ब्याज दरों का निर्धारण (Interest Rate Fixation)-
- बेंचमार्क प्राइम लेंडिंग रेट (Benchmark Prime Lending Rate)
- आधार दर (Base Rate)
- मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट (Marginal Cost of Funds Based Lending Rate- MCLR)
- बाहरी बेंचमार्क उधारी दर (External Benchmark Lending Rate- EBLR)
बेंचमार्क प्राइम लेंडिंग रेट (Benchmark Prime Lending Rate)-
- बेंचमार्क प्राइम लेंडिंग रेट के लिए दिशा निर्देश सन् 2004 में जारी किए गये थे।
- बेंचमार्क प्राइम लेंडिंग रेट के अनुसार ब्याज दर = प्राइम दर (Prime Rate) + जोखिम (Risk)
- प्राइम दर वह दर होती है जो की बैंक अपने सबसे विश्वसनीय उपभोक्ता को देता है प्राइम दर कहलाती है।
- कम विश्वसनीय उपभोक्ताओं को Sub Prime उपभोक्ता कहा जाता है।
आधार दर (Base Rate)-
- आधार दर के लिए दिशा निर्देश सन् 2010 में जारी किए गये थे।
- आधार दर के तहत कोई भी ऋण आधार दर से कम दर पर नहीं दिया जा सकता है।
- आधार दर की गणना लागत (बैंक संचालन) के आधार पर की जाती है।
मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट (Marginal Cost of Funds Based Lending Rate- MCLR)-
- मार्जिनल काॅस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट के लिए दिशा निर्देश सन् 2016 में जारी किए गये थे।
- मार्जिनल काॅस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) के तहत लागत की गणना करते समय रेपो दर (Repo Rate- RR) को भी शामिल किया जाता है।
- मार्जिनल काॅस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) से सभी ऋणों को जोड़ दिया गया है।
- मार्जिनल काॅस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) से मौद्रिक नीति ओर अधिक प्रभावित हो गई है।
बाहरी बेंचमार्क उधारी दर (External Benchmark Lending Rate- EBLR)-
- बाहरी बेंचमार्क उधारी दर के लिए दिशा निर्देश 1 अक्टूबर 2019 में जारी किए गये थे।
- बाहरी बेंचमार्क उधारी दर के तहत बेंचमार्क का निर्धारण आंतरिक रूप से ना करके बाहरी रूप से किया जाना चाहिए।
- RBI के द्वारा चार बाहरी बेंचमार्क का विकल्प दिया गया है। जैसे-
- (I) रेपो दर (Repo Rate- RR)
- (II) 91 दिन के ट्रेजरी बिल की यील्ड (91 Days Treasury Bill Yield)
- (III) 182 दिन के ट्रेजरी बिल की यील्ड (182 Days Treasury Bill Yield)
- (IV) फाइनेंशियल बेंचमार्क इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (Financial Benchmarks India Private Ltd) के द्वारा जारी कोई एक बेंचमार्क चुन सकते है।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य (Other Important Facts)-
- एक श्रेणी (जैसे- होम लोन, कार लोन) के ऋणों के लिए सभी बैंकों के द्वारा एक समान बेंचमार्क रखे जायेगे।
- बाहरी बेंचमार्क उधारी दर (EBLR) से मौद्रिक नीति ओर अधिक प्रभावि हो गयी है।