मादा जनन तंत्र
(Female Reproductive System)
मादा जनन तंत्र (Female Reproductive System)-
➠मादा जनन तंत्र निम्नलिखित अंगों से मिलकर बना होता है। अर्थात् महिला में 4 जनन अंग होते है।
1. अंडाशय (Ovary)
2. फैलोपियन नली (Fallopian Tube) या अंडवाहिनी (Oviduct)
3. गर्भाशय (Uterus) या बच्चेदानी
4. योनी (Vagina)
1. अंडाशय (Ovary)-
(I) दायां अंडाशय
(II) बायां अंडाशय
➠महिला के अंडाशय में ही अण्डे का निर्माण होता है।
➠महिला में मासिक चक्र के दौरान प्रत्येक महीने में एक अण्डा बनता है तथा यह अण्डा महिला के दोनों अंडाशय में से किसी एक अंडाशय में ही बनता है।
➠महिला में मासिक चक्र के दौरान बनने बाले अण्डे का निर्धारण नहीं किया जा सकता है की अण्डा किस अंडाशय में बनेगा अर्थात् महिला में जिस महीने अण्डा दायें अंडाशय में बना है तो अगले महीने अण्डा दायें अंडाशय में भी बन सकता है और बायें अंडाशय में भी बन सकता है।
2. फैलोपियन नली (Fallopian Tube) या अंडवाहिनी (Oviduct)-
➠महिला में अण्डे का निर्माण अंडाशय में होता है।
➠महिला में अण्डा अंडाशय से निकलकर अंडवाहिनी या फैलोपियन नली में प्रवेश करता है।
➠महिला में फैलोपियन नली या अंडवाहिनी में अण्डा तथा शुक्राणु मिलते है तथा अंडवाहिनी में अण्डे तथा शुक्राणु के मिलने की क्रिया को ही निषेचन (Fertilization) कहा जाता है।
3. गर्भाशय (Uterus) या बच्चेदानी-
➠महिला में गर्भाशय को ही बच्चेदानी कहा जाता है।
➠महिला में गर्भाशय तीन परतों से मिलकर बना होता है। अर्थात् महिला की बच्चेदानी तीन परतों से मिलकर बनी होती है। जैसे-
(I) आंतरिक परत (Inner Layer)- एंडोमेट्रियम (Endometrium)
(II) मध्य परत (Middle Layer)- मायोमेट्रियम (Myometrium)
(III) बाहरी परत (Outer Layer) - पेरीमेट्रियम (Perimetrium)
(I) आंतरिक परत (Inner Layer)-
➠महिला में गर्भाशय की सबसे आंतरिक परत को एंडोमेट्रियम (Endometrium) कहते है। अर्थात् महिला में बच्चेदानी की सबसे अंदर की परत को एंडोमेट्रियम कहा जाता है।
(II) मध्य परत (Middle Layer)-
➠महिला में गर्भाशय की मध्य परत मांसपेशी की बनी होती है।
➠महिला में गर्भाशय की मध्य परत को मायोमेट्रियम (Myometrium) कहते है। अर्थात् महिला में बच्चेदानी की बीच की परत को मायोमेट्रियम कहा जाता है।
(III) बाहरी परत (Outer Layer)-
➠महिला में गर्भाशय की सबसे बाहरी परत को पेरीमेट्रियम (Perimetrium) कहते है। अर्थात् महिला में बच्चेदानी की सबसे बार की परत को पेरीमेट्रियम कहा जाता है।
गर्भाशय ग्रीवा (Cervix) या बच्चेदानी का मुँह-
➠महिला में गर्भाशय का सबसे अंतिम सिरा गर्भाशय ग्रीवा (Cervix) कहलाता है।
4. योनी (Vagina)-
➠महिला में बच्चेदानी या गर्भाशय ग्रीवा के मुँह से लेकर बाहर तक बने भाग को योनी कहा जाता है।
➠महिला में योनी शरीर के बाहर की तरफ दिखाई देने वाला भाग है।
मनुष्य में जनन अंगों का विकास-
➠महिला में जनन अंगों का आधा विकास (Half Development) जन्म से पहले हो जाता है अर्थात् महिला के जनन अंगों का आधा विकास महिला के गर्भाशय में 9 महीने के अवस्था के दौरान हो जाता है।
➠महिला में जनन अंगों का बचा हुआ आधा विकास जन्म के बाद होना चाहिए लेकिन जन्म के बाद महिला में जनन अंगों का विकास रुक जाता है। अर्थात् महिला में जनन अंगों का आधा विकास तो जन्म से पहले हो जाता है लेकिन जनन अंगों का रुका हुआ आधा विकास जन्म के बाद नहीं हो पाता है क्योंकि यह रुका हुआ आधा विकास जन्म के बाद एक विशेष आयु (Special Age) या योवनावस्था (Puberty) में ही शुरू होता है।
➠महिला में जनन अगों का आधा विकास महिला के गर्भाशय में 9 महीने की अवस्था के दौरान हो जाता है लेकिन जनन अंगों का बचा हुआ आधा विकास योवनावस्था (Puberty) में शुरु होता है।
➠महिला में जनन अंगों का रुका हुआ आधा विकास 10 वर्ष से लेकर 16 वर्ष तक की आयु में शुरु होता है।
➠महिला में जनन अंगों का रुका हुआ आधा विकास शुरू होने के बाद महिला में मासिक चक्र आना शुरू हो जाते है। तथा अण्डे का निर्माण होना शुरू हो जाता है।
महिला के मासिक चक्र-
➠महिला में हर महीने मासिक चक्र (Menstrual Cycle) आते है।
➠महिला में आने वाले मासिक चक्र सामान्यतः 28 दिन के होते है।
➠जब महिला में मासिक चक्र में ब्लीडिंग शुरू होती है तो उस दिन को महिला के मासिक चक्र का पहला दिन माना जाता है।
➠महिला में मासिक चक्र में ब्लीडिंग लगातार शुरुआती 5 दिनों तक आती है।
➠महिला में सामान्यतः ब्लीडिंग मासिक चक्र के कम से कम 1 से 3 दिन तक हो सकती है।
➠महिला में सामान्यतः ब्लीडिंग मासिक चक्र के अधिक से अधिक 1 से 7 दिन तक हो सकती है।
➠महिला में मासिक चक्र में ब्लीडिंग 3 दिन से कम और 7 दिन से ज्यादा हो रही हो तो वो सामान्य ब्लीडिंग नहीं मानी जाती है।
➠महिला में अंडाशय से हार्मोन निकलते है और हार्मोन का प्रभाव गर्भाशय पर पड़ता है। जो हर महीने अपने आप को दौहराता है इसीलिए मासिक चक्र को दो भागों में विभाजित किया गया है। जैसे-
1. महिला में मासिक चक्र के दौरान अंडाशय (Ovary) में होने वाले परिवर्तन
2. महिला में मासिक चक्र के दौरान गर्भाशय (Uterus) में होने वाले परिवर्तन
महिला में मासिक चक्र के दौरान दर्द होना-
➠महिला में मासिक चक्र में ब्लीडिंग से कुछ समय पहले गर्भाशय की मध्य परत मायोमेट्रियम (Myometrium) में संकुचन (Contraction) होने लगता है।
➠मायोमेट्रियम में संकुचन के दौरान मायोमेट्रियम से गुजरने वाली सभी रक्त नलिकाएं सिकुड़ जाती है जिसके कारण महिला को दर्द होने लगता है तथा रक्त नलिकाओं के सिकुड़ने के कारण मासिक चक्र में होने वाली ब्लीडिंग भी कम होती है।
➠यदि किसी महिला में मायोमेट्रियम से गुजरने वाली रक्त नलिकाएं जन्म से ही मोटी है तो उस महिला में मासिक चक्र के दौरान दर्द अधिक होता है।
➠यदि किसी महिला में मायोमेट्रिय से गुजरने वाली रक्त नलिकाएं जन्म से ही पतली है तो उस महिला में मासिक चक्र के दौरान दर्द कम होता है।
➠महिला में मासिक चक्र के दौरान मायोमेट्रियम में संकुचन होने के कारण होने वाले दर्द को कम करने या खत्म करने के लिए महिला के द्वारा मेफटाल स्पास (Meftal Spas Tablet) नामक टैबलेट ली जाती है।
➠महिला के द्वारा मासिक चक्र में होने वाले दर्द को खत्म करने के लिए ली जाने वाली मेफटाल स्पास टैबलेट (Meftal Spas Tablet) से गर्भाशय में होने वाला संकुचन बद हो जाता है और संकुचन बद होने के कारण दर्द भी खत्म हो जाता है।
➠महिला के द्वारा मासिक चक्र के दौरान मेफटाल स्पास टैबलेट का अत्यधिक सेवन करना हानिकारक होता है।
1. महिला में मासिक चक्र के दौरान अंडाशय (Ovary) में होने वाले परिवर्तन-
➠महिला में मासिक चक्र का शुरू होना मिनार्की (Menarche) कहलाता है।
➠मिनार्की को ही रजोदर्शन भी कहा जाता है।
➠महिला में मासिक चक्र का बंद होना मेनोपोज (Menopause) कहलाता है।
➠मेनोपोज को ही रजोनिवृत्ति कहा जाता है।
➠महिला में मासिक चक्र के शुरुआती 14 दिन तक फाॅलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन (Follicle Stimulating Hormone- F.S.H.) के कारण प्राथमिक पुटिका या प्राइमरी फाॅलिकल (Primary Follicle) वृद्धि करती है।।
➠महिला में मासिक चक्र के शरुआती 14 दिन के दौरान वृद्धि करती प्राथमिक पुटिका से एस्ट्रोजन हार्मोन (Estrogen Hormone) निकलता है।
➠महिला में मासिक चक्र के 14वें दिन पर F.S.H. हार्मोन के कारण वृद्धि करती हुई प्राथमिक पुटिका द्वितीयक पुटिका या सेकेंडरी फाॅलिकल (Secondary Follicle) में परिवर्तित हो जाती है।
➠F.S.H. हार्मोन पीयूष ग्रंथि (Pituitary Gland) से निकलता है।
➠महिला में F.S.H. हार्मोन मासिक चक्र के 1 से लेकर 14 दिन तक निकलता है। अर्थात् महिला में F.S.H. हार्मोन मासिक चक्र से पहले दिन से लेकर अंडोत्सर्ग के दिन तक निकलता है।
➠महिला में मासिक चक्र के 14वें दिन पर ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (Luteinizing Hormone- LH) के कारण अंडोत्सर्ग की क्रिया हो जाती है।
➠ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (L.H. हार्मोन) पीयूष ग्रंथि (Pituitary Gland) से निकलता है।
➠महिला में L.H. हार्मोन मासिक चक्र के 14 दिन से लेकर 28 दिन तक निकलता है। अर्थात् महिला में L.H. हार्मोन मासिक चक्र में अंडोत्सर्ग के दिन से लेकर मासिक चक्र के अंतिम दिन तक निकलता है।
➠अंडोत्सर्ग के दौरान अण्डा अंडाशय से निकलकर फैलोपियन नलिका में प्रवेश कर जाता है और अंडाशय में एक पिले रंग का पिंड बन जाता है। जिसे पीत पिंड या काॅर्पस ल्यूटियम (Corpus Luteum) कहते है।
➠महिला में अण्डे का निर्माण द्वितीयक पुटिका में होता है।
➠द्वितीयक पुटिका से अण्डा निकलकर फैलोपियन नलिका में प्रवेश कर जाता है। और द्वितीयक पुटिका के शेष बचा भाग एक पिले रंग का पिंड बन जाता है।
➠महिला में पीत पिंड या काॅर्पस ल्यूटियम मासिक चक्र के 14 से 28 दिन तक बना रहता है।
➠पीत पिंड या काॅर्पस ल्यूटियम से 14 से 28 दिन तक प्रोजेस्टेरोन हार्मोन (Progesterone Hormone) एवं एस्ट्रोजन हार्मोन (Estrogen Hormone) निकलते है।
➠पीत पिंड या काॅर्पस ल्यूटियम से 14 से 28 दिन तक कौनसा हार्मोन निकलता है। यदि ऐसा प्रश्न आता है और विकलप में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन एवं एस्ट्रोजन हार्मोन दोनों दे रखे हो तो ऐसी स्थित में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन को ज्यादा सही माना जायेगा।
2. महिला में मासिक चक्र के दौरान गर्भाशय (Uterus) में होने वाले परिवर्तन-
➠महिला में मासिक चक्र के शुरुआती 5 दिन में एंडोमेट्रियम का ⅔ भाग टुट जाता है।
➠महिला में मासिक चक्र के दौरान शुरुआती 5 दिन में एंडोमेट्रियम का ⅔ भाग टुटने के कारण ब्लीडिंग होती है।
➠महिला के एंडोमेट्रियम का ⅓ भाग कभी नहीं टुटता है।
➠महिला में मासिक चक्र के 5वें दिन से लेकर 14वें दिन तक एस्ट्रोजन हार्मोन के कारण एंडोमेट्रियम का ⅔ भाग फिर से बन जाता है।
➠मासिक चक्र के 14वें दिन से लेकर 28वें दिन तक प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के कारण एंडोमेट्रियम में ग्रंथियां बन जाती है। एंडोमेट्रियम में बनी ग्रंथियों से एक चिपचिपा पदार्थ निकलता है जो एंडोमेट्रियम को सहारा प्रदान करता है।
➠महिला में एंडोमेट्रियम में बनी ग्रंथियों से निकलने वाला चिपचिपा पदार्थ गर्भावस्था में युग्मनज (बच्चे) को पोषण प्रदान करता है।
➠महिला में मासिक चक्र के 28वें दिन पर काॅर्पस ल्यूटियम नष्ट हो जाति है। अर्थात् महिला में मासिक चक्र के अंतिम दिन पर काॅर्पस ल्यूटियम नष्ट हो जाति है।
➠काॅर्पस ल्यूटियम के नष्ट होते ही काॅर्पस ल्यूटिमय से प्रोजेस्टेरोन हार्मोन निकलना बंद हो जाता है। और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के बंद होने के कारण एंडोमेट्रियम को मिलने वाला सहारा बंद हो जाता है। जिससे नयी ब्लीडिंग के साथ नये मासिक चक्र की शुरुआत होती है। यह प्रक्रिया हर महीने दौहरायेगी
गर्भावस्था के दौरान गर्भशय में होने वाले परिवर्तन-
➠गर्भावस्था में काॅर्पस ल्यूटिमय 3 महीने तक बनी रहती है। इसीलिए प्रोजेस्टेरोन हार्मोन भी लगातार 3 महीने तक स्रावित होता है या निकलता रहता है।
➠गर्भावस्था के दौरान शुरुआती 3 महीने तक काॅर्पस ल्यूटियम युग्मनज (बच्चे) को पोषण प्रदान करती है।
➠गर्भावस्था के दौरान चौथे महीने से 9 महीने तक बच्चे को पोषण प्लेसेंटा के द्वारा दिया जाता है।
➠गर्भावस्था के दौरान चौथे महीने से 9 महीने के बीच प्रोजेस्टेरोन हार्मोन प्लेसेंटा के द्वारा स्रावित किया जाता है या निकाला जाता है। इसीलिए प्रोजेस्टेरोन हार्मोन को गर्भावस्था का हार्मोन (Pregnancy Hormone) भी कहते है।
महिला में अण्डे का निर्माण-
➠महिला में अण्डे का निर्माण अंडाशय में होता है।
➠महिला में दो अंडाशय होते है लेकिन महिला में प्रत्येक महीने केवल एक ही अंडाशय में अण्डे का निर्माण होता है।
➠महिला में अण्डे का निर्माण मासिक चक्र के 14 वे दिन होता है।
➠प्रत्येक मासिक चक्र में महिला में केवल एक ही अण्डा बनाता है।
➠महिला के अंडाशय में बनने वाले अण्डे का जीवनकाल 2 दिन का होता है। अर्थात् महिला में अंडाशय में अण्डा बनने के बाद केवल 2 दिन तक ही जीवत रह सकता है।
➠महिला के अंडाशय में बनने वाला अण्डा 2 दिन के बाद मर जाता है।
महिला में बने अण्डों की संख्या-
➠महिला में एक मासिक चक्र के दौरान एक अण्डा बनता है।
➠महिला के पूरे जीवन काल के दौरान कुल 400 अण्डे ही बनते है।
महिला में बनी पुटिका की संख्या-
➠महिला में एक मासिक चक्र के दौरान 12 प्राथमिक पुटिका (Primary Follicle) बनती है।
➠महिला में एक मासिक चक्र के दौरान बनी 12 प्राथमिक पुटिका में कोई एक पुटिका ही द्वितीयक पुटिका में परिवर्तित होती है।
➠महिला में मासिक चक्र के दौरान बनी द्वितीयक पुटिका में ही अण्डे का निर्माण होता है।
➠महिला में पूरे जीवन काल के दौरान कुल 4800 प्राथमिक पुटिकाएं बनती है।
➠महिला में पूरे जीवन काल के दौरान कुल 400 द्वितीयक पुटिकाएं बनती है। अर्थात् 400 द्वितीयक पुटिकाओं से महिला के पूरे जीवन काल में 400 अण्डों का निर्माण होता है।
प्राथमिक पुटिका (Primary Follicle)-
➠महिला में प्राथमिक पुटिका अंडाशय में उपस्थित होती है।
➠महिला में प्राथमिक पुटिका जन्म से पहले बन जाती है। या उपस्थित रहती है।
➠प्राथमिक पुटिका के केंद्र में प्राथमिक ऊसाइट (Primary oocyte) उपस्थित होता है।
➠प्राथमिक पुटिका एकस्तरीय (Unilayer) होती है। अर्थात् प्राथमिक पुटिका में एक परत होती है।
➠प्राथमिक पुटिका में प्राथमिक ऊसाइट के बाहर ओर प्राथमिक पुटिका की बाहरी परत के अंदर द्रव (Fluid) भरा रहता है।
द्वितीयक पुटिका (Secondary Follicle)-
➠महिला में द्वितीय पुटिका अंडाशय में उपस्थित होती है।
➠महिला में द्वितीय पुटिका का निर्माण जन्म के बाद होता है। अर्थात् महिला में द्वितीय पुटिका का निर्माण मासिक चक्र के 14वें दिन या अंडोत्सर्ग के दिन द्वितीयक पुटिका का निर्माण होता है।
➠द्वितीयक पुटिका के केंद्र में द्वितीय ऊसाइट (Secondary oocyte) उपस्थित होता है।
➠द्वितीयक पुटिका अपने परतों से मिलकर बनी होती है। अर्थात् द्वितीयक पुटिका में अनेप परतें पायी जाती है।
➠महिला के अंडाशय में उपस्थित द्वितीयक पुटिका में ही अण्डे का निर्माण होता है।
➠महिला के अंडाशय में द्वितीयक पुटिका में अण्डे का निर्माण होने के बाद अण्डा अंडोत्सर्ग के दिन अण्डा द्वितीयक पुटिका से निकलकर अण्डवाहिनी में प्रवेश करता है। अर्थात् द्वितीयक पुटिका में अंडोत्सर्ग के दिन द्वितीयक ऊसाइट निकलकर अण्डवाहिनी में प्रवेश करती है।
➠द्वितीयक ऊसाइट (Secondary oocyte) को ही अण्डा कहा जाता है।
रजोदर्शन (Menarche)-
➠महिला में मासिक चक्र शुरू होना मिनार्की कहालाता है तथा मिनार्की को ही रजोदर्शन कहा जाता है।
रजोनिवृत्ति (Menopause)-
➠महिला में मासिक चक्र खत्म होना या बंद होना मेनोपोज कहलाता है तथा मेनोपोज को ही रजोनिवृत्ति कहा जाता है।
➠महिला में मासिक चक्र लगभग 45 से 50 वर्ष की आयु में खत्म होते है। अर्थात् महिला में लगभग 45 वर्ष से 50 वर्ष की आयु के दौरान मासिक चक्र आना बंद हो जाते है।
अंडोत्सर्ग (Ovulation)-
➠महिला में अण्डे का अंडाशय से निकलकर फैलोपियन नलिका (Fallopian Tube) में आना अंडोत्सर्ग कहलाता है।
➠फैलोपियन नलिका (Fallopian Tube) को ही अंडवाहिनी (Oviduct) कहा जाता है।
➠महिला में अंडोत्सर्ग (Ovulation) मासिक चक्र के 14वें दिन होता है।
➠यदि किसी महिला में मासिक चक्र 28 दिन के ना हो तो अंडोत्सर्ग का दिन निम्न तरीके से निकाला जाता है।
➠अंडोत्सर्ग का दिन = मासिक चक्र के कुल दिन - 14 दिन
➠महिला में प्रेगनेंसी केवल तभी हो सकती है जब महिला अंडोत्सर्ग के 2 दिन पहले तथा अंडोत्सर्ग के 2 दिन बाद किसी पुरुष के साथ यौन संपर्क करती है।
➠गर्भवस्था (Pregnancy) केवल तभी होती है। जब यौन संपर्क (Sexual Contact) अंडोत्सर्ग के 2 दिन पहले और अंडोत्सर्ग के 2 दिन बाद हो। अर्थात् महिला गर्भवती तभी हो सकती है जब महिला के द्वारा पुरुष के साथ यौन संपर्क अंडोत्सर्ग के 2 दिन पहले या अंडोत्सर्ग के 2 दिन बाद हो।
➠यदि अंडोत्सर्ग के 2 दिन पहले या अंडोत्सर्ग के 2 दिन बाद महिला ने पुरुष के साथ यौन संपर्क किया है तो पुरुष के शुक्राणु महिला के अण्डे से जुड़ जाते है और शुक्राणु तथा अण्डा मिलकर युग्मनज (Zygote) का निर्माण कर लेते है।
➠शुक्राणु तथा अण्डे के द्वारा मिलकर युग्मनज का निर्माण करने की क्रिया को ही निषेचन (Fertilization) कहा जाता है।
➠महिला में निषेचन की क्रिया फैलोपियन ट्यूब में होती है।
➠महिला में निषेचन के बाद युग्मनज गर्भाशय के एंडोमेट्रियम (Endometrium) से जुड़ जाता है।
➠महिला में निषेचन के बाद युग्मनज गर्भाशय के एंडोमेट्रियम से जुड़े की क्रिया को आरोपण (Implantation) कहते है।
➠महिला में आरोपण की क्रिया निषचन (Fertilization) के 7 दिन बाद होती है।
➠महिला में आरोपण (Implantation) की क्रिया गर्भाशय की आंतरिक परत एंडोमेट्रियम में होती है।
महिला में अंडोत्सर्ग का दिन (Day of Ovulation)-
➠महिला में अंडोत्सर्ग का दिन निकालने का सुत्र निम्नलिखित है।
➠अंडोत्सर्ग का दिन = मासिक चक्र के कुल दिन - 14 दिन
➠यदि किसी महिला के मासिक चक्र 28 दिन के है तो महिला में अंडोत्सर्ग मासिक चक्र के 14वें दिन होगा अर्थात् महिला में अण्डे का निर्माण मासिक चक्र के 14वें दिन होगा। (14 दिन = 28-14)
➠यदि किसी महिला में मासिक चक्र 21 दिन के ही है तो महिला में अंडोत्सर्ग मासिक चक्र के 7वें दिन होगा अर्थात् महिला में अण्डे का निर्माण मासिक चक्र के 7वें दिन होगा। (7 दिन = 21-14)
➠यदि किसी महिला में मासिक चक्र 35 दिन के है तो महिला में अंडोत्सर्ग मासिक चक्र के 21वें दिन होगा अर्थात् महिला में अण्डे का निर्माण मासिक चक्र के 21वें दिन होगा। (21 दिन = 35-14)
सामान्य बच्चा (Normal Baby)-
➠यदि महिला में मासिक चक्र सामान्य रहता है तो महिला के अंडाशय में एक अण्डे का निर्माण होता है तथा महिला का एक अण्डा पुरुष के एक शुक्राणु से मिलकर एक युग्मनज का निर्माण करते है जिससे एक बच्चे का जन्म होता है।
सामान्य जुड़वा बच्चे (Normal Twin Babies)-
➠यहि महिला में मासिक चक्र असामान्य (Abnormal) है तो महिला में कम से कम 2 तथा अधिक से अधिक 8 अण्डे बन करते है। लेकिन अधिकांशतः 2 से ज्यादा अण्डे नहीं बनते है।
➠महिला में मासिक चक्र असामान्य होने के कारण 2 से लेकर 8 बच्चे तक पैदा हो सकते है।
➠यदि महिला के मासिक चक्र असामान्य होने के कारण महिला में 2 अण्डों का निर्माण हो जाता है और वो दोनों अण्डें पुरुष के 2 शुक्राणों से मिलकर 2 युग्मनज का निर्माण करते है। तथा 2 युग्मनज से 2 बच्चे पैदा होते है।
➠महिला में अलग अलग अण्डे से पैदा होने वाले बच्चे का DNA भी अगल अलग होता है। अर्थात् सामान्य जुड़वा बच्चों का DNA भी अगल अगल होता है।
➠सामान्य जुड़वा बच्चों को Heterozygous Twins भी कहते है।
➠यदि किसी महिला में मासिक चक्र असामान्य है और अंडोत्सर्ग के दिन अंडाशय में 2 या 2 से अधिक अण्डों का निर्माण हो जाता है तब ऐसी स्थित में महिला यदि एक से अधिक पुरुष से यौन संर्पक में आती है तो ऐसे में पैदा होने वाले बच्चों के पिता भी अलग अलग हो सकते है।
आदर्श जुड़वा बच्चे (Identical Twin Babies)-
➠आदर्श जुड़वा को सियामीज जुड़वा (Siamese Twin) या संयुक्त जुड़वा भी कहा जाता है।
➠यदि किसी महिला के मासिक चक्र सामान्य है और मासिक चक्र में अंडोत्सर्ग के दौरान एक ही अण्डे का निर्माण हुआ है और वह 1 अण्डा पुरुष के 1 शुक्राणु से मिलकर एक युग्मनज का निर्माण करता है। लेकिन गर्भावस्था असामान्य (Pregnancy Abnormal) हो तो महिला के गर्भाशय में एक युग्मनज से दो जुड़े हुए बच्चे विकसित होने लगते है।
➠आदर्श जुड़वा बच्चों को Monozygotic Twins भी कहा जाता है।
➠आदर्श जुड़वा बच्चों का DNA एक ही होता है। अर्थात् दोनों जुड़वा बच्चों का DNA समान ही होता है।
अन्य तथ्य-
➠विश्व में महिलाओं में सर्वाधिक होने वाला कैंसर बच्चेदानी के मुँह (Cervix Cancer) का कैंसर होता है।
➠विश्व में महिलाओं में दूसरा सर्वाधिक होने वाला कैंसर ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) या स्तन कैंसन होता है।
➠भारत में महिलाओं में होने वाला सर्वाधिक कैंसर ब्रेस्ट कैंसर या स्तन कैंसर है।