गुर्जर प्रतिहार वंश (Gurjara Pratihara Dynasty)-
- गुर्जर प्रतिहार स्वयम् को भगवान श्रीराम के भाई लक्ष्मण के वंशज मानते है।
- प्रतिहार का शाब्दिक अर्थ द्वारपाल होता है।
- गुर्जर प्रतिहार वंश की प्रारम्भिक राजधानी भीनमाल (जालौर) थी।
- भीनमाल वर्तमान में भारत के राजस्थान राज्य के जालौर जिले में स्थित है।
- गुर्जर प्रतिहार वंश का संस्थापक हरिश्चंद्र था।
गुर्जर प्रतिहार वंश के प्रमुख शासक
- हरिश्चंद्र
- नागभट्ट प्रथम
- वत्सराज
- मिहिर भोज
- महेन्द्रपाल
- महिपाल
- यशपाल
1. हरिश्चंद्र-
- हरिश्चंद्र ने गुर्जर प्रतिहार वंश की स्थापना की थी।
- हरिश्चंद्र को गुर्जर प्रतिहार वंश का संस्थापक या आदिपुरुष कहा जाता है।
- हरिश्चंद्र गुर्जर प्रतिहार वंश का प्रसिद्ध शासक था।
2. नागभट्ट प्रथम-
- नागभट्ट प्रथम गुर्जर प्रतिहार वंश का शासक था।
- नागभट्ट प्रथम को गुर्जर प्रतिहार वंश का वास्तविक संस्थापक माना जाता है।
- ग्वालियर अभिलेख के अनुसार नागभट्ट प्रथम ने अरबों को पराजित किया था।
3. वत्सराज-
- वत्सराज गुर्जर प्रतिहार वंश का शासक था।
- गुर्जर प्रतिहार वंश के शासक वत्सराज के समय कन्नौज को लेकर त्रिपक्षीय संघर्ष आरम्भ हुआ था।
4. मिहिर भोज-
- मिहिर भोज गुर्जर प्रतिहार वंश का शासक था।
- मिहिर भोज की उपाधियां जैसे-
- (I) प्रभास
- (II) आदिवराह
- (III) भोज
(I) प्रभास-
- गुर्जर प्रतिहार वंश के शासक मिहिर भोज ने प्रभास की उपाधि धारण की थी।
(II) आदिवराह-
- गुर्जर प्रतिहार वंश का शासक मिहिर भोज भगवान विष्णु का अनुयायी था इसीलिए मिहिर भोज ने आदिवराह की उपाधि धारण की थी।
(III) भोज-
- गुर्जर प्रतिहार वंश के शासक मिहिर भोज ने भोज की उपाधि धारण की थी।
सुलेमान (अरब यात्री)-
- मिहिर भोज के समय अरब यात्री सुलेमान ने भारत की यात्रा की थी।
- अरब यात्री सुलेमान ने मिहिर भोज को अरबों (मलेच्छों) का स्वाभाविक शत्रु बताया है।
- अरब यात्री सुलेमान ने पाल वंश के शासक देवपाल को उत्तर भारत का सबसे शक्तिशाली शासक बताया है।
5. महेन्द्रपाल-
- महेन्द्रपाल गुर्जर प्रतिहार वंश का शासक था।
- गुर्जर प्रतिहार वंश के शासक महेन्द्रपाल के गुरू का नाम राजशेखर था।
- महेन्द्रपाल के गुरु राजशेखर संस्कृत कवि थे।
- महेन्द्रपाल के गुरु राजशेखर के द्वारा लिखी गई पुस्तकें-
- (I) काव्यमीमांसा
- (II) विशाल भंजिका
- (III) कर्पूरमंजरी (कर्पूर मंजरी)
- (IV) बाल रामायण
- (V) हरविलास (हर विलास)
(I) काव्यमीमांसा-
- काव्यमीमांसा पुस्तक राजशेखर के द्वारा लिखी गई है।
(II) विशाल भंजिका-
- विशाल भंजिका पुस्तक राजशेखर के द्वारा लिखी गई है।
(III) कर्पूरमंजरी (कर्पूर मंजरी)-
- कर्पूरमंजरी या कर्पूर मंजरी पुस्तक राजशेखर के द्वारा लिखी गई है।
- कर्पूर मंजरी पुस्तक संस्कृत भाषा में लिखी गई है।
(IV) बाल रामायण-
- बाल रामायण पुस्तक राजशेखर के द्वारा लिखी गई है।
- बाल रामायण पुस्तक भगवान श्रीराम की कथाओं से संबंधित है।
(V) हरविलास (हर विलास)-
- हर विलास या हरविलास पुस्तक राजशेखर के द्वारा लिखी गई है।
6. महिपाल-
- महिपाल गुर्जर प्रतिहार वंश का शासक था।
- अरब यात्री अल मसूदी ने गुर्जर प्रतिहार वंश के शासक महिपाल के शासन के समय भारत की यात्रा की थी।
7. यशपाल-
- यशपाल गुर्जर प्रतिहार वंश का अंतिम शासक था।
गुर्जर प्रतिहार वंश का सांस्कृतिक योगदान-
- गुर्जर प्रतिहार वंश के शासक मिहिर भोज ने ग्वालियार किले में तेली का मंदिर बनावाया था।
- तेली का मंदिर भारत के मध्य प्रदेश राज्य के ग्वालियर जिले के ग्वालियर दुर्ग में स्थित है।
- ग्वालियर दुर्ग में तेली के मंदिर के आसपास गुर्जर प्रतिहार वंश के शासन काल की मूर्तियां व स्तम्भ मिले है।
- गुर्जर प्रतिहार वंश के शासकों के समय में ग्वालियर के पास बटेश्वर मंदिर समूह का निर्माण हुआ था।
- ग्वालियर भारत के मध्य प्रदेश राज्य के ग्वालियर जिले में स्थित स्थान का नाम है।
- गुर्जर प्रतिहार वंश के शासन काल में ग्वालियर में जैन धर्म से संबंधित मूर्तियों का निर्माण हुआ था अर्थात् सिद्धांचल गुफाओं का निर्माण हुआ था।
- कोटा के समीप बाड़ौली (चित्तौड़गढ़) से एक 8 मदिरों का समूह मिलता है। जिसमें गटेश्वर मंदिर, गणेश मंदिर, शिव मंदिर तथा त्रिमूर्ति मंदिर प्रसिद्ध है।
- गुर्जर प्रतिहार वंश के शासन काल में मारु गुर्जर मंदिर स्थापत्य शैली या मरु गुर्जर मंदिर स्थापत्य शैली विकसित हुई थी।
- मारु या मरु गुर्जर मंदिर स्थापत्य शैली नागर शैली की उपशैली है।
- ओसियां (जोधपुर) में निर्मित जैन मंदिर मरु या मारु गुर्जर मंदिर स्थापत्य शैली में निर्मित है।