राजनीति की मूलभूत अवधारणा
(Basic Concept of Polity)
राजनीति की मूलभूत अवधारणा (Basic Concept of Polity)-
1. राज्य (State)
2. राष्ट्र (Nation)
1. राज्य (State)-
➠राज्य वह इकाई है जिसमें लोगों का समुदाय एक निश्चित भू-भाग पर निवास करता है और एक व्यवस्थित सरकार बाहरी दबावों से मुक्त संप्रभु रूप से कार्य करती है।
राज्य के आधारभूत तत्त्व (Fundamental Elements of State)-
➠राज्य के आधारभूत तत्त्व निम्नलिखित है-
1. भू-भाग (Territory)
2. जनसंख्या (Population)
3. सरकार (Government)
4. संप्रभुता (Sovereignty)
कौटिल्य या चाणक्य (Chanakya)-
➠कौटिल्य को चाणक्य तथा विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है।
➠कौटिल्य के अर्थशास्त्र के अनुसार राज्य के 7 अंग होते है।
➠कौटिल्य के अर्थशास्त्र के अनुसार राज्य के 7 अंगों के सिद्धांत को सप्तांग सिद्धांत कहा जाता है।
➠कौटिल्य के अर्थशास्त्र के अनुसार राज्य के 7 अंग निम्नलिखित है-
1. दुर्ग
2. राजा
3. राजकोष
4. सेना
5. अमात्य
6. मित्र या मित्र राज्य
7. क्षेत्र या भू-भाग
राज्य की उत्पत्ति के सिद्धान्त (Theory of Origin of State)-
1. राजत्व का दैवीय सिद्धांत (Divine Origin Theory)
2. सामाजिक समझौता सिद्धांत (Theory of Social Contract)
1. राजत्व का दैवीय सिद्धांत (Divine Origin Theory)-
➠राजत्व के दैवीय सिद्धांत के अनुसार राजा पृथ्वी पर ईश्वर का प्रतिनिधि है और राजा अपने राज्य में ईश्वर के आदेशों को लागू करता है। अतः राजत्व के दैवीय सिद्धांत के आधार पर राज्य अस्तित्व में आये थे।
2. सामाजिक समझौता सिद्धांत (Theory of Social Contract)-
➠सामाजित समझौता सिद्धांत हाॅब्स, लाॅक तथा रूसो ने दिया था।
➠सामाजिक समझौता सिद्धांत के अनुसार राज्य की अवधारणा के पूर्व 'मत्स्य न्याय' की स्थिति थी।
➠मत्स्य न्याय की स्थिति में केवल अनिश्चितता की स्थिति थी। अतः लोगों ने सामाजिक समझौता सिद्धांत के आधार पर राज्य की स्थापना की थी।
➠सामाजिक समझौता सिद्धांत के अंतर्गत समस्त लोगों ने राज्य के प्रमुख को अपने कुछ अधिकार सौंप दिये थे।
➠लोगों के द्वारा अपने कुछ अधिकार राज्य के प्रमुख या राजा को सौंप देने के बाद राज्य का प्रमुख या राजा ने अपने लोगों की सुरक्षा की गांरटी दी थी।
➠वर्तमान में लोकतंत्र में भी जनता मतदान के माध्यम से शासक चुनकर उस शासक को अपनी शक्तियां प्रदान करती है।
2. राष्ट्र (Nation)-
➠राष्ट्र को लोगों के एकत्रीकरण के रूप में परिभाषित किया गया है राष्ट्र एक संगठित समाज के रूप में विद्यमान है जिसमें लोग सामान्यतः क्षेत्र विशेष में निवास करते है, एक ही भाषा बोलते है, एक समान रीति-रिवाजों को मानते है और ऐतिहासिक निरंतरता होती है।
➠जहाँ राष्ट्र एक सांस्कृतिक अवधारणा के अधिक निकट है वहीं राज्य एक रानीतिक अवधारणा के अधिक निकट है।
राजतंत्र (Monarchy)-
➠राजतंत्र में लोगों का प्रमुख राजा होता है।
➠राजतंत्र में शासन की तीनों शक्तियां राजा में निहित होती है अर्थात् शक्तियों का केन्द्रीकरण होता है इसलिए राजा प्रायः निरंकुश हो जाता है।
➠राजतंत्र में शासन की तीन शक्तियां होती है जैसे-
1. विधायिका (Legislature)
2. कार्यपालिका (Executive)
3. न्यायपालिका (Judiciary)
लोकतंत्र (Democracy)-
1. शक्ति पृथक्करण का सिद्धांत (Doctrine of Separation of Power)
1. शक्ति पृथक्करण का सिद्धांत (Doctrine of Separation of Power)-
➠फ्रांसीसी विचारक माॅन्टेस्क्यू ने शक्ति पृथक्करण का सिद्धांत दिया था।
➠फ्रांसीस विचारक माॅन्टेस्क्यू का शक्ति पृथक्करण का सिद्धांत राज्य के विभिन्न अगों जैसे कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के मध्य शक्तियों के विभाजन को दर्शाता है अर्थात् शासन की तीनों शक्तियों (कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका) को पृथक कर देना चाहिए अतः लोकतंत्र शक्ति पृथक्करण पर आधारित है।
लोकतंत्र में शासन की तीन शक्तियां होती है जैसे-
(I) विधायिका (Legislature)
(II) कार्यपालिका (Executive)
(III) न्यायपालिका (Judiciary)
भारत (India)-
➠भारत में संसदीय शासन व्यवस्था है अतः भारत में शक्तियों का स्पष्ट पृथक्करण नहीं है क्योंकि कार्यपालिका, विधायिका का ही एक अंग है इसीलिए भारत में संविधान की सर्वोच्चता है।
➠भारत में शासन व्यवस्था को तीन भागों में विभाजित किया गया है जैसे-
(I) विधायिका (Legislature)
(II) कार्यपालिका (Executive)
(III) न्यायपालिका (Judiciary)
(I) विधायिका (Legislature)-
➠भारत में दोहरी विधायिका है अर्थात् केंद्र तथा राज्यों में अलग अलग विधायिकाएं है।
(II) कार्यपालिका (Executive)-
➠भारत में कार्यपालिका के दो भाग होते है जैसे-
(अ) स्थायी नौकरशाही (Permanent Bureaucracy)
(ब) अस्थायी मंत्रिपरिषद् (Temporary Ministers)
➠भारत में दोहरी कार्यपालिका है अर्थात् केंद्र व राज्यों में अलग अलग मंत्रिपरिषद् है।
(III) न्यायपालिका (Judiciary)-
➠भारत में एकल न्यायपालिका है अर्थात् उच्च न्यायालय (High Court) उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) के ही अधीन कार्य करता है।
ब्रिटेन (Britain/ UK)-
➠ब्रिटेन में भी संसदीय शासन व्यवस्था है अतः ब्रिटेन में भी शक्तियों का स्पष्ट पृथक्करण नहीं किया गया है।
➠ब्रिटेन में कार्यपालिका तथा न्यायपालिका दोनों विधायिका का ही भाग है इसीलिए ब्रिटेन में संसद की सर्वोच्चता है जबकि भारत में संविधान की सर्वोच्चता है।
➠ब्रिटेन में कार्यपालिका (लोकसभा) को हाउस ऑफ लॉर्ड्स (House of Lords) कहा जाता है अर्थात् ब्रिटेन की संसद के ऊपरी सदन (लोकसभा) को हाउस ऑफ लॉर्ड्स (House of Lords) कहते है।
➠ब्रिटेन में न्यायपालिका (राज्यसभा) को हाउस ऑफ कॉमन्स (House of Commons) कहा जाता है अर्थात् ब्रिटेन की संसद के निचले सदन को हाउस ऑफ कॉमन्स (House of Common) कहते है।
अमेरिका (America/ USA)-
➠अमेरिका में अध्यक्षात्मक शासन व्यवस्था है इसीलिए अमेरिका में शक्तियों का स्पष्ट पृथक्करण किया गया है।
➠अमेरिका में शासन की शक्तियां जैसे विधायिका (Legislature), कार्यपालिका (Executive) तथा न्यायपालिका (Judiciary) तीनों अगल अगल है।