हर्षवर्धन (Harshvardhan)- (606 ई. - 647 ई.)
- हर्षवर्धन पुष्यभूति वंश का शासक था।
- हर्षवर्धन का शासन काल 606 ई. से लेकर 647 ई. तक रहा था।
- पुष्यभूति वंश (हर्षवर्धन) की राजधानी थानेसर (हरियाणा) थी।
- थानेश्वर भारत के हरियाणा राज्य के कुरुक्षेत्र जिले में स्थित एक नगर है।
- हर्षवर्धन के पिता का नाम प्रभाकरवर्धन था।
- हर्षवर्धन की माता का नाम यशोमती था।
- हर्षवर्धन के बड़े भाई का नाम राज्यवर्धन था।
- हर्षवर्धन की बहन का नाम राज्यश्री था।
- प्रभाकरवर्धन ने राजस्थान पर आक्रमण किया था।
- प्रभाकरवर्धन ने अपनी पुत्री राज्यश्री का विवाह कन्नौज के शासक ग्रहवर्मा के साथ करवाया था।
- कन्नौज का शासक ग्रहवर्मा मौखरि वंश का शासक था।
- प्रभाकरवर्धन की बीमारी से आहत होकर प्रभाकरवर्धन की पत्नी यशोमती ने आत्मदाह कर लिया था।
- कालांतर में प्रभाकरवर्धन की मृत्यु हो गयी थी।
- मालवा के शासक देवगुप्त ने ग्रहवर्मा की हत्या कर दी थी।
- बंगाल के गौड़ शासक शशांक ने देवगुप्त का समर्थन किया था।
- शशांक ने राज्यवर्धन की हत्या कर दी थी।
- हर्षवर्धन ने कन्नौज पर आक्रमण किया तथा अपनी बहन राज्यश्री की रक्षा की थी।
- हर्षवर्धन ने सम्पूर्ण उत्तर भारत को जीत लिया था।
- संभवतया शशांक की मृत्यु के बाद हर्षवर्धन ने गौड़ क्षेत्र (बंगाल) को भी जीत लिया था।
- प्राचीन काल में बंगाल को ही गौड़ क्षेत्र कहा जाता था।
- शशांक भगवान शिव का अनुयायी था।
- शशांक ने बोधि वृक्ष को काटकर गंगा नदी में बहा दिया था।
- हर्षवर्धन ने दक्षिण भारत पर भी आक्रमण किया था।
ऐहोल अभिलेख- 634 ई.
- ऐहोल अभिलेख को ऐहोल प्रशस्ति भी कहा जाता है।
- ऐहोल अभिलेख भारत के कर्नाटक राज्य के बीजापुर में ऐहोल नामक स्थान पर स्थित है।
- ऐहोल अभिलेख रवि कीर्ति के द्वारा लिखा गया था।
- रवि कीर्ति चायुक्य शासक पुलकेशिन द्वितीय के दरबार में जैन कवि था।
- ऐहोल अभिलेख चालुक्य शासक पुलकेशिन द्वितीय का है।
- ऐहोल अभिलेख 634 ई. का है।
- रवि कीर्ति के द्वारा लिखित ऐहोल अभिलेख के अनुसार चालुक्य शासक पुलकेशिन द्वितीय ने 618 ई. में हर्षवर्धन को नर्मदा नदी के तट पर पराजित किया था।
- ऐहोल अभिलेख में वर्षवर्धन को उत्तरापथस्वामी कहा गया है।
सर्वधर्म सम्मेलन-
- हर्षवर्धन ने कन्नौज में सर्वधर्म सम्मेलन का आयोजन करवाया था।
- चीनी यात्री ह्वेनसांग ने सर्वधर्म सम्मेलन की अध्यक्षता की थी इसीलिए ब्राह्मणों ने सर्वधर्म सम्मेलन का विरोध किया था।
महामोक्ष परिषद-
- हर्षवर्धन प्रत्येक 5 वर्ष पश्चात प्रयाग में महामोक्ष परिषद का आयोजन करवाता था।
- हर्षवर्धन के द्वारा प्रत्येक 5 वर्ष में प्रयाग में एक दान वितरण समारोह का आयोजन करवाया जाता था जिसे महामोक्ष परिषद कहा जाता था।
- हर्षवर्धन की छठी महामोक्ष परिषद में ह्वेनसांग ने हिस्सा लिया था।
- हर्षवर्धन प्रयाग में अपनी समस्त संपत्ति दान में देता था।
ह्वेनसांग-
- ह्वेनसांग 629 ई. में स्थल मार्ग से भारत आया था।
- ह्वेनसांग बौद्ध धर्म की शिक्षा प्राप्त करने हेतु भारत आया था।
- ह्वेनसांग ने 3 साल तक नालन्दा विश्वविद्यालय में अध्ययन किया था।
- नालन्दा विश्वविद्यालय भारत के बिहार राज्य के नालन्दा जिले के राजगीर में स्थित था।
- कालांतर में ह्वेनसांग नालन्दा विश्वविद्यालय में अध्यापक बन गया था।
- हर्षवर्धन ने ह्वेनसांग को संरक्षण प्रदान किया था।
- ह्वेनसांग ने दक्षिण भारत की यात्रा भी की थी।
- ह्वेनसांग को भारत में यात्रा के दौरान दो बार लूटा गया था लेकिन फिर भी ह्वेनसांग ने हर्षवर्धन के शासन की प्रशंसा की है।
- ह्वेनसांग ने भीनमाल की भी यात्रा की थी।
- भीनमाल भारत के राजस्थान राज्य के जालौर जिले में स्थित एक शहर है।
- ह्वेनसांग की पुस्तक का नाम सी-यू-की है।
- ह्वेनसांग ने अपनी पुस्तक सी-यू-की में हर्षवर्धन को शिलादित्य कहा है।
- ह्वेनसांग ने अपनी पुस्तक सी-यू-की में चालुक्य शासक पुलकेशिन द्वितीय व पल्लव शासक नरसिंहवर्मन का उल्लेख भी किया है।
ह्वेनसांग के अन्य नाम-
- 1. प्रिंस ऑफ ट्रैवलर या यात्रियों का राजकुमार
- 2. द्वितीय शाक्य मुनि
- 3. नीति का पंडित
1. प्रिंस ऑफ ट्रैवलर या यात्रियों का राजकुमार-
- चीनी यात्री ह्वेनसांग को प्रिंस ऑफ ट्रैवलर या यात्रियों का राजकुमार भी कहा जाता है।
2. द्वितीय शाक्य मुनि-
- चीनी यात्री ह्वेनसांग को द्वितीय शाक्य मुिन भी कहा जाता है।
3. नीति का पंडित-
- चीनी यात्री ह्वेनसांग को नीति का पंडित भी कहा जाता है।
हर्षवर्धन की पुस्तकें-
- 1. नागानन्द
- 2. प्रियदर्शिका
- 3. रत्नावली
1. नागानन्द-
- हर्षवर्धन के द्वारा नागान्द नामक पुस्तक लिखी गई थी।
- नागानन्द हर्षवर्धन के द्वारा रचित एक संस्कृत नाटक है।
2. प्रियदर्शिका-
- हर्षवर्धन के द्वारा प्रियदर्शिका नामक पुस्तक लिखी गई थी।
- प्रियदर्शिका हर्षवर्धन के द्वारा रचित एक संस्कृत नाटक है।
- हर्षवर्धन की प्रियदर्शिका पुस्तक में राजा उदयन और राजकुमारी प्रियदर्शिका की कहानी का वर्णन किया गया है।
3. रत्नावली-
- हर्षवर्धन के द्वारा रत्नावली नामक पुस्तक लिखी गई थी।
- रत्नावली हर्षवर्धन के द्वारा रचित एक संस्कृत नाटक है।
हर्षवर्धन के दरबारी विद्वान-
- 1. बाणभट्ट
- 2. मयूर भट्ट
- 3. मातंग दिवाकर
1. बाणभट्ट-
- बाणभट्ट हर्षवर्धन का दरबारी विद्वान था।
- बाणभट्ट के द्वारा निम्नलिखित पुस्तकें लिखी गई थी जैसे-
- (I) हर्षचरित
- (II) कादम्बरी
- (III) चंडीशतक
(I) हर्षचरित-
- हर्षवर्धन के दरबारी विद्वान बाणभट्ट के द्वारा हर्षचरित नामक पुस्तक लिखी गई है।
(II) कादम्बरी-
- हर्षवर्धन के दरबारी विद्वान बाणभट्ट के द्वारा कादम्बरी नामक पुस्तक लिखी गई है।
(III) चंडीशतक-
- हर्षवर्धन के दरबारी विद्वान बाणभट्ट के द्वारा चंडीशतक नामक पुस्तक लिखी गई है।
2. मयूर भट्ट-
- मयूर भट्ट हर्षवर्धन का दरबारी विद्वान था।
- मयूर भट्ट संस्कृत कवि था।
- हर्षवर्धन के दरबारी विद्वान मयूर भट्ट के द्वारा सूर्यशतक नामक पुस्तक लिखी गई है।
3. मातंग दिवाकर-
- मातंग दिवाकर हर्षवर्धन का दरबारी विद्वान था।
- मातंग दिवाकर एक दलित था।
- हर्षवर्धन के दरबारी विद्वान मातंग दिवाकर की कोई पुस्तक प्राप्त नहीं होती है।