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बिंबाणु (Platelet)

बिंबाणु (Platelet)


बिंबाणु (Platelet)-

➠प्लेटलेट (Platelet) को ही बिंबाणु कहा जाता है।

➠स्वस्थ मनुष्य के रक्त में प्लेटलेट (Platelet) या बिंबाणु की संख्या 1.5 लाख से 4.5 लाख तक होती है।


बिंबाणु का निर्माण (Formation of Platelet)-

➠मनुष्य के शरीर में रक्त का निर्माण लाल अस्थि मज्जा (Red Bone Merrow) में होता है।

➠मनुष्य के शरीर में हड्डी या अस्थि (Bone) में पाये जाने वाली लाल अस्थि मज्जा (Red Bone Merrow) में ही बिंबाणु (Platelet) का निर्माण होता है।

➠लाल अस्थि मज्जा में बिंबाणु (Platelet) का निर्माण होने के बाद बिंबाणु (Platelet) थोड़ी देर के लिए पीत अस्थि मज्जा (Yellow Bone Merrow) में इकट्ठी हो जाती है।

➠बिंबाणु (Platelet) थोड़ी देर तक पीत अस्थि मज्जा (Yellow Bone Merrow) में इकट्ठी होने के बाद अस्थि या हड्डी (Bone) में पाये जाने वाले छोटे छोटे छिद्रों से गुजरने वाली रक्त नलिकाओं में आ जाती है।


अस्थि या हड्डी (Bone)-

➠मनुष्य के शरीर में उपस्थित अस्थि या हड्डी (Bone) में छोटे छोटे छिद्र होते है।

➠अस्थि में पाये जाने वाले छिद्रों से रक्त नलिका निकलती है।

➠रक्त का निर्माण लाल अस्थि मज्जा (Red Bone Merrow) में होने के बाद रक्त थोड़ी देर के लिए पीत अस्थि मज्जा (Yellow Bone Merrow) में इकट्ठा होता है तथा पीत अस्थि मज्जा में थोड़ी देर इकट्ठा होने के बाद रक्त अस्थि या हड्डी के छिद्रों से निकलने वाली रक्त नलिकाओं में प्रवेश करता है।


अस्थि मज्जा (Bone Marrow)-

➠मनुष्य के शरीर में की अस्थि या हड्डी (Bone) में पाये जाने वाले द्रव (Fluid) को अस्थि मज्जा (Bone Marrow) कहा जाता है।

➠मनुष्य के शरीर में उपस्थित अस्थि या हड्डी (Bone) में दो प्रकार का अस्थि मज्जा (Bone Marrow) पाया जाता है। जैसे-

1. लाल अस्थि मज्जा (Red Bone Marrow)

2. पीत अस्थि मज्जा  (Yellow Bone Marrow)


1. लाल अस्थि मज्जा (Red Bone Marrow)-

➠लाल अस्थि मज्जा मनुष्य के शरीर में उपस्थित अस्थि या हड्डी के सिरो पर पाया जाता है।

➠मनुष्य के शरीर में अस्थि या हड्डी के सिरो पर पाये जाने वाला अस्थि मज्जा लाल रंग को होने के कारण उसे लाल अस्थि मज्जा कहा जाता है।

➠मनुष्य के शरीर में उपस्थित लाल अस्थि मज्जा (Red Bone Marrow) में ही बिंबाणु (Platelet) का निर्माण होता है।

➠मनुष्य के शरीर में रक्त (Blood) का निर्माण लाल अस्थि मज्जा (Red Bone Merrow) में होता है।


2. पीत अस्थि मज्जा (Yellow Bone Marrow)-

➠पीत अस्थि मज्जा मनुष्य के शरीर में उपस्थित अस्थि या हड्डी में ऊपर से नीचे तक भरा होता है।

➠मनुष्य के शरीर में अस्थि या हड्डी में ऊपर से नीचे तक भरे अस्थि मज्जा का रंग पीला होता है। इसीलिए उसे पीत अस्थि मज्जा कहा जाता है।

➠मनुष्य के शरीर में लाल अस्थि मज्जा (Red Bone Marrow) में बिंबाणु (Platelet) का निर्माण होने के बाद थोड़ी देर के लिए बिंबाणु (Platelet) पीत अस्थि मज्जा में इकट्ठी हो जाती है।

➠मनुष्य के शरीर में रक्त का निर्माण लाल अस्थि मज्जा में होता है लेकिन लाल अस्थि मज्जा से रक्त निकलकर थोड़ी देर के लिए पीत अस्थि मज्जा (Yellow Bone Merrow) में इकट्ठा हो जाता है।


बिंबाणु की संख्या (No. of Platelet)-

➠मनुष्य के शरीर में बिंबाणु (Platelet) की सामान्यतः संख्या 1.5L से लेकर 4.5L तक होती है। अर्थात् मनुष्य के शरीर में 100ml रक्त में बिंबाणु की न्यूनतम संख्या 1.5 लाख तथा अधिकतम संख्या 4.5 लाख तक होती है।

➠महिला तथा पुरुष दोनों के रक्त में बिंबाणु (Platelet) की संख्या समान होती है।


थ्रोम्बोसिस (Thrombosis)-

➠मनुष्य के शरीर में रक्त के थक्के के निर्माण की क्रिया को थ्रोम्बोसिस (Thrombosis) कहते है।


थ्रोम्बोसाइट (Thrombocyte)-

➠मनुष्य के शरीर में रक्त के थक्के के निर्माण की प्रक्रिया में बिंबाणु (Platelet) भी काम में आता है इसीलिए बिंबाणु को थ्रोम्बोसाइट भी कहते है।


रक्त का थक्का (Blood Clot)-

➠मनुष्य के शरीर में रक्त के थक्के के निर्माण में 2 प्रकार की प्रक्रिया शामिल होती है जैसे-

1. रक्त स्कंदन (Blood Coagulation)

2. प्लेटलेट प्लग (Platelet Plug)

➠रक्त स्कंदन तथा प्लेटलेट प्लग के कारण रक्त का थक्का बनता है।


1. रक्त स्कंदन (Blood Coagulation)-

➠मनुष्य के शरीर में रक्त स्कंदन की प्रक्रिया में चोट लगने वाली जगह पर फाइब्रिन प्रोटीन (Fibrin Protein) जमा हो जाता है।

➠फाइब्रिन प्रोटीन अघुलनशील प्रोटीन (Insoluble Protein) है।


रक्त स्कंदन कारक (Blood Coagulation Factor)-

➠चोट लगने वाली जगह पर फाइब्रिन प्रोटीन का जमा होना या रक्त स्कंदन की प्रक्रिया में जो कारक काम आते है उन कारको को रक्त स्कंदन कारक कहते है।

➠रक्त स्कंदन कारकों की संख्या 13 है जो क्रमशः है जैसे-

(I) फाइब्रिनोजन प्रोटीन (Fibrinogen Protein)

(II) प्रोथ्रोम्बिन प्रोटीन (Prothrombin Protein)

(III) थ्रोम्बोप्लास्टिन (Thromboplastin)

(IV) कैल्शियम आयन्स (Calcium- Ca++)

(V) प्रोएक्सिलेरिन (Proaccelerin) (अस्थिर कारक)

(VI) ऐक्सिलरिन (Accelerin)

(VII) प्रोकन्वर्टिन (Proconvertin) (स्थिर कारक)

(VIII) एंटी-हीमोफिलिक ग्लोबुलिन (Anti-Haemophilic Globulin- AHG)

(IX) क्रिस्मस कारक (Christmas Factor)

(X) स्टुअर्ट कारक (Stuart Factor)

(XI) प्लाज्मा थ्रोम्बोप्लास्टिन पूर्ववर्ती (Plasma Thromboplastin Anticidnet- PTA)

(XII) हेगमेन कारक (Hagman Factor) (सतह कारक)

(XIII) फाइब्रिन स्थरी कारक (Fibrin Stablising Factor) (Laki Lovand Factor)


➠मुख्य रक्त स्कंदन कारक निम्नलिखित है।

(I) कैल्शियम (Calcium)

(II) प्रोथ्रोम्बिन प्रोटीन (Prothrombin Protein)

(III) फाइब्रिनोजन प्रोटीन (Fibrinogen Protein)

(IV) एंटी-हीमोफिलिक ग्लोबुलिन (Anti-Haemophilic Globulin- AHG)

(V) क्रिस्मस कारक (Christmas Factor)

(VI) प्लाज्मा थ्रोम्बोप्लास्टिन पूर्ववर्ती (Plasma Thromboplastin Anticidnet- PTA)


(I) कैल्शियम (Calcium)-

➠कैल्शियम मनुष्य के शरीर में सीधा भोजन (Food) के माध्यम से प्राप्त होती है।

➠कैल्शियम मनुष्य के रक्त में उपस्थित होता है।


(II) प्रोथ्रोम्बिन प्रोटीन (Prothrombin Protein)-

➠मनुष्य के शरीर में प्रोथ्रोम्बिन प्रोटीन का निर्माण यकृत (Liver) में होता है।

➠प्रोथ्रोम्बिन प्रोटीन मनुष्य के शरीर में रक्त में पाया जाता है।

➠यकृत में प्रोथ्रोम्बिन प्रोटीन के निर्माण के लिए विटामिन-K सहायक होता है।

➠मनुष्य के रक्त में प्रोथ्रोम्बिन प्रोटीन निष्क्रिय (Inactive) अवस्था में पाया जाता है।

➠व्यक्ति को शरीर पर चोट लगने पर केमिकल निकलता है। चोट लगने पर केमिकल के निकलने से प्रोथ्रोम्बिन प्रोटीन थ्रोम्बिन प्रोटीन में परिवर्तित हो जाता है।

➠प्रोथ्रोम्बिन प्रोटिन मनुष्य के रक्त में सक्रिय (Active) अवस्था में पाया जाता है।


(III) फाइब्रिनोजेन प्रोटीन (Fibrinogen Protein)-

➠मनुष्य के शरीर में फाइब्रिनोजेन प्रोटीन का का निर्माण यकृत (Liver) में होता है।

➠फाइब्रिनोजेन प्रोटीन घुलनशील प्रोटीन (Soluble Protein) होता है।

➠फाइब्रिनोजेन प्रोटीन मनुष्य के रक्त में पाया जाता है।

➠फाइब्रिनोजेन प्रोटीन रेशेदार प्रोटीन (Fiber Protein) होता है।


(IV) एंटी-हीमोफिलिक ग्लोबुलिन (Anti-Haemophilic Globulin- AHG)-

➠एटीहीमोफिलिक ग्लोबुलिन कारक हीमोफिलिया (Haemophilia) में अनुपस्थित होता है।


(V) क्रिस्मस कारक (Christmas Factor)-

➠क्रिस्मस कारक को प्लाज्मा थ्रोम्बोप्लास्टिन घटक (Plasma Thromboplastin Component- PTC) भी कहते है।


(VI) प्लाज्मा थ्रोम्बोप्लास्टिन पूर्ववर्ती (Plasma Thromboplastin Anticidnet- PTA)-

➠प्लाज्मा थ्रोम्बोप्लास्टिन पूर्ववर्ती की कमी से हीमोफिलिया-C (Haemophilia-C) होता है।


रक्त के थक्के के प्रकार (Types of Blood Clot)-

➠रक्ता के थक्के का अर्थ है की मनुष्य के शरीर में रक्त का एक जगह जमना या इकट्ठा होना।

➠मनुष्य के शरीर में दो प्रकार का रक्त का थक्का बनता है जैसे-

1. अच्छा रक्त का थक्का (Good Blood Clot)

2. बुरा रक्त का थक्का (Bad Blood Clot)


1. अच्छा रक्त का थक्का (Good Blood Clot)-

➠वह रक्त का थक्का जो मनुष्य के शरीर में चोट लगने वाली जगह पर बनता है ऐसे रक्त के थक्के को अच्छा रक्त का थक्का कहा जाता है।

➠अच्छा रक्त का थक्का दो प्रक्रियाओं के माध्यम से बनता है जैसे-

(I) रक्त स्कंदन (Blood Coagulation)

(II) प्लेटलेट प्लग (Platelet Plug)


2. बुरा रक्त का थक्का (Bad Blood Clot)-

➠वह रक्त का थक्का जो मनुष्य के शरीर में

➠बुरा रक्त का थक्का दो प्रक्रियाओं के माध्यम से बनता है जैसे-

(I) रक्त स्कंदन (Blood Coagulation)

(II) प्लेटलेट प्लग (Platelet Plug)

➠बुरा रक्त का थक्का उपर्युक्त में से किसी एक प्रक्रिया से भी बन सकता है जैसे केवल रक्त स्कंदन से भी बन सकता है और केवल प्लेटलेट प्लग से भी बन सकता है और दोनों प्रक्रिया एक साथ होने पर भी भी बन सकता है। लेकिन अच्छा रक्त का थक्का दोनों प्रक्रियाओं से ही बनता है।


(I) रक्त स्कंदन (Blood Coagulation)-

➠बुरा रक्त का थक्का बनने में सहायक रक्त स्कंदन की प्रक्रिया को रोकने के लिए प्रति-स्कंदनकारी (Anti-Coagulant) दवा दी जाती है अर्थात् मनुष्य के शरीर में बुरा रक्त का थक्का, रक्त स्कंदन बनने से रोकने के लिए डाॅ. के द्वारा प्रति-स्कंदनकारी दवा दी जाती है।

➠प्रति-स्कंदनकारी दवा खाने से रक्त स्कंदन की प्रक्रिया नहीं होती है।

➠प्रति-स्कंदनकारी (Anti-Coagulant) दो प्रकार के होते है जैसे-

(A) कृत्रिम प्रति-स्कंदनकारी (Artificial Anti-Coagulant)

(B) प्राकृतिक प्रति-स्कंदनकारी (Natural Anti-Coagulant)


(A) कृत्रिम प्रति-स्कंदनकारी (Artificial Anti-Coagulant)-

➠कृत्रिम प्रति-स्कंदनकारी (Artificial Anti-Coagulant) का उपयोग केवल तभी किया जाता है जब रक्त को बाहर स्टोर करके रखना हो अर्थात् रक्त बैंक (Blood Bank) में रक्त को स्टोर करके रखने के लिए रक्त में कृत्रिम प्रति-स्कंदनकारी मिलाया जाता है।

➠रक्त में कृत्रिम प्रति-स्कंदनकारी मिलाने से रक्त जमता नहीं है तथा खराब नहीं होता है।

➠कृत्रिम प्रति-स्कंदनकारी जैसे- सोडियम साइट्रेट (Sodium Citrate) अर्थात् सोडियम साइट्रेट वो कृत्रिम प्रित-स्कंदनकारी है जो रक्त को जमने नहीं देता है।


(B) प्राकृतिक प्रति-स्कंदनकारी (Natural Anti-Coagulant)-

➠प्राकृतिक प्रति-स्कंदनकारी (Natural Anti-Coagulant) मनुष्य के शरीर में उपस्थित होता है।

➠मनुष्य के शरीर में प्राकृतिक प्रति-स्कंदनकारी (Natural Anti-Coagulant) पाये जाने के कारण प्राकृतिक प्रति-स्कंदनकारी मनुष्य के शरीर में बुरा रक्त का थक्का (रक्त स्कंदन) नहीं बनने देते है अर्थात् मनुष्य के शरीर में प्राकृतिक प्रति-स्कंदनकारी पाये जाने के कारण रक्त स्कंदन प्रकार का बुरा रक्त का थक्का नहीं बन पाता है।

➠मनुष्य के शरीर में पाया जाने वाला प्राकृतिक प्रति-स्कंदनकारी हिपेरिन (Heparin) है अर्थात् हिपेरिन ही वो प्राकृतिक प्रति-स्कंदनकारी है जो मनुष्य के शरीर में रक्त स्कंदन प्रकार का बुरा रक्त का थक्का नहीं बनने देता है।


(II) प्लेटलेट प्लग (Platelet Plug)-

➠बुरा रक्त का थक्का बनने में सहायक प्लेटलेट प्लग की प्रक्रिया को रोकने के लिए एंटीप्लेटलेट दवा (Anti-Platelet Drugs) दी जाती है।

➠एंटीप्लेटलेट दवा (Anti-Platelet Drugs) के कारण प्लेटलेट प्लग की प्रक्रिया नहीं होती है और रक्त नलिकाओं में बुरा रक्त का थक्का नहीं बनता है।

➠एंटीप्लेटलेट दवा रक्त नलिकाओं में प्लेटलेट प्लग को एक जगह इकट्ठा होने से रोक लेती है। जिसके कारण एंटीप्लेटलेट प्लग से बनने वाला रक्त का थक्का नहीं बनता है।

➠एंटीप्लेटलेट दवा जैसे- डिस्प्रिन (Disprin) या एसप्रिन (Aspirin)


हार्ट अटैक (Heart Attack)-

➠मनुष्य के शरीर में हार्ट अटैक (Heart Attack) का मुख्य कारण यही है की हार्ट को रक्त पहुँचाने वाली रक्त नलिकाओं (Blood Vessel) में धिरे धिरे रक्त का थक्का बनने लगता है। रक्त नलिकाओं में रक्त का थक्का बनने के कारण हार्ट को रक्त की आपूर्ति नहीं मिल पाती है और हार्ट को ऑक्सीजन (Oxygen) तथा ग्लूकोज (Glucose) मिलना बंद हो जाता है ऐसी स्थित में हार्ट काम करना बंद कर देता है और हार्ट अटैक (Heart Attack) आ जाता है।

➠हार्ट अटैक के रोगी को डाॅ. के द्वारा एंटीप्लेटलेट दवाइयां दी जाती है ताकि रोगी में रक्त नलिकाओं में रक्त का थक्का नहीं बने।


कोरोना वायरस के कारण हार्ट अटैक-

➠कोरोना महामारी के दौरान मनुष्य के शरीर में कोरोना वायरस होने से प्लेटलेट प्लग (Platelet Plug) प्रकार का रक्त का थक्का बनने लगा था जिसके कारण कोरोना वायरस में हार्ट अटैक आने की समस्य बढ़ी थी अर्थात् कोरोनो वायरस मनुष्य के शरीर में प्लेटलेट प्लग बना देता था जो की एक रक्त का थक्का है।


विटामिन-K (Vitamin-K)-

➠विटामिन-K (Vitamin-K) रक्त स्कंदन कारक नहीं होता है लेकिन विटामिन-K अप्रत्यक्ष रूप से रक्त स्कंदन में काम आता है अर्थात् रक्त स्कंदन की प्रक्रिया में काम में आने वाले प्रोथ्रोम्बिन प्रोटीन के निर्माण में विटामिन-K सहायक होता है।

➠विटामिन-K का रासायनिक नाम फाइटोनैडियोन (Phytonadione) है।

➠विटामिन-K या फाइटोनैडियोन का रासायनिक सूत्र- C31H46O2 होता है।

➠मनुष्य के शरीर में विटामिन-K भोजन (Food) के माध्यम से प्राप्त होता है।


प्रति स्कंदनकारी (Anti-Coagulant)-

➠ऐसे पदार्थ जो रक्त स्कंदन को रोक लेते है उन पदार्थों को प्रति स्कंदनकारी कहा जाता है।

➠प्रति स्कंदनकारी दो प्रकार के होते है जैसे-

(I) प्राकृतिक प्रति स्कंदनकारी (Natural Anti-Coagulant)

(II) कृत्रिम प्रति स्कंदनकारी (Artificial Anti-Coagulant)


(I) प्राकृतिक प्रति स्कंदनकारी (Natural Anti-Coagulant)-

➠प्राकृतिक प्रति स्कंदनकारी का निर्माण मनुष्य के शरीर के द्वारा किया जाता है।

➠प्राकृतिक प्रति स्कंदनकारी जैसे- हिपेरिन (Heparin)


(II) कृत्रिम प्रति स्कंदनकारी (Artificial Anti-Coagulant)

➠कृत्रिम प्रति स्कंदनकारी रक्त को शरीर के बाहर संग्रहित करने में काम आता है।

➠कृत्रिम प्रति स्कंदनकारी जैसे- सोडियम साइट्रेट


2. प्लेटलेट प्लग (Platelet Plug)-

➠प्लेटलेट प्लग रक्त नलिकाओं में प्लेटलेट प्लग के एक जगह संग्रहित या इकट्ठा होने से बनता है।

➠प्लेटलेट प्लग को रोकने के लिए एंटीप्लेटलेट दवाइयां (Anti-Platelet Drugs) दी जाती है।

➠एंट प्लेटलेट दवा जैसे- एस्पिरिन (Aspirin) या डिस्पिन (Disprin) टैबलेट

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