सातवाहन वंश (Satavahana Dynasty)-
- सातवाहन वंश का संस्थापक सिमुक था।
सातवाहन वंश के प्रमुख शासक-
- 1. सिमुक
- 2. मालिया शातकर्णी
- 3. हाल
- 4. गौतमी पुत्र शातकर्णी
- 5. वाशिष्ठी पुत्र पुलमावी
- 6. यज्ञ श्री शातकर्णी
1. सिमुक-
- सिमुक सातवाहन वंश का संस्थापक था।
- सिमुक ने कण्व वंश के अंतिम शासक सुशर्मा की हत्या कर सातवाहन वंश की स्थापना की थी।
2. मालिया शातकर्णी-
- मालिया शातकर्णी सातवाहन वंश का पहला प्रसिद्ध शासक था।
- मालिया शातकर्णी की जानकारी रानी नागनिका के नानाघाट या नाणेघाट अभिलेख से मिलती है।
- नाणेघाट अभिलेख भारत के महाराष्ट्र राज्य के पुणे जिले में स्थित ऐतिहासिक स्थल नाणेघाट के पास स्थित है।
- मालिया शातकर्णी ने दो अश्वमेध यज्ञ आयोजित करवाये थे।
- मालिया शातकर्णी ने एक राजसूय यज्ञ आयोजित करवाया था।
- पेरिप्लस ऑफ दी एरिथ्रियन सी (Periplus of The Erythraean Sea) नामक पुस्तक में मालिया शातकर्णी को एल्डर सारगोन कहा गया है।
3. हाल-
- हाल सातवाहन वंश का 17वां शासक था।
- हाल एक विद्वान शासक था।
- हाल एक बड़ा कवि था।
- सातवाहन वंश के शासक हाल के द्वारा गाथा सप्तशती नामक पुस्तक लिखी गई थी। अर्थात् गाथा सप्तशती का लेखक सातवाहन वंश का शासक हाल है।
- हास की पुस्तक गाथा सप्तशती में 700 प्रेम कहानियां लिखी गई है।
- हाल की पुस्तक गाथा सप्तशती की भाषा प्राकृत है।
- हाल की पुस्तक गाथा सप्तशती को प्राकृत भाषा में गाहा सत्तसई कहा जाता है।
- हाल के सेनापति विजयालय ने श्रीलंका पर आक्रमण किया था।
- हाल ने श्रीलंका की राजकुमारी लीलावती से विवाह किया था।
हाल के दरबारी विद्वान-
- (I) गणाढ्य
- (II) सर्ववर्मन
(I) गणाढ्य-
- गणाढ्य सातवाहन वंश के राजा हाल का दरबारी विद्वान था।
- गणाढ्य के द्वारा बृहत्कथा नामक पुस्तक लिखी गई थी।
- गणाढ्य की पुस्तक बृहत्कथा पर निम्नलिखित पुस्तकें आधारित है।
- (अ) वृहत्कथामंजरी
- (ब) कथासरित्सागर
(अ) वृहत्कथामंजरी-
- वृहत्कथामंजरी बृहत्कथा पर आधारित पुस्तक है।
- वृहत्कथामंजरी का लेखक क्षेमेन्द्र (कश्मीर) है।
- क्षेमेन्द्र कश्मीरी पंडित था।
(ब) कथासरित्सागर-
- कथासरित्सागर बृहत्कथा पर आधारित पुस्तक है।
- कथासरित्सागर का लेखक सोमदेव भट्ट है।
- सोमदेव कश्मीरी पंडित था।
- कथासरित्सागर को गणाढ्य की बृहत्कथा भी कहा जाता है।
(II) सर्ववर्मन-
- सर्ववर्मन सातवाहन वंश के राजा हाल का दरबारी विद्वान था।
- सर्ववर्मन के द्वारा कातंत्र व्याकरण नामक पुस्तक लिखी गई थी।
- सर्ववर्मन के द्वारा रचित कातंत्र व्याकरण पुस्तक का विषय संस्कृत व्याकरण है।
4. गौतमी पुत्र शातकर्णी-
- गौतमी पुत्र शातकर्णी सातवाहन वंश का 23वां शासक था।
- गौतमी पुत्र शातकर्णी सातवाहन वंश का सबसे महान शासक था।
- गौतमी पुत्र शातकर्णी के घोड़े तीन समुद्र का पानी पीते थे।
- गौतमी पुत्र शातकर्णी ने वैदिक मार्ग एवं वर्ण व्यवस्था को पुनः स्थापित करने का प्रयास किया था।
- गौतमी पुत्र शातकर्णी ने अंतरजातीय विवाह पर प्रतिबंध लगाया था।
- गौतमी पुत्र शातकर्णी ने वेणकटक नामक शहर की स्थापना की थी।
- गौतमी पुत्र शातकर्णी की जानकारी गौतमी पुत्र शातकर्णी की माता गौतमी बलश्री की नासिक प्रशस्ति से मिलती है।
- गौतमी पुत्र शातकर्णी ने शक शासक नहपान को पराजित किया था तथा नहपान के सिक्कों पर अपना नाम लिखवाया था।
- गौतमी पुत्र शातकर्णी एक धर्मनिरपेक्ष शासक था।
- गौतमी पुत्र शातकर्णी ने नासिक बौद्ध संघ को अजकालकिय गाँव भेंट किया था।
- अजकालकिय गाँव भारत के महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में स्थित है।
- गौतमी पुत्र शातकर्णी ने कार्ले बौद्ध संघ को करजक गाँव भेंट किया था।
- करजक गाँव भारत के महाराष्ट्र राज्य के पुणे जिले में स्थित है।
गौतमी पुत्र शातकर्णी की उपाधियां-
- (I) आगमन निलय
- (II) वेणकटक स्वामी
- (III) त्रिसमुद्रतोयपीतवाहन (त्रि-समुंद्र-तोय-पीत-वाहन)
(I) आगमन निलय-
- गौतमी पुत्र शातकर्णी ने आगमन निलय की उपाधि धारण की थी।
(II) वेणकटक स्वामी-
- गौतमी पुत्र शातकर्णी ने वेणकटक स्वामी की उपाधि धारण की थी।
(III) त्रिसमुद्रतोयपीतवाहन (त्रि-समुद्र-तोय-पीत-वाहन)-
- गौतमी पुत्र शातकर्णी ने त्रिसमुद्रतोयपीतवाहन (त्रि-समुद्र-तोय-पीत-वाहन) की उपाधि धारण की थी।
5. वासिष्ठी पुत्र पुलमावी-
- वासिष्ठी पुत्र पुलमावी सातवाहन वंश का 24वां शासक था।
- पुराणों में वासिष्ठी पुत्र पुलमावी को पुलोमा कहा गया है।
- वासिष्ठी पुत्र पुलमावी सातवहावन वंश का प्रथम शासक जिसके अभिलेख आंध्र प्रदेश से मिलते है।
- वासिष्ठी पुत्र पुलमावी के अभिलेखों में वासिष्ठी पुत्र पुलमावी को दक्षिणापथेश्वर कहा गया है।
- शक शासक रुद्रदामन ने वासिष्ठी पुत्र पुलमावी को दो बार पराजित किया था।
- वासिष्ठी पुत्र पुलमावी ने शक शासक रुद्रदामन की पुत्री से विवाह किया था।
- वासिष्ठी पुत्र पुलमावी ने दक्षिण भारत में नवनगर नामक शहर की स्थापना की थी।
6. यज्ञ श्री शातकर्णी-
- यज्ञ श्री शातकर्णी सातवाहन वंश का 27वां शासक था।
- यज्ञ श्री शातकर्णी सातवाहन वंश का अंतिम शासक एवं अंतिम प्रसिद्ध शासक था।
- यज्ञ श्री शातकर्णी के सिक्कों पर जहाज, नाव मछली एंव सीप आदि के चित्र मिलते है।
- सातवाहन वंश के समय समुद्री व्यापार पर अधिक बल दिया गया था।
सातवाहन वंश की विशेषताएं-
- सातवाहन वंश की राजधानी प्रतिष्ठान या पैठन थी।
- प्रतिष्ठान या पैठन भारत के महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद जिले में स्थित एक शहर है।
- सातवाहन वंश का साम्राज्य मुख्यतः महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में था।
- सातवाहन वंश को पुराणों में आंध्र भृत्य वंश या आंध्र वंश कहा गया है।
- सातवाहन वंश के समय में समाज मातृसत्तात्मक था।
- सातवाहन वंश के शासक अपने नाम के आगे माता के गोत्र का भी प्रयोग करते थे।
- सातवाहन वंश के समय सातवाहन राजकुल पितृसत्तात्मक था क्योंकि राजा वंशानुगत ही होता था।
- सातवाहन वंश के शासकों ने सीसे या पोटीन के सिक्के चलाये थे।
- सातवाहन वंश भारत में एकमात्र ऐसा वंश है जिसने सीसे के सिक्के चलाये थे।
- सातवाहन वंश की राजकीय भाषा प्राकृत थी।
- सातवाहन वंश की लिपि ब्राह्मी थी।
- सातवाहन वंश ने सर्वप्रथम ब्राह्मणों को भूमि का अनुदान दिया था। अर्थात् ब्राह्मणों को भूमि दान करने की प्रथा की शुरुआत सर्वप्रथम सातवाहन वंश के शासकों ने की थी।
- सातवाहन वंश के शासकों के द्वारा ब्राह्मणों के भूमि दान का उल्लेख नानाघाट या नाणेघाट अभिलेख में मिलता है।
- सातवाहन वंश के द्वारा ब्राह्मणों को भूमि अनुदान देने के कारण कालांतर में सामंती प्रथा की शुरुआत हुई थी।
- सातवाहन वंश के समय में व्यापार में चांदी एवं तांबे के सिक्कों का प्रयोग होता था।
- सातवाहन वंश के समय चलने वाले चांदी एवं तांबे के सिक्कों को काषार्पण कहा जाता था।
- सातवाहन वंश का प्रमुख बंदरगाह एवं व्यापारिक केंद्र भड़ौच था।
- सातवाहन वंश के समय अमरावती कला का विकास हुआ था।
- सातवाहन वंश के द्वारा अजन्ता एवं एलोरा की गुफाओं का निर्माण करवाया गया था।