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नंद वंश

नन्द वंश (Nanda Vansh)- (344 BC - 322 BC)

  • नंद वंश मगध साम्राज्य का वंश है।
  • नंद वंश का शासक काल 344 ई.पू. से लेकर 322 ई.पू. तक था।
  • नंद वंश का संस्थापक महापद्मनंद था।


नंद वंश के प्रमुख राजा-

  • 1. महापद्मनंद
  • 2. धनानंद या धननंद


1. महापद्मनंद-

  • महापद्मनंद के द्वारा नंद वंश की स्थापना की गई थी।
  • महापद्मनंद की उपाधियां- 
    • (I) सर्वक्षत्रांतक
    • (II) दूसरा भार्गव
  • पहला भार्गव भगवान श्री परशुराम था।
  • महापद्मनंद जैन धर्म का अनुयायी था।
  • खारवेल के हाथीगुम्फा अभिलेख के अनुसार महापद्मनंद ने किलंग पर आक्रमण किया तथा कलिंग से जिनसेन (जैन) की मूर्ति लेकर आया था।
  • महापद्मनंद की कलिंग विजय का उल्लेख खारवेल के हाथीगुम्फा अभिलेख में मिलता है।
  • खारवेल का हाथीगुम्फा अभिलेख उड़ीसा से मिला है।
  • महापद्मनंद ने कलिंग में नहर का निर्माण करवाया था।
  • पाणिनी महापद्मनंद के समकालीन था।
  • पाणिनी ने अष्टाध्यायी नामक पुस्तक लिखी थी।


2. धनानंद या धननंद-

  • धनानंद महापद्मनंद का पुत्र था।
  • महाबौधि वंश के अनुसार धनानंद नंद वंश का अंतिम शासक माना जाता है।
  • धनानंद ने कई कर (Tax) लागू किये थे।
  • धनानंद ने चाणक्य या कौटिल्य या विष्णुगुप्त का अपमान किया था।
  • चाणक्य ने चन्द्रगुप्त मौर्य की सहायता से धनानंद की हत्या कर दी थी।
  • धनानंद की हत्या के बाद मौर्य वंश की स्थापना की गई थी।

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