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राज्य मानवाधिकार आयोग (State Human Rights Commission- SHRC)

राज्य मानवाधिकार आयोग (State Human Rights Commission- SHRC)-

  • राज्य मानवाधिकार आयोग एक सांविधिक आयोग या वैधानिक आयोग (Statutory Commission) है।
  • SHRC Full Form = State Human Right Commission
  • SHRC का पूरा नाम = राज्य मानवाधिकार आयोग


स्थापना (Establishment)-

  • राज्य मानवाधिकार आयोग की स्थापना 'मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993' () के तहत की गई है। धारा 21 के तहत
  • राज्य मानवाधिकार आयोग की स्थापना की अधिसूचना 18 जनवरी 1999 को जारी हुई थी।
  • राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग की स्थापना 23 मार्च 2000 को की गई थी।


संरचना (Structure)-

  • राज्य मानवाधिकार आयोग में कार्यरत उच्च अधिकारी से निम्न अधिकारी तक क्रमशः-
  • 1. अध्यक्ष (Chairperson)- 1 अध्यक्ष
  • 2. सदस्य (Member)- 2 सदस्य (मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम 2006 द्वारा)
  • 3. सचिव (Secretary)- IAS अधिकारी
  • 4. उपसचिव (Deputy Secretary)- RAS अधिकारी
  • राज्य मानवाधिकार आयोग में सदस्यों के समान जाँच दल भी होता है।
  • राज्य मानवाधिकार आयोग में जाँच दल का प्रमुख IG (Inspector General) रेंक का पुलिस अधिकारी होता है।
  • सन् 2006 तक राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग में सदस्यों की संख्या 4 थी। अर्थात् मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम 2006 द्वारा राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग में सदस्यों की संख्या 4 से घटाकर 2 कर दी गई थी।


योग्यता (Qualification)-

  • अध्यक्ष (Chairperson)- राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग में अध्यक्ष पद के लिए किसी भी राज्य के उच्च न्यायालय का सेवानिवृत या कार्यरत न्यायाधीश होना चाहिए। (सन् 2019 से)
  • सदस्य (Member)- 
  • राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग में 2 सदस्य है। जैसे-
  • पहला सदस्य (First Member)-  राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग में सदस्य पद के लिए उच्च न्यायालय का सेवानिवृत न्यायाधीश (Retired Judge of High Court) या जिला न्यायाधीश (District Judge) होना चाहिए।  (जिला न्यायाधीश के रूप में न्यूनतम 7 वर्ष का अनुभव/ Minimum experience of 7 years as a District Judge)
  • दूसरा सदस्य (Second Member)- राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग में सदस्य पद के लिए वह व्यक्ति जिसे मानवाधिकारों का विशेष ज्ञान हो राज्य मानवाधिकार आयोग में सदस्य नियुक्ति किया जा सकता है। (a person who has special knowledge or expertise in human rights)
  • यदि किसी उच्च न्यायालय के कार्यरत न्यायाधीश को राज्य मानवाधिकार आयोग में अध्यक्ष या सदस्य नियुक्त करना है तो उस से पहले उसी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से अनुमति लेनी आवश्यक है।


नियुक्ति (Appointment)-

  • राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्त राज्यपाल द्वारा एक समिति की सिफारिश पर (Appointment by Governor on the recommendation of a committee) की जाती है।
  • समिति की संरचना (Composition of Committee)-
  • समिति में निम्नलिखित सदस्य होते हैं।-
  • 1. मुख्यमंत्री (Chief Minister/ CM)- अक्ष्यक्ष (Chairperson)
  • 2. विधानसभा अध्यक्ष (Speaker of Legislative Assembly)
  • 3. विधानसभा में विपक्ष का नेता (Leader of Opposition in Legislative Assembly)
  • 4. गृह मंत्री (Home Minister)
  • यदि राज्य में द्विसदनात्मक व्यवस्था का प्रावधान हो जैसे (विधानसभा व विधानपरिषद) तो निम्नलिखित सदस्य भी समिति में शामिल होते हैं।
  • 1. विधानपरिषद के सभापति (Chairperson of Legislative Council)
  • 2. विधानपरिषद में विपक्ष का नेता (Leader of Opposition in Legislative Council)
  • यदि किसी राज्य में द्विसदनात्मक व्यवस्था (विधानसभा व विधानपरिषद) है। तो उस राज्य में राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति करने वाली समिति में कुल 6 सदस्य (1 अध्यक्ष + 5 सदस्य) होते हैं। 
  • यदि किसी राज्य में एकल सदनात्मक व्यवस्था (विधानसभा) है। तो उस राज्य में राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति करने वाली समिति में कुल 4 सदस्य (1 अध्यक्ष + 3 सदस्य) होते हैं।


कार्यकाल (Tenure)-

  • राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग में अध्यक्ष व सदस्यों का कार्यकाल 3 वर्ष या 70 वर्ष की आयु है इसमें से जो भी पहले हो।


वेतन व भत्ते (Salary or Allowances)-

  • अध्यक्ष (Chairperson)- राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग में अध्यक्ष के वेतन व भत्ते उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of High Court) के समान है।
  • सदस्य (Member)- राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग में सदस्यों के वेतन व भत्ते उच्च न्यायालय के न्यायाधीश (Judge of High Court) के समान है।


त्यागपत्र या इस्तीफा (Resignation Letter)-

  • राज्य मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष व सदस्य अपना त्यागपत्र या इस्तीफा राज्यपाल को देते हैं।


निष्कासन (Termination)-

  • राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों को राष्ट्रपति द्वारा सर्वोच्च न्यायालय की जाँच के पश्चात निष्कासित किया जा सकता है।
  • निष्कासन के आधार या कारण निम्नलिखित है।- 
    • 1. कदाचार या दुर्व्यवहार
    • 2. असमर्थता
    • 3. दिवालियापन (Bankruptcy)
    • 4. नैतिक पतन (Moral Fall)
    • 5. लाभ का पद (Office of Profit)
  • उपर्युक्त दोनों मामलों (कदाचार या दुर्व्यवहार, असमर्थता) में निष्कासन से पहले सर्वाच्च न्यायालय से जाँच करवायी जाती है यदि जाँच में दोषी पाए जाते हैं तो राष्ट्रपति द्वारा निष्कासित किया जाता है।
  • उपर्युक्त तीनों मामलों (दिवालियापन, नैतिक पतन, लाभ का पद) में राष्ट्रपति द्वारा बिना किसी जाँच के सीधा पद से हटाया जा सकता है।


वार्षिक प्रतिवेदन (Annual Report)-

  • राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग अपना वार्षिक प्रतिविदेन (Annual Report) राज्य सरकार को सौंपता है।


मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की महत्वपूर्ण धाराएं (Section)-

  • धारा 21- मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा 21 में आयोग का संगठन या संरचना का उल्लेख किया गया है।
  • धारा 22- मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा 22 में आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है।
  • धारा 23- मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा 23 में आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों की निष्कासन प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है।
  • धारा 24- मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा 24 में आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों के कार्यकाल का उल्लेख किया गया है।
  • धारा 25- मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा 25 में आयोग के सदस्य को राज्यपाल द्वारा कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में नियुक्त करने का उल्लेख किया गया है।
  • धारा 26- मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा 26 में आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों के वेतन भत्ते का उल्लेख किया गया है।
  • धारा 28- मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा 28 में आयोग के वार्षिक प्रतिवेदन का उल्लेख किया गया है।
  • धारा 33- मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा 33 में आयोग कि वित्तीय स्वायत्तता का उल्लेख किया गया है।


राज्य मानवाधिकार आयोग के कार्य एवं भूमिका (Function and Role of State Human Rights Commission)

  • 1. लोक सेवकों के विरुद्ध मानवाधिकार उलंघन से संबंधित शिकायते प्राप्त करना। (राज्य व समवर्ती सूची के विषयों पर)
  • 2. आयोग को सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के अनतर्ग निम्नलिखित शक्तियाँ प्राप्त है।-
  • (I) लोक सेवक को समन या नोटिस जारी करना। (Issue summons/ notice to civil servant)
  • (II) लोक सेवक को गवाही हेतु बुलाना। (to call civil servant for evidence)
  • (III) किसी सरकारी कार्यालय से सरकारी दस्तावेज प्राप्त करना। (to receive public document from any government office or any public office)
  • (IV) लोक सेवक का शपथ पत्र पर बयान लेना (to record the statement of civil servant on affidavit)
  • 3. आयोग जाँच के पश्चात-
  • (I) लोक सेवक के विरुद्ध राज्य सरकार को अनुशासनात्मक कार्यवाही की सिफारिश करना।
  • (II) राज्य सरकार को पीड़ित हेतु क्षतिपूर्ति या मुवाजे की सिफारिश करना।
  • (III) न्यायालय में पीड़ित की ओर से अपील करना
  • (IV) लोक सेवक के विरुद्ध राज्य सरकार को जुर्माने की सिफारिश करना।
  • 4. राज्य के जेलो, थानों व मानसिक पुनर्वास केंद्रों (Mental Rehabilitation Center) का निरिक्षण करना।
  • 5. न्यायालय की अनुमति से, न्यायालय में विचाराधीन मामलों की सुनवाई करना।
  • 6. मानवाधिकार संरक्षण हेतु कार्य करने वाले गैर सरकारी संगठनों को प्रोत्साहित करना।
  • 7. मानवाधिकार क्षेत्र में जागरूकता हेतु सेमिनार व कांफ्रेंसों का आयोजन करवाना।
  • 8. राज्य सरकार को वार्षिक प्रतिवेदन सौंपना।
  • 9. मानवाधिकार संरक्षण में बाधक तत्वों की पहचान करना।
  • 10. जिले में जिला मानवाधिकार इकाई की स्थापना करना।


पत्रिका (Magazine or Newsletter)-

  • राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग द्वारा 'मानवाधिकार संदेश' (Manvadhikar Sandesh) नामक पत्रिका (Magazine or Newsletter) प्रकाशिक किया जाता है।


वे मामले जो राज्य मानवाधिकार आयोग के क्षेत्राधिकार से बाहर है।-

  • 1. 1 वर्ष से पुराने मामले
  • 2. यदि शिकायत अस्पष्ट हो।
  • 3. यदि मामला किसी न्यायालय में विचाराधीन है।
  • 4. यदि मामला किसी अन्य आयोग में विचाराधीन या लंबित है। जैसे- राज्य महिला आयोग (State Commission for Women)
  • 5. यदि शिकायत सैन्य प्रशासन से संबंधित हो।
  • 6. व्यक्तिगत मामले या विवाद मामले।
  • 7. यदि शिकायत लोक सेवक के विरुद्ध ना हो।
  • 8. संघ सूची से संबंधित मामले।


राज्य मानवाधिकार आयोग की कमियाँ (Drawbacks of State Human Rights Commission)-

  • 1. राज्य मानवाधिकार आयोग भी एक सलाहकारी आयोग (Advisory Commission) है।
  • 2. राज्य मानवाधिकार आयोग को 1 वर्ष से पुराने मामलों में जाँच का अधिकार नहीं है।
  • 3. राज्य मानवाधिकार आयोग को सैन्य प्रशासन से संबंधित मामलों में भी जाँच का अधिकार नहीं है।
  • 4. राज्य विधानसभा में आयोग के वार्षिक प्रतिवेदन पर किसी प्रकार का विचार विमर्श नहीं होता है।
  • 5. राज्य मानवाधिकार आयोग को स्थानीय पुलिस के सहयोग का अभाव है।
  • 6. राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों के पद रिक्त रहना।
  • 7. राज्य मानवाधिकार आयोग में शिकायतें अत्यधिक लंबित रहना।


राज्य मानवाधिकार आयोग में सुधार या आगे की राह (Reforms or way forward in State Human Right Commission)-

  • 1. राज्य मानवाधिकार आयोग की सलाह राज्य सरकार के लिए बाध्यकारी होनी चाहिए।
  • 2. यदि सरकार राज्य मानवाधिकार आयोग की सलाह ना माने तो एक माह के अंदर जवाब देना चाहिए।
  • 3. राज्य मानवाधिकार आयोग को 1 वर्ष से पूराने मामलों में भी जाँच का अधिकार दिया जाना चाहिए।
  • 4. आयोग को सैन्य प्रशासन से संबंधित मामलों में भी जाँच का अधिकार दिया जाना चाहिए।
  • 5. राज्य मानवाधिकार आयोग में अत्यधिक लंबित मामले होने के कारण सरकार का समय पर राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति करनी चाहिए।
  • 6. राज्य मानवाधिकार आयोग के वार्षिक प्रतिवेदन पर विधानसभा में विचार विमर्श होना चाहिए ताकि आयोग में सुधार किये जा सके।
  • 7. सरकार द्वारा स्थानीय पुलिस को ऐसे निर्देश दे जिससे स्थानीय पुलिस राज्य मानवाधिकार आयोग को सहयोग करे।


मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम 2019 के मुख्य प्रावधान (Major Provisions of Human Right Protection (Amendment) Act 2019)-

  • 1. आयोग का अध्यक्ष किसी भी राज्य उच्च न्यायालय का सेवानिवृत या कार्यरत न्यायाधीश हो सकता है। (2019 से पहले अध्यक्ष पद के लिए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को नियुक्ति किया जाता था।)
  • 2. राज्य मानवाधिकार आयोग में तीसरे सदस्य का प्रावधान किया गया है जो की एक महिला होगी।
  • 3. राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों का कार्यकाल 3 वर्ष व 70 वर्ष की आयु किया गया। (2019 से पहले राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्ष व 70 वर्ष की आयु था।)
  • 4. राज्य मानवाधिकार आयोग में पदेन सदस्यों का प्रावधान किया गया। पदेन सदस्य जैसे-
    • (I) राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग का अध्यक्ष (State Scheduled Tribe Commission Chairperson)
    • (II) राज्य अनुसूचित जाति आयोग का अध्यक्ष (State Scheduled Castes Commission Chairperson)
    • (III) राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष (State Other Backward Classes Commission Chairperson)
    • (IV) राज्य अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष (Chairperson of State Minorities Commission)
    • (V) राज्य महिला आयोग का अध्यक्ष (Chairperson, Commission for Women)
    • (VI) राज्य बाल संरक्षण आयोग का अध्यक्ष (Chairperson of State Child Protection Commission)
    • (VII) राज्य दिव्यांग बोर्ड का आयुक्त (Commissioner of State Board of Disabilities)

  • 5. राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों की पुनः नियुक्ति का प्रावधान किया गया है।
  • 6. राज्य मानवाधिकार आयोग में सदस्यों की संख्या बढ़ाकर 3 कर दी गई (2019 से पहले सदस्यों की संख्या 2 थी।)
  • 7. आयोग में वर्तमान 3 सदस्यों में एक महिला सदस्य होना अनिवार्य है।


अन्य महत्वपूर्ण तथ्य (Other Important Facts)-

  • प्रावधान- मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 के तहत ही केंद्र में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन किया गया है तथा राज्यों में राज्य मानवाधिकार आयोग का गठन किया गया है।

  • राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग के गठन के लिए 18 जनवरी 1999 को अधिसूचना जारी हुई थी लेकिन राजस्थान में राज्य मानवाधिका आयोग का गठन 23 मार्च 2000 में किया गया था।
  • राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग ने 23 मार्च 2000 के कार्य करना प्रारम्भ किया था।
  • राजस्थान में वर्तमान में केवल 2 ही सदस्य नियुक्त किए गये है। अर्थात् महिला सदस्य का पद रिक्त है।
  • राज्य मानवाधिकार आयोग में केवल लोक सेवक के विरुद्ध ही शिकायत की जा सकती है। अन्य किसी के विरुद्ध शिकायत नहीं की जा सकती है।
  • राज्य मानवाधिकार आयोग बिना किसी अपील के बिना किसी शिकायत के ही मामले की सुनवाई कर सकता है।

  • राजस्थान सरकार द्वारा राज्य मानवाधिकार आयोग नियम विनियम (Rules and Regulations of State Human Rights Commission) 2001 में बनाये गये थे। अर्थात् राजस्थान सरकार ने राजस्थान मानवाधिकार आयोग के लिए नियम विनियम 2001 में बनाये थे।

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