बिजौलिया किसान आंदोलन (Bijolia Kisan Movement/ Bijolia Peasant Movement)- राजस्थान में किसान आंदोलन
- बिजौलिया मेवाड़ रिसायत का प्रथम श्रेणी ठिकाना था।
- मेवाड़ रियासत में कुल 16 ठिकाने थे।
- राणा सांगा ने अशोक परमार को ऊपरमाल की जागीर दी थी।
- अशोक परमार जगनेर (उत्तर प्रदेश) का रहने वाला था।
- बिजौलिया ऊपरमाल की जागीर का मुख्यलाय था।
- अशोक परमार के खानवा के युद्ध में भाग लिया था।
- बिजोलिया किसान आंदोलन के समय मेवाड़ के राजा महाराणा फतेह सिंह थे।
बिजोलिया किसान आंदोलन के कारण-
- 1. 84 प्रकार के कर
- 2. अधिक भू राजस्व
- 3. लाटा-कून्ता व्यवस्था
- 4. बेगार व्यवस्था
- 5. चंवरी कर
- 6. तलवार बंधाई कर
- 1903 ई. में बिजोलिया के सामंत कृष्ण सिंह ने चंवरी कर लगाया था।
- चंवरी कर किसानों से उनकी लड़कियों की शादी के समय लिया जाता था।
- तलवार बंधाई कर (Talwar Bandhai Tax) नये सामंत द्वारा राजा को दिया जाता था लेकिन 1906 ई. में पृथ्वी सिंह ने तलवार बंधाई कर किसानों पर लगा दिया था।
- पृथ्वी सिंह (Prithvi Singh) बिजोलिया का सामंत था।
- कृष्ण सिंह की मृत्यु के बाद पृथ्वी सिंह बिजोलिया का सामंत बना था।
बिजोलिया किसान आंदोलन के चरण-
- बिजौलिया किसान आंदोलन कुल 3 चरणों में सम्पन हुआ था। जैसे-
- 1. बिजोलिया किसान आंदोलन का पहला चरण (1897-1914 ई.)
- 2. बिजोलिया किसान आंदोलन का दूसरा चरण (1914-1923 ई.)
- 3. बिजोलिया किसान आंदोलन का तीसरा चरण (1923-1941 ई.)
1. बिजोलिया किसान आंदोलन का प्रथम चरण (1897-1914 ई.)-
- बिजोलिया किसान आंदोलन का प्रथम चरण 1897 ई. से लेकर 1914 ई. तक चला था।
- धाकड़ किसानों ने गिरधरपुरा नामक गाँव से बिजौलिया किसान आंदोलन प्रारम्भ किया था। अर्थात् बिजौलिया किसान आंदोलन के प्रथम चरण की शुरुआत धाकड़ किसानों द्वारा गिरधरपुरा गाँव से की गई थी।
- गिरधरपुर गाँव बिजौलिया ठिकाने में स्थित था।
- साधु सीताराम दास के कहने पर नान जी पटेल तथा ठाकरी पटेल किसानों की समस्याओं के साथ मेवाड़ के महाराणा फतेह सिंह से मिले।
- महाराणा फतेह सिंह ने हामिद नामक जाँच अधिकारी नियुक्त किया।
- साधु सीताराम दास बिजौलिया में एक लाइब्रेरियन था।
- बिजोलिया किसान आंदोलन के प्रथम चरण में किसानों को अधिक सफलता नहीं मिली।
- स्थानीय नेताओं ने बिजोलिया किसान आंदोलन के प्रथम चरण का नेतृत्व किया जैसे-
- (I) प्रेमचन्द भील (Premchand Bhil)
- (II) फतेहकरण चारण (Fatehkaran Charan)
- (III) ब्रह्मदेव (Brahmadev)
2. बिजोलिया किसान आंदोलन का दूसरा चरण (1914-1923 ई.)-
- बिजौलिया किसान आंदोलन का दूसरा चरण 1914 ई. से लेकर 1923 ई. तक चला था।
- साधु सीताराम दास के कहने पर विजय सिंह पथिक बिजोलिया किसान आंदोलन के दूसरे चरण में आंदोलन से जुड़े।
- विजय सिंह पथिक उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे।
- विजय सिंह पथिक ओछड़ी गाँव में स्कूल चला रहे थे।
- ओछड़ी गाँव राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित है।
ऊपरमाल पंच बोर्ड (Uparmal Panch Board)-
- संस्थापक- विजय सिंह पथिक
- स्थापना- 1917 ई. (हरियाली अमावस्या)
- स्थान- बैरीसाल गाँव
- अध्यक्ष- मन्ना पटेल
- विजय सिंह पथिक ने ऊपरमाल सेवा समिति का गठन भी किया था।
- विजय सिंह पथिक ने ऊपरमाल का डंका नामक पर्चा प्रकाशित किया था।
- विजय सिंह पथिक की प्रेरणा से माणिक्य लाल वर्मा आंदोलन में शामिल हो गये थे।
- माणिक्य लाल वर्मा पहले बिजौलिया ठिकाने की नोकरी करते थे।
- विजय सिंह पथिक के कहने पर बाल गंगाधर तिलक ने 1919 ई. के कांग्रेस के अमृतसर अधिवेशन में बिजौलिया आंदोलन के पक्ष में प्रस्ताव रखा।
- गाँधी जी ने इस प्रस्ताव का विरोध किया था।
- 1920 ई. के कांग्रेस के नागरपुर अधिवेशन में किसानों ने एक प्रदर्शनी का आयोजन किया।
- इस अधिवेश में गांधी जी ने आंदोलन को नैतिक समर्थन दिया।
- बिजौलिया ठिकाने ने दो जाँच आयोग गठित किये। जैसे-
- (I) बिन्दुलाल भट्टाचार्य आयोग 1919
- (II) राज सिंह बेदला आयोग 1920
बिजोलिया किसान आंदोलन समझौता- 1922 ई.
- 1922 ई. में अंग्रेजों के हस्तक्षेत के कारण अंग्रेजों के साथ एक समझौता किया गया-
- समझौते में अंग्रेजों की तरफ से निम्नलिखित शामिल हुए-
- (I) रॉबर्ट हॉलेंड (Robert Holand)- (A.G.G)
- (II) बिलकिन्स (Wilkins)- (P.A)
- (III) अगल्वी (Agalvi)- (A.G.G का सचिव)
- समझौते में राजा की तरफ से निम्नलिखित-मंत्री शामिल हुए-
- (I) प्रभाष चन्द्र चटर्जी (Prabhash Chandra Chatarji)
- (II) बिहारीलाल (Biharilal)
- समझौते में किसानों की तरफ से निम्नलिखित शामिल हुए-
- (I) मोतीराम (Motiram)
- (II) नारायण पटेल (Narayan Patel)
- (III) रामनारायण चौधरी (Ramnarayan Choudhary)
- (IV) माणिक्य लाल वर्मा (Manikyalal Verma)
- इस समझौते के तहत किसानों के 84 करों में से 35 कर माफ कर दिये गये।
- बिजौलिया के सामंत केशरी सिंह ने इस समझौते को लागू नहीं किया।
- पृथ्वी सिंह के बाद बिजोलिया का सामंत केशरी सिंह बना था।
3. बिजोलिया किसान आंदोलन का तीसरा चरण (1923-1941 ई.)-
- बिजौलिया किसान आंदोलन का तीसरा चरण 1923 ई. से लेकर 1941 ई. तक चला था।
- भूमि बंदोबस्त अधिकारी ट्रेंच ने असिंचित भूमि पर कर बढ़ा दिया।
- विजय सिंह पथिक के कहने पर किसानों ने अपनी असिंचित भूमि बिजोलिया के सामंत केशरी सिंह को वापस लौटा दी तथा सामंत ने इस भूमि को जब्त कर लिया।
- 1927 ई. में विजय सिंह पथिक आंदोलन से अलग हो गये।
- गाँधी जी ने जमना लाल बजाज को आंदोलन के लिए भेजा।
- जमना लाल बजाज ने हरिभाउ उपाध्याय को आंदोलन का नेता नियुक्त किया।
- 1941 ई. में मेवाड़ के प्रधानमंत्री वी राघवाचारी (V. Raghvacharri) व राजस्व मंत्री मोहन सिंह मेहता ने किसानों के साथ एक समझौता करवाया तथा जब्त भूमि किसानों को वापस दे दी गई।
- वी राघवाचारी भारतीय संविधान सभा के सदस्य भी थे।
- वी राघवाचारी (विजय राघवाचारी) को संविभान सभा में उदयपुर से चुना गया था।
उमाजी का खेड़ा (Umaji ka Khera)-
- उमाजी का खेड़ा में माणिक्य लाल वर्मा एक स्कूल या विद्यालय संचालित करते थे।
- उमाजी का खेड़ा नामक स्थान बिजौलिया किसान आंदोलन से जुड़ा हुआ था।
बिजेलिया किसान आंदोलन का महत्व-
- बिजोलिया किसान आंदोलन राजस्थान का पहला संगठित किसान आंदोलन था।
- बिजोलिया किसान आंदोलन विश्व का सबसे लम्बा अहिंसक आंदोलन था।
- बिजोलिया किसान आंदोलन ने राजस्थान को राष्ट्रीय आंदोलन से जोड़ा।
- बिजोलिया किसान आंदोलन ने राजस्थान के अन्य आंदोलन के लिए प्रेरणा स्रोत का कार्य किया।
- आंदोलन के दौरान किसाने ने बाहरी धन ग्रहण नहीं किया अतः यह किसानों के स्वाभिमान को दर्शाता है।
- आंदोलन ने किसानों में राजनीतिक चेतना का संचार किया।
- आंदोलन में महिलाओं ने भी बढ़ चढ़ कर भाग लिया जिससे महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिला। जैसे-
- (I) अंजना देवी (Anjana Devi)
- (II) रमा देवी (Rama Devi)
- बिजोलिया किसान आंदोलन पर रूस की बोल्शेविक क्रांति का प्रभाव था।
- रूस में बोल्शेविक क्रांति सन् 1917 में हुई थी।
- कई राजनैतिक संगठनों ने बिजोलिया किसान आंदोलन को समर्थन दिया था। जैसे-
- (I) राजस्थान सेवा संघ (Rajasthan Seva Sangh)
- (II) राजपूताना मध्य भारत सभा (Rajputana Madhya Bharat Sabha)
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य-
- बाल गंगाधर तिलक तथा गांधी जी ने मेवाड़ महाराणा फतेह सिंह को पत्र लिखे थे।
- बाल गंगाधर तिलक ने अपने मराठा समाचार पत्र में बिजौलिया किसान आंदोलन के पक्ष में एक लेख लिखा था।
- गणेश शंकर विद्यार्थी अपने 'प्रताप' नामक समाचार पत्र में बिजोलिया किसान आंदोलन की खबरे प्रकाशित करते थे।
- प्रताप एक साप्ताहिक समाचार पत्र था।
- प्रताप समाचार पत्र कानपुर से प्रकाशित होता था।
- विजय सिंह पथिक ने गणेश शंकर विद्यार्थी को चाँदी के राखी भेजी थी।
- प्रेमचंद जी का रंगभूमि उपन्यास बिजौलिया किसान आंदोलन पर आधारित है।
- माणिक्य लाल वर्मा का गीत पंछीडा बिजोलिया किसान आंदोलन पर आधारित है।
- विजय सिंह पथिक का गीत पीड़ितो का पंछीडा बिजोलिया किसान आंदोलन पर आधारित है।
- भंवरलाल जी ने भी अपने गीतों से किसानों को प्रोत्साहित किया।