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राजस्थान के प्रमुख जनजातीय आंदोलन (Major Tribal Movement of Rajasthan)

राजस्थान में जनजातीय आंदोलन (Tribal Movement in Rajasthan)-

  • राजस्थान के प्रमुख जनजातीय आंदोलन (Major Tribal Movement of Rajasthan)

  • राजस्थान में जनजातीय आंदोलन के कारण (Causes of Tribal Movement in Rajasthan)


राजस्थान के प्रमुख जनजातीय आंदोलन (Major Tribal Movement of Rajasthan)-

  • 1. भगत आंदोलन (Bhagat Movement)

  • 2. एकी आंदोलन (Eki Movement) या भोमट भील आंदोलन (Bhomat Bhil Movement)
  • 3. सिरोही का एकी आंदोलन (Eki Movement of Sirohi)
  • 4. मीणा आंदोलन (Meena Movement)


1. भगत आंदोलन (Bhagat Movement)-

  • वागड़ क्षेत्र में भील जनजाति द्वारा भगल आंदोलन प्रारम्भ किया गया था।


राजस्थान में भगत आंदोलन के नेता-

  • (I) गोविन्द गुरु (Govind Guru)

  • (II) सुरजी भगत (Suraji Bhagat)


(I) गोविन्द गुरु (Govind Guru)-

  • डूंगरपुर के वेदसा नामक गाँव के एक बंजारा (Banjara) परिवार में गोविन्द गुरु का जन्म हुआ था।
  • गोविन्द गुरु दयानंद सरस्वती से प्रभावित थे।
  • आदिवासियों को हिन्दू धर्म में रखने के लिए गोविन्द गुरु ने भगत पंथ की स्थापना की थी।
  • गोविन्द गुरु ने भीलों का नैतिक एवं आध्यात्मिक उत्थान किया।
  • भीलों में आपसी एकता को बढ़ाने के लिए 1883 ई. में गोविन्द गुरु के द्वारा सम्प सभा की स्थापना की गई।
  • गाँवों में कोतवालों की नियुक्तियां की गई तथा पंचायते स्थापित की गई।
  • 1903 ई. में बांसवाड़ा जिले की मानगढ़ पहाड़ी पर सम्प सभा का प्रथम अधिवेशन हुआ।
  • 1908 ई. में गोविन्द गुरु ईडर (गुजरात) चले गये तथा भीलों में राजनीतिक चेतना का संचार किया।
  • 1910 ई. में पालपट्टा के सामंत को भीलों के साथ एक समझौता करना पड़ा इस समझौते में 21 शर्तें थी।
  • पालपट्टा नामक स्थान गुजरात के ईडर में स्थित है।
  • 1910 ई. में सम्प सभा ने 33 मांगे सरकार (अंग्रेज या राजा) के सामने रखी लेकिन सरकार ने इन मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया।


मानगढ़ हत्याकांड (17 नवम्बर 1913 ई.)-

  • सम्प सभा के अधिवेशन पर पुलिस द्वारा फायरिंग की गई थी तथा इसमें 1500 से अधिक भील शहीद हुए थे।
  • मानगढ़ हत्याकांड को राजस्थान का जलियावाला बाग हत्याकांड कहा जाता है।
  • गोविन्द गुरु तथा पूंजा धीरजी को गिरफ्तार कर लिया गया।
  • 7 वर्ष बाद गोविन्द गुरु को रिहा कर दिया गया।
  • गोविन्द गुरु ने अपना शेष जीवन काम्बिया गाँव में शांतिपूर्ण तरीके से गुजारा।
  • काम्बिया गाँव गुजरात में स्थित है।
  • गोविन्द गुरु अहिंसा के समर्थक थे।
  • गोविन्द गुरु का सफेद झंडा शांति का प्रतीक था।


2. एकी आंदोलन (Eki Movement) या भोमट भील आंदोलन (Bhomat Bhil Movement)-

  • एकी आंदोलन को ही भोमट भील आंदोलन कहा जाता है।

  • भोमट क्षेत्र (गोगुन्दा, कोटड़ा, झाड़ोल- उदयपुर) भील व गरासिया जनजाति द्वारा एकी आंदोलन किया गया।
  • एकी आंदोलन चित्तौड़गढ़ के मातृकुंडिया नामक स्थान से प्रारम्भ हुआ था।
  • गोकुल जी जाट ने भी एकी आंदोलन को समर्थन दिया था।
  • गोकुल जी जाट मेवाड़ में खालसा क्षेत्र के आंदोलन के नेता थे।
  • एकी आंदोलन के दौरान मोतीलाल तेजावत ने 21 मांगे सरकार (राजा या अंग्रेजों) के सामने रखी थी। इन मांगों को मेवाड़ की पुकार कहा जाता है।
  • सरकार ने इन मांगों को स्वीकार नहीं किया।
  • धीरे-धीरे एकी आंदोलन अन्य क्षेत्रों में भी फेल गया था। जैसे-
  • (I) वागड़ (डुंगरपुर, बांसवाड़ा)
  • (II) सिरोही (राजस्थान)
  • (III) ईडर (गुजरात)
  • (IV) विजयनगर (गुजरात)


राजस्थान में एकी आंदोलन के नेता-

  • एकी आंदोलन के नेता मोतीलाल तेजावत थे।


मोतीलाल तेजावत-

  • मोतीलाल तेजावत का जन्म उदयपुर के कोल्यारी गाँव के ओसवाल परिवार में हुआ था।
  • मोतीलाल तेजावत झाड़ोल ठिकाने में कार्य करते थे।

  • मोतिलाल तेजावत को आदिवासियों का मसीहा कहा जाता है।

  • आदिवासि मोतिलाल तेजावत को बावजी कहते थे।


नीमडा हत्याकांड (6 मार्च 1922 ई.)-

  • भीलों की सभा पर पुलिस द्वारा 6 मार्च 1922 ई. को फायरिंग की गई तथा इस फायरिंग में 1200 से अधिक भील शहीद हुए।
  • मोतीलाल तेजावत फरार हो गये।
  • 1929 ई. में गांधी जी के कहने पर मोतीलाल तेजावत ने ईडर में आत्मसमर्पण कर दिया।
  • 1936 ई. में मणिलाल कोठारी के हस्तक्षेप से महाइन्द्राज सभा ने मोतिलाल तेजावत को रिहा कर दिया।
  • मोतिलाल तेजावत ने अपना शेष जीवन गांधीजी के रचनात्मक कार्यक्रमों में बिताया।


महाइन्द्राज सभा-

  • महाइन्द्राज सभा मेवाड़ का सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) था।
  • 1880 ई. में महाराणा सज्जन सिंह ने महाइन्द्राज सभा की स्थापना की थी।
  • महाइन्द्राज सभा को इजलास खास के नाम से जाना जाता है।


3. सिरोही का एकी आंदोलन (Eki Movement of Sirohi)-

  • सिरोही का एकी आंदोलन भील व गरासिया जनजाति द्वारा किया गया था।
  • सिरोही के एकी आंदोलन के नेता मोतिलाल तेजावत थे।
  • सिरोही के आदिवासी मोतिलाल तेजावत को मेवाड़ का गांधी कहते थे।
  • ईडर प्रजामंडल ने सिरोही के एकी आंदोलन को समर्थन दिया।
  • किसानों (जनजातियों) को समझाने के लिए सिरोही के दीवान रमाकान्त मालवीय ने विजय सिंह पथिक को बुलाया।
  • विजय सिंह पथिक ने मोतिलाल तेजावत तथा किसानों (जनजातियों) से मुलाकात की।


सिरोही के एकी आंदोलन के दौरान हत्याकांड-

  • सिरोही के एकी आंदोलन के दौरान सिरोही के सियावा गाँव में 12 अप्रैल 1922 ई. को फायरिंग हुई।
  • सिरोही के एकी आंदोलन के दौरान सिरोही के भूला तथा बालोलिया गाँव में 5 व 6 मई 1922 ई. को फायरिंग हुई।


4. मीणा आंदोलन (Meena Movement)-

  • 1924 ई. में आपराधिक जनजाति अधिनियम पारित किया गया तथा इसमें मीणा जनजाति को शामिल किया गया।
  • 1930 ई. में जरायम पेशा अधिनियम पारित किया गया तथा इस अधिनियम के तहत प्रत्येक मीणा महिला तथा पुरुष के लिए थाने में हाजरी लगाना अनिवार्य किया गया।
  • मीणा जनजाति ने इन अधिनियम या कानूनों का विरोध किया तथा आंदोलन प्रारम्भ किया।


राजस्थान में मीणा आंदोलन के नेता-

  • (I) महादेव राम
  • (II) जवाहर राम
  • (III) छोटू राम


मीणा क्षेत्रीय महासभा-

  • राजस्थान में मीणा आंदोलन के दौरान 1933 ई. में मीणा क्षेत्रीय महासभा का गठन किया गया।


नीम का थाना सम्मेलन- 1944 ई.

  • संत मगन सागर ने नीम का थाना सम्मेलन का आयोजन किया।
  • संत मगन सागर ने मीन पुराण नामक पुस्तक लिखी।
  • मीन पुराण नामक पुस्तक में मीणा जनजाति का गौरवशाली इतिहास बताया गया।


मीणा सुधार समिति- 1944 ई.

  • राजस्थान में मीणा सुधार समिति की स्थापना 1944 ई. में की गई थी।
  • मीणा सुधार समिति के सदस्य-
  • (I) बंशीधर शर्मा
  • (II) लक्ष्मीनारायण झरवाल
  • (III) राजेन्द्र कुमार अजेय


बागावास सम्मेलन- 28 अक्टूबर 1946 ई.

  • बागावास सम्मेलन 28 अक्टूबर 1946 को जयपुर जिले के बागावास गाँव में आयोजित किया गया था।
  • बागावास गाँव राजस्थान के जयपुर में स्थित है।
  • 26000 चौकीदार मीणाओं ने अपने पदों से इस्तीफे दे दिये तथा इसे मुक्ति दिवस के रूप में मनाया।
  • 1952 ई. में जरायम पेशा अधिनियम समाप्त कर दिया गया।


राजस्थान में जनजातीय आंदोलन के कारण (Causes of Tribal Movement in Rajasthan)-

  • 1. जनजातियां नयी अंग्रेजी प्रशासनिक व्यवस्था को समझ नहीं पायी थी तथा इस व्यवस्था में जनजातियों का शोषण होता था।
  • 2. जनजातियों की परम्परागत कृषि को समाप्त कर दिया गया था।
  • 3. भू राजस्व बहुत अधिक था तथा भू राजस्व नकदी में लिया जाता था अतः जनजातियां साहूकारों के चंगुल में फस गई थी।
  • 4. जनजातियों द्वारा लिए जाने वाले बोलाई कर तथा रखवाली कर समाप्त कर दिए गये थे। (कर्नल जेम्स टॉड)
  • 5. जनजातिय क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए नई सेनाएं तेनात की गई थी तथा इन सेनाओं का खर्च जनजातियों पर डाल दिया गया था। जैसे-
    • (I) मेरवाड़ा बटालिया (Merwara Battalion)
    • (II) मेवाड भील कोर (Mewar Bhilcorps)
  • 6. जनजातियों के वन अधिकार समाप्त कर दिये गए थे।
  • 7. जनजातियों के परम्परागत न्याय व्यवस्था में हस्तक्षेप किया गया था। जैसे-
    • (I) मौताणा व्यवस्था- मौताणा व्यवस्था समाप्त कर दी गई
  • 8. जनजातियों के सामाजिक रिति रिवाजों में हस्तक्षेत्र किया गया था। जैसे-
    • (I) 1853 ई. में मेवाड़ महाराणा स्वरूप सिंह ने डाकन प्रथा पर रोक लगा दी थी।
  • 9. ईसाई मिशनरियों ने जनजातियों की धार्मिक व्यवस्था में हस्तक्षेप किया था।
  • 10. नई आबकारी नीति के तहत जनजातियों के महुआ से बनी शराब पर रोक लगा दी गई।
  • 11. 1881 ई. की पहली जनगणना के दौरान कुछ अफवाओं के कारण जनजातियों में आक्रोश था।


मेरवाड़ा बटालिया (Merwara Battalion)-

  • स्थापना- 1822 ई.

  • मुख्यालय- ब्यावर (Beawar), अजमेर


मेवाड भील कोर (Mewar Bhilcorps)-

  • स्थापना- 1841 ई.

  • मुख्यालय- खैरवाड़ा (Kharirwara)

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