ग्राम न्यायालय (Gram Nyayalayas)-
- भारत में सन् 2008 में ग्राम न्यायालयों के लिए ग्राम न्यायालय अधिनियम 2008 (Gram Nayalayas Act, 2008) पारित किया गया।
- भारत में सन् 2009 में ग्राम न्यायालयों की स्थापना की गई। अर्थात् भारत में 2009 में पहला ग्राम न्यायालय स्थापित किया गया था।
- उच्च न्यायालय (High Court) की अनुमति से राज्य सरकार (State Government) ग्राम न्यायालय की स्थापना करती है तथा ग्राम न्यायालय में प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट को नियुक्त करती है।
- ग्राम न्यायालय एक भ्रमणशील न्यायालय (Mobile Court) है।
- ग्राम न्यायालय आपराधिक (Criminal) व दीवानी (Civil) दोनों प्रकार के मुकदमें सुनता है।
- अपील दाखिल होने के 6 माह के भीतर मामले की सुनवाई तथा निस्तारण किया जाएगा।
- ग्राम न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध एक माह में अपील की जा सकती है। फौजदारी मामलें में निर्णय के विरुद्ध सत्र न्यायालय में तथा दीवानी मामलों में निर्णय के विरुद्ध जिला न्यायालय में अपील की जा सकती है।
- भारत में ग्राम न्यायालय अधिक सफल नहीं रहे है।
- 1. नागरिकों को उनके द्वार पर न्याय उपलब्ध करवाना।
- 2. यह सुनिश्चित करना कि कोई भी नागरिक अपनी सामाजिक, आर्थिक व अन्य अशक्ताओं के कारण न्याय प्राप्त करने के अवसरों से वंचित ना रहे।
- 3. ग्राम पंचायत स्तर तक न्यायालय को पहुँचाना।