भारतीय संविधान की अनुसूचियाँ (Schedules of Indian Constitution)-
- वर्तमान में भारतीय संविधान में कुल 12 अनुसूचियाँ है।
- भारत के मूल संविधान में कुल 8 अनुसूचियाँ थी अर्थात् जब भारत का संविधान बनाया गया था तब भारत के संविधान में कुल 8 ही अनुसूचियाँ जोड़ी गई थी।
- भारतीय संविधान की अन्य अनुसूचियाँ बाद में संविधान संशोधन के माध्यम से भारतीय संविधान में जोड़ी गई थी।
- 1. पहली अनुसूची (First Schedule)
- 2. दूसरी अनुसूची (Second Schedule)
- 3. तीसरी अनुसूची (Third Schedule)
- 4. चौथी अनुसूची (Fourth Schedule)
- 5. पाँचवी अनुसूची (Fifth Schedule)
- 6. छठी अनुसूची (Sixth Schedule)
- 7. सातवीं अनुसूची (Seventh Schedule)
- 8. आठवीं अनुसूची (Eighth Schedule)
- 9. नौवीं अनुसूची (Ninth Schedule
- 10. दसवीं अनुसूची (Tenth Schedule)
- 11. ग्यारहवीं अनुसूची (Eleventh Schedule)
- 12. बारहवीं अनुसूची (Twelfth Schedule)
1. पहली अनुसूची (First Schedule)-
- भारतीय संविधान की पहली अनुसूची में राज्यों व संघ शासित प्रदेशों के नाम तथा उनकी सीमाओं का उल्लेख किया गया है।
2. दूसरी अनुसूची (Second Schedule)-
- भारतीय संविधान की दूसरी अनुसूची में परिलब्धियों पर भत्ते, विशेषाधिकार तथा इससे संबंधित प्रावधानों का उल्लेख किया गया है।
- भारत की संचित निधि पर भारित वेतन का उल्लेख भी भारतीय संविधान की दूसरी अनुसूची में किया गया है। अर्थात् भारत की संचित निधि से दिये जाने वाले वेतन व भत्तों का उल्लेख किया गया है।
- भारत की संचित निधि से निम्नलिखित को वेतन दिया जाता है।
- राष्ट्रपति (President)
- राज्यसभा सभापति (Chair Person of Rajya Sabha)
- राज्यसभा उपसभापति (Deputy Chair Person of Rajya Sabha)
- लोकसभा अध्यक्ष (Speaker of Lok Sabha)
- लोकसभा उपाध्यक्ष (Deputy Speaker of Lok Sabha)
- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश (Judge of Supreme Court)
विशेष- अनुच्छेद 112 (3)-
- अनुच्छेद 112 (3) के अनुसार निम्न खर्चे भारत की संचित निधि पर भारीत है-
- उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की पेंशन
- संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के खर्चे
- सर्वोच्च न्यायालय के सभी खर्चे
- भारत सरकार द्वार लिये गए ऋण
(II) राज्यों की संचित निधि-
- राज्यों की संचित निधि से निम्नलिखित को वेतन दिया जाता है।
- राज्यपाल (Governor)
- विधानपरिषद् सभापति (Chairperson of Legislative Council)
- विधानपरिषद् उपसभापति (Deputy Chairperson of Legislative Council)
- विधानसभा अध्यक्ष (Speaker of Legislative Assembly)
- विधानसभा उपाध्यक्ष (Deputy Speaker of Legislative Assembly)
- उच्च न्यायालय के न्यायाधीश (Judge of High Court)
3. तीसरी अनुसूची (Third Schedule)-
- भारतीय संविधान की तीसरी अनुसूची में शपथ का प्रारूप दिया गया है।
(I) केन्द्र सरकार की शपथ-
- भारतीय संविधान की तीसरी अनुसूची में केन्द्र सरकार के निम्नलिखित पदों की शपथ का उल्लेख किया गया है।-
- संसद का सदस्य (Member of Parliament- MP)
- मंत्री (Minister)- (प्रधानमंत्री भी शामिल)
- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश (Judge of Supreme Court)
- भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General of India- CAG)
(II) राज्य सरकार की शपथ-
- भारतीय संविधान की तीसरी अनुसूची में राज्य सरकार के निम्नलिखित पदों की शपथ का उल्लेख किया गया है।
- विधानसभा सदस्य (MLA) या विधानपरिषद सदस्य (MLC)
- मंत्री (Minister)
- उच्च न्यायालय के न्यायाधीश (Judge of High Court)
विशेष- मंत्रियों (केंद्र व राज्य) द्वारा दो शपथ ली जाती है जैसे- पद की शपथ व गोपनीयता की शपथ
अनुच्छदे 60-
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 60 में भारत के राष्ट्रपति की शपथ का प्रावधान दिया गया है।
अनुच्छेद 69-
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 69 में भारत के उपराष्ट्रपति की शपथ का प्रावधान दिया गया है।
अनुच्छेद 159-
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 159 में राज्यपाल की शपथ का प्रावधान दिया गया है।
टिप्पणी- भारत में राज्यसभा के सभापति व उपसभापति के लिए अलग से कोई शपथ नहीं होती है।
टिप्पणी- भारत में लोकसभा के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के लिए अगल से कोई शपथ नहीं होती है।
टिप्पणी- विधानसभा के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के लिए अगल से कोई शपथ नहीं होती है।
टिप्पणी- भारत का नियंत्रक एवं महालेख परिक्षक CAG (Comptroller and Auditor General of India) सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की शपथ लेता है।
4. चौथी अनुसूची (Fourth Schedule)-
- भारतीय संविधान की चौथी अनुसूची में राज्यों व केन्द्रशासित प्रदेशों के लिए राज्यसभा में सीटों के आवंटन का उल्लेख किया गया है।
5. पाँचवी अनुसूची (Fifth Schedule)-
- भारतीय संविधान की पाँचवी अनुसूची में अनुसूचित क्षेत्रों व अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन तथा नियंत्रण से संबंधित प्रावधानों का उल्लेख किया गया है।
6. छठी अनुसूची (Sixth Schedule)-
- भारतीय संविधान की छठी अनुसूची में असम, मेघालय, त्रिपुरा तथा मिजोरम राज्यों के जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन व नियंत्रण से संबंधित प्रावधानों का उल्लेख किया गया है।
7. सातवीं अनुसूची (Seventh Schedule)-
- भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में संघ एवं राज्यों के मध्य विषयों के माध्यम से शक्तियों का विभाजन किया गया है। जैसे-
सूची | प्रारम्भ में विषय | वर्तमान में विषय |
---|---|---|
संघ सूची | 97 विषय | 98 विषय (+1) |
राज्य सूची | 66 विषय | 59 विषय (-7) |
समवर्ती सूची | 47 विषय | 52 विषय (+5) |
42वां संविधान संशोधन 1976-
- भारतीय संविधान के 42वें संविधान संशोधन 1976 के द्वारा 5 विषय राज्य सूची से हटाकर समवर्ती सूची में जोड़े गये थे जैसे-
- (I) वन (Forest)
- (II) वन्यजीव (Wildlife)
- (III) नाप तोल की इकाइयाँ (Measurement Units)
- (IV) न्यायिक प्रशासन (Judicial Administration)
- (V) शिक्षा (Education)
8. आठवीं अनुसूची (Eighth Schedule)-
- भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में भारत के संविधान के द्वारा मान्यता प्राप्त भाषाओं का उल्लेख किया गया है।
- भारत के मूल संविधान में 14 भाषाएँ थी। अर्थात् जब भारत के संविधान का निर्माण हुआ था उस समय भारत के संविधान में कुल 14 भाषाओं को मान्यता दी गई थी।
- भारत के संविधान में वर्तमान में कुल 22 भाषाएँ को मान्यता प्राप्त है।
भारत के मूल संविधान में मान्यता प्राप्त कुल 14 भाषाएँ निम्नलिखित है।-
- असमिया (Assamese)
- बांग्ला (Bangla)
- गुजराती (Gujarati)
- हिन्दी (Hindi)
- कन्नड़ (Kannada)
- कश्मीरी (Kashmiri)
- मलयालम (Malayalam)
- मराठी (Marathi)
- उड़िया (Odia)
- पंजाबी (Punjabi)
- संस्कृत (Sanskrit)
- तमिल (Tamil)
- तेलुगू (Telugu)
- उर्दू (Urdu)
96वां संविधान संशोधन 2011-
- भारतीय संविधान में वर्ष 2011 में 96वें संविधान संशोधन के द्वारा उड़िया भाषा का नाम बदलकर ओडिया कर दिया गया था।
21वां संविधान संशोधन 1967-
- भारतीय संविधान में सन् 1967 में 21वें संविधान संशोधन के द्वारा भारतीय संविधान में सिंधी भाषा को जोड़ा गया था।
- सिंधी भाषा भारतीय संविधान में जोडे जाने वाली 15वीं भाषा थी।
71वां संविधान संशोधन 1992-
- भारतीय संविधान में सन् 1992 में 71वें संविधान संशोधन के द्वारा भारतीय संविधान में एक साथ तीन भाषाओं को जोड़ा गया था।
- भारतीय संविधान के 71वें संविधान संशोधन में कोंकणी, मणिपुरी तथा नेपाली भाषाओं को जोड़ा गया था।
91वां संविधान संशोधन 2003-
- भारतीय संविधान में सन् 2003 में 91वें संविधान संशोधन के द्वारा भारतीय संविधान में एक साथ 4 नयी भाषाओं को जोड़ा गया था।
- भारतीय संविधान के 91वें संविधान संशोधन में बोड़ो, डोगरी, मैथिली तथा संथाली भाषाओं को जोड़ा गया था।
वर्तमान में भारतीय संविधान में मान्यता प्राप्त कुल 22 भाषाएँ निम्नलिखित है।
- असमिया (Assamese)
- बांग्ला (Bangla)
- गुजराती (Gujarati)
- हिन्दी (Hindi)
- कन्नड़ (Kannada)
- कश्मीरी (Kashmiri)
- मलयालम (Malayalam)
- मराठी (Marathi)
- उड़िया (Odia)
- पंजाबी (Punjabi)
- संस्कृत (Sanskrit)
- तमिल (Tamil)
- तेलुगू (Telugu)
- उर्दू (Urdu)
- सिंधी (Sindhi)
- कोंकणी (Konkani)
- मणिपुरी (Manipuri)
- नेपाली (Nepali)
- बोड़ो (Bodo)
- डोगरी (Dogri)
- मैथिली (Maithili)
- संथाली (Santhali)
9. नौवीं अनुसूची (Ninth Schedule)-
- नौवीं अनुसूची प्रथम संविधान संशोधन 1951 के द्वारा भारतीय संविधान में जोड़ी गई थी।
- भारतीय संविधान की नौवीं अनुसूची में अधिनियमों को न्यायिक पुनरावलोकन (न्यायिक समीक्षा) से संरक्षण प्रदान किया गया है।
- यदि किसी अधिनियम को भारतीय संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाता है तो उसका न्यायिक पुनरावलोकन नहीं किया जा सकता है।
- भारत में जमींदारी व्यवस्था को समाप्त करने तथा भूमि सुधारों को लागू करने के लिए नौवीं अनुसूची का प्रावधान किया गया है।
- आरम्भ में नौवीं अनुसूची में 13 अधिनियम थे परन्तु कालान्तर में नौंवी अनुसूची में 282 अधिनियम हो गये थे। या जोड़ दिये गये थे।
- आई. आर. कोएल्हो बनाम तमिलनाडु वाद 2007 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया था की 24 अप्रैल 1973 के बाद जो भी अधिनियम नौवीं अनुसूची में शामिल किये गये है उन अधिनियमों का न्यायिक पुनरावलोकन (न्यायिक समीक्षा) किया जा सकता है।
- 24 अप्रैल 1973 को केशवानन्द भारती वाद का निर्णय दिया गया था जिसमें न्यायिक पुनरावलोकन (न्यायिक समीक्षा) को संविधान का बुनियादी ढाँचा (मूल ढाँचा) माना गया था।
- भारत में बुनियादी ढाँचे की अवधारणा केशवानन्द भारती वाद के निर्णय के बाद ही अस्तित्व में आयी थी।
10. दसवीं अनुसूची (Tenth Schedule)-
- भारतीय संविधान की दसवीं अनुसूची दल बदल विरोधी प्रावधान से संबंधित है।
- दसवीं अनुसूची भारतीय संविधान में 52वें संविधान संशोधन 1985 के द्वारा संविधान में जोड़ी गई थी।
- दसवीं अनुसूची में दल बदल के आधार पर संसद तथा विधानसभा के सदस्यों की निरर्हता से संबंधित प्रावधान है।
91वां संविधान संशोधन 2003-
- भारतीय संविधान के 91वें संविधान संशोधन 2003 के द्वारा दसवीं अनुसूची में निम्नलिखित परिवर्तन किये गये थे।-
- (I) यदि कोई सदस्य चुनाव के पश्चात अपना दल बदलता है तो उस सदस्य की सदन की सदस्यता समाप्त हो जाएगी।
- (II) किसी भी दल के दो तिहाई सदस्य एक साथ किसी भी अन्य दल में विलय कर सकते हैं।
- (III) निर्दलीय सदस्य किसी भी दल में शामिल नहीं हो सकता है।
- (IV) मनोनित सदस्य 6 माह के अंदर किसी भी दल में शामिल हो सकते हैं।
- (V) यदि कोई सदस्य व्हिप (Whip) का उल्लंघन करता है तथा उसका राजनीतिक दल 15 दिन के भीतर उसे क्षमा नहीं करता है तो वह सदन की सदस्यता को खो देगा।
- (VI) सदस्यता का निर्णय लोकसभा के अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति या विधानसभा के अध्यक्ष के द्वारा किया जायेगा।
11. ग्यारहवीं अनुसूची (Eleventh Schedule)-
- ग्यारहवीं अनुसूची भारतीय संविधान के 73वें संविधान संशोधन अधिनियम 1992 के द्वारा संविधान में जोड़ी गयी थी।
- भारत में 73वां संविधान संशोधन सन् 1993 से लागू हुआ था।
- ग्यारहवीं अनुसूची में पंचायतों को दी गई शक्तियों व उत्तरदायित्वों का उल्लेख किया गया है।
- ग्यारहवीं अनुसूची में कुल 29 विषय पंचायतों को दिए गये है।
- राजस्थान में पंचायतों को 22 विषय दिये गये है।
12. बारहवीं अनुसूची (Twelfth Schedule)-
- बारहवीं अनुसूची भारतीय संविधान के 74वें संविधान संशोधन अधिनियम 1992 के द्वारा संविधान में जोड़ी गयी थी।
- भारत में 74वां संविधान संशोधन 1993 से लागू हुआ था।
- बारहवीं अनुसूची में नगरीय निकायों को दी गई शक्तियों व उत्तरदायित्वों का उल्लेख किया गया है।
- बारहवीं अनुसूची में कुल 18 विषय नगरीय निकायों को दिए गये है।