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वायुमंडल (Atmosphere)

वायुमंडल की परिभाषा (Definition of Atmosphere)-

    • पृथ्वी के चारों ओर पायी जाने वाली वायु की परत कों वायुमण्डल कहते हैं।


    वायुमण्डल (Atmosphere)-

    • गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational Force) के कारण वायुमण्डल पृथ्वी के चारों ओर बना है।

    • वायुमण्डल के मुख्य घटक जैसे-
      • (I) गैसें (Gases)
      • (II) जलवाष्प (Water Vapor)
      • (III) धूल कण (Dust Particle)


    (I) गैसें (Gases)-

    • वायुमण्डल में पायी जाने वाली प्रमुख गैसें निम्नलिखित है।-
      • नाइट्रोजन (Nitrogen)- 78%
      • ऑक्सीजन (Oxygen)- 21%
      • ऑर्गन (Argon)- 0.93%
      • कार्बन डाई ऑक्साइड (Carbon Dioxide)- 0.033%
    • हाइड्रोजन (Hydrogen), हीलियम (Helium), ओजोन (Ozone), निऑन (Neon), जिनोंन (Xenon) आदि गैसें वायुमण्डल में अल्प मात्रा में पायी जाती है।


    (II) जलवाष्प (Water Vapor)-

    • सर्वाधिक जलवाष्प वायुमण्डल की निचली परतों में पाया जाता है।
    • जलवाष्प बादल निर्माण एवं वर्षा के लिए आवश्यक होता है।
    • जलवाष्प का हरित गृह प्रभाव (Green house effect) भी रहता है।


    (III) धूल कण (Dust Particle)-

    • धूल के कण सौर विकिरण (Solar Radiation) का प्रकीर्णन (Scattering) करते हैं जिसके कारण आकाश में रंग नजर आते हैं।

    • वायुमण्डल में संघनन (Condensation) की क्रिया धूल के कणों के चारों ओर होती है। अतः धूल के कणों को आर्द्रताग्राही केंद्र (Hygroscopic Nuclei) कहते हैं।


    वायुमण्डल की संरचना (Structure of Atmosphere)-

    • वायुमण्डल में निम्नलिखित परतें पायी जाती है।-
      • 1. क्षोभमण्डल (Troposphere)
      • 2. समतापमण्डल (Stratosphere)
      • 3. मध्यमण्डल (Mesosphere)
      • 4. तापमण्डल (Thermosphere)


    1. क्षोभमण्डल (Troposphere)-

    • क्षोभमण्डल की ऊंचाई फिक्स नहीं है। क्योंकि भूमध्यरेखीय क्षेत्र (Equatorial Region) में क्षोभमण्डल की ऊंचाई अलग है तथा ध्रुवीय क्षेत्र (Polar Region) में क्षोभमण्डल की ऊंचाई अलग है।
    • वायु का गर्म होकर ऊपर उठना वायु का संवहन (Convection) कहलाता है।
    • वायु का ठंडा होकर नीचे उतरना वायु का अवतलन (Descending) कहलाता है।
    • विषुवत रेखीय क्षेत्र (Equatorial Region) में गर्म वायु के संवहन (Convection) के कारण क्षोभमण्डल की ऊंचाई 16 से 18 किलोमीटर पायी जाती है।
    • ध्रुवीय क्षेत्रों (Polar Region) में ठंडी वायु के अवतलन (Descending) के कारण क्षोभमण्डल की ऊंचाई 8 किलोमीटर पायी जाती है।
    • सभी मौसम परिघटनाएं क्षोभमण्डल में होती है।
    • क्षोभमण्डल में ऊंचाई के साथ एक निश्चित दर से तापमान कम होता है जिसे सामान्य तापमान पतन दर (Normal Temperature Lapse Rate) कहते हैं।
    • सामान्य तापमान पतन दर के अनुसार पृथ्वी की सतह से 1 किलोमीटर की ऊंचाई बढ़ने पर तापमान 6.5℃ कम हो जाता है।
    • क्षोममण्डल तथा समतापमण्ड के बीच क्षोभसीमा (Tropopause) स्थित है।


    2. समतापमण्डल (Stratosphere)-

    • पृथ्वी की सतह से ऊपर की ओर 10 किलोमीटर से 50 किलोमीटर की ऊंचाई तक का वायुमण्डल समतापमण्डल कहलाता है।
    • समतापमण्डल परत में मौसम परिघटनाएं ना के बराबर होती है। अतः समतापण्डल परत का उपयोग विमान उड़ान के लिए किया जाता है।
    • समतापमण्डल परत में 20 से 40 किलोमीटर के बीच ओजोन (Ozone) या ओजोन परत (Ozone Layer) पायी जाती है।
    • ओजोन की सर्वाधिक मात्रा 25 किलोमीटर की ऊंचाई पर पायी जाती है।
    • ओजोन सूर्य से आने वाली हानीकारक पराबैंगनी किरणों (U V Rays) का अवशोषण करती है। अतः ओजोन को पृथ्वी को सुरक्षा परत (Security Layer) कहते हैं।
    • समतापमंडल परत में ऊंचाई के साथ तामपमान बढ़ता है।
    • समतापमण्डल तथा मध्यमण्डल के बीच समताप सीमा (Stratopause) स्थित है।


    3. मध्यमण्डल (Mesosphere)-

    • पृथ्वी की सतह से ऊपर 50 किलोमीटर से 80 किलोमीटर की ऊंचाई तक का वायुमण्डल मध्यमण्डल कहलाता है। अर्थात् मध्यमण्डल परत 50 से 80 किलोमीटर की बीच पायी जाती है।
    • मध्यमंडल वायुमण्डल की सबसे ठंडी परत है।
    • मध्यमंडल परत में ऊंचाई बढ़ने पर तापमान कम होता है।
    • मध्यमंडल में 80 किलोमीटर ऊंचाई पर तापमान -100℃ हो जाता है।
    • मध्यमंडल परत में प्रवेश करने पर घर्षण (Friction) के कारण उल्का (Meteors) जल जाते हैं।
    • मध्यमण्डल तथा तापमण्डल के बीच मध्यसीमा (Mesopause) स्थित है।

    • उल्का (Meteoroid) को पृथ्वी सतह पर टकराने के बाद उल्का पिंड कहा जाता है। अर्थात् उल्का वायुमण्डल में ही नष्ट हो जाते है तो उन्हे उल्का ही कहा जाता है लेकिन पृथ्वी की सतह से टकराने पर उल्का को उल्का पिंड (Meteorite) कहा जाता है।


    4. तापमण्डल (Thermosphere)-

    • पृथ्वी की सतह से ऊपर की ओर जाने पर 80 किलोमीटर से 10,000 किलोमीटर की ऊंचाई तक का वायुमण्डल तापमण्डल कहलाता है।
    • तापमंडल परत में ऊंचाई के साथ तापमान बढ़ता है।
    • तापमण्डल परत को दो उप-परतों में विभाजित किया गया है जैसे-
      • (I) आयनमण्डल (Ionosphere)- 80 किलोमीटर से 640 किलोमीटर तक की ऊंचाई तक
      • (II) बहिर्मण्डल (Exosphere)- 640 किलोमीटर से 10,000 किलोमीटर तक की ऊंचाई तक

    • आयनमंडल तथा बहिर्मंडल को संयुक्त रूप से तापमंडल कहा जाता है।


    (I) आयनमण्डल (Ionosphere)- 

    • पृथ्वी के सतह से ऊपर की ओर जाने पर 80 से 640 किलोमीटर के बीच आयनमंडल परत पायी जाती है।
    • आयनमण्डल परत में सूर्य के प्रकाश के कारण आवेशित कणों का निर्माण होता है। इन आवेशित कणों को आयन (Ion) कहते हैं।
    • आयनमण्डल परत रेडियों तरगों (Radio Waves) का परावर्तन (Reflection) करती है। अतः आयनमण्डल परत का उपयोग दूरसंचार सेवाओं के लिए किया जाता है।
    • सूर्य से आने वाले इलेक्ट्रॉन (Electron) ध्रवीय क्षेत्रों के ऊपर आयनमण्डल (Ionosphere) में प्रवेश करते हैं तथा ऑक्सीजन (Oxygen) के परमाणु को अतिरिक्त ऊर्जा प्रदान करते हैं। ऑक्सीजन का परमाणु उत्तेजित (Excited) हो जाता है। तथा फोटोन (Photon) के रूप में ऊर्जा का उत्सर्जन (Excretion) करता है।
    • फोटोन के कारण ध्रुवीय प्रकाश (Polar Light) का निर्माण होता है। जिसे अरोरा या ऑरोरा (Aurora) कहा जाता है।
    • अरोरा का ध्रुवीय ज्योति के नाम से भी जाना जाता है।
    • अरोरा का निम्नलिखित क्षेत्रों के अनुसार अलग अलग नाम से जाना जाता है।-
      • (अ) उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र में अरोरा को ऑरोरा बोरियालिस (Aurora Borealis) कहते हैं।
      • (ब) दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में अरोरा को ऑरोरा ऑस्ट्रेलिस (Aurora Australis) कहते हैं।
    • ऑक्सीजन (Oxygen) के अलावा नाइट्रोजन (Nitrogen), हाइड्रोजन (Hydrogen) व हिलियम (Helium) के कारण भी अरोरा बनते हैं। लेकिन सर्वाधिक अरोरा ऑक्सीजन के कारण ही बनते हैं।


    (II) बहिर्मण्डल (Exosphere)-

    • बहिर्मण्डल परत में वायु की सांद्रता (Concentration) सबसे कम पायी जाती है।
    • बहिर्मण्डल परत में ऊंचाई के साथ तापमान बढ़ता है।
    • अंत में अर्थात् बहिर्मण्डल परत के बाद वायुमण्डल अंतरिक्ष में विलीन हो जाता है।

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