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लोक अदालत (Lok Adalat)

लोक अदालत (Lok Adalat)-

  • भारत के संविधान के अनुच्छेद 39 (A) में समान न्याय व निःशुल्क विधिक सहायता का उल्लेख किया गया है।
  • सन् 1980 में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश पी.एन. भगवती (P. N. Bhagwati) ने समिति का गठन किया।
  • सन् 1982 में गुजरात में लोक अदालत की स्थापना की गई थी।
  • सन् 1987 में संसद ने वैधानिक सेवाएं प्राधिकरण अधिनियम (Legal Services Authorities Act.) पारित किया तथा इस अधिनियम के तहत लोक अदालत को वैधानिक दर्जा दिया गया और राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) का गठन किया गया।

  • लोक अदालत में आने वाले मामले (Cases in the Lok Adalat)-
    • (I) किसी भी प्रकार का मामला हो
    • (II) मामला किसी भी न्यायालय में चल रहा हो
    • (III) मामले का पूरा खर्च विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा
  • लोक अदालतों की स्थापना निम्नलिखित के द्वारा की जा सकती है।-

    • (I) सर्वोच्च न्यायालय का वैधानिक सेवाएं प्राधिकरण (Supreme Court Legal Services Authority)
    • (II) उच्च न्यायालय (High Court)
    • (III) राज्य सरकार (State Government)

  • लोक अदालतें गाँधीवादी दर्शन पर आधारित है।
  • लोक अदालत वैकल्पिक विवाद समाधान का एक अंग है।
  • भारतीय न्यायालयों में लंबित मुकदमों की भरमार है और लोक अदालतें त्वरित तथा किफायती न्याय का एक वैकल्पिक समाधान उपलब्ध करवाती है।
  • लोक अदालतों का उद्देश्य लंबित मामलों को निपटाना अर्थात् लम्बे समय से विचाराधीन मामलों को निपटाना है।
  • कोई मामला सीधे लोक अदालत में भी ले जा सकते हैं।
  • दोनों पक्षों की सहमति के बाद किसी मुकदमे को लोक अदालत में लाया जाता है।
  • लोक अदालत में किसी तरह का न्यायालय शुल्क अथवा स्टाम्प नहीं लगता है।
  • लोक अदालत में दोनों पक्षों के मध्य समझौता करवाया जाता है।
  • लोक अदालत द्वारा दिया गया निर्णय अंतिम होता है।
  • लोक अदालत द्वारा दिए गये निर्णय को चुनौती नहीं दी जा सकती है।
  • लोक अदालत में कानूनों का सख्ती से पालन नहीं किया जाता है।
  • लोक अदालत की प्रक्रिया रिकॉर्ड की जाती है।
  • शमनीय (क्षमा योग्य) आपराधिक मामले को आपसी समझौते द्वारा निपटारे की अनुमति के बाद लोक अदालत में लाया जा सकता है।
  • सन् 2002 में विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम (Legal Service Authority Act) में संशोधन कर स्थायी लोक अदालत का प्रावधान भी शामिल किया गया।


राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (National Legal Services Authority- NALSA)

  • NALSA Act 1987 को पारित किया गया था।
  • NALSA का पूरा नाम अंग्रेजी में = National Legal Services Authority 
  • NALSA का पूरा नाम हिन्दी में = राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण

  • विधिक सेवा प्राधिकरण के तीन स्तर है। जैसे-

    • (I) राष्ट्रीय स्तर- राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (National Legal Services Authority)
    • (II) राज्य स्तर- राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (State Legal Services Authority)
    • (III) जिला स्तर- जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (District Legal Services Authority)
  • राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण का प्रमुख सर्वोच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश (CJI) होता है।
  • राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण का प्रमुख उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश होता है।
  • जिला विधिक सेवा प्राधिकरण का प्रमुख जिला न्यायाधीश होता है।
  • 9 नवम्बर 1995 को NALSA अधिनियम (NALSA Act.) लागू किया गया था।

  • 9 नवम्बर 1995 को NALSA अधिनियम भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश (CJI) आर. एन. मिश्रा (R. N. Mishra) द्वारा लागू किया गया था।

  • भारत में 9 नवम्बर को NALSA अधिनियम लागू होने के कारण ही भारत में प्रतिवर्ष 9 नवम्बर के दिन विधिक सेवा दिवस मनाया जाता है।
  • सन् 1998 में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) ने कार्य करना प्रारम्भ कर दिया था।

  • सन् 1998 में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के प्रमुख भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश (CJI) ए. एस. आनंद (A. S. Anand) थे।

  • NALSA के द्वारा 'न्याय दीप' (Nyaya Deep) नामक एक समाचार पत्र जारी किया जाता है।

  • राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) का कार्य कमजोर लोगों को निःशुल्क विधिक सेवा प्रदान करना तथा लोक अदालत का संचालन करना।

  • राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के तहत निम्नलिखित कमजोर व्यक्तियों को निशुल्क विधिक सेवा प्रदान की जाती है।-
    • (I) अनुसूचित जाति (Scheduled Caste- SC)
    • (II) अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribes- ST)
    • (III) अनुच्छेद 23 के अनुसार पीड़ित (Aggrieved as per Article 23)
    • (IV) महिला एवं बच्चे (Women and Children)
    • (V) मानसिक रूप से बीमार (Mentally ill)
    • (VI) आपदा से ग्रसित (Affected by Calamity)
    • (VII) औद्योगिक श्रमिक (Industrial Labourers)
    • (VIII) हिरासत में हो (Under Custody)

    • (IX) गरीब (आय-आय का पेमाना राज्य द्वारा निर्धारित किया जायेगा)

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