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सुपोषण (Eutrophication)

सुपोषण (Eutrophication)-

  • सुपोषण एक ग्रीक भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है- पर्याप्त पोषण (Adequate and Healthy Nutrition)
  • सुपोषण की प्रक्रिया में किसी जलीय निकाय में पोषक तत्वों (N.P.K.) की मात्रा बढ़ने पर उसके समस्त जलीय जीवों की मृत्यु हो जाती है या जैव-विविधता की क्षति होती है। जिसे सुपोषण कहते हैं।
  • N = नाइट्रोजन
  • P = फास्फोरस
  • K = पोटेशियम


सुपोषण की प्रक्रिया (Eutrophication Process)-

  • 1. कृषि अपवाह, सिवेज इत्यादि से पोषक तत्वों (NPK) का जलीय निकायों तक पहुंचना।
  • 2. जलीय निकायों में पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ने पर शैवालों की अत्यधिक वृद्धि होना जो शैवाल ब्लूम कहलाता है।
  • 3. जलीय निकाय की सतह को शैवालों द्वारा ढक दिया जाना।
  • 4. जल में प्रकाश तथा ऑक्सीजन का विसरण रुकना।
  • 5. जिसके परिणाण स्वरूप जल में पाये जाने वाले अन्य शैवालों तथा पादप पलवकों की मृत्यु होना।
  • 6. वायवीय जीवाणुओं द्वारा इन मृत कार्बनिक पदार्थों का अपघटन करना जिससे जल में घुलित ऑक्सीजन की कमी होना।
  • 7. जिसके कारण अन्य जलीय जीवों की मृत्यु हो जाती है तथा पुरे पारितंत्र का विनास हो जाता है।


सुपोषण के दुष्प्रभाव (Effects of Eutrophication)-

  • 1. सुपोषण के कारण जलीय निकायों की जैव विविधता में कमी आती है।
  • 2. सुपोषण के कारण स्थानीय समुदायों को मिलने वाले खाद्य पदार्थ, चारा तथा अन्य संसाधान नष्ट हो जाते हैं।
  • 3. सुपोषण के कारण स्थानीय लोगों के पेयजल स्त्रोत नष्ट होने लगते हैं।
  • 4. सुपोषण की प्रक्रिया में मृत जीव तल में जमा होते हैं जिसके कारण वह जलीय क्षेत्र कुछ वर्षों के दौरान ही दलदली भूमि में परिवर्तित हो जाता है अतः सुपोषण झीलों के प्राकृतिक काल भवन (Aging of a lake or pond) का कारण बनता है।
  • 5. सुपोषण के प्रभाव से नौकायन सेवाएं प्रभावित होती है अतः पर्यटन में कमी आती है।


सुपोषण को रोकने के उपाय (Control of Eutrophication)-

  • 1. नदी, झील या तालाब के आस-पास के क्षेत्रों में कृषि हेतु रसायनिक उर्वरकों का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए उसके स्थान पर जैविक कृषि को प्रौत्साहन तथा जैविक खाद का प्रयोग किया जाना चाहिए।
  • 2. घरों से निकलने वाले सीवेज को उपचारित करने के पश्चात (N.P.K. हटाने के बाद) नदी, झील या तालाब में छोड़ा जाना चाहिए।
  • 3. उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषित जल को उपचारित करने के बाद ही नदियों में छोड़ा जाना चाहिए।

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