चालुक्य वंश (Chalukya Dynasty)-
- चालुक्य वंश तीन शाखाओं में विभाजित था जैसे-
- (अ) वातापी के चालुक्य या बादामी के चालुक्य (543 ई. - 757 ई.)- पश्चिमी चालुक्य
- (ब) कल्याणी के चालुक्य (पश्चिमी चालुक्य)- पश्चिमी चालुक्य
- (स) वेंगी के चालुक्य- पूर्वी चालुक्य
(अ) वातापी के चालुक्य या बादामी का चालुक्य वंश-
- वातापी के चालुक्य या बादामी के चालुक्य वंश का संस्थापक जयसिंह था।
- वातापी के चालुक्य या बादामी के चालुक्य वंश के प्रमुख शासक-
- 1. जयसिंह
- 2. रणराग
- 3. कीर्तिवर्मन या कीर्तिवर्मन प्रथम
- 4. मंगलेश
- 5. पुलकेशिन द्वितीय
- 6. कीर्तिवर्मन द्वितीय
1. जयसिंह-
- वातापी या बादामी में चालुक्य वंश की स्थापना जयसिंह ने की थी।
2. रणराग-
- रणराग वातापी या बादामी के चालुक्य शासक जयसिंह का पुत्र था।
- रणराग गदा युद्ध में निपुण था।
3. कीर्तिवर्मन या कीर्तिवर्मन प्रथम-
- आधुनिक वातापी या बादामी का निर्माता कीर्तिवर्मन को माना जाता है।
4. मंगलेश-
- मंगलेश के भतीजे पुलकेशिन द्वितीय ने मंगलेश की हत्या कर दी थी।
5. पुलकेशिन द्वितीय-
- पुलकेशिन द्वितीय वातापी या बादामी के शासक मंगलेश का भतीजा था।
- पुलकेशिन द्वितीय वातापी या बादामी के चालुक्य वंश का महान एवं शक्तिशाली शासक था।
- पुलकेशिन द्वितीय ने पल्लव वंश के शासक महेंद्रवर्मन को पराजित किया एवं महेंद्रवर्मन के साम्राज्य के उत्तरी भाग पर अधिकार कर लिया था।
- पुलकेशिन द्वितीय ने अपन छोटे भाई विष्णुवर्धन को विजित क्षेत्र के उत्तरी भाग का शासक बनाया था।
- विष्णुवर्धन के द्वारा स्थापित नयी शाखा को वेंगी के चालुक्य कहा जाता है।
- पुलकेशिन द्वितीय ने हर्षवर्धन को पराजित किया तथा परमेश्वर की उपाधि धारण की थी।
- वातापी या बादामी के चालुक्य शासक पुलकेशिन द्वितीय की जानकारी रविकीर्ति के ऐहोल अभिलेख से मिलती है।
- ऐहोल अभिलेख से महाभारत की जानकारी भी मिलती है।
- ऐहोल अभिलेख में रविकीर्ति ने स्वयम् की तुलना कालिदास व भारवि से की है।
- चीनी यात्री ह्वेनसांग ने पुलकेशिन द्वितीय को महान शासक बताया है।
6. कीर्तिवर्मन द्वितीय-
- वातापी या बादामी के चालुक्य वंश का अंतिम शासक कीर्तिवर्मन द्वितीय है।
- दंतिदुर्ग ने कीर्तिवर्मन द्वितीय की हत्या करके राष्ट्रकूट वंश की स्थापना की थी।
(ब) कल्याणी के चालुक्य या कल्याणी का चालुक्य वंश-
- कल्याणी के चालुक्य वंश का संस्थापक तैलप द्वितीय था।
कल्याणी के चालुक्य वंश के प्रमुख शासक-
- 1. तैलप द्वितीय
- 2. विक्रमादित्य-VI
- 3. सोमेश्वर-III
1. तैलप द्वितीय-
- कल्याणी में चालुक्य वंश की स्थापना तैलप द्वितीय ने की थी।
2. विक्रमादित्य-VI-
- विक्रमादित्य कल्याणी के चालुक्य वंश का शासक था।
विक्रमादित्य-VI के दरबारी विद्वान-
- (I) विल्हण
- (II) विज्ञानेश्वर
(I) विल्हण-
- विल्हण कल्याणी के चालुक्य वंश के शासक विक्रमादित्य-VI का दरबारी विद्वान था।
- विल्हण ने विक्रमांकदेवचरित नामक पुस्तक की रचना की थी।
(II) विज्ञानेश्वर-
- विज्ञानेश्वर कल्याणी के चालुक्य वंश के शासक विक्रमादित्य-VI का दरबारी विद्वान था।
- विज्ञानेश्वर ने मिताक्षरा नामक पुस्तक की रचना की थी।
- विज्ञानेश्वर के द्वारा लिखी गई पुस्तक मिताक्षरा यागवल्क्य स्मृति पर लिखी गई टीका है।
3. सोमेश्वर-III-
- सोमेश्वर तृतीय एक विद्वान शासक था।
- सोमेश्वर ने मानसोल्लास नामक पुस्तक की रचना की थी।
- मानसोल्लास पुस्तक का विषय शिल्पशास्त्र तथा भोजन बनाने की विधियां है अर्थात् मानसोल्लास पुस्तक में शिल्पशास्त्र तथा भोजन बनाने की विधियों की उल्लेख किया गया है।
(स) वेंगी के चालुक्य या वेंगी का चालुक्य वंश-
- वेंगी के चालुक्य वंश का संस्थापक विष्णुवर्धन था।
वेंगी के चालुक्य वंश के प्रमुख शासक-
- 1. विष्णुवर्धन
1. विष्णुवर्धन-
- विष्णुवर्धन ने वेंगी में चालुक्य वंश की स्थापना की थी।
चालुक्यों का सांस्कृति योगदान-
- चालुक्य कला-
- भारत में तीन स्थानों पर चालुक्य कला देखने को मिलती है जैसे-
- 1. वातापी या बादामी (बीजापुर जिला, कर्नाटक, भारत)
- 2. ऐहोल (बीजापुर जिला, कर्नाटक, भारत)
- 3. पत्तदकल (पटड्डकल) या पट्टदकल्लु या पट्टदकल (बीजापुर जिला, कर्नाटक, भारत)
1. वातापी या बादामी-
- चालुक्यों ने वातापी या बादामी में शिवालय तथा गुफा का निर्माण करवाया था।
- वातापी या बादामी भारत के कर्नाटक राज्य के बीजापुर जिले में स्थित एक स्थान का नाम है।
2. ऐहोल-
- चालुक्यों ने ऐहोल में निम्नलिखित मंदिरों का निर्माण करवाया था जैसे-
- (I) लाडखों शिव मंदिर या लाद खान मंदिर (ऐहोल, कर्नाटक, भारत)
- (II) माँ दुर्गा मंदिर (ऐहोल, कर्नाटक, भारत)
- (III) मेगुती जैन मंदिर (ऐहोल, कर्नाटक, भारत)
- ऐहोल भारत के कर्नाटक राज्य के बीजापुर जिले में स्थित एक स्थान का नाम है।
- ऐहोल को मंदिरों का शहर भी कहा जाता है।
- ऐहोल में 70 मंदिर निर्मित है।
- मेगुती जैन मंदिर का निर्माण रविकीर्ति ने करवाया था।
3. पत्तदकल (पटड्डकल) या पट्टदकल्लु या पट्टदकल-
- चालुक्यों ने पत्तदकल में 10 मंदिरों का निर्माण करवाया था।
- चालुक्यों के द्वारा पत्तदकल में निर्मित 10 मंदिरों में से 4 मंदिर नागर शैली में निर्मित है।
- चालुक्यों के द्वारा पत्तदकल में नागर शैली में निर्मित प्रमुख मंदिर जैसे-
- (I) पापनाथ मंदिर (पत्तदकल, कर्नाटक, भारत)
- चालुक्यों के द्वारा पत्तदकल में निर्मित 10 मंदिरों में से 6 मंदिर द्रविड़ शैली में निर्मित है।
- चालुक्यों के द्वारा पत्तदकल में द्रविड़ शैली में निर्मित प्रमुख मंदिर जैसे-
- (I) विरुपाक्ष मंदिर (हम्पी, कर्नाटक, भारत)
- (II) संगमेश्वर मंदिर (पत्तदकल, कर्नाटक, भारत)
- पत्तदकल भारत के कर्नाटक राज्य के बीजापुर जिले में स्थित एक स्थान का नाम है।
- पत्तदकल में कुछ मंदिरों का निर्माण विक्रमादित्य-II की पत्नी महादेवी ने करवाया था।
ह्वेनसांग-
- चीनी यात्री ह्वेनसांग के अनुसार चालुक्य शासक शिक्षा के व्यसनी थे।
पुस्तकें-
- 1. शब्दावतार
- 2. जैनेन्द्र व्याकरण
- 3. नीतिवाक्यामृत
1. शब्दावतार-
- शब्दावतार नामक पुस्तक गंगाराजा दुर्विनीता या गंगराज दुर्विनीत के द्वारा लिखी गई है।
- शब्दावतार व्यापकरण की एक पुस्तक है।
2. जैनेन्द्र व्याकरण-
- जैनेन्द्र व्याकरण नामक पुस्तक उदयदेव पण्डित के द्वारा लिखी गई है।
3. नीतिवाक्यामृत-
- नीतिवाक्यामृत नामक पुस्तक सोमदेव सूरि के द्वारा लिखी गई है।