भारतीय संविधान का मूल ढांचा या बुनियादी ढांचा या मूल सिद्धांत (Basic Structure of Indian Constitution)-
- सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार संसद के द्वारा भारतीय संविधान के मूल ढांचे (मूल सिद्धांत) या बुनियादी ढांचे (बुनियादी सिद्धांत) में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। अर्थात् संसद मूल ढांचे या बुनियादी ढांचे के साथ किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं कर सकती है।
भारतीय संविधान के मूल ढांचे का उद्भव तथा विकास (Origin and Development of Basic Structure of Indian Constitution)-
- सर्वप्रथम केशवानंद भारती वाद 1973 में न्यायालय ने संविधान के मूल ढांचे की अवधारणा दी थी।
- केशवानंद भारती वाद में न्यायालय ने माना की संसद संविधान के किसी भी भाग में संशोधन कर सकती है यहाँ तक कि संसद मूल अधिकारों में भी कमी कर सकती है लेकिन संसद संविधान के मूल ढांचे से छेड़छाड़ नहीं कर सकती है। अर्थात् संविधान की मूलभूत विशेषताओं को परिवर्तित या समाप्त नहीं किया जा सकता है।
- न्यायालय के अनुसार संविधान का मूल ढांचा तथ्य नहीं है बल्कि मूल ढांचा एक अवधारणा है इसलिए न्यायालय समय-समय पर संविधान के मूल ढांचे की व्याख्या करता रहेगा तथा देश, काल एवं परिस्थिति के अनुसार मूल ढांचे की व्याख्या अलग हो सकती है।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने अपने विभिन्न निर्णयों में निम्नलिखित विशेषताओं को संविधान का बुनियादी ढांचा या मूल ढांचा माना है।-
- 1. संविधान की सर्वोच्चता।
- 2. संप्रभु, लोकतांत्रिक एवं गणराज्य स्वरूप वाली सरकार।
- 3. देश की एकता एवं अखण्डता।
- 4. संसदीय शासन व्यवस्था।
- 5. स्वतंत्र न्यायपालिका।
- 6. संविधान का पंथनिरपेक्ष स्वरूप।
- 7. संविधान का संघीय स्वरूप।
- 8. स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव प्रणाली।
- 9. न्यायिक पुनरावलोकन।
- 10. विधि का शासन।
- 11. विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका के मध्य शक्तियों का पृथक्करण।
- 12. मूल अधिकारों (मौलिक अधिकारों) एवं राज्य की नीति के निदेशक तत्वों के मध्य संतुलन।
- 13. न्याय तक प्रभावकारी पहुँच।
- 14. समता का सिद्धांत।
- 15. कल्याणकारी राज्य (सामाजिक आर्थिक न्याय)
- 16. संविधान में संशोधन करने की संसद की सीमित शक्ति।
- 17. व्यक्ति की स्वतंत्रता एवं गरिमा।
- 18. मूल अधिकारों (मौलिक अधिकारों) के मूलभूत सिद्धांत
- 19. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32, अनुच्छेद 136, अनुच्छेद 141 तथा अनुच्छेद 142 के अंतर्गत सर्वोच्च न्यायालय को प्राप्त शक्तियाँ।
- 20. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 तथा अनुच्छेद 227 के अंतर्गत उच्च न्यायालयों की शक्ति।