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पंचायती राज संस्थान (Panchayati Raj Institution- PRI)

पंचायती राज संस्थान (Panchayati Raj Institution- PRI)-

  • भारत में पंचायती राज संस्थान (PRI) ग्रामीण स्थानीय स्वशासन की एक प्रणाली है।


भारत में पंचायती राज संस्थाओं का इतिहास (History of Panchayati Raj Institutions in India) या भारत में पंचायती राज संस्थाओं का विकास (Development of Panchayati Raj Institutions in India)-

  • भारत में पंचायती राज का जनक लॉर्ड रिपन को कहा जाता है। (1882 ई. के आदेश के कारण या आदेश द्वारा)
  • 1882 ई. के आदेश के कारण या आदेश द्वारा (मेगनाकार्ट आफ लोकल गोरमेंट भी कहते  हैं इस आदेश को)
  • 1882 ई. के आदेश को Magna Carta of Local Self Government भी कहते हैं।
  • बीकानेर रियासत राजस्थान की प्रथम रियासत जिसने 1928 ई. में ग्राम पंचायत का गठन किया था।
  • भारत के मूल संविधान में पंचायती राज का प्रावधान या उल्लेख अनुच्छेद 40 किया गया है।
  • राज्य सूची का पांचवां विषय स्थानीय सरकार है।


पंचायती राज संस्थान (Panchayati Raj Institution- PRI)-

  • राजीव गांधी सरकार द्वारा 64वें संविधान संशोधन 1989 से पंचायती राज संस्थाओं को संविधान में स्थान देने का प्रयास किया गया।
  • पंचायती राज संस्थाओं को 73वें संविधान संशोधन 1992 द्वारा संविधान में स्थान प्रदान किया गया।
  • 73वें संविधान संशोधन को राष्ट्रपति द्वारा अनुमति 20 अप्रैल 1993 दी गई थी।
  • 73वें संविधान संशोधन का भारत सरकार द्वारा क्रियान्वयन 24 अप्रैल 1993 को किया गया था।
  • 73वें संविधान संशोधन का राजस्थान सरकार द्वारा क्रियान्वयन 23 अप्रैल 1994 को किया गया था।
  • राजस्थान सरकार द्वारा 73वें संविधान संशोधन को लागू करने हेतु राजस्थान पंचायती राज अधिनियम 1994 (Rajasthan Panchayati Raj Act,1994) लागू किया गया।
  • राजस्थान में राजस्थान पंचायती राज अधिनियम 1994 लागू करने से पहले राजस्थान में पंचायती राज संस्थाएं "राजस्थान पंचायती राज अधिनियम 1953" के तहत चल रही थी।
  • राजस्थान में पहली बार पंचायती राज अधिनियम 1953 में बनाया था लेकिन इस समय पंचायती राज संस्थाओं को स्थापित नहीं किया था।


73वें संविधान संशोधन के पश्चात संवैधानिक प्रावधान-

  • 73वें संविधान संशोधन से संविधान में भाग-9 जोड़ा गया जिसका शीर्षक पंचायत है।
  • 73वें सविधान संशोधन से संविधान में 11वीं अनुसूची को जोड़ा गया जिसमें 29 विषय शामिल है।
  • 73वें संविधान संशोधन से संविधान के अनुच्छेद 243 से लेकर 243 (O) तक पंचायती राज संस्थाओं का प्रावधान किया गया है।


राजस्थान में पंचायती राज हेतु बनी समितियां (Committees formed for Panchayati Raj in Rajasthan)-

  • 1. हरिशचन्द्र शर्मा समिति- 1963
  • 2. सादिक अली समिति- 1964
  • 3. गिरधारी लाल व्यास समिति- 1973
  • 4. हरलाल सिंह खर्रा समिति- 1990
  • 5. गुलाबचन्द कटारिया समिति- 2009 (पंचायती राज संस्थाओं को 2010 में 5 विषयों का हस्तांतरण)
  • 6. V.S. व्यास समिति- 2010 (ग्राम सचिवालय की अनुसंशा या ग्राम सचिवालय की स्थापना की अनुसंशा)


पंचायती राज संस्थाओं के संवैधानिक प्रावधान (Constitutional provisions of Panchayati Raj Institutions)-

  • पंचायती राज संस्थाओं का संवैधानिक प्रावधान भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243- 243 (O) तक किया गया है।


अनुच्छेद 243 (A)-

  • भारत के संविधान के अनुच्छेद 243 (A) में ग्राम सभा का प्रावधान किया गया है।


ग्राम सभा-

  • 2011 से ग्राम सभा की संयुक्त बैठक के प्रावधान किये गए है।
  • ग्राम सभा राज्य सभा की भांती स्थायी सदन है।

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 (A) में ग्राम सबा का प्रावधान किया गया है।

  • राजस्थान पंचायती राज अधिनियम 1994 की धारा 8 (A) में ग्राम सभा का प्रावधान किया गया है।
  • राजस्थान पंचायती राज अधिनियम 1994 की धारा 8 (E) में ग्राम सभा के कार्य का उल्लेख किया गया है।


ग्राम सभा के सदस्य-
  • ग्राम पंचायत के पंजीकृत मतदाता ही ग्राम सभा के सदस्य होते हैं।


ग्राम सभा का अध्यक्ष-

  • ग्राम पंचायत का सरपंच ही ग्राम सभा का अध्यक्ष होता है।
  • सरपंच की अनुपस्थिति में उप सरपंच ग्राम सभा का अध्यक्ष होता है।
  • सरपंच व उप सरपंच दोनों की अनुपस्थिति में ग्राम सभा का कोई भी सदस्य ग्राम सभा का अध्यक्ष हो सकता है। अर्थात् सरपंच व उप सरपंच की अनुपस्थित में ग्राम सभा ही अपने में से किसी एक सदस्य को अध्यक्ष चुन सकते हैं।


ग्राम सभा की बैठक बुलाने का अधिकार-

  • ग्राम सभा की बैठक बुलाने का अधिकार सरपंच का होता है।
  • सरपंच का अनुपस्थित में ग्राम सभा की बैठक उप सरपंच बुलाता है।
  • सरपंच व उप सरपंच दोनों अनुपस्थित है तो ग्राम सभा की बैठक VDO बुलाता है।
  • VDO Full Form = Village Development Officer
  • VDO का पूरा नाम = ग्राम विकास अधिकारी


ग्राम सभा की बैठक-

  • वर्ष में दो बार ग्राम सभा की बैठक बुलाना अनिवार्य है। अर्थात् संविधान के अनुसार वर्ष में दो बार ग्राम सभा की बैठक बुलाना अनिवार्य है।
  • राजस्थान पंचायती राज अधिनियम 1994 के अनुसार राजस्थान में ग्राम सभा की वर्ष में 4 बैठके बुलाना अनिवार्य है। जैसे-
  • (I) 15 अगस्त- स्वतंत्रता दिवस
  • (II) 26 जनवरी- गणतंत्र दिवस
  • (III) 2 अक्टूबर- गांधी जयंती
  • (IV) 1 मई- मजदूर दिवस


ग्राम सभा की बैठकों का कौरम या गणपूर्ति-

  • ग्राम सभा की बैठक के लिए कौरम या गणपूर्ति के लिए 1/10 सदस्य होना अनिवार्य है।


अनुच्छेद 243 (B)-

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 (B-1) में पंचायती राज में त्रिस्तरीय व्यवस्था का उल्लेख किया गया है। जैसे-
    • (I) जिला परिषद
    • (II) पंचायत समिति
    • (III) ग्राम पंचायत
  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 234 (B-2) के अनुसार 20 लाख से कम जनसंख्या वाले राज्यों को त्रिस्तरीय प्रणाली अपनाने से छूट प्रदान की गई है। अर्थात् 20 लाख के कम जनसंख्या वाले राज्य द्विस्तरी प्रणाली भी अपना सकते हैं।


अनुच्छेद 243 (C)-

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 (C) में पंचायती राज संस्थाओं के गठन का उल्लेख किया गया है।
  • पंचायती राज संस्थाओं के तीनों स्तर पर सदस्यों का चुनाव प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा किया जाएगा।
  • जिला परिषद व पंचायत समिति के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के चुनाव अप्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा किये जाएगें।
  • राज्य में ग्राम पंचायत के चुनाव राज्य विधानमंडल द्वारा निर्धारित किए जाते हैं।
  • राजस्थान में सरपंच का चुनाव प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा किया जाता है।
  • राजस्थान में उपसरपंच का चुनाव अप्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा किया जाता है।
  • राजस्थान में वार्ड पंच का चुनाव प्रत्यक्ष निर्वाच द्वारा दिया जाता है।
  • पंचायती राज संस्थाओं के पदेन सदस्य विधानसभा सदस्य (MLA), विधान परिषद सदस्य (MLC) व सांसद (MP) होते हैं। जैसे-
  • (I) पंचायत समिति के पदेन सदस्य विधानसभा सदस्य (MLA) व विधान परिषद सदस्य (MLC) होते हैं।
  • (II) जिला परिषद का पदेन सदस्य सांसद (MP) होता है।


अनुच्छेद 243 (D)-

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 (D) में पंचायती राज संस्थाओं में आरक्षण का उल्लेख किया गया है। जैसे-
    • (I) SC/ST का आरक्षण जनसंख्या के अनुपात में
    • (II) महिला हेतु आरक्षण 1/3 या 33%
    • (III) OBC हेतु आरक्षण 21% (1999 से)
  • राजस्थान में सन् 2009 से पंचायती राज संस्थाओं में महिला हेतु आरक्षण 33% से बढ़ाकर 50% कर दिया गया है।
  • राजस्थान में सन् 2010 के पंचायती राज संस्थाओं चुनावों में महिला हेतु 50% आरक्षण को लागू किया गया था।


महिला आरक्षण-

  • मध्य प्रदेश भारत का पहला ऐसा राज्य है जिसने पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं का आरक्षण 33% से बढ़ाकर 50% कर दिया है।

  • राजस्थान भारत का दूसरा ऐसा राज्य है जिसने पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं का आरक्षण 33% से बढ़ाकर 50% कर दिया है।


अनुच्छेद 243 (E)-

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 (E) में पंचायती राज संस्थाओं के कार्यकाल का उल्लेख किया गया है। जैसे-
  • (I) पंचायती राज संस्थाओं का कार्यकाल 5 वर्ष होता है।
  • (II) पंचायती राज संस्थाओं में पद रिक्त होने की स्थित में अगले 6 माह में उपचुनाव का प्रावधान किया गया है। अर्थात् यदि पंचायती राज संस्थाओं में पद रिक्त है तो अगले 6 माह में उपचुनाव करना अनिवार्य है। लेकिन यदि पंचायती राज संस्थाओं के कार्यकाल समाप्त होने में 6 माह से कम समय बचा है तो उपचुनाव नहीं होंगे।


अनुच्छेद 243 (F)-

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 (F) में पंचायती राज संस्थाओं की योग्यता (Qualification) का उल्लेख किया गया है। जैसे-
  • (I) स्थानीय पंजीकृत मतदाता होना चाहिए।
  • (II) न्यूनतम आयु 21 वर्ष होनी चाहिए।


अयोग्यता (Disqualification)-

  • पंचायती राज संस्थाओं में अयोग्यता निम्नलिखित है।-
  • (I) लाभ का पद
  • (II) सरकारी सेवा में होने पर
  • (III) राजस्थान मृत्यु भोज निवारण अधिनियम 1960 के अंतर्गत दोषी
  • (IV) 27 नवम्बर 1995 के पश्चात 2 से अधिक संतान होने पर (राजस्थान सरकार ने 2018 में संशोधन किया जिसमें दिव्यांग संतान, संतान की गणना में शामिल नहीं होगी।)


विशेष- 2018 के पश्चात कुष्ट रोग से ग्रसित व्यक्तियों को भी पंचायती राज चुनावों हेतु योग्य माना गया है।


शैक्षणिक योग्यता (Educational Qualification)-

  • पंचायती राज अधिनियम 1994 की धारा 19 के तहत 2014 में शैक्षणिक योग्यता को अनिवार्य किया गया था जिसे 2019 में समाप्त कर दिया गया है।


अनुच्छेद 243 (G)-

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 (G) में पंचायती राज संस्थाओं के कार्यों का उल्लेख किया गया है। (11वीं अनुसूची के 29 विषय)


पंचायती राज संस्थाओं के कार्य (Functions of Panchayati Raj Institutions)-

  • (I) सामाजिक न्याय व आर्थिक विकास हेतु कार्यक्रम बनाना।

  • (II) सामाजिक न्याय व आर्थिक विकास हेतु बने कार्यक्रामों का क्रियान्वयन करना।


अनुच्छेद 243 (H)-

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 (H) में पंचायती राज संस्थाओं के वित्तीय स्रोतों का उल्लेख किया गया है। जैसे-
    • (I) जल कर
    • (II) पथ कर
    • (II) मेलो पर कर
  • इसका निर्माण राज्य विधानमंडल द्वारा किया जाता है।


अनुच्छेद 243 (I)-

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 (I) में पंचायती राज संस्थाओं हेतु राज्य वित्त आयोग (State Finance Commission) के प्रावधान का उल्लेख किया गया है।
  • राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्त राज्यपाल द्वारा की जाती है।
  • राज्य वित्त आयोग के कार्य (Functions of State Finance Commission)-
  • (I) राज्य सरकार से पंचायती राज संस्थाओं को राजस्व हस्तांतरण की सिफारिश करना।
  • (II) राज्य की संचित निधि से पंचायती राज संस्थाओं को अनुदान की सिफारिश करना।


विशेष- राज्य वित्त आयोग की सलाह राज्य सरकार हेतु बाध्यकारी नहीं है।


अनुच्छेद 243 (J)-

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 (J) पंचायती राज संस्थाओं का अंकेक्षण का उल्लेख किया गया है।

  • पंचायती राज संस्थाओं में अंकेक्षण (Audit) का निर्धारण राज्य विधानमंडल द्वारा किया जाता है।


अनुच्छेद 243 (K)

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 (K) में पंचायती राज संस्थाओं हेतु राज्य निर्वाचन आयोग के प्रावधान का उल्लेख किया गया है।

  • राज्य निर्वाचन आयोग का अन्य उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 243 (ZA) में भी किया गया है।


अनुच्छेद 243 (L)-

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 (L) के अनुसार 73वें संविधान संशोधन का संघ राज्य क्षेत्रों में क्रियान्वयन या केंद्रशासित प्रदेशों में क्रियान्वयन करना।


अनुच्छेद 243 (M)-

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 (M) के अनुसार राज्यों व क्षेत्र जिन्हें अधिनियम से छूट प्रदान की गई है। जैसे-
  • (I) नागालैंड, मेघालय, मिजोरम
  • (II) मणिपुर का पर्वतीय क्षेत्र
  • (III) पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग का पर्वतीय क्षेत्र


अनुच्छेद 243 (N)-

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 (N) के अनुसार विधमान कानूनों पर पंचायतों का बने रहना।


अनुच्छेद 243 (O)-

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 (O) के अनुसार पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव में न्यायालय के हस्तक्षेप को वर्जित किया गया है।


शपथ (Oath)-

  • जिला प्रमुख- जिला प्रमुख को शपथ जिला कलेक्टर के द्वारा दिलायी जाती है।
  • उप जिला प्रमुख- उप जिला प्रमुख को शपथ जिला कलेक्टर के द्वारा दिलायी जाती है।
  • जिला परिषद सदस्य- जिला परिषद सदस्य को शपथ जिला कलेक्टर के द्वारा दिलायी जाती है।
  • प्रधान- प्रधान को शपथ उपखंड अधिकारी (Sub Divisional Officer- SDO) के द्वारा दिलायी जाती है।
  • उप प्रधान- उप प्रधान को शपथ उपखंड अधिकारी (Sub Divisional Officer- SDO) के द्वारा दिलायी जाती है।
  • पंचायत समिति सदस्य- पंचायत समिति सदस्य को शपथ उपखंड अधिकारी (Sub Divisional Officer- SDO) के द्वारा दिलायी जाती है।
  • सरपंच- सरपंच को शपथ पीठासीन अधिकारी (Presiding Officer) के द्वारा दिलायी जाती है।
  • उप सरपंच- उप सरपंच को शपथ पीठासीन अधिकारी (Presiding Officer) के द्वारा दिलायी जाती है।
  • वार्डपंच- वार्डपंच को शपथ पीठासीन अधिकारी (Presiding Officer) के द्वारा दिलायी जाती है।


इस्तीफा या त्याग पत्र (Resignation Letter)-

  • जिला प्रमुख- जिला प्रमुख अपना त्याग पत्र संभागीय आयुक्त (Divisional Commissioner) को देता है।
  • उप जिला प्रमुख- उप जिला प्रमुख अपना त्याग पत्र जिला प्रमुख को देता है।
  • जिला परिषद सदस्य- जिला परिषद सदस्य अपना त्याग पत्र जिला प्रमुख को देता है।
  • प्रधान- प्रधान अपना त्याग पत्र जिला प्रमुख को देता है।
  • उप प्रधान- उप प्रधान अपना त्याग पत्र प्रधान को देता है।
  • पंचायत समिति सदस्य- पंचायत समिति सदस्य अपना त्याग पत्र प्रधान को देता है।
  • सरपंच- सरपंच अपना त्याग पत्र खंड विकास अधिकारी (Block Development Officer- BDO) को देता है।
  • उप सरपंच- उप सरपंच अपना त्याग पत्र खंड विकास अधिकारी (Block Development Officer- BDO) को देता है।
  • वार्डपंच- वार्डपंच अपना त्याग पत्र खंड विकास अधिकारी (Block Development Officer- BDO) को देता है।


राजस्थान पंचायती राज अधिनियम 1994 के महत्वपूर्ण धाराएं-

  • धारा = प्रावधान
  • धारा 3- वार्ड सभा
  • धारा 7- वार्ड सभा के कार्य
  • धारा 8 (A)- ग्राम सभा
  • धारा 8 (E)- ग्राम सभा के कार्य
  • धारा 9- ग्राम पंचायत
  • धारा 10- पंचायत समिति
  • धारा 11- जिला परिषद
  • धारा 12- ग्राम पंचायत का गठन
  • धारा 13- पंचायत समिति का गठन
  • धारा 14- जिला परिषद का गठन
  • धारा 18 (C)- मतदान का अधिकार
  • धारा 19- योग्यताएं (जैसे- वार्डपंच, सरपंच)
  • धारा 26- सरपंच
  • धारा 32- सरपंच के कार्य
  • धारा 36- इस्तीफा
  • धारा 37- अविश्वास प्रस्ताव
  • धारा 38- निष्कासन
  • धारा 48- गणपूर्ति या कौरम
  • धारा 50- पंचायती राज संस्थाओं के कार्य
  • धारा 79- खंड विकास अधिकारी (Block Development Officer- BDO)
  • धारा 82- मुख्य कार्यकारी अधिकारी (Chief Executive Officer- CEO)- जिला परिषद में बैठता है।
  • धारा 89- ग्राम विकास अधिकारी (Village Development Office- VDO)
  • धारा 90- जिला संस्थापन समिति (District Establishment Committee)
  • धारा 94- पंचायती राज संस्थाओं का विघटन
  • धारा 117- पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव में न्यायालय के हस्तक्षेप को वर्जित या न्यायालय की अधिकारिता को वर्जित किया गया है।
  • धारा 118- राज्य वित्त आयोग
  • धारा 119 व 120- राज्य निर्वाचन आयोग (प्राथमिकता धारा 120 को)


पंचायती राज संस्थाओं में अविश्वास प्रस्ताव-

  • राजस्थान पंचायती राज अधिनियम 1994 की धारा 37 में पंचायती राज संस्थाओं में अविश्वास प्रस्ताव का उल्लेख किया गया है।
  • निम्नलिखित के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आ सकता है।-
    • (I) जिला प्रमुख
    • (II) उप जिला प्रमुख
    • (III) प्रधान
    • (IV) उप प्रधान
    • (V) सरपंच
    • (VI) उप सरपंच
  • अविश्वास प्रस्ताव एक तिहाई सदस्यों के समर्थन द्वारा लाया जाएगा।
  • अविश्वास प्रस्ताव तीन चौथाई सदस्यों के समर्थन द्वारा पारित किया जाएगा। (राजस्थान पंचायती राज कानून 2007 के अनुसार,
  • राजस्थान पंचायती राज कानून 2007 से पहले अविश्वास प्रस्ताव दो तीहाई सदस्यों के समर्थन से पारित होता था।)
  • अविश्वास प्रस्ताव पंचायती राज संस्थाओं के गठन के शुरुआती दो वर्षों में नहीं लाया जा सकता है।
  • अविश्वास प्रस्ताव पंचायती राज संस्थाओं के या राजनीतिक पदाधिकारियों के अंतिम वर्ष के कार्यकाल में भी नहीं लाया जा सकता है। या कार्यकाल के अंतिम वर्ष में भी नहीं लिया जा सकता है।


73वें संविधान संशोधन के अनिवार्य एवं ऐच्छिक प्रावधान-

  • (I) अनिवार्य प्रावधान (Compulsory Provision)
  • (II) ऐच्छिक प्रावधान (Optional Provision)


(I) अनिवार्य प्रावधान (Compulsory Provision)-

  • त्रिस्तरीय व्यवस्था
  • ग्राम सभा के प्रावधान
  • पंचायती राज संस्थाओं के तीनों स्तर पर सदस्यों के प्रत्यक्ष चुनाव।
  • पंचायती राज संस्थाओं में चुनाव लड़ने हेतु न्यूनतम आयु 21 वर्ष।
  • पंचायती राज संस्थाओं में सीट रिक्त होने की स्थित में 6 माह में उपचुनाव।
  • राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commission)
  • राज्य वित्त आयोग (State Finance Commission)
  • जिला आयोजना समिति (District Planning Committee- DPC)
  • महिलाओं हेतु 33% आरक्षण
  • SC/ST हेतु आरक्षण


(II) ऐच्छिक प्रावधान (Optional Provision)-

  • पंचायती राज संस्थाओं हेतु वित्तीय संसाधन
  • पंचायती राज संस्थाओं का अंकेक्षण (Audit)
  • महिलाओं हेतु 33% से अधिक आरक्षण
  • OBC को आरक्षण
  • पंचायती राज संस्थाओं में MP/MLA/MLC को प्रतिनिधित्व।
  • सरपंच का चुनाव
  • जिला आयोजना समिति की संरचना या संगठन


पेसा कानून 1996 (Panchayats Extension to Scheduled Areas Act 1996 या PESA Act 1996)

  • पुरा नाम- पंचायत उपबंध (अनुसूचिक क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनयम, 1996
  • पेसा कानून का क्रियान्वयन 1996 में भारत सरकार द्वारा दिलीप सिंह भूरिया समिति की सिफारिश पर किया गया।
  • दिलीप सिंह भूरिया समिति का गठन 1994 में किया गया था।
  • पेसा कानून का राजस्थान में क्रियान्वयन 30 सितम्बर 1999 में किया गया था।
  • राजस्थान के वह जिले जहाँ पेसा कानून का क्रियान्वयन किया गया। जैसे-
    • (I) उदयपुर
    • (II) डूंगरपुर
    • (III) बांसवाड़ा
    • (IV) प्रतापगढ़
    • (V) सिरोही का आबू रोड क्षेत्र

  • मुख्य प्रावधान या विशेषताएं-
  • (I) इन क्षेत्रों की 50% सीटे अनुसूचित जनजाति हेतु आरक्षित है।
  • (II) ग्राम सभा की संयुक्त बैठक के प्रावधान
  • (III) शांति समिति का गठन (शांति समिति में 33% सीटें महिलाओं हेतु आरक्षित)


विशेष- उल्लेखनिय है की राजस्थान सरकार द्वारा भी राजस्थान पेसा कानून 2011 को 2 नवम्बर 2011 को लागू किया गया है।


जिला आयोजना समिति (District Planning Committee-DPC)-

  • जिला आयोजना समिति एक संवैधानिक समिति है।
  • जिला आयोजना समिति में न्यूनतम 4/5 सदस्य पंचायती राज संस्थाओं व नगरीय निकायों से होते हैं।
  • जिला आयोजना समिति का मुख्य उद्देश्य जिले में एकीकरत विकास कार्यों का निर्माण करना है।
  • राजस्थान में जिला आयोजना समिति की संरचना- (कुल 26 सदस्य)
  • (I) 1 जिला प्रमुख
  • (II) 25 सदस्य (20 + 3 + 2) जैसे-
  • (A) 20 सदस्य- पंचायती राज संस्थाओं एवं शहरी निकायों से
  • (B) 3 सदस्य- पदेन सदस्य (कलेक्टर, CEO, ACO)
  • (C) 2 सदस्य- राज्य सरकार द्वारा मनोनीत


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