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एरिथ्रोब्लास्टोसिस फीटेलिस (Erythroblastosis Fetalis)

एरिथ्रोब्लास्टोसिस फीटेलिस

(Erythroblastosis Fetalis)


एरिथ्रोब्लास्टोसिस फीटेलिस (Erythroblastosis Fetalis)-

➠यदि धनात्मक (+ve) रक्त समूह वाले पुरुष का विवाह ऋणात्मक (-ve) रक्त समूह वाली महिला से साथ करवा दिया जाता है तो इनका पहला बच्चा तो सामान्य जन्म लेता है। लेकिन पहले बच्चे के बाद बाकी सभी बच्चे गर्भावस्था में ही मर जाते है। इस अवस्था को इरिथ्रोब्लास्टोसिस फीटेलिस कहते है।

➠एरिथ्रोब्लास्टोसिस फीटेलिस की क्रिया केवल धनात्मक (+ve) रक्त समूह वाला पुरुष एवं ऋणात्मक (-ve) रक्त समूह वाली महिला से पैदा होने वाले धनात्मक (+ve) रक्त समूह वाले बच्चे में ही होती है।

➠यदि धनात्मक (+ve) रक्त समूह वाले पुरुष का विवाह ऋणात्मक (-Ve) रक्त समूह वाली महिला से करवाया जाता है तो प्रसव के समय पहला बच्चा यदि धनात्मक (+ve) रक्त समूह वाला होता है तो पहला बच्चा नहीं मरता है लेकिन पहले बच्चे के बाद होने वाले धनात्मक (+ve) रक्त समूह वाले सभी बच्चे मर जाते है। अर्थात् माता में इरिथ्रोब्लास्टोसिस फीटेलिस की क्रिया केवल धनात्मक (+ve) रक्त समूह वाले बच्चे के कारण ही होती है।

➠यदि धनात्मक (+ve) रक्त समूह वाले पुरुष का विवाह ऋणात्मक (-ve) रक्त समूह वाली महिला से करवाया जाता है इनसे होने वाले ऋणात्मक (-ve) रक्त समूह वाला एक भी बच्चा नहीं मरता है। अर्थात् माता में इरिथ्रोब्लास्टोसिस फीटेलिस की क्रिया ऋणात्मक (-ve) रक्त समूह वाले बच्चे के कारण नहीं होती है।

➠इरिथ्रोब्लास्टोसिस फीटेलिस से बचने के लिए पहले प्रसव (Delivery) के समय माता में Anti-D का इंजेक्शन लगाया जाता है।

➠इरिथ्रोब्लास्टोसिस फीटेलिस से बचने के लिए माता में Anti-D का इंजेक्शन प्रसव के आधे घंटे बाद से लेकर प्रसव के 72 घंटे बाद तक ही लगाया जा सकता है। क्योंकि माता में प्रसव के 72 घंटे बाद माता में Rh-Antibody (Rh-एंटीबाॅडी) बहुत ज्यादा मात्रा में बन जाता है।

➠माता में Anti-D का इंजेक्शन प्रसव के 72 घंटे के बाद नहीं लगाया जाता क्योंकि माता में प्रसव के 72 घंटे बाद बनी Rh-एंटीबाॅडी का नियंत्रण करना मुस्किल हो जाता है। अर्थात् नियंत्रित नहीं हो पाती है।


इरिथ्रोब्लास्टोसिस फीटेलिस का कारण-

➠यदि धनात्मक रक्त समूह वाले पुरुष का विवाह ऋणात्मक रक्त समूह वाली महिला के साथ होता है। और इन दोनों से होने वाला बच्चा यदि धनात्मक रक्त समूह का है तो प्रसव से समय धनात्मक रक्त समूह वाले बच्चे के रक्त में उपस्थित Rh-एंटीजन माता के रक्त में चला जाता है बच्चे का Rh-एंटीजन माता के रक्त में जाने से माता के रक्त में Rh-एंटीबाॅडी का निर्माण होने लगता है। और माता के रक्त में बनी Rh-एंटीबाॅडी दूसरे धनात्मक रक्त समूह वाले बच्चे के जन्म के दौरान गर्भाशय में ही बच्चे के रक्त में उपस्थित Rh-एंटीजन को नष्ट कर देती है जिसके कारण बच्चे की मृत्यु माँ के गर्भ में ही हो जाती है।

➠ऋणात्मक रक्त समूह वाली व्यक्ति के रक्त में पहले से Rh-एंटीजन व Rh-एंटीबाॅडी नहीं पाया जाता है।

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