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नर जनन तंत्र (Male Reproductive System)

 नर जनन तंत्र

(Male Reproductive System)


नर जनन तंत्र (Male Reproductive System)-

➠नर जनन तंत्र निम्नलिखित अंगों से मिलकर बना होता है। अर्थात् पुरुष में 9 जनन अंग होते है।-

1. वृषण (Testis)

2. वृषण कोष (Scrotum)

3. शुक्रवाहिनी या वासा (Vasa)

4. शुक्राशय (Seminal Vesicle)

5. प्रोस्टेट ग्रंथि (Prostate Gland)

6. काउपर ग्रंथि (Cowper Gland)

7. मूत्र मार्ग (Ureter)

8. शिश्न या लिंग (Penis)


शुक्र जनन (Sperm Production)-

➠पुरुष में शुक्राणु के निर्माण की क्रिया को शुक्र जनन कहते है।

➠पुरुष में शुक्राणुओं के निर्माण की क्रिया केवल कम तापमान पर होती है।


1. वृषण (Testis)-

➠पुरुष में शुक्राणु का निर्माण वृषण में होता है।

➠गर्भावस्था के दौरान पुरुष में वृषण का निर्माण गर्भावस्था के लगभग 3 महीने बाद होता है।

➠वृषण के निर्माण के समय वृषण पुरुष के उदर के ऊपरी भाग में होते है।

➠पुरुष में वृषण निर्माण के बाद लगभग 6 महीने के दौरान वृषण धिरे धिरे उदर के ऊपरी भाग से उदर के निचले भाग की ओर आते है।

➠जन्म से कुछ समय पहले वृषण उदर के निचले भाग की ओर चलते हुए वृषण त्वचा के बने थैले में आ जाते है। अर्थात् वृषण कोष में आ जाते है।

➠पुरुष में उदर के निचले भाग में त्वचा के बने थैले को वृषण कोष कहा जाता है।


2. वृषण कोष (Scrotum)-

➠गर्भावस्था के दौरान पुरुष में वृषण (Testis) उदर के ऊपरी भाग में होते है

➠गर्भावस्था के दौरान पुरुष में वृषण का निर्माण होना लगभग 3 माह बाद शुरू होता है।

➠पुरुष के जन्म के कुछ समय पहले वृषण पुरुष के उदर से नीचे की ओर चलते है और वृषण त्वचा के बने थैले में आ जाते है।

➠वृषण के चारों तरफ बने त्वचा के थैले को वृषण कोष कहा जाता है।

➠वृषण कोष का तापमान मनुष्य के शरीर के तापमान से 2 या 3°C तक तापमान कम होता है।

➠मनुष्य के शरीर का सामान्य तापमान 37°C होता है।


3. शुक्रवाहिनी या वासा (Vasa)-

➠शुक्रवाहिनी को ही वासा कहा जाता है।

➠पुरुष में शुक्रवाहिनी वृषण से निकलकर मूत्र वाहिनी के ऊपर से घूमते हुए वापस आकर मूत्र मार्ग के प्रथम भाग से जुड़ जाती है।


4. शुक्राशय (Seminal Vesicle)-

➠पुरुष में वृषण में बने शुक्राणु वृषण से निकलकर शुक्रवाहिनी के माध्यम से शुक्राशय में प्रवेश कर जाते है और शुक्राणु शुक्राशय में संग्रहित हो जाते है।

➠पुरुष में शुक्राशय में स्थित शुक्राणुओं का जीवन काल 75 दिन का होता है। अर्थात् पुरुष में शुक्राशय में शुक्राणु केवल 75 दिन तक ही जीवित रहते है।

➠पुरुष में शुक्राशय में स्थित शुक्राणु 75 दिन के बाद मर जाते है।

➠पुरुष में शुक्राशय में मरे हुए शुक्राणु शुक्राशय पर स्थित रक्त वाहिनी में चले जाते है।

➠शुक्राशय में मरे हुए शुक्राणु रक्त वाहिनी में जाकर मूत्र के माध्यम से पुरुष से शरीर से बाहर निकल जाते है।

➠पुरुष में शुक्राशय में एक द्रव बनता है। जिसे शुक्र द्रव (Seminal Fluid) कहते है।

➠पुरुष में शुक्राशय में बने शुक्र द्रव में फ्रक्टोस (Fructose) पायी जाती है।

➠पुरुष में फ्रक्टोस शुक्राणुओं को भोजन (Nutrition) प्रदान करता है।

➠मनुष्य में यौन संपर्क (Sexual Contact) के दौरान शुक्र द्रव वीर्य (Sperm) का 70% भाग बनाता है।


शुक्राशय के कार्य-

1. शुक्राणुओं का संग्रहण करना

2. शुक्र द्रव का निर्माण करना

3. शुक्राणुओं को भोजन या पोषण देना


5. प्रोस्टेट ग्रंथि (Prostate Gland)-

➠पुरुष में मूत्र मार्ग के पहले भाग के पीछे एक प्रोस्टेट ग्रंथि पायी जाती है।

➠प्रोस्टेट ग्रंथि के द्वारा एक द्रव बनाया जाता है जो वीर्य का 30% भाग होता है। अर्थात् प्रोस्टेट ग्रंथि के द्वारा वीर्य का 30 प्रतिशत भाग बनाया जाता है।

➠पुरुष में प्रोस्टेट ग्रंथि की संख्या एक होती है।


6. काउपर ग्रंथि (Cowper Gland)-

➠पुरुष में मूत्र मार्ग के मध्य भाग के पीछे काउपर ग्रंथि पायी जाती है।

➠काउपर ग्रंथि के द्वारा पुरुष में क्षारीय द्रव (Basic Fluid) बनाया जाता है।

➠पुरुष में एक जोड़ी काउपर ग्रंथि पायी जाती है। अर्थात् पुरुष में काउपर ग्रंथि की संख्या दो होती है।

➠काउपर ग्रंथि के द्वारा पुरुष में वीर्य को क्षारीयता प्रदान की जाती है। अर्थात् काउपर ग्रंथि पुरुष के वीर्य को क्षारीय माध्यम प्रदान करती है।

➠काउपर ग्रंथि के द्वारा पुरुष के वीर्य में क्षारीयता प्रदान करने के कारण यौन संपर्क (Sexual Contact) के दौरान मादा की योनि की अम्लीयता कम हो जाती है। जिसके कारण पुरुष का शुक्राणु मादा की योनि में जीवित रह पाता है।


7. मूत्र मार्ग (Urethra)-

➠पुरुष में मूत्र मार्ग के तीन भाग होते है। जैसे- प्रथम भाग, मध्य भाग और अंतिम भाग

➠पुरुष में मूत्र मार्ग के दो भाग शरीर के अंदर तथा तीसरा भाग शरीर के बाहर होता है।

➠पुरुष में मूत्र मार्ग का तीसरा भाग जो शरीर से बाहर निकला होता है वो शिश्न या लिंग (Penis) से ढका होता है।


8. शिश्न या लिंग (Penis)-

➠पुरुष में मूत्र मार्ग का बाहरी भाग या तीसरा भाग जो शरीर से बाहर निकला होता है और चारों तरफ से त्वचा से ढका होता है उसे ही शिश्न कहते है।

➠शिश्न को लिंग भी कहा जाता है।

➠शिश्न के रास्ते से ही पुरुष के शरीर से मूत्र तथा शुक्राणु बाहर निकलते है।


वृषण की संरचना (Structure of Testis)-

➠वृषण अनेक नलिकाकार संरचना का बना होता है।

➠वृषण जिन नलिकाकार संरचना का बना होता है उन नलिकाओं को शुक्रजनन नलिका (Seminiferous Tubules) कहते है।

➠पुरुष के एक वृषण में 600 शुक्रजनन नलिकाएं पायी जाती है।

➠पुरुष के वृषण में पायी जाने वाली शुक्रजनन नलिका में दो प्रकार की कोशिका पायी जाती है। जैसे-

(I) मातृ कोशिका (Germ Cell)

(II) सरटोली कोशिका (Sertoli Cell)


(I) मातृ कोशिका (Germ Cell)-

➠पुरुष के वृषण में पायी जाने वाली शुक्रजनन नलिका में पायी जाने वाली छोटी कोशिका (Small Cell) को मातृ कोशिका कहते है।

➠पुरुष के वृषण में पायी जाने वाली शुक्रजनन नलिका में पायी जाने वाली मातृ कोशिकाएं शुक्राणु का निर्माण करती है।


(II) सरटोली कोशिका (Sertoli Cell)-

➠पुरुष के वृषण में पायी जाने वाली शुक्रजनन नलिका में पायी जाने वाली बड़ी कोशिका (Large Cell) को सरटोली कोशिका कहा जाता है।

➠पुरुष के वृषण में पायी जाने वाली शुक्रजनन नलिका में पायी जाने वाली सरटोली कोशिकाएं मातृ कोशिका के द्वारा नवनिर्मित शुक्राणु को भोजन या पोषण प्रदान करती है।


अधिवृषण या एपिडिडीमिस (Epididymis)-

➠पुरुष के वृषण में पायी जाने वाली सभी शुक्रजनन नलिकाएं आपस में मिलकर अधिवृषण बनाती है।

➠पुरुष में अधिवृषण वृषण के ऊपरी भाग से बाहर निकल जाता है।

➠पुरुष में अधिवृषण आगे चलकर शुक्रवाहिनी बनाता है। अर्थात् अधिवृषण नलिका पुरुष में वृषण को शुक्रवाहिनी से जोड़ती है।

➠पुरुष में पायी जाने वाली अधिवृषण नलिका में शुक्राणु परिपक्व होते है।

➠अधिवृषण नलिका में कुछ समय के लिए शुक्राणुओं का संग्रहण होता है।

➠वयस्क पुरुष में अधिवृषण नलिका पतली एवं 6 से 7 मीटर लम्बी कुण्डलित नलिका होती है।


टेस्टोस्टेरोन हार्मोन (Testosterone Hormone)-

➠पुरुष के वृषण में पायी जाने वाली शुक्रजनन नलिकाओं के बीच-बीच में एक द्रव पाया जाता है।

➠शुक्रजनन नलिकाओं के बीच-बीच में पाये जाने वाले द्रव में लेडिंग कोशिका (Leydig Cell) पायी जाती है।

➠लेडिंग कोशिका टेस्टोस्टेरोन हार्मोन बनाती है।

➠लेडिंग कोशिका से निकलने वाला टस्टोस्टेरोन हार्मोन वृषण के ऊपर पायी जाने वाली रक्त नलिकाओं में स्रावित होता है।


नर जनन अंगों का विकास-

➠पुरुष में जनन अंगों का आधा विकास (Half Development) जन्म से पहले हो जाता है अर्थात् पुरुष के जनन अंगों का विकास महिला के गर्भाशय में 9 महीने के अवस्था के दौरान हो जाता है।

➠पुरुष में जनन अंगों का बचा हुआ आधा विकास जन्म के बाद होना चाहिए लेकिन जन्म के बाद पुरुष में जनन अंगों का विकास रुक जाता है। अर्थात् पुरुष में जनन अंगों का आधा विकास तो जन्म से पहले हो जाता है लेकिन जनन अंगों का रुका हुआ आधा विकास जन्म के बाद नहीं हो पाता है क्योंकि यह रुका हुआ आधा विकास जन्म के बाद एक विशेष आयु (Special Age) या योवनावस्था (Puberty) में ही होता है।

➠पुरुष में जनन अंगों का रुका हुआ आधा विकास 14 वर्ष से 16 वर्ष तक की आयु में शुरू होता है।

➠पुरुष में जनन अंगों का रुका हुआ आधा विकास शुरू होने के बाद पुरुष में शुक्राणु बनने लगते है।


अन्य जानकारी-

➠पुरुष के द्वारा एक बार यौन संपर्क (Sexual Contact) करने पर 1.5 ml से लेकर 3 ml तक वीर्य (Semen) निकलता है।

➠1 ml वीर्य में लगभग 15 मिलियन (1.5 करोड़) शुक्राणु (Sperm) होते है।

➠पुरुष में शुक्राणुओं का जीवनकाल 75 दिन का होता है।

➠पुरुष के मूत्र में शुक्राणुओं की संख्या 0 होती है। अर्थात् पुरुष के मूत्र से मरे हुए शुक्राणु ही बाहर निकलते है।

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