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संसद के प्रस्ताव (Motions of Parliament)

संसद के महत्वपूर्ण प्रस्ताव (Important Motions of Parliament)-

  • भारत की संसद में पेश किए जाने वाले प्रस्ताव के प्रकार निम्नलिखित है।-
  • (I) विश्वास प्रस्ताव (Confidence Motion)
  • (II) अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion)
  • (III) निंदा प्रस्ताव (Censure Motion)

  • (IV) स्थगन प्रस्ताव (Adjournment Motion)
  • (V) ध्यानाकर्षण प्रस्ताव (Calling Attention Motion)
  • (VI) अल्पकालिक चर्चा (Short Duration Discussion)

  • (VII) नियम 377 (Rule 377)
  • (VIII) समाप्ति प्रस्ताव (Closure Motion)
    • (अ) सामान्य समाप्ति प्रस्ताव (Simple Closure Motion)
    • (ब) कंगारू समाप्ति प्रस्ताव (Kangaroo Closure Motion)
    • (स) गिलोटिन समाप्ति (Guillotine Closure Motion)
  • (IX) धन्यवाद प्रस्ताव (Thanks Motion)


(I) विश्वास प्रस्ताव (Confidence Motion)-

  • लोकसभा में सत्ता पक्ष के द्वारा अपना बहुमत सिद्ध करने के लिए विश्वास प्रस्ताव पेश किया जाता है।
  • यदि विश्वास प्रस्ताव पारित नहीं होता है तो मंत्रिपरिषद को त्यागपत्र देना पड़ता है।
  • सामान्यतया गठबंधन की सरकार में विश्वास प्रस्ताव की आवश्यकता पड़ती है।
  • विश्वास प्रस्ताव केवल लोकसभा में पेश किया जाता है।


(II) अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion)-

  • अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा में विपक्ष के द्वारा लाया जाता है।
  • अविश्वास प्रस्ताव पर 50 सदस्यों के हस्ताक्षर होने चाहिए।
  • अविश्वास प्रस्ताव में अविश्वास का कारण बताने की आवश्यकता नहीं होती है।
  • अविश्वास प्रस्ताव किसी मंत्री विशेष के विरुद्ध नहीं लाया जा सकता है।
  • अविश्वास प्रस्ताव मंत्रिपरिषद के विरुद्ध ही लाया जाता है।
  • यदि अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाता है तो मंत्रिपरिषद को त्यागपत्र देना पड़ता है।

  • अविश्वास प्रस्ताव केवल लोकसभा में ही लाया जाता है।

(III) निंदा प्रस्ताव (Censure Motion)-

  • मंत्रिपरिषद केवल लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है इसलिए लोकसभा ही मंत्रिपरिषद की निंदा कर सकती है अतः निंदा प्रस्ताव केवल लोकसभा में लाया जाता है।
  • निंदा प्रस्ताव पर 50 सदस्यों के हस्ताक्षर होने चाहिए।
  • निंदा प्रस्ताव में निंदा का कारण बताना आवश्यक है।
  • निंदा प्रस्ताव किसी मंत्री विशेष या मंत्रियों के समूह या समस्त मंत्रिपरिषद के विरुद्ध भी लाया जा सकता है।
  • यदि निंदा प्रस्ताव पारित हो जाता है तो मंत्रिपरिषद को त्यागपत्र देने की आवश्यकता नहीं होती है।
  • निंदा प्रस्ताव केवल लोकसभा में ही लाया जा सकता है।

  • निंदा प्रस्ताव विपक्ष के द्वारा लाया जाता है।


(IV) स्थगन प्रस्ताव (Adjournment Motion)-

  • यदि देश में कोई बड़ी दुर्घटना घटित हो जाती है तो तत्काल उस पर चर्चा करने के लिए सदन की नियमित कार्यवाही को स्थगित करने के लिए स्थगन प्रस्ताव लाया जाता है।
  • स्थगन प्रस्ताव में निम्नलिखित विशेषताएं होनी चाहिए-
  • (अ) प्रस्ताव किसी एक ही विषय से संबंधित होना चाहिए।
  • (ब) कोई तात्कालिक विषय जिस पर तुरंत चर्चा जरुरी हो।
  • (स) विषय स्पष्ट व तथ्यपरक हो।
  • (द) जनहित से जुड़ा विषय हो।
  • स्थगन प्रस्ताव में सरकार की निंदा का अंश होता है इसलिए स्थगन प्रस्ताव को केवल लोकसभा में ही लाया जा सकता है।
  • स्थगन प्रस्ताव पर 50 सदस्यों के हस्ताक्षर होने चाहिए।

  • स्थगन प्रस्ताव केवल लोकसभा में ही लाया जाता है।

  • स्थगन प्रस्ताव विपक्ष के द्वारा लाया जाता है।


(V) ध्यानाकर्षण प्रस्ताव (Calling Attention Motion)-

  • यदि देश में कोई बड़ी दूर्घटना घटित होती है तो उस पर सदन एवं मंत्री का ध्यान आकर्षित करने के लिए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाया जाता है।
  • एक दिन में 2 ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाए जा सकते हैं।
  • एक ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में अधिकतम 5 सदस्यों के नाम हो सकते हैं।
  • ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में मंत्री केवल वक्तव्य देता है।
  • ध्यानाकर्षण प्रस्ताव विपक्ष के द्वारा लाया जाता है।
  • ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में चर्चा का प्रावधान नहीं है तथा मतदान भी नहीं होता है।
  • ध्यानाकर्षण प्रस्ताव भारतीय नवाचार है जो की 1954 से प्रारम्भ हुआ है।
  • सदन की प्रक्रिया के नियमों में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का उल्लेख किया गया है।
  • ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में सरकार की निंदा नहीं होती है इसलिए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव संसद के दोनों सदनों में पेश किया जा सकता है।


(VI) अल्पकालिक चर्चा (Short Duration Discussion)-

  • अल्पकालिक चर्चा की शुरुआत सन् 1953 में हुई थी।
  • अल्पकालिक चर्चा प्रस्ताव के तहत लोक महत्व के किसी विषय को उठाया जाता है।
  • अल्पकालिक चर्चा प्रस्ताव जिस सदस्य के द्वारा लाया जा रहा है उसके अलावा दो अन्य सदस्यों के हस्ताक्षर अल्पकालिक चर्चा प्रस्ताव पर होने चाहिए।
  • अल्पकालिक चर्चा के लिए कार्यमंत्रणा समिति (Business Advisory Committee) की सहमति आवश्यक होती है।
  • अल्पकालिक चर्चा प्रस्ताव पर चर्चा का समय लोकसभा में 2 घंटे तथा राज्यसभा में 2:30 घंटे निश्चित होता है इसलिए इसे अल्पकालिक चर्चा कहा जाता है।


(VII) नियम 377 (Rule 377)-

  • नियम 377 की शुरुआत सन् 1966 से हुई है।
  • नियम 377 लोकसभा का नियम है।
  • नियम 377 के तहत लोक महत्व के वे विषय जिन्हें प्रश्नकाल, ध्यानाकर्षण प्रस्ताव व अल्पकालीक चर्चा के दौरान नहीं उठाया गया है उन्हें नियम 377 के तहत उठाया जा सकता है।
  • नियम 377 में चर्चा के दौरान मंत्री का उपस्थित होना आवश्यक नहीं है तथा उसके द्वारा वक्तव्य देना भी आवश्यक नहीं है।
  • नियम 377 में प्रतिदिन 20 प्रश्नों या विषयों को उठाया जा सकता है।


(VIII) समाप्ति प्रस्ताव (Closure Motion)-

  • समाप्ति प्रस्ताव संसद में चर्चा को समाप्त करने के लिए लाया जाता है।
  • समाप्ति प्रस्ताव निम्नलिखित भागों में विभाजित किया गया है।-
  • (अ) सामान्य समाप्ति प्रस्ताव (Simple Closure Motion)

  • (ब) कंगारू समाप्ति प्रस्ताव (Kangaroo Closure Motion)

  • (स) गिलोटिन समाप्ति (Guillotine Closure Motion)


(अ) सामान्य समाप्ति प्रस्ताव (Simple Closure Motion)-

  • यदि किसी विधेयक पर चर्चा पूरी हो जाती है अर्थात् चर्चा के बिन्दुओं का दोहराव होने लगता है तो सामान्य समाप्ति प्रस्ताव के द्वारा चर्चा को समाप्त कर दिया जाता है।


(ब) कंगारू समाप्ति प्रस्ताव (Kangaroo Closure Motion)-

  • यदि संसद के पास समय का अभाव है और विधेयक के सभी बिन्दुओं पर चर्चा संभव नहीं है तो ऐसी स्थिति में अध्यक्ष सर्वदलीय बैठक बुलाता है और उस बैठक में कंगारू समाप्ति के लिए सहमति बनाता है।
  • कंगारू समाप्ति प्रस्ताव में विधेयक के केवल महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर चर्चा की जाती है और उसके बाद चर्चा समाप्त कर दी जाती है।
  • जब केवल महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की जाये एवं चर्चा को तय समय पर समाप्त कर दिया जाये तो यह कंगारू समाप्ति प्रस्ताव कहलाता है।


(स) गिलोटिन समाप्ति (Guillotine Closure Motion)-

  • यदि सदन के पास समय का अभाव है जिससे की सदन के सभी बिन्दुओं पर चर्चा संभव नहीं है तो इस स्थिति में पहले से ही चर्चा का समय निश्चित कर दिया जाता है और समय पूरा होने पर चर्चा को समाप्त कर दिया जाता है।


(IX) धन्यवाद प्रस्ताव (Thanks Motion)-

  • राष्ट्रपति के विशेष अभिभाषण के बाद सत्ता पक्ष के द्वारा संसद के दोनों सदनों में धन्यवाद प्रस्ताव रखा जाता है।
  • धन्यवाद प्रस्ताव को संसद के दोनों सदनों से पारित होना आवश्यक है लेकिन मुख्यतः लोकसभा से पास होना आवश्यक है।
  • यदि धन्यवाद प्रस्ताव पारित नहीं होता है तो मंत्रिपरिषद को त्यागपत्र देना पड़ा है।
  • धन्यवाद प्रस्ताव में संशोधन भी किया जा सकता है।

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