महाधिवक्ता (Advocate General)-
- महाधिवक्ता का पद एक संवैधानिक पद है।
- महाधिवक्ता का संवैधानिक प्रावधान भारत के संविधान के अनुच्छेद 165 में दिया गया है।
- महाधिवक्ता का प्रावधान राज्य पुर्नगठन अधिनियम 1956 में भी किया गया है।
- महाधिवक्ता का उल्लेख भारतीय संविधान के अनुच्छेद 177 में भी मिलता है।
- महाधिवक्ता का पद एक सरकारी पद नहीं है। क्योंकि महाधिवक्ता अपनी निजी वकालत अनवरत कर सकता है।
- राजस्थान में पहली बार सन् 1957 में महाधिवक्ता को नियुक्त किया गया था।
- सन् 1957 में राजस्थान का पहला महाधिवक्ता गुलाब चंद कासलीवाल (Gulab Chand Kasliwal) को बनाया गया था।
योग्यता (Qualification)-
- महाधिवक्ता की योग्यताएं राज्य उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समान।
- राज्य उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के योग्यताओं का उल्लेख भारतीय संविधान के अनुच्छेद 217 में किया गया है। जैसे-
- (I) भारत का नागरिक हो।
- (II) उच्च न्यायालय में वकील के रूप में न्यूनतम 10 वर्ष का अनुभव या जिला न्यायाधीश के रूप में 10 वर्ष का अनुभव हो।
नियुक्ति (Appointment)-
- राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री व मंत्रिपरिषद की सिफारिश पर महाधिवक्ता की नियुक्ति की जाती है।
कार्यकाल (Tenure)-
- राज्यपाल के प्रसादपर्यंत महाधिवक्ता अपने पद पर बना रहता है।
निष्कासन या पद से हटाना (Removal or Termination)-
- महाधिवक्ता को पद से हटाने या निष्कासन का अधिकार राज्यपाल को है। (राज्य सरकार की सलाह से)
वेतन (Salary)-
- महाधिवक्ता का वेतन राज्यपाल द्वारा निर्धारित किया जाता है।
शपथ (Oath)-
- महाधिवक्ता को शपथ राज्यपाल या राज्यपाल द्वारा नामिक किसी व्यक्ति के द्वारा दिलाई जाती है।
महाधिवक्ता के कार्य (Functions of Advocate General)-
- राज्य सरकार को कानूनी सलाह प्रदान करना।
- राज्य सरकार का विभिन्न न्यायालयों में प्रतिनिधित्व करना या पक्ष रखना।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 177 के तहत राज्य विधानसभा की बैठकों में भाग लेना।
- महाधिवक्ता राज्य विधानमंडल की समितियों का सदस्य भी बन सकता है।
1. जी.सी. कासलीवाल (G.C. Kasliwal)-
- पूरा नाम- गुलाब चंद कासलीवाल (Gulab Chand Kasliwal)
- कार्यकाल- 1957-1972 ई. (15 वर्ष)
- राजस्थान के प्रथम महाधिवक्ता
- राजस्थान में महाधिवक्ता के रूप में सर्वाधिक कार्यकाल।
- राजस्थान विधानसभा के सदस्य (Member of the Legislative Assembly/ MLA) भी रह चुके है।
- जयपुर नगर निगम के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। (1946 ई.)
2. एल.एम. सिंघवी (L.M. Singhvi)-
- पूरा नाम- लक्ष्मी मल्ल सिंघवी (Laxmi Mall Singhvi)
- कार्यकाल- 1972-1977 ई.
- संसद के दोनों सदनों (लोकसभा व राज्यसभा) के सदस्य रह चुके हैं।
- ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त रह चुके है।
- पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किए जा चुके है।
- लोकपाल व लोकायुक्त का नामकरण किया था।
- पंचायती राज संस्थाओं (PRI) पर बनी समिति के अध्यक्ष रह चुके हैं। (एल. एम. सिंघवी समिति 1986)
महाधिवक्ता के रूप में तीन कार्यकाल-
- बी.पी. अग्रवाल (B.P. Agaewal) राजस्थान में तीन बार महाधिवक्ता रह चुके है। अर्थात् बी.पी. अग्रवाल राजस्थान एकमात्र ऐसे महाधिवक्ता के जो तीन बार राजस्थान के महाधिवक्ता रह चुके है।
महाधिवक्ता के रूप में दो कार्यकाल-
- एस.एम. मेहता (S.M. Mehta) राजस्थान में दो बार महाधिवक्ता रह चुके है।
- श्री नरपत मल लोढ़ा (Shri Narpat Mal Lodha /N.M. Lodha) राजस्थान में दो बार महाधिवक्ता रह चुके है।
कार्यवाहक महाधिवक्ता (Acting Advocate General)-
- राजस्थान में अब तक केवल एक बार कार्यवाहक महाधिवक्ता नियुक्ति किया गया है।
- राजस्थान के प्रथम कार्यवाहक महाधिवक्ता श्री ए.के. माथुर (Shri A.K. Mathur) है।
- राजस्थान के एकमात्र कार्यवाहक महाधिवक्ता श्री ए.के. माथुर (Shri A.K. Mathur) है।
वर्तमान महाधिवक्ता (Current Advocate General)-
- राजस्थान में वर्तमान महाधिवक्ता श्री एम.एस. सिंघवी (Shri M.S. Singhvi) है।
- एम.एस. सिंघवी जनवरी 2019 से राजस्थान के महाधिवक्ता है।
- लक्ष्मी मल्ल सिंघवी राजस्थान के जोधपुर जिले के रहने वाले है।
- राजस्थान में महाधिवक्ता का कार्यलाय जोधपुर जिले में स्थित है।
महाधिवक्ता से संबंधित महत्वपूर्ण अनुच्छेद-
- अनुच्छेद 165 (1)- महाधिवक्ता हेतु योग्यता एवं नियुक्ति प्रक्रिया का उल्लेख
- अनुच्छेद 165 (2)- महाधिवक्ता के कार्यों का उल्लेख
- अनुच्छेद 165 (3)- महाधिवक्ता के कार्य पारिश्रमिक (Salary) व कार्यकाल का उल्लेख
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य (Other Important Facts)-
- महाधिवक्ता को विधायक (MLA) के समान विशेषाधिकार व उन्मुक्तियां प्राप्त है।