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विधिक अधिकार (Legal Rights)

विधिक अधिकार (Legal Rights)-

  • राजस्थान में अब तक आम नागरिकों को दो विधिक अधिकार दिए गये है। जैसे-
  • 1. राजस्थान लोक सेवा गारंटी अधिनियम, 2011 (Rajasthan Guaranteed Delivery of Public Services Act, 2011)
  • 2. राजस्थान सुनवाई का अधिकार अधिनियम, 2012 (Rajasthan Right to Hearing Act, 2012)


1. राजस्थान लोक सेवा गारण्टी अधिनियम, 2011 (Rajasthan Guaranteed Delivery of Public Services Act, 2011)-

  • राज्यपाल द्वारा अनुमति (Assent by Governor)- राजस्थान में राज्यपाल द्वारा 'राजस्थान लोक सेवा गारण्टी अधिनियम' (Rajasthan Guaranteed Delivery of Public Services Act, 2011) को 21 सितम्बर, 2011 को अनुमति प्रदान की गई थी।
  • राजस्थान में क्रियान्वयन (Execution in Rajasthan)- राजस्थान में राजस्थान लोक सेवा गारण्टी अधिनियम (Rajasthan Guaranteed Delivery of Public Services Act, 2011) को 14 नवम्बर, 2011 को लागू किया गया था।

  • राजस्थान लोक सेवा गारंटी अधिनियम जिस समय लागू हुआ था तब राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत (Shri Ashok Gehlot) थे।


मुख्य विशेषताएं या प्रावधान (Main Features or Provisions)-

  • 1. राजस्थान लोक सेवा गारण्टी कानून, नागरिक अधिकार पत्र (Citizen's Charter) का विस्तार है।
  • 2. जब इस कानून को लागू किया गया उस समय इसमें 15 विभाग तथा 15 विभागों की 108 सेवाएं शामिल थी।
  • 3. वर्तमान में इस कानून में 27 विभाग तथा 27 विभागों की 287 सेवाएं शामिल है।
  • 4. इस कानून में सरकारी कार्यालय द्वारा सेवाओं का प्रदर्शन या उल्लेख नोटिस बोर्ड (Notice Board) पर करना होगा।
  • 5. सरकारी कार्यलय या विभाग (Public Office or Department) द्वारा आवेदक (Applicant) को आवेदन (Application) के पश्चात रसीद या पावती (Acknowledgement) देनी होगी।

  • रसीद या पावती में समयावधि का उल्लेख करना अनिवार्य है।

  • 6. समयावधि की गणना में राजकीय अवकाश को शामिल नहीं किया जाएगा।
  • 7. आवेदक (Applicant) लोक सेवक (Civil Servant) के विरुद्ध 30 दिवस में प्रथम अपील अधिकार या प्रथम अपीलीय प्राधिकारी (First Appellate Authority) को अपील कर सकता है। (प्रथम अपील अधिकारी को अपील का निस्तारण 21 दिन में करना होगा।)
  • 8. प्रथम अपील अधिकारी (First Appellate Authority) के निर्णय के विरुद्ध द्वितीय अपील अधिकारी या द्वितीय अपीलीय प्राधिकारी (Second Appellate Authority) को 60 दिवस में अपील की जा सकती है।
  • 9. प्रथम व द्वितीय अपील अधिकारी को सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 (Code of Civil Procedure 1908) के तहत विभिन्न शक्तियाँ प्राप्त है।
  • 10. जुर्माने के प्रवाधान-
  • (I) सेवा में देरी पर 250-5000 (250 रूपये प्रतिदिन व 5000 रुपये अधिकतम) तक जुर्माना लगाया जा सकता है।
  • (II) सेवा प्रदान करने से इनकार करने पर 500-5000 रुपये (500 रुपये प्रतिदिन व 5000 अधिकतम) तक जुर्माना लगाया जा सकता है।
  • 11. सिविल न्यायालय की अधिकारिता को वर्जित किया गया है।
  • 12. लोक सेवक व प्रथम अपील अधिकारी उस आयोग या प्राधिकरण में अपील कर सकेगे जो राज्य सरकार द्वारा निर्धारित किया गया है।


कमियाँ (Drawbacks)-

  • 1. जागरुकता का अभाव
  • 2. जटिल शब्दावली
  • 3. प्रथम व द्वितीय अपील अधिकारी के रिक्त पद
  • 4. जुर्माने के प्रावधान अत्यधिक साधारण (अधिकतम 5000 रुपये)
  • 5. प्रथम व द्वितीय अपील अधिकारी एक ही विभाग या पदसोपान से होना
  • 6. अपील निस्तारण में दिया गया 21 दिन का समय अधिक है।


2. राजस्थान सुनवाई का अधिकार अधिनियम, 2012 (Rajasthan Right to Hearing Act, 2012)-

  • राज्यपाल द्वारा अनुमति (Assent by Governor)- राजस्थान में राज्यपाल द्वारा 'राजस्थान सुनवाई का अधिकार अधिनियम' (Rajasthan Right to Hearing Act) को 21 मई, 2012 को अनुमति प्रदान की गई थी।

  • राजस्थान में क्रियान्वयन (Execution in Rajasthan)- राजस्थान में राजस्थान सुनवाई का अधिकार अधिनियम (Rajasthan Right to Hearing Act) को 1 अगस्त, 2012 को लागू किया गया था।

  • राजस्थान सुनवाई का अधिकार अधिनियम जिस समय लागू हुआ था उस समय राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत (Shri Ashok Gehlot) थे।


    मुख्य विशेषताएं या प्रावधान (Main Features or Provisions)-

    • 1. राजस्थान सुनवाई का अधिकार कानून, नागरिक अधिकार पत्र (Citizen's Charter) का विस्तार है।
    • 2. लोक सुनवाई अधिकारी (Public Hearing Officer- PHO) का प्रावधान
    • 3. कानून के प्रचार प्रसार हेतु हेल्प डेस्क एवं सुविधा केंद्रों की स्थापना के प्रावधान
    • 4. आवेदक या अपील कर्ता 15 दिवस में लोक सुनवाई अधिकारी को अपील कर सकता है।
    • 5. अपील सादा या साधारण कागज पर की जा सकती है।
    • 6. अपीलकर्ता लोक सुनवाई अधिकारी के निर्णय के विरुद्ध 30 दिवस में प्रथम अपील अधिकारी को अपील कर सकता है। (प्रथम अपील अधिकारी को अपील का निस्तारण 21 दिन में करना होगा।)
    • 7. प्रथम अपील अधिकारी के निर्णय के विरुद्ध 30 दिवस में द्वितीय अपील अधिकारी को अपील की जा सकती है।
    • 8. प्रथम व द्वितीय अपील अधिकारी को सिविल प्रक्रिया संहित (CPC) 1908 के तहत विभिन्न शक्तियाँ प्राप्त है।
    • 9. सिविल न्यायालय की अधिकारिता को वर्जित किया गया है।
    • 10. जुर्माने के प्रावधान (Penalty Provision)- 500 रुपये से लेकर 5000 रुपये तक (500 रुपये प्रतिदिन व 5000 रुपये अधिकतम)
    • 11. विभिन्न समितियां- उपखंड व जिला स्तर पर जैसे-
    • (I) उपखंड स्तरीय जन शिकायत एवं सतर्कता समिति- अध्यक्ष उपखंड अधिकारी (Chairperson= SDO/Sub Divisional Officer)
    • (II) जिला स्तरीय जन शिकायत एवं सतर्कता समिति- अध्यक्ष जिला कलेक्टर (Chairperson= District Collector)


    कमियाँ (Drawbacks)-

    • 1. जागरुकता का अभाव
    • 2. जटिल शब्दावली
    • 3. प्रथम व द्वितीय अपील अधिकारी के रिक्त पद
    • 4. जुर्माने के प्रावधान अत्यधिक साधारण (अधिकतम 5000 रुपये)
    • 5. प्रथम व द्वितीय अपील अधिकारी एक ही विभाग या पदसोपान से होना
    • 6. अपील निस्तारण में दिया गया 21 दिन का समय अधिक है।


    अन्य महत्वपूर्ण तथ्य (Other Important Facts)-

    • द्वितीय अपील अधिकार शिकायत का निस्तारण कितने दिन में करेगा एक्ट में इसका कोई उल्लेख नहीं किया गया है।

    • लोक सेवा गांरटी कानून भारत में पहली बार 14 अगस्त 2010 को मध्यप्रदेश में लागू किए गये थे।

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