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पंचायती राज संस्थाओं पर बनी समितियां (Committees on Panchayati Raj Institutions)

पंचायती राज संस्थाओं पर बनी समितियां (Committees on Panchayati Raj Institutions/PRI)-

  • 1. बलवंतराय मेहता समिति (Balwant Rai Mehta Committee)
  • 2. अशोक मेहता समिति (Ashok Mehta Committee)
  • 3. जी.वी.के. राव समिति (G.V.K. Rao Committee)
  • 4. एल.एम. सिंघवी समिति (L.M. Singhvi Committee)
  • 5. गाडगिल समिति (Gadgil Committee)
  • 6. थुंगन समिति (Thungon Committee)


1. बलवंतराय मेहता समिति (Balwant Rai Mehta Committee)-

  • गठन-  बलवंतराय मेहता समिति का गठन 1957 ई. में किया गया था।
  • बलवंतराय मेहता समिति की सिफारिशे निम्नलिखित है।-
  • (I) पंचायती राज की त्रिस्तरीय प्रणाली को अपनाया जाना चाहिए। जैसे-
    • (A) जिला परिषद
    • (B) पंचायत समिति
    • (C) ग्राम पंचायत
  • (II) जिला परिषद का अध्यक्ष जिला कलेक्टर को बनाया जाना चाहिए।
  • (III) पंचायती राज संस्थाओं की नोडल एजेंसी (Nodal Agency) या कार्यान्वयनकर्ता एजेंसी पंचायत समिति को बनाया जाना चाहिए।


2. अशोक मेहता समिति (Ashok Mehta Committee)-

  • गठन- अशोक मेहता समिति का गठन 1977 ई. में किया गया था।
  • अशोक मेहत समिति की सिफारिशे निम्नलिखित है।-
  • (I) पंचायती राज की द्विस्तरीय व्यवस्था को अपनाया जाना चाहिए। जैसे-
    • (A) जिला परिषद
    • (B) मंडल पंचायत
  • (II) पंचायती राज संस्थाओं को संविधान में स्थान दिया जाना चाहिए।
  • (III) पंचायती राज संस्थाओं में अनुसूचित जाति (Scheduled Caste- SC) या अनुसूचित जनजाति (Schedule Tribe- ST) हेतु आरक्षण
  • (IV) पंचायती राज संस्थाओं के चुनावों में राजनीति दलो की भागीदारी

  • (V) अशोक मेहता समिति के पंचायती राज संस्थाओं का कार्यकाल 4 वर्ष करने की सिफारिश की।


3. जी.वी.के. राव समिति (G.V.K. Rao Committee)-

  • गठन- जी.वी.के. राव समिति का गठन 1985 ई. में किया गया था।

  • जी.वी.के. राव समिति की सिफारिशे निम्नलिखित है।-
  • (I) पंचायती राज हेतु चार स्तरीय व्यवस्था होनी चाहिए।
  • (II) जिले में जिला विकास आयुक्त (CEO) पद होना चाहिए।
  • (III) कलेक्टर के नियामकीय व विकासात्मक कार्यों को अलग या पृथक किया जाना चाहिए।

  • (IV) जी.वी.के. राव समिति ने पंचायती राज संस्थाओं का कार्यकाल 5 वर्ष करने की सिफारिश की।

  • जी.वी.के. राव ने पंचायती राज संस्थाओं को बिना जड़ की घास भी कहा है।


4. एल.एम. सिंघवी समिति (L.M. Singhvi Committee)-

  • गठन- एल.एम. सिंघवी समिति का गठन 1986 ई. में किया गया था।
  • एल.एम. सिंघवी समिति की सिफारिशे निम्नलिखित है।-
  • (I) पंचायती राज संस्थाओं को संविधान में स्थान या पंचायती राज संस्थाओं हेतु संवैधानिक प्रावधान किया जाना चाहिए
  • (II) पंचायती राज संस्थाओं का कार्यकाल 5 वर्ष होना चाहिए।
  • (III) पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं व अनुसूचित जाति (Scheduled Caste- SC) या अनुसूचित जनजाति (Schedule Tribe- ST) हेतु आरक्षण होना चाहिए।
  • (IV) राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commission) व राज्य वित्त आयोग (State Finance Commission) का गठन किया जाना चाहिए।

  • एल.एम. सिंघवी राजस्थान के महाधिवक्त भी रह चुके हैं।


5. गाडगिल समिति (Gadgil Committee)-

  • गठन- गाडगिल समिति का गठन 1988 ई. में किया गया था।

  • गाडगिल समिति का संबंध पंचायती राज संस्थाओं से है।


6. थुंगन समिति (Thungon Committee)-

  • गठन- थुंगन समिति का गठन 1989 ई. में किया गया था।

  • थुंगन समिति का संबंध पंचायती राज संस्थाओं से है।

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