भारतीय रिजर्व बैंक के कार्य या RBI के कार्य (Function of Reserve Bank of India/Functions of RBI)-
- 1. मुद्रा का निर्गमन (Issue of currency)
- 2. बैंकों की विनियामक संस्था (Regulatory Body of Bank)
- 3. सरकार का बैंकर (Banker to the Government)
- 4. विदेशी मुद्रा भंडार का प्रबंधन (Management of foreign exchange reserves)
- 5. विनिमय दर का प्रबंधन (Management of exchange rate)
- 6. क्लियरिंग हाउस की सुविधा (Clearing House Facility) या समाशोधन गृह
- 7. तरलता का नियंत्रण (Controlling Liquidity)
1. मुद्रा का निर्गमन (Issue of currency)-
- 2 रुपये और 2 रुपये से उपर के सभी नोट भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के द्वारा जारी किये जाते हैं।
- 1 रुपये का नोट व सिक्के भारत सरकार (वित्त मंत्रालय) के द्वारा जारी किये जाते हैं लेकिन 1 रुपये के नोट व सिक्के को बाजार में चलाने का कार्य भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के द्वारा ही किया जाता है।
- 1 रुपये के नोट पर वित्त सचिव (वित्त मंत्रालय) के हस्ताक्षर होते हैं। जबकि अन्य नोटों पर भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के हस्ताक्षर होते हैं।
- भारत में नोट को छापने का कार्य चार स्थानों पर किया जाता है जैसे-
- (I) नासिक (महाराष्ट्र)
- (II) मैसूर (कर्नाटक)
- (III) सालबोनी (पश्चिम बंगाल)
- (IV) देवास (मध्य प्रदेश)
- भारत में सिक्को का ढालने का कार्य चार स्थानों पर किया जाता है जैसे-
- (I) कलकत्ता
- (II) मुम्बई
- (III) हैदराबाद
- (IV) नोएडा
मुद्रा जारी करने के लिए निम्नलिखित व्यवस्थाएं अपनायी जाती है।
- (I) स्वर्ण आरक्षित व्यवस्था (Gold Reserve System)
- (II) आनुपातिक आरक्षित व्यवस्था (Proportional Reserve System)
- (III) न्यूनतम आरक्षित व्यवस्था (Minimum Reserve System)
(I) स्वर्ण आरक्षित व्यवस्था (Gold Reserve System)-
- स्वर्ण आरक्षित व्यवस्था में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को जितनी मुद्रा छापनी होती थी उतना ही सोना (Gold) रिजर्व में रखना पड़ता था।
(II) आनुपातिक आरक्षित व्यवस्था (Proportional Reserve System)-
- आनुपातिक आरक्षित व्यवस्था में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को जितनी मुद्रा छापनी होती थी उसका 40 प्रतिशत सोना (Gold) रिजर्व में रखना पड़ता था।
(III) न्यूनतम आरक्षित व्यवस्था (Minimum Reserve System)-
- न्यनतम आरक्षित व्यवस्था को 1956 में अपनाया गया था इसके तहत भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को न्यूनतम 200 करोड़ रुपये की रिजर्व रखनी होती है। जिसमें 115 करोड़ रुपये का सोना (Gold) तथा 85 करोड़ रुपये की अन्य परिसम्पतियां रखनी होगी।
- यह मुद्रा वैद्य मुद्रा होती है जिसका अर्थ है भारत में कोई भी व्यक्ति इसे स्वीकार करने से मना नहीं कर सकता है।
क्रिप्टो करेंसी (Crypto currency)-
- क्रिप्टो करेंसी एक डिजिटल मुद्रा होती है।
- क्रिप्टो करेंसी का प्रयोग लेन देन और निवेश के लिए किया जा सकता है।
- क्रिप्टो करेंसी को किसी भी केन्द्रीय बैंक के द्वारा नियमित (संचालित) नहीं किया जाता है।
बिटकॉइन (Bitcoin)-
- बिटकाॅइन क्रिप्टो करेंसी का एक रूप है।
- बिटकाॅइन भेजने तथा प्राप्त करने के लिए बिटकाॅइन पता (Bitcoin Address) का प्रयोग किया जाता है।
- बिटका्ॅइन भेजने तथा प्राप्त करने वाले की पहचान गुप्त रखी जाती है।
- बिटकाॅइन के लिए ब्लाॅकचेन तकनीक (Blockchain Technology) का प्रयोग किया जाता है।
भारतीय रिजर्व बैंक की डिजिटल मुद्रा (Digital Currency of Reserve Bank of India)-
- वर्तमान में भारत में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के द्वारा स्वयं की डिजिटल मुद्रा जारी करने पर विचार किया जा रहा है।
2. बैंकों की विनियामक संस्था (Regulatory Body of Bank)-
- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के द्वारा बैंकों का नियमन किया जाता है।
- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) बैंकों के लिए विभिन्न प्रकार के दिशा निर्देश जारी करता है।
- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के द्वारा जारी किये गये दिशा निर्देश बैंकों को मानने अनिवार्य होते है।
- यदि कोई बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के दिशा निर्देश नहीं मानता है तब उस बैंक को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के द्वारा दण्डित किया जा सकता है।
- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) बैंकों का लाइसेंस भी रद कर सकता है।
- नियमन के लिए बैंकिंग अधिनियम, 1949 (Banking Act, 1949) का प्रयोग किया जाता है।
- भारत में बैंकिंग क्षेत्र के विकास की जिमेदारी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) पर है।
3. सरकार का बैंकर (Banker to the Government)-
- सरकार के आन्तरिक ऋणों का प्रबंधन भारतीय रिजर्व बैंख (RBI) के द्वारा किया जाता है। यद्यपि बाहरी ऋणों का प्रबंधन सरकार स्वयं करती है।
- ऋण के लेन देन हेतु सरकारी प्रतिभूतियों (Government Securities) का प्रयोग किया जाता है।
- भविष्य में सार्वजनिक लोक ऋण प्रबंधन ऐजेंसी (Public Debt Management Agency- PDMA) का निर्माण किया जायेगा जो की सरकार के आन्तरिक तथा बाहरी दोनों प्रकार के ऋणों का प्रबंधन करेगी।
- PDMA Full Form = Public Debt Management Agency
- PDMA का पूरा नाम = सार्वजनिक लोक ऋण प्रबंधन ऐजेंसी
4. विदेशी मुद्रा भंडार का प्रबंधन (Management of foreign exchange reserves)-
- भारत का विदेशी मुद्रा भंडार भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अधिन होता है।
- विदेशी मुद्रा भंडार में चार मुख्य तत्व होते है जैसे-
- (I) विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां (Foreign Currency Assets- FCAs)
- (II) स्वर्ण भंडार (Gold Reserves)
- (III) विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights- SDR)
- (IV) रिजर्व कोष (Reserve Tranche)
- वर्तमान में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 597.73 बिलियन अमेरिकी डाॅलर है।
5. विनिमय दर का प्रबंधन (Management of exchange rate)-
- वह दर जिस पर घरेलू मुद्रा को विदेशी मुद्रा में तथा विदेशी मुद्रा को घरेलू मुद्रा में परिवत्तित किया जाता है विनिमय दर (Exchange Rate) कहलाती है।
- विनिमय दर प्रबंधित करने की आवश्यकता इस लिए पड़ती है ताकि विनिमय दर में बड़े उतार चढ़ाव न हो।
- विनिमय दर प्रबंधित करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) बाजार से विदेशी मुद्रा (डाॅलर) को खरीद और बेच सकती है।
6. क्लियरिंग हाउस की सुविधा (Clearing House Facility) या समाशोधन गृह-
- बैंकों के बीच लेन देन को पुरा करवाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के द्वारा मध्यस्थ की भूमिका निभाई जाती है जैसे- चेक क्लीयरिंग, डिजिटल भुगतान
- वर्तमान में चेक ट्रंकेशन सिस्टम (Cheque Truncation System) का प्रयोग किया जाता है।
- चेक ट्रंकेशन सिस्टम के तहत चेक की इलेक्ट्राॅनिक काॅपी तैयार कर ली जाती है तथा संबंधित बैंक को भेज दी जाती है।
7. तरलता का नियंत्रण (Controlling Liquidity)-
- तरलता को नियंत्रित करने के लिए मौद्रिक नीति (Monetary Policy) का प्रयोग किया जाता है।
- यदि बाजार में तरलता अधिक है तब इसका अर्थ है महंगाई भी ज्यादा है।
- यदि बाजार में तरलता कम है तब इसका अर्थ है महंगाई भी कम है।
- मौद्रिक नीति में दो प्रकार के उपायों का प्रयोग किया जाता है जैसे-
- (अ) मात्रात्मक उपाय (Quantitative Measures)
- (ब) गुणात्मक उपाय (Qualitative Measures)
(अ) मात्रात्मक उपाय (Quantitative Measures)-
- (I) नकद आरक्षित अनुपात (Cash Reserve Ratio- CRR)
- (II) सांविधिक तरलता अनुपात (Statutory Liquidity Ratio- SLR)
- (III) बैंक दर (Bank Rate- BR)
- (IV) रेपो दर (Repo Rate- RR)
- (V) रिवर्स रेपो दर (Reverse Repo Rate- RRR)
- (VI) स्टैंडिंग डिपाॅजिट फैसिलिटी (Standing Deposit Facility- SDF)
- (VII) सीमांत स्थायी सुविधा (Marginal Standing Facility- MSF)
- (VIII) खुला बाजार परिचालन (Open Market Operation- OMO)
- (IX) दीर्घकालिक रेपो परिचालन (Long Term Repo Operation- LTRO)
(I) नकद आरक्षित अनुपात (Cash Reserve Ratio- CRR)-
- CRR Full Form = Cash Reserve Ratio
- CRR का पूरा नाम = नकद आरक्षित अनुपात
- बैंक को अपनी जमाओं (Deposits) का एक निश्चित प्रतिशत भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पास नकद में रखना होता है जिसे नकद आरक्षित अनुपात या Cash Reserve Ratio (CRR) कहते है।
- नकद आरक्षित अनुपात पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के द्वारा कोई ब्याज नहीं दिया जाता है।
- नकद आरक्षित अनुपात (CRR) आपातकाल के लिए होता है।
(II) सांविधिक तरलता अनुपात (Statutory Liquidity Ratio- SLR)-
- SLR Full Form = Statutory Liquidity Ratio
- SLR का पूरा नाम = सांविधिक तरलता अनुपात
- बैंक को अपनी जमाओं (Deposits) का एक निश्चित प्रतिशत भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पास तरल परिसंपत्तियों में रखना होता है जैसे- नकद (Cash), सोना (Gold), सरकारी प्रतिभूति (Government Security)
- सांविधित तरलता अनुपात (SLR) को सरकारी प्रतिभूति (Government Security) में रखा जाता है।
- तरलता को कम करने के लिए नकद आरक्षित अनुपात (CRR) तथा सांविधिक तरलता अनुपात (SLR) को बढ़ाया जा सकता है।
- तरलता को बढ़ाने के लिए नकद आरक्षित अनुपात (CRR) तथा सांविधिक तरलता अनुपात (SLR) के कम किया जा सकता है।
(III) बैंक दर (Bank Rate- BR)-
- BR Full Form = Bank Rate
- BR का पूरा नाम = बैंक दर
- वह ब्याज दर जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के द्वारा बैंकों को दीर्घकालिक ऋण प्रदान किया जाता है बैंक दर (BR) कहलाती है।
- बैंक दर (BR) को दंडात्मक दर (Penalty Rate) भी कहते है क्योंकि दंडात्मक दर का प्रयोग दंड (Penalty) लगाने के लिए किया जाता है।
- वर्तमान में बैंक दर (BR) सीमांत स्थायी सुविधा (MSF) के बराबर होती है।
(IV) रेपो दर (Repo Rate- RR)-
- RR Full Form = Repo Rate
- RR का पूरा नाम = रेपो दर
- वह ब्याज दर जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के द्वारा बैंकों को अल्पकालिक ऋण (Short Term Interest) दिये जाते है रेपो दर (Repo Rate- RR) कहलाती है।
- रेपो दर (RR) के लिए सरकारी प्रतिभूति (Government Security) गिरवी रखनी होती है परन्तु सांविधिक तरलता अनुपात (SLR) वाली सरकारी प्रतिभूतियों का प्रयोग रेपो दर में नहीं किया जा सकता है क्योंकि वह आपातकाल के लिए होती है।
- रेपो दर (RR) सबसे महत्वपूर्ण दर होती है।
- रेपो दर (RR) को नीतिगत दर या बेंचमार्क दर भी कहा जाता है।
(V) रिवर्स रेपो दर (Reverse Repo Rate- RRR)-
- RRR Full Form = Reverse Repo Rate
- RRR का पूरा नाम = रिवर्स रेपो दर
- वह ब्याज दर जिस पर बैंक के द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को अल्पकालिक ऋण (Short Term Interest) दिये जाते है रिवर्स रेपो दर (Reverse Repo Rate- RRR) कहलाती है।
- रिवर्स रेपो दर (RRR) के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को सरकारी प्रतिभूतियां (Government Security) बैंक के पास गिरवी रखनी होती है।
- रेपो दर (RR) तथा रिवर्स रेपो दर (RRR) की व्यवस्था वर्ष 2000 में शुरु की गई थी।
- रिवर्स रेपो दर (RRR) को तरलता समायोजन सुविधा (Liquidity Adjustment Facility) भी कहा जाता है।
(VI) स्टैंडिंग डिपाॅजिट फैसिलिटी (Standing Deposit Facility- SDF)-
- SDF Full Form = Standing Deposit Facility
- SDF का पूरा नाम = स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी
- स्टैंडिंग डिपाॅजिट फैसिलिटी (Standing Deposit Facility- SDF) की शुरुआत अप्रैल 2022 में की गई है।
- स्टैंडिंग डिपाॅजिट फैसिलिटी (SDF) के तहत बैंक के द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को अल्पकालिक ऋण दिये जाते है परन्तु भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के द्वारा सरकारी प्रतिभूतियां बैंक के पास नहीं रखी जाती है।
(VII) सीमांत स्थायी सुविधा (Marginal Standing Facility- MSF)-
- MSF Full Form = Marginal Standing Facility
- MSF का पूरा नाम = सीमांत स्थायी सुविधा
- सीमांत स्थायी सुविधा (MSF) की शुरुआत वर्ष 2011 में की गई थी।
- सीमांत स्थायी सुविधा (MSF) के तहत बैंक, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से एक दिन के लिए ऋण ले सकते है इस एक दिन के ऋण पर लगायी जाने वाली ब्याज दर को सीमांत स्थायी सुविधा (MSF) कहते है।
- इस एक दिन के ऋण के लिए सांविधिक तरलता अनुपात (SLR) वाली सरकारी प्रतिभूतियां गिरवी रखी जा सकती है।
- सीमांत स्थायी सुविधा (MSF) को दंडात्मक दर भी कहा जाता है।
- यदि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) मुद्रास्फीति/ महंगाई/ Inflation को कम करना चाहता है तब बैंक दर (BR), रेपो दर (RR), सीमांत स्थायी सुविधा (MSF), रिवर्स रेपो दर (RRR), स्टैंडिंग डिपाॅजिट फैसिलिटी (SDF) को बढ़ाया जा सकता है।
- यदि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) मुद्रास्फीति/ महंगाई/ Inflation को बढ़ाना चाहता है तब बैंक दर (BR), रेपो दर (RR), सीमांत स्थायी सुविधा (MSF), रिवर्स रेपो दर (RRR), स्टैंडिंग डिपाॅजिट फैसिलिटी (SDF) को कम किया जा सकता है।
(VIII) खुला बाजार परिचालन (Open Market Operation- OMO)-
- OMO Full Form = Open Market Operation
- OMO का पूरा नाम = खुला बाजार परिचालन
- खुले बाजार परिचालन (OMO) के तहत भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों को खरीदा व बेचा जाता है।
- यदि बाजार में तरलता को बढ़ाना है तब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के द्वारा सरकारी प्रतिभूति को खरीदा जाता है।
- यदि बाजार में तरलता को कम करना है तब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के द्वारा सरकारी प्रतिभूति को बेचा (बिक्री) जाता है।
(IX) दीर्घकालिक रेपो परिचालन (Long Term Repo Operation- LTRO)-
- LTRO Full Form = Long Term Repo Operation
- LTRO का पूरा नाम = दीर्घकालिक रेपो परिचालन
- दीर्घकालिक रेपो परिचालन (LTRO) व्यवस्था का प्रयोग कोरोना काल में किया गया था।
- दीर्घकालिक रेपो परिचालन (LTRO) के तहत भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के द्वारा बैंकों को दीर्घकालिक ऋण दिये गये थे।
- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के द्वारा दिये गये दीर्घकालिक ऋण पर रेपो दर (RR) ब्याज के रूप में लगायी थी।
- दीर्कालिक रेपो परिचालन (LTRO) व्यवस्था के तहत कोरोना काल में कुल 1.5 लाख करोड़ रुपये के ऋण दिये गये थे।
- 100 Basis Point= 1 %
- यदि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) तरलता को बढ़ाना चाहता है तब विस्तारवादी (Expansionary) या सस्ती मौद्रिक नीति (Easy Money Policy) का प्रयोग किया जाता है।
- यदि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) तरलता को कम करना चाहता है तब संकुचित (Contractionary) या महंगी मौद्रिक नीति (Tight Money Policy) का प्रयोग किया जाता है।
(ब) गुणात्मक उपाय (Qualitative Measures)-
- (I) मार्जिन आवश्यकता (Margin Requirement)
- (II) उपभोक्ता साख नियमन (Consumer Credit Regulation)
- (III) क्रेडिट का राशनिंग (Credit Rationing)
- (IV) नैतिक दबाव (Moral Suasion)
- (V) सीधी कार्यवाही (Direct Action)
(I) मार्जिन आवश्यकता (Margin Requirement)-
- मार्जिन आवश्यकता का अर्थ है की गिरवी रखी गई परिसंपत्ति के विरूद्ध बैंक के द्वारा कितना ऋण दिया जा सकता है।
- उदाहरण के लिए यदि 10 करोड़ रुपये की जमीन गिरवी रखी गई है तथा मार्जिन आवश्यकता 10 प्रतिशत है तब बैंक के द्वारा 9 करोड़ रुपये का लोन दिया जायेगा।
(II) उपभोक्ता साख नियमन (Consumer Credit Regulation)-
- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के द्वारा उपभोक्ता को दिये जाने वाले ऋण के नियमों को आसान और कठोर बनाया जा सकता है।
- यदि महंगाई को कम करना है तब उपभोक्ता को दिये जाने वाले ऋण के नियमों को कठोर कर दिया जाता है।
- यदि महंगाई को बढ़ाना है तब उपभोक्ता को दिये जाने वाले ऋण के नियमों को आसान या सरल बना दिया जाता है।
(III) क्रेडिट का राशनिंग (Credit Rationing)-
- क्रेडिट का राशिनिंग के माध्यम से ऋण को अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के बीच वितरित किया जा सकता है।
- यदि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को महंगाई को बढ़ाना है तब उपभोक्ताओं को अधिक ऋण दिया जाता है। जिससे की मांग बढ़ सके।
- यदि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को महंगाई को कम करना है तब उद्योगों को अधिक ऋण दिया जाता है जिससे की आपूर्ति को बढ़ाया जा सके।
(IV) नैतिक दबाव (Moral Suasion)-
- नैतिक दबाव के तहत भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के द्वारा बैंकों पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाया जाता है तथा ऋण देने के लिए प्रोत्साहित और हतोत्साहित किया जाता है।
(V) सीधी कार्यवाही (Direct Action)-
- जो बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के निर्देशों का पालन नहीं करते है उनके विरुद्ध भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के द्वारा सीधी कार्यवाही की जाती है।
महत्वपूर्ण लिंक (Important Link)-