बौद्ध धर्म (Buddhism)
- बौद्ध धर्म का संस्थापन-
- बौद्ध धर्म का संस्थापक गौतम बुद्ध था।
- गौतम बुद्ध को एशिया का ज्योतिपुंज भी कहा जाता है।
गौतम बुद्ध या सिद्धार्थ जीवन परिचय-
- गौतम बुद्ध का बचपन का नाम सिद्धार्थ था।
- गौतम बुद्ध का जन्म नेपाल के लुंबिनी (कपिलवस्तु) नामक स्थान पर शाल के वृक्ष के नीचे वैशाख पूर्णिमा के दिन हुआ था।
- नेपाल के लुंबिनी नामक स्थान को वर्तमान में रुम्मनदेई के नाम से जाना जाता है।
- गौतम बुद्ध का जन्म 563 ई.पू. में हुआ था।
- 80 वर्ष की आयु में गौतम बुद्ध की मृत्यु कुशीनगर में हो गई थी।
- कुशीनगर वर्तमान में भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित एक प्रसिद्ध बौद्ध तीर्थ स्थल है।
- गौतम बुद्ध की माता का नाम मायादेवी या महामाया था।
- गौतम बुद्ध के पिता का नाम शुद्धोधन था।
- गौतम बुद्ध के पिता शुद्धोधन शाक्य कुल (शाक्य गण) के मुखिया या प्रमुख थे।
- गौतम बुद्ध की पत्नि का नाम राजकुमारी यशोधरा था।
- गौतम बुद्ध का विवाह 16 वर्ष की आयु में हो गया था।
- गौतम बुद्ध के पुत्र का नाम राहुल था।
मौसी- प्रजापति गौतमी
- गौतम बुद्ध की मौसी का नाम प्रजापति गौतमी था।
- गौतम बुद्ध के जन्म के 7 दिन के बाद ही गौतम बुद्ध की माता मायादेवी या महामाया की मृत्यु हो गई थी गौतम बुद्ध की माता मायादेवी की मृत्यु के बाद गौतम बुद्ध का पालन पोषण गौतम बुद्ध की मौसी प्रजापति गौतमी ने किया था।
- गौतम बुद्ध की सौतेली माँ का नाम प्रजापति गौतमी था।
अन्य तथ्य-
- गौतम बुद्ध का कुल शाक्य था इसीलिए गौतम बुद्ध शाक्यमुनि कहलाये थे।
- बुद्ध का गोत्र गौतम था इसीलिए बुद्ध गौतम बुद्ध कहलाये थे।
- गोतम बुद्ध कपिलवस्तु में बड़े हुए थे।
- कपिलवस्तु प्राचीन समय में शाक्य वंश की राजधानी थी।
- गौतम बुद्ध को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है।
- वैशाख पूर्णिमा का बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है।
उरुवेला-
- गौतम बुद्ध उरुवेला नामक स्थान पर चले गये थे।
- उरुवेला नामक स्थान को वर्तमान में बोधगया के नाम से जाना जाता है।
- उरुवेला में गौतम बुद्ध ने कौंडिन्य एवं कौंडिन्य के 4 अन्य साथियों के साथ कठिन तपस्या की थी।
- कौंडिन्य के 4 अन्य साथी जैसे- भादिया, महामना, अस्गामी, वप्पा
- गौतम बुद्ध ने मध्यम मार्ग का प्रतिपादन किया था।
सुजाता-
- सुजाता नामक लड़की ने गौतम बुद्ध को खीर खिलाई थी।
- सुजाता के द्वारा खीर खिलाने वाली घटना के 49 दिन बाद 35 वर्ष की आयु में बोधगया नामक स्थान पर निरंजना नदी (फल्गु नदी) के तट पर पीपल के वृक्ष के नीचे वैशाख पूर्णिमा के दिन गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
- बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति होने के कारण उस स्थान को बोधगया के नाम से जाना जाने लगा था।
- निरंजना नदी को फल्गु नदी के नाम से भी जाना जाता है।
- बोधगया वर्तमान में भारत के बिहार राज्य में स्थित है।
कौंडिन्य-
- कौंडिन्य नामक ब्राह्मण ने भविष्यवाणी की थी की गौतम बुद्ध महान सम्राट बनेगा या महान ऋषि (साधु) बनेगा।
- गौतम बुद्ध की यह भविष्यवाणी करने वाले एकमात्र व्यक्ति कौंडिन्य था।
निम्नलिखित चार घटनाओं ने गौतम बुद्ध के जीवन को प्रभावीत किया-
- गौतम बुद्ध जब कपिलवस्तु की सैर पर निकले तो गौतम बुद्ध ने निम्न चार दृश्यों को क्रमशः देखा था जैसे-
- 1. एक बुजुर्ग व्यक्ति
- 2. एक बीमार व्यक्ति
- 3. एक मृतक व्यक्ति (शव)
- 4. एक साधु या सन्यासी
- उपर्युक्त चारों दृश्यों ने गौतम बुद्ध के जीवन को काफी प्रभावीत किया था।
गौतम बुद्ध का गृहत्याग-
- गौतम बुद्ध के जीवन को प्रभावीत करने वाली चार घटनाओं के बाद गौतम बुद्ध ने 29 वर्ष की आयु में गृहत्याग किया था।
गौतम बुद्ध का गुरु-
- गौतम बुद्ध का प्रथम गुरु आलार कलाम था।
- आलार कलाम सांख्य दर्शन के आचार्य थे।
- गौतम बुद्ध ने वैशाली में अपने प्रथम गुरु आलार कलाम से योग (सांख्य दर्शन) की शिक्षा ग्रहण की थी।
- गौतम बुद्ध का द्वितीय गुरु उद्धालक रामपुत्त (रुद्रक रामपुत्र) था।
- अलार कलाम के बाद गौतम बुद्ध ने राजगीर के रुद्रक रामपुर से शिक्षा ग्रहण की थी।
सिद्धार्थ के अन्य नाम-
- शाक्यमुनि
- गौतम बुद्ध
- तथागत
- सिद्धार्थ शाक्यमुनि, गौतम बुद्ध व तथागत के नाम से प्रसिद्ध हुए थे।
सारनाथ-
- सारनाथ वर्तमान में उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी के पास स्थित है।
- गौतम बुद्ध ने सारनाथ में बौद्ध संघ स्थापना की थी।
- गौतम बुद्ध ने सारनाथ के मृगदाव या मृगउद्यान में अपना पहला उपदेश दिया था।
- गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश कौंडिन्य एवं कौंडिन्य के साथियों को दिया था।
श्रावस्ती-
- श्रावस्ती प्राचीन भारत के कौशल राज्य की दूसरी राजधानी थी।
- श्रावस्ती वर्तमान में भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक जिला है।
- गौतम बुद्ध ने सर्वाधिक उपदेश श्रावस्ती में ही दिये थे।
- गौतम बुद्ध ने सर्वाधिक वर्षाकाल श्रावस्ती में ही व्यतीत किया था।
अवंती-
- गौतम बुद्ध के जीवनकाल में अवंती एक विशाल राज्य बन गया था।
- अवंती के शासक प्रद्योत ने गौतम बुद्ध को आमंत्रित किया था लेकिन गौतम बुद्ध ने अवंती की यात्रा नहीं की थी।
गौतम बुद्ध के प्रधान शिष्य-
- गौतम बुद्ध के प्रधान शिष्य सारिपुत्र एवं उपालि थे।
गौतम बुद्ध का प्रिय शिष्य-
- गौतम बुद्ध का प्रिय शिष्य आनंद था।
- आनंद के कहने पर गौतम बुद्ध ने वैशाली नामक स्थान पर महिलाओं को बौद्ध संघ में प्रवेश दिया था।
- बौद्ध संघ में प्रवेश पाने वाली प्रथम महिला गौतम बुद्ध की मौसी प्रजापती गौतमी थी।
- वैशाली वर्तमान में भारत के बिहार राज्य का एक जिला है।
गौतम बुद्ध के अन्य शिष्य-
- अंगुलिमाल गौतम बुद्ध का शिष्य बन गया था।
- वैशाली की प्रसिद्ध नगरवधू आम्रपाली गौतम बुद्ध की शिष्य बन गयी थी।
भगवान गौतम बुद्ध के प्रतीक-
- 1. सफेद हाथी या हाथी
- 2. सांड या कमल
- 3. घोड़ा
- 4. बौधिवृक्ष या पीपल
- 5. पदचिह्न
- 6. स्तूप
1. सफेद हाथी या हाथी-
- सफेद हाथी भगवान बुद्ध के गर्भस्थ होने का प्रतीक था।
- सफेद हाथी महामाया का सपना
2. सांड या कमल-
- सांड या कमल जन्म का प्रतीक
3. घोड़ा-
- घोड़ा गृहत्याग का प्रतीक
4. बौधिवृक्ष या पीपल-
- बौधिवृक्ष या पीपल ज्ञान का प्रतीक
5. पदचिह्न-
- पदचिह्न निर्वाण का प्रतीक
6. स्तूप-
- स्तूप मृत्यु का प्रतीक
शब्दावली-
- 1. महाभिनिष्क्रमण
- 2. संबोधि
- 3. धर्मचक्र प्रवर्तन
- 4. महापरिनिर्वाण
1. महाभिनिष्क्रमण-
- संसारिक समस्याओं से व्यथित होकर 29 वर्ष की आयु में गौतम बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ती के लिए गृह त्याग किया था।
- गौतम बुद्ध के गृह त्याग करने को बौद्ध धर्म में महाभिनिष्क्रमण कहा जाता है।
2. संबोधि-
- 35 वर्ष की आयु में बोधगया में निरंजना नदी के तट पर पीपल के पेड़ के नीचे वैशाख पूर्णिमा के दिन गौतम बुद्ध को ज्ञान या बोधि की प्राप्ति हुई थी।
- बोधगया वर्तमान में भारत के बिहार राज्य के गया जिले में स्थित एक नगर है।
- ज्ञान प्राप्ति के बाद सिद्धार्थ गौतम बुद्ध व शाक्यमुनि के नाम से प्रसिद्ध हुए थे।
- गौतम बुद्ध के ज्ञान या बोधि की प्राप्ती को संबोधि कहा जाता है।
3. धर्मचक्र प्रवर्तन-
- ज्ञान प्राप्ति के बाद गौतम बुद्ध ने सारनाथ के मृगदाव या मृगउद्यान (हिरण्य उद्यान) में कौंडिन्य एवं कौंडिन्य के 4 साथियों को अपना प्रथम उपदेश दिया एवं बौद्ध संघ की स्थापना की थी।
- गौतम बुद्ध के प्रथम उपदेश को बौद्ध ग्रंथों में धर्मचक्र प्रवर्तन कहा गया है।
- गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश पालि भाषा में दिया था।
4. महापरिनिर्वाण-
- 80 वर्ष की आयु में कुशीनगर में गौतम बुद्ध की मृत्यु हो गई थी जिसे महापरिनिर्वाण कहा जाता है।
गौतम बुद्ध की शिक्षाएं-
- 1. चार आर्य सत्य
- 2. प्रतीत्यसमुत्पाद
- 3. निर्वाण
- 4. अष्टांगिक मार्ग
- 5. क्षणिकवाद या अनित्यवाद या क्षणभंगवाद
- 6. अनात्मवाद
1. चार आर्य सत्य-
- (I) दुःख- संसार में दुःख है।
- (II) समुदय- दुःख का कारण है।
- (III) निरोध- दुःख के कारण का निवारण है।
- (IV) मार्ग- दुःख निवारण का मार्ग है। या निवारण के लिये अष्टांगिक मार्ग है।
2. प्रतीत्यसमुत्पाद-
- प्रतीत्यसमुत्पाद बौद्ध धर्म का कार्यकारण या कारणता का सिद्धांत है।
- भगवान गौतम बुद्ध ने दुखों का कारण अज्ञान या अविधा (तृष्णा) को बताया है।
- प्रतीत्यसमुत्पाद के सिद्धांत को द्वादश (12) निदान चक्र के द्वारा समझाया गया है।
- प्रतीत्यसमुत्पाद का शाब्दिक अर्थ है "ऐसा होने पर वैसा होना है"
- भगवान गौतम बुद्ध ने दूसरे आर्य सत्य के तहत प्रतीत्यसमुत्पाद के सिद्धांत का प्रतिपादन किया था।
3. निर्वाण-
- निर्वाण का अर्थ है बुझ जाना
- निर्वाण बौद्ध धर्म में जीवन का अंतिम लक्ष्य या उद्देश्य है जैसे हिन्दू धर्म में मोक्ष प्राप्त करना है।
- भगवान गौतम बुद्ध ने निर्वाण की व्याख्या नहीं की है।
- गौतम बुद्ध ने तीसरे आर्य सत्य के तहत निर्वाण का प्रतिपादन किया है।
4. अष्टांगिक मार्ग-
- गौतम बुद्ध के अनुसार यदि अष्टांगिक मार्ग का पालन किया जाये तो व्यक्ति का अज्ञान समाप्त हो जाता है।
- गौतम बुद्ध ने चौथे आर्य सत्य के तहत अष्टांगिक मार्ग का प्रतिपादन किया है।
- भगवान गौतम बुद्ध का अष्टांगिक मार्ग जैसे-
- (I) सम्यक दृष्टि
- (II) सम्यक संकल्प
- (III) सम्यक वाक् या वाणी
- (IV) सम्यक कर्मान्त
- (V) सम्यक आजीविका
- (VI) सम्यक व्यायाम
- (VII) सम्यक स्मृति
- (VIII) सम्यक समाधि
5. क्षणिकवाद या अनित्यवाद या क्षणभंगवाद-
- गौतम बुद्ध के अनुसार इस संसार में सभी वस्तुओं का अस्तित्व क्षण भर या अस्थायी है।
- भगवान गौतम बुद्ध के अनुसार इस जगत में कुछ भी स्थाई नहीं है।
- प्रत्येक वस्तु और उसके गुण अस्थायी और अनित्य है।
- भगवान गौतम बुद्ध ने नदी का उदाहरण दिया है।
- गौतम बुद्ध के अनुसार इस संसार में कोई भी व्यक्ति एक ही नदी में दो बार स्नान नहीं कर सकता है।
6. अनात्मवाद-
- गौतम बुद्ध नित्य आत्मा में विश्वास नहीं करते थे।
- गौतम बुद्ध के अनुसार विज्ञानों या विचारों का प्रवाह ही आत्मा है।
- प्रत्येक विचार मरने से पहले एक नये विचार या विज्ञान को जन्म देता है लेकिन विज्ञान या विचारों का यह प्रवाह बहुत तेज और सुसंगत है इसीलिए इसे हमारे लिए नित्य माना जाता है।
बौद्ध धर्म अनिश्वरवादी धर्म या दर्शन-
- बौद्ध धर्म अनिश्वरवादी धर्म या दर्शन है। अर्थात् बौद्ध धर्म में भगवान को नहीं मानते है।
- गौतम बुद्ध 'कर्मफल' और 'पुनःजन्म' को मानते थे या विश्वास करते थे।
- गौतम बुद्ध कुछ प्रश्नों पर मोन रहते एवं उनका उत्तर नहीं दिया गौतम बुद्ध केवल मुस्कुरा दिया करते थे। जैसे- परमतत्व, ईश्वर, निर्वाण आदि प्रश्न।
- गौतम बुद्ध परमतत्व, ईश्वर एवं निर्वाण जैसे प्रश्नों का उत्तर जानते थे।
बौद्ध धर्म की संगीतियां या बौद्ध संगीतियां (बैठक)-
- 1. प्रथम बौद्ध संगीति
- 2. द्वितीय बौद्ध संगीति
- 3. तृतीय बौद्ध संगीति
- 4. चतुर्थ बौद्ध संगीति
1. प्रथम बौद्ध संगीति-
- प्रथम बौद्ध संगीति 483 ई.पू. में हुई थी।
- प्रथम बौद्ध संगीति के समय मगध का शासक अजातशत्रु था।
- अजातशत्रु हर्यक वंश का शासक था।
- प्रथम बौद्ध संगीति सप्तपर्णी गुफा (राजगृह) नामक स्थान पर हुई थी।
- सप्तपर्णी गुफा वर्तमान में भारत के बिहार राज्य में स्थित है।
- प्रथम बौद्ध संगीति का अध्यक्ष महाकाश्यप या महाकस्सप था।
- प्रथम बौद्ध संगीति के समय सुत्तपिटक नामक पुस्तक की रचना की गई थी।
- सुत्तपिटक नामक पुस्तक की रचना आंनद के द्वारा की गई थी।
- सुत्तपिटक में भगवान गौतम बुद्ध की शिक्षाएं एवं जीवन की घटनाओं के बारे में जानकारी मिलती है।
- सुत्तपिटक के खुद्दक निकाय में जातक कथाएं मिलती है।
- जातक कथाएं भगवान गौतम बुद्ध के पूर्वजन्मों की कहानियां है।
- जातक कथाओं की संख्या लगभग 500 है।
- प्रथम बौद्ध संगीति के समय विनयपिटक की रचना की गई थी।
- विनयपिटक की रचना उपालि के द्वारा की गई थी।
- विनयपिटक में बौद्ध संघ के साधुओं के नियम एवं आचार विचार मिलते है।
2. द्वितीय बौद्ध संगीति-
- द्वितीय बौद्ध संगीति 383 ई.पू. में हुई थी।
- द्वितीय बौद्ध संगीति के समय मगध का शासक कालाशोक था।
- द्वितीय बौद्ध संगीति वैशाली में हुई थी।
- वैशाली वर्तमान में भारत के बिहार राज्य में स्थित है।
- द्वितीय बौद्ध संगीति का अध्यक्ष सर्वकामी या साबकमीर था।
- द्वितीय बौद्ध संगीति के समय बौद्ध संघ दो भागों में विभाजित हो गया था जैसे-
- (I) स्थविर
- (II) महासंघिक
3. तृतीय बौद्ध संगीति-
- तृतीय बौद्ध संगीति 251 ई.पू. में हुई थी।
- तृतीय बौद्ध संगीति के समय मगध का शासक अशोक था।
- अशोक मौर्य वंश का शासक था।
- तृतीय बौद्ध संगीति पाटलिपुत्र में हुई थी।
- पाटलिपुत्र वर्तमान में भारत के बिहार राज्य में स्थित है।
- पाटलिपुत्र का वर्तमान में पटना के नाम से जाना जाता है।
- तृतीय बौद्ध संगीति का अध्यक्ष मोगलीपुत्त तिस्स था।
- तृतीय बौद्ध संगीति के समय अभिधम्मपिटक या अभिधर्मपिटक की रचना की गई थी।
- अभिधम्मपिटक की रचना तृतीय बौद्ध संगीति में शामिल हुए सभी सदस्यों के द्वारा की गई थी।
- अभिधम्मपिटक में बौद्ध दर्शन मिलता है।
- पिटक का शाब्दिक अर्थ 'पिटारा' होता है।
त्रिपिटक-
- अभिधम्मपिटक, सुतपिटक एवं विनयपिटक को संयुक्त रूप से त्रिपिटक कहा जाता है।
4. चतुर्थ बौद्ध संगीति-
- चतुर्थ बौद्ध संगीति प्रथम शताब्दी (72 ई.) में हुई थी।
- चतुर्थ बौद्ध संगीति के समय मगध का शासक कनिष्क था।
- कनिष्क कुशाण वंश का शासक था।
- चतुर्थ बौद्ध संगीति कश्मीर के कुण्डलवन में हुई थी।
- चतुर्थ बौद्ध संगीति का अध्यक्ष वसुमित्र था।
- चतुर्थ बौद्ध संगीति का उपाध्यक्ष अश्वघोष था।
- चतुर्थ बौद्ध संगीति में बौद्ध संघ दो भागों में विभाजित हो गया था जैसे-
- (I) हीनयान
- (II) महायान
(I) हीनयान-
- बौद्ध धर्म की हीनयान शाखा के सदस्य रूढ़िवादी है।
- हीनयान शाखा के सदस्य गौतम बुद्ध को महापुरुष मानते है।
- हीनयान शाखा के सदस्य देवी देवताओं को नहीं मानते है।
- हीनयान शाखा के सदस्य मूर्तिपूजा नहीं करते है।
- हीनयान शाखा में भाषा पालि है।
- हीनयान शाखा के सदस्य व्यक्तिवादी होते है।
- हीनयान शाखा में परमपद (मुख्य पद) अर्हत है।
- हीनयान शाखा का विस्तार श्रीलंका, वर्मा (म्यामार), थाइलैंड, कम्बोडिया, लाओस, वियतनाम आदि देशों में है।
- हीनयान शाखा भी दो भागों में विभाजित हो गयी थी। जैसे-
- (अ) सौतांत्रिक
- (ब) वैभाषिक
(अ) सौतांत्रिक-
- बौद्ध धर्म की हीनयान शाखा की सौतांत्रिक शाखा का संस्थापक कुमारलब्द या कुमारलघ था।
(ब) वैभाषिक-
- बौद्ध धर्म की हीनयान शाखा की वैभाषिक शाखा का संस्थापक वसुमित्र था।
(II) महायान-
- बौद्ध धर्म की महायान शाखा के सदस्य सुधारवादी है।
- महायान शाखा के सदस्य गौतम बुद्ध को ईश्वर मानते है।
- महायान शाखा के सदस्य देवी देवताओं को मानते है जैसे- प्रज्ञा की देवी तारा (प्रज्ञा का अर्थ है ज्ञान)
- महायान शाखा के सदस्य मूर्तिपूजा करते है।
- महायान शाखा के सदस्य मानवतावादी होते है।
- महायान शाखा में भाषा संस्कृत है।
- महायान शाखा में परमपद (मुख्य पद) बोधिसत्व है।
- महायान शाखा का विस्तार नेपाल, चीन, उत्तरी कोरिया, दक्षिणी कोरिया जापान आदि देशों में है।
महायान शाखा भी दो भागों में विभाजित हो गयी थी। जैसे-
- (अ) शून्यवाद या माध्यमिका
- (ब) विज्ञानवाद या योगाचार
(अ) शून्यवाद या माध्यमिका-
- बौद्ध धर्म की महायान शाखा की शून्यवाद या माध्यमिका शाखा का संस्थापक नागार्जुन था।
(ब) विज्ञानवाद या योगाचार-
- बौद्ध धर्म की महायान शाखा की विज्ञानवाद या योगाचार शाखा का संस्थापक मैत्रेय था।
- मैत्रेय को भविष्य का बुद्ध भी कहा जाता है।
नागार्जुन-
- नागार्जुन ने ब्रह्म के बारे में बताया एवं ब्रह्म को शून्य बताया था।
- बाद में शंकराचार्य ने ब्रह्म को निर्गुण एवं निराकार बताया था इसीलिए शंकराचार्य को प्रछन्न बौद्ध कहा जाता है।
- प्रछन्न बौद्ध का अर्थ है छिपा हुआ बौद्ध धर्म
- नागार्जुन ने सापेक्षता का सिद्धांत दिया था।
- नागार्जुन को भारत का आइंस्टीन कहा जाता है।
विज्ञानवाद या योगाचार-
- मैत्रेय के अनुसार इस ब्रह्मांड में केवल विज्ञान या विचार का अस्तित्व है।
बौद्ध धर्म में त्रिरत्न-
- 1. बुद्ध
- 2. संघ
- 3. धम्म
बौद्ध धर्म का योगदान-
- भगवान गौतम बुद्ध ने एक सरल धर्म दिया था जो आडम्बरविहीनं था।
- भगवान गौतम बुद्ध ने धार्मिक आडम्बरों, कर्मकांड, रीति रिवाज, अंधविश्वासों, वर्ण व्यवस्था, सामाजिक असमानता, पशु बलि आदि का विरोध किया था।
- गौतम बुद्ध ने समानता पर जोर दिया था।
- गौतम बुद्ध ने महिलाओं (बौद्ध भिक्षुणियों) को संघ में शामिल होने की अनुमति दी थी।
- गौतम बुद्ध ने नैतिक मूल्यों पर जोर दिया था।
- गौतम बुद्ध ने पंचशील की अवधारणा दी थी जैसे-
- (I) हिंसा नहीं करना
- (II) चोरी नहीं करना
- (III) नशा नहीं करना
- (IV) झूठ या बेईमानी नहीं करना
- (V) व्यभिचारी नहीं करना
- गौतम बुद्ध के पंचशील की अवधारणा से समाज में नैतिक मूल्यों में वृद्धि होती है।
बौद्ध धर्म का स्थापत्य कला में योगदान-
- बौद्धों ने स्तूप, विहार एवं चैत्यों का निर्माण करवाया था।
बौद्ध धर्म के स्तूप-
- (I) पिपरहवा स्तूप (उत्तर प्रदेश)
- (II) धमेख स्तूप (सारनाथ, उत्तर प्रदेश)
(I) पिपरहवा स्तूप (उत्तर प्रदेश)-
- पिपरहवा स्तूप भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है।
- पिपरहवा स्तूप बौद्ध धर्म से संबंधित है।
- पिपरहवा स्तूप से भगवान गौतम बुद्ध के अवशेष प्राप्त हुये थे।
(II) धमेख स्तूप (सारनाथ, उत्तर प्रदेश)-
- धमेख स्तूप भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के सारनाथ में स्थित है।
- धमेख स्तूप बौद्ध धर्म से संबंधित है।
बौद्ध धर्म के विहार-
- बौद्ध धर्म में बौद्ध भिक्षुओं के रहने के स्थान को बौद्ध विहार कहा जाता है।
- (I) सारनाथ विहार (उत्तर प्रदेश)
- (II) अजंता विहार (महाराष्ट्र)
बौद्ध धर्म के चैत्य-
- बौद्ध धर्म में बौद्ध भिक्षुओं के पूजा घर को चैत्य कहा जाता है।
- (I) कार्ले चैत्य (महाराष्ट्र)
- (II) अजंता चैत्य (महाराष्ट्र)
(I) कार्ले चैत्य (महाराष्ट्र)-
- कार्ले चैत्य भारत के महाराष्ट्र राज्य में स्थित है।
- कार्ले चैत्य बौद्ध भिक्षुओं का पूजा घर है।
- कार्ले चैत्य भारत में सबसे बड़ा चट्टान निर्मित चैत्य है। अर्थात् कार्ले चैत्य भारत का सबसे बड़ा रॅाक कट चैत्य है।
बौद्ध धर्म का चित्रकला में योगदान-
- अजंता, एलोरा एवं बाग की गुफाओं से बौद्ध धर्म से संबंधित चित्र मिलते है। जिससे भारतीय चित्रकला का विकास हुआ है।
बौद्ध धर्म का मूर्तिकला में योगदान-
- गांधार, मथुरा एवं अमरावती से बौद्ध धर्म से संबंधित मूर्तियां मिली है। जिससे भारतीय मूर्तिकला का विकास हुआ है।
- गौतम बुद्ध ने मध्यम मार्ग का प्रतिपादन किया जो अत्यन्त ही व्यावहारिक है।
- बौद्ध भिक्षुओं ने बड़ी मात्रा में साहित्य की रचना की जो ऐतिहासिक जानकारी का स्त्रोत है।
- बौद्ध दर्शन सिखने के लिए कई विदेशी भारत आये एवं विदेशियों के यात्रा वृतांत से हमें भारत की जानकारी मिलती है।
- विदेशों में भी बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार हुआ जिसके कारण भारतीय संस्कृति पूरे विश्व में फैल गई।
- गौतम बुद्ध ने कुछ आर्थिक सुधार किये जैसे- धन पर ब्याज का समर्थन किया था।
- कालांतर में तक्षशिला विश्वविद्यालय, नालंदा विश्वविद्यालय एवं विक्रमशिला विश्वविद्यालय स्थापित किये गये जो की बौद्ध शिक्षा के सबसे बड़े केन्द्र थे।
बौद्ध धर्म के पतन का कारण-
- बौद्ध संघ कई शाखाओं में विभाजित हो गया था जैसे- हीनयान एवं महायान
- बौद्ध संघ धन का केन्द्र बन गया था और बौद्ध भिक्षु भ्रष्ट हो गये थे।
- बौद्ध भिक्षुओं का नैतिक पतन हो गया था।
- कालांतर में बौद्ध धर्म में वज्रयान और कालचक्रयान जैसे सम्प्रदायों की उत्पत्ति हुई जो अतिवादी थे।
- वज्रयान और कालचक्रयान सम्प्रदाय मास, मदिरा एवं मैथुन में विश्वास करते थे।
- बौद्ध धर्म में राजकीय संरक्षण का अभाव था।
- कुमारिल भट्ट और शंकराचार्य जैसे विद्वानों ने शास्त्रार्थ में बौद्ध भिक्षुओं को पराजित किया था।
- कालांतर में सामंतवाद का प्रभाव बढ़ गया था या सामंतवाद का विकास हो गया था एवं सामंतों ने बौद्ध धर्म को संरक्षण प्रदान नहीं किया था।
- ब्राह्मणों ने गौतम बुद्ध को भगवान विष्णु का अवतार घोषित कर दिया था।
- बौद्ध धर्म को कई महत्वपूर्ण बौद्ध भिक्षु नेपाल, चीन, श्रीलंका, तिब्बत आदि देशों में चले गये थे।
- बहुत से लोग ब्राह्मण धर्म की ओर फिर से आकर्षित हो गये थे।
- तुर्क आक्रमण जैसे- तुर्क सेनापति बख्तियार खिलजी ने बौद्ध धर्म के बड़े केन्द्र नालंदा विश्वविद्यालय को नष्ट कर दिया था।
श्रमण परम्परा-
- नास्तिक दर्शनों या नास्तिक धर्मों को श्रमण परम्परा भी कहा जाता है।