कुषाण वंश (Kushan Dynasty)- (30 AD - 375 AD)
- भारत में कुषाण वंश का शासन 30 ई. से लेकर 375 ई. तक रहा था।
- कुषाण वंश का संस्थापक कुजुल कडफिसेस था।
- कुषाण मध्य एशिया के यू-ची (यूची) कबीले की कुई-शुआंग शाखा से संबंधित थे।
- कुषाण शकों के पीछे भारत आये थे।
- कुई-शुआंग मध्य एशिया की बर्बर जाति थी।
कुषाण वंश के प्रमुख शासक-
- 1. कुजुल कडफिसेस या कुजुल कडफिसस
- 2. विम कडफिसेस या विम कडफिसस
- 3. कनिष्क
- 4. हुविष्क
1. कुजुल कडफिसेस या कुजुल कडफिसस-
- कुजुल कडफिसेस ने कुषाण वंश की स्थापना की थी।
- कुजुल कडफिसेस को प्रथम कडफिसेस या पहला कडफिसस भी कहा जाता है।
2. विम कडफिसेस या विम कडफिसस-
- विम कडफिसेस या विम कडफिसस भारत में कुषाण वंश का संस्थापक था।
- विम कडफिसेस को द्वितीय कडफिसेस या दूसरा कडफिसस भी कहा जाता है।
विम कडफिसेस की उपाधि-
- विम कडफिसेस ने महेश्वर की उपाधि धारण की थी।
- विम कडफिसेस भगवान शिव का भक्त था इसीलिए विम कडफिसेस ने महेश्वर की उपाधि धारण की थी।
- विम कडफिसेस के सिक्कों पर शिव, नंदी, त्रिशुल, डमरू आदि के चित्र मिलते है।
- विम कडफिसेस पहला कुषाण शासक था जिसने भारत में शुद्ध सोने के सिक्के चलाए थे।
3. कनिष्क-
- कनिष्क कुषाण वंश का सबसे महान शासक था।
- कुषाण वंश के शासक कनिष्क का राज्याभिषेक 78 ई. में हुआ था।
- 78 ई. में ही भारत में शक संवत आरम्भ हुआ था।
- वर्तमान में शक संवत भारत का राजकीय संवत है।
- कनिष्क ने अपनी पहली राजधानी पुरुषपुर को बनाया था।
- पुरुषपुर का वर्तमान नाम पेशावर है। अर्थात् पाकिस्तान के पेशावर का प्राचीन नाम पुरुषपुर था।
- पेशावर पाकिस्तान का एक शहर है।
- कनिष्क ने अपनी दूसरी राजधानी मथुरा को बनाया था।
- वर्तमान में मथुरा भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा जिले में स्थित एक शहर है।
- कुषाण वंश के शासक कनिष्क ने सम्पूर्ण उत्तरी भारत को जीत लिया था।
- कनिष्क ने पाटलिपुत्र पर आक्रमण किया एवं पाटलिपुत्र को जीत लिया था।
- पाटलिपुत्र का वर्तमान नाम पटना है। अर्थात् पटना का प्राचीन नाम पाटलिपुत्र था।
- वर्तमान में पटना भारत के बिहार राज्य की राजधानी है।
- कनिष्क को पाटलिपुत्र से बुद्ध का भिक्षापात्र, अश्वघोष एवं अनोखा मुर्गा मिला था।
- कल्हण की राजतरंगिणी के अनुसार कनिष्क ने कश्मीर पर आक्रमण किया एवं कश्मीर को जीत लिया था।
- कनिष्क ने कश्मीर को जीतने के बाद कश्मीर में कनिष्कपुर नामक शहर बसाया था।
- राजतरंगिणी कल्हण के द्वारा लिखी गई पुस्तक है। अर्थात् राजतरंगिणी का लेखक कल्हण है।
- कनिष्क ने मध्य एशिया एवं रेशम मार्ग पर अधिकार कर लिया था।
- कनिष्क ने बान-चाओ (पान-चाओ) के नेतृत्व वाली चीनी सेना को पराजित किया था।
- कनिष्क के द्वारा बान-चाओ को पराजित करने की जानकारी राबाटक अभिलेख (राबाटक शिलालेख) से मिलती है।
- राबाटक अभिलेख या राबाटक शिलालेख अफगानिस्तान के राबाटक नामक स्थान से प्राप्त हुआ है।
- बान-चाओ चीनी सेना का एक महान सेनापति था।
- कनिष्क बौद्ध धर्म की महायान शाखा का अनुयायी था।
- कनिष्क के सैनिकों ने कनिष्क की हत्या कर दी थी।
कनिष्क के दरबारी विद्वान-
- (I) वसुमित्र
- (II) नागार्जुन
- (III) अश्वघोष
- (IV) चरक
(I) वसुमित्र-
- वसुमित्र कुषाण वंश के शासक कनिष्क का दरबारी विद्वान था।
- वसुमित्र के द्वारा विभाषाशास्त्र नामक पुस्तक लिखी गई थी।
- वसुमित्र चतुर्थ बौद्ध संगीति का अध्यक्ष था।
(II) नागार्जुन-
- नागार्जुन कुषाण वंश के शासक कनिष्क का दरबारी विद्वान था।
- नागार्जुन के द्वारा माध्यमिक कारिका या माध्यमिक कार्यिका नामक पुस्तक लिखी गई थी।
(III) अश्वघोष-
- अश्वघोष कुषाण वंश के शासक कनिष्क का दरबारी विद्वान था।
- अश्वघोष ने निम्नलिखित पुस्तकें लिखी थी।
- (अ) सौंदरानंद- अश्वघोष के द्वारा सौंदरानंद नामक पुस्तक लिखी गई थी।
- (ब) सारिपुत्र प्रकरण- अश्वघोष के द्वारा सारिपुत्र प्रकरण नामक पुस्तक लिखी गई थी।
- (स) सूत्रालंकार- अश्वघोष के द्वारा सूत्रालंकार नामक पुस्तक लिखी गई थी।
- (द) बुद्धचरित- अश्वघोष के द्वारा बुद्ध चरित नामक पुस्तक लिखी गई थी। अश्वघोष की बुद्ध चरित पुस्तक को बौद्ध धर्म का एनसाइक्लोपीडिया कहा जाता है।
(IV) चरक-
- चरक कुषाण वंश के शासक कनिष्क का दरबारी विद्वान था।
- चरक के द्वारा चरक संहिता नामक पुस्तक लिखी गई थी।
- चरक संहिता पुस्तक में आयुर्वेद की जानकारी मिलती है। अर्थात् चरक संहिता आयुर्वेद का प्रसिद्ध ग्रंथ है।
- चरक संहिता नामक पुस्तक संस्कृत भाषा में लिखी गई है।
सुश्रुत-
- सुश्रुत के द्वारा सुश्रुत संहिता नामक पुस्तक लिखी गई थी।
- सुश्रुत एक शल्य चिकित्सक था।
- सुश्रुत संहिता में आयुर्वेद एवं शल्य चिकित्सा की जानकारी मिलती है।
- सुश्रुत संहिता पुस्तक या ग्रंथ की भाषा संस्कृत है।
4. हुविष्क-
- हुनिष्क कुषाण वंश का शासक था।
- हुविष्क भगवान विष्णु का अनुयायी था।
- हुविष्क भागवत धर्म को मानता था या विश्वास करता था।
- हुविष्क के सिक्कों पर चतुर्भुज विष्णु के चित्र मिलते है।
कुषाण वंश की प्रमुख विशेषताएं-
- भारत में सर्वप्रथम शुद्ध सोने के सिक्के कुषाण वंश के द्वारा चलाए गये थे।
- भारत में सर्वप्रथम शुद्ध सोने के सिक्के कुषाण वंश के शासक विम कडफिसेस ने चलाए थे।
- कुषाण शासकों ने देवपुत्र या देवप्रिय की उपाधि धारण की थी।
- कुषाण वंश के शासक मंदिरों में अपनी मूर्तियां स्थापित करवाते थे।
- कुषाण वंश के समय में भारत में चमड़े के जूतों का प्रयोग आरम्भ हुआ था।
- कुषाण वंश के समय में भारत में सिले हुए कपड़ों का प्रचलन आरम्भ था।
- कुषाण वंश के समय भारत में घोड़े के काठी लगाना आरम्भ किया गया था।