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गैर निष्पादित परिसंपत्तियां (Non Performing Assets- NPA)

गैर निष्पादित परिसंपत्तियां (Non Performing Assets- NPA)-

  • 1. गैर निष्पादित परिसंपत्तियां (Non Performing Assets- NPA)
  • 2. घटिया परिसंपत्तियां (Substandard Assets)
  • 3. संदेहास्पद (Doubtful Assets)
  • 4. हानि वाली परिसंपत्ति (Loss Assets)

  • सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के गैर निष्पादित परिसंपत्तियां (NPA) निजी क्षेत्र के बैंकों के गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) से अधिक है।


1. गैर निष्पादित परिसंपत्तियां (Non Performing Assets- NPA)-

  • यदि किसी ऋण का मूलधन तथा ब्याज 90 दिनों तक नहीं चुकाया जाता है तब ऐसे ऋणों को गैर निष्पादित परिसंपत्तियां (NPA) कहा जाता है या गैर निष्पादित परिसंपत्तियां (NPA) घोषित किया जाता है।


2. घटिया परिसंपत्तियां (Substandard Assets)-

  • यदि किसी ऋण को गैर निष्पादित परिसंपत्तियां (NPA) घोषित होने के एक साल बाद तक नहीं चुकाया जाता है तब उस गैर निष्पादित परिसंपत्तियां (NPA) को घटिया परिसंपत्तियां (Substandard Assets) कहा जाता है या घटिया परिसंपत्तियां (Substandard Assets) घोषित किया जाता है।


3. संदेहास्पद (Doubtful Assets)-

  • यदि किसी ऋण को घटिया परिसंपत्तियां (Substandard Assets) घोषित होने के एक साल बाद तक भी नहीं चुकाया जाता है तब उस घटिया परिसंपत्तियां (Substandard Assets) को संदेहास्पद (Doubtful Assets) कहा जाता है या संदेहास्पद (Doubtful Assets) घोषित किया जाता है।


4. हानि वाली परिसंपत्ति (Loss Assets)-

  • यदि किसी ऋण को संदेहास्पद (Doubtful Assets) कहा जाने के बाद भी नहीं चुकाया जाता है तब  उस संदेहास्पद (Doubtful Assets) को हानि वाली परिसंपत्ति (Loss Assets) कहा जाता है या हानि वाली परिसंपत्ति (Loss Assets) घोषित किया जाता है।


स्पेशल मेंशन अकाउंट (Special Mention Account- SMA)-

  • किसी ऋण के गैर निष्पादित परिसंपत्तियां (NPA) घोषित होने से पहले की पहचान करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के द्वारा स्पेशल मेंशन अकाउंट (Special Mention Account- SMA) फ्रेमवर्क जारी किया गया।


भारत में गैर निष्पादित परिसंपत्तियां (NPA) को वसूलने के लिए किए गये प्रयास-

  • 1. ऋण वसूली न्यायाधिकरण (Debts Recovery Tribunals- DRT)
  • 2. क्रेडिट इंफाॅर्मेशन ब्यूरो इंडिया लिमटेड (Credit Information Bureau India Limited- CIBIL)
  • 3. सरफेसी अधिनियम 2002 (SARFAESI Act 2002)
  • 4. इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड 2016 (Insolvency and Bankruptcy Code, 2016/ IBC Code 2016)
  • 5. Bad Bank


1. ऋण वसूली न्यायाधिकरण (Debts Recovery Tribunals- DRT)-

  • ऋण वसूली न्यायाधिकरण (Debts Recovery Tribunals- DRT) की स्थापना सन् 1993 में की गई थी।
  • भारत में सन् 1993 में एक साथ 29 ऋण वसूली न्यायाधिकरण (Debts Recovery Tribunals- DRT) की स्थापना की गई थी।


2. क्रेडिट इंफाॅर्मेशन ब्यूरो इंडिया लिमटेड (Credit Information Bureau India Limited- CIBIL)-

  • क्रेडिट इंफाॅर्मेशन ब्यूरो इंडिया लिमटेड (Credit Information Bureau India Limited- CIBIL) की स्थापना वर्ष 2000 में की गई थी।


3. सरफेसी अधिनियम 2002 (SARFAESI Act 2002)-

  • वर्ष 2002 में सरफेसी अधिनियम 2002 Securitisation and Reconstruction of Financial Assets and Enforcement of Security Interest Act, 2002 (SARFAESI Act 2002) पारित किया गया था।


सरफेसी अधिनियम 2002 (SARFAESI Act 2002)-

  • सरफेसी अधिनियम 2002 (SARFAESI Act 2002) के तहत बैंक द्वारा 60 दिन का नोटिस देकर गिरवी रखी गई परिसंपत्ति पर अधिकार किया जा सकता है।
  • सरफेसी अधिनियम 2002 (SARFAESI Act 2002) के तहत बैंक द्वारा 60 दिन के बाद गिरवी रखी गई परिसंपत्ति पर अधिकार कर उसे नीलाम किया जा सकता है।


परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी (Asset Reconstruction Company- ARC)

  • सरफेसी अधिनियम 2002 (SARFAESI Act 2002) के तहत परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी (Asset Reconstruction Company- ARC) की स्थापना की जा सकती है।
  • सरफेसी अधिनियम 2002 (SARFAESI Act 2002) के तहत बैंक अपना ऋण या लोन परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी (Asset Reconstruction Company- ARC) को बेच सकता है।
  • परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी (Asset Reconstruction Company- ARC) ऋण वसूली में विशेषज्ञ होती है।


4. इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड 2016 (Insolvency and Bankruptcy Code, 2016/ IBC Code 2016)-

  • इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (Insolvency and Bankruptcy Code- IBC) वर्ष 2016 में पारित किया गया था।
  • इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड को IBC Code 2016 भी कहा जाता है।
  • इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड 2016 (Insolvency and Bankruptcy Code- IBC) के तहत यह निर्धारित किया गया की जो कंपनियां ऋण नहीं चुका पाती है उन कंपनियों का समाधान 180 दिनों से 270 दिनों के बीच किया जायेगा।
  • जो कंपनियां ऋण नहीं चुका पाती है ऐसी कंपनियों की शिकायत राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण (National Company Law Tribunal- NCLT) में की जाती है।
  • राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण (National Company Law Tribunal-NCLT) की अनुमती के बाद इन्सॉल्वेंसी प्रोफेशनल (Insolvency Professional) की नियुक्ति की जाती है।
  • इन्सॉल्वेंसी प्रोफेशनल (Insolvency Professional) के द्वारा इन्सॉल्वेंसी प्लान (Insolvency Plan) बनाया जाता है।


भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (Insolvency and Bankruptcy Board of India- IBBI)-

  • इन्सॉल्वेंसी प्रोफेशनल (Insolvency Professional) का नियमन (संचालन) भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (Insolvency and Bankruptcy Board of India- IBBI) के द्वारा किया जाता है।


5. Bad Bank-

  • Bad Bank की स्थापना 2021 में की गई थी।
  • वह बैंक जो ऋण वसूलने में विशेषज्ञ होता है Bad Bank कहलाता है।
  • भारत में Bad Bank का नाम राष्ट्रीय परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी लिमिटेड (National Asset Reconstruction Company Limited- NARCL) रखा गया है।
  • राष्ट्रीय परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी लिमिटेड (National Asset Reconstruction Company Limited- NARCL) के द्वारा 2 लाख करोड़ रुपये की गैर निष्पादित परिसंपत्तियां (Non Performing Assets- NPA) की खरीद की जायेगी तथा अपने स्तर पर पर उस NPA को वसूल करने का प्रयास करेगी।

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