperative Bank)


(A) शहरी सहकारी बैंक (Urban Cooperative Bank)-

➠शहरी सहकारी बैंकों की स्थापना राज्य सरकार के अधिनियम के माध्यम से की जाती है।

➠शहरी सहकारी बैंकों का नियमन क्षेत्रिय ग्रामीण बैंक के द्वारा किया जाता है।


(B) राज्य सहकारी बैंक (State Cooperative Bank)-

➠राज्य सहकारी बैंकों की स्थापना राज्य सरकार के अधिनियम (कानून) के माध्यम से की जाती है।

➠राज्य सहकारी बैंकों को नियमन राज्य सरकार तथा RBI दोनों के द्वारा किया जाता है।

➠राज्य सहकारी बैंकों की पुनर्वित्त संस्था NABARD है।

➠NABARD का पूरा नाम- National Bank for Agriculture and Rural Development (राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक)

➠राज्य सहकारी बैंक दो प्रकार के होते है जैसे-

(अ) अल्पकालिक ऋण देने वाले बैंक

(ब) दीर्घकालिक ऋण देने वाले बैंक


(अ) अल्पकालिक ऋण देने वाले बैंक-

➠अल्पकालिक ऋण देने वाले बैंकों की संरचना त्रिस्तरीय है जैसे-

(I) APEX Bank- ये बैंक राज्य स्तर पर होते है।

(II) जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक (District Central Cooperative Banks -DCCBs)- ये बैंक जिला स्तर पर होते है।

(III) प्राथमिक कृषि साख समिति (Primary Agricultural Credit Society - PACS)- ये ग्राम स्तर पर होती है।


(ब) दीर्घकालिक ऋण देने वाले बैंक-

➠दीर्घकालिक ऋण देने वाले बैंको की संरचना द्विस्तरीय होती है अर्थात् ये दो प्रकार के होते है जैसे-

(I) राज्य भूमि विकास बैंक (State Land Development Bank- SLDB)- ये राज्य स्तर पर होते है।

(II) प्राथमिक भूमि विकास बैंक (Primary Land Development Bank- PLDB)- ये जिला स्तर पर होते है।


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