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चेर वंश

चेर वंश (Chera Dynasty)-

  • चेर दक्षिण भारत का एक राजवंश था।
  • चेर वंश की राजधानी वांजि थी।
  • चेर वंश का प्रतीक चिह्न धनुष बाण था।
  • चेर वंश दक्षिण भारत का सबसे प्राचीन वंश है।
  • आधुनिक केरल राज्य के मध्य और उत्तरी हिस्सों तथा तमिलनाडु के कोंगु क्षेत्र पर चेर वंश का शासन था।
  • दक्षिण भारत के साहित्य में सर्वाधिक उल्लेख चेर वंश का मिलता है अर्थात् संगमकालीन साहित्य (तमिल साहित्य) में सर्वाधिक उल्लेख चेर वंश का मिलता है।
  • पुराणों एवं अशोक के अभिलेखों में चेर वंश के शासकों को केरलपुत कहा गया है।
  • ऐतरेय ब्राह्मण एवं महाभारत में चेर वंश का उल्लेख मिलता है।
  • अशोक के अभिलेखों से चेर वंश की जानकारी मिलती है।
  • चेर वंश के शासक रोमन साम्राज्य के साथ व्यापार करते थे एवं रोमन साम्राज्य से लाभ प्राप्त करते थे।


चेर वंश के प्रमुख शासक-

  • 1. उदयिनजेरल या उदियन जेरल
  • 2. नेदुनजेरल आदन
  • 3. शेनगुट्टुवन


1. उदयिनजेरल या उदियन जेरल-

  • चेर वंश का संस्थापक उदयिनजेरल था।
  • उदयिनजेरल चेर वंश का प्रथम शासक था।
  • उदयिनजेरल ने विशाल पाकशाला (बड़ी रसोई) का निर्माण करवाया था।
  • उदयिनजेरल ने महाभारत के यौद्धाओं को भोज पर आमंत्रित किया था।


2. नेदुनजेरल आदन-

  • चेर वंश का दूसरा शासक नेदुनजेरल आदन था।
  • नेदुनजेरल आदन को इमयवरम्बन भी कहा जाता था।
  • नेदुनजेरल ने यवन व्यापारियों को बंदी बना लिया एवं यवन व्यापारियों को मुक्त करने के बदले बड़ी मात्रा में धन वसूला था।


3. शेनगुट्टुवन या सेंगुत्तुवन-

  • शेनगुट्टुवन चेर वंश के शासक नेदुनजेरल आदन का पुत्र था।
  • शेनगुट्टुवन चेर वंश का प्रसिद्ध शासक था।
  • शेनगुट्टुवन को लाल चेर या भला (अच्छा) चेर के नाम से भी जाना जाता था।
  • शेनगुट्टुवन या सेंगुत्तुवन ने चेर राज्य में पत्नी (पत्तिनी) पूजा प्रारम्भ की थी।
  • शेनगुट्टुवन या सेंगुत्तुवन के द्वारा शुरू की गई पत्नी पूजा को कण्णगी पूजा भी कहा गया था।


चेर राज्य के प्रमुख बंदरगाह-

  • 1. मुशिरी बंदरगाह
  • 2. टोंडी बंदरगाह

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