राजस्थान की भाषा (Language of Rajasthan)-
- आर्य भाषा
- डिंगल व पिंगल में अंतर (Difference Between Dingle and Pingle)
- प्राचीन राजस्थानी भाषा
- मध्यकालीन राजस्थानी भाषा
- आधुनिक राजस्थानी भाषा
आर्य भाषा-
- आर्य भाषा से वैदिक संस्कृत भाषा का उद्गम हुआ है।
- वैदिक संस्कृत भाषा से दो भाषाओं का उद्गम होता है। जैसे-
- (अ) पालि भाषा
- (ब) संस्कृत भाषा
(अ) पालि भाषा-
- पालि भाषा से तीन भाषाओं का उद्गम हुआ है। जैसे-
- 1. शौरसेनी प्राकृत भाषा (राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश)
- 2. महाराष्ट्री प्राकृत भाषा (महाराष्ट्र)
- 3. मागधी प्राकृत भाषा (बिहार)
1. शौरसेनी प्राकृत भाषा-
- शौरसेनी प्राकृत भाषा का क्षेत्र राजस्थान, गुजरात व उत्तर प्रदेश को माना जाता है।
- शौरसेनी प्राकृत भाषा से दो भाषाओं का उद्गम हुआ है। जैसे-
- (I) गुर्जरी अपभ्रंश (राजस्थान व गुजरात)
- (II) शौरसेनी अपभ्रंश (उत्तर प्रदेश)
(I) गुर्जरी अपभ्रंश-
- गुर्जरी अपभ्रंश का क्षेत्र राजस्थान व गुजरात को माना जाता है।
- गुर्जरी अपभ्रंश से दो भाषा का उद्गम हुआ है। जैसे-
- (A) राजस्थानी भाषा
- (B) गुजराती भाषा
(A) राजस्थानी भाषा-
- राजस्थानी भाषा से दो बोलियों का उद्गम होता है। जैसे-
- (अ) डिंगल- डिंगल पश्चिमी राजस्थान में बोली जाती है।
- (ब) पिंगल- पिंगल पूर्वी राजस्थान में बोली जाती है।
(II) शौरसेनी अपभ्रंश-
- शौरसेनी अपभ्रंश का क्षेत्र उत्तर प्रदेश को माना जाता है।
- शौरसेनी भाषा से एक भाषा का उद्गम हुआ है। जैसे-
- (A) हिन्दी भाषा- उत्तर प्रदेश
डिंगल व पिंगल में अंतर (Difference Between Dingle and Pingle)-
- (अ) डिंगल (Dingal)
- (ब) पिंगल (Pingal)
(अ) डिंगल (Dingal)-
- (I) डिंगल पश्चिमी राजस्थानी का साहित्यिक रूप है।
- (II) डिंगल पर गुजराती प्रभाव दिखाई देता है।
- (III) ज्यादातर चारण साहित्य डिंगल में लिखे गये है। जैसे- वेलि क्रिसण रुकमणी री
- वेलि क्रिसण रुकमणी री बीकानेर के लेखक पृथ्वीराज राठौड़ के द्वारा लिखा गया साहित्य है।
- (IV) डिंगल साहित्य में वीर रस अधिक दिखाई देता है।
(ब) पिंगल (Pingal)-
- (I) पिंगल पूर्वी राजस्थानी का साहित्यिक रूप है।
- (II) पिंगल पर ब्रज प्रभाव दिखाई देता है।
- (III) ज्यादातर भाट साहित्य पिंगल में लिखे गये है। जैसे- पृथ्वीराज रासौ
- पृथ्वीराज रासौ चंदबरदाई के द्वारा लिखा गया साहित्य है।
- चंदबरदाई का वास्तविक नाम पृथ्वी भट्ट था।
- (IV) पिंगल साहित्य में शृंगार रस अधिक दिखाई देता है।
कुवलयमाला (उद्योतन सूरि)-
- 778 ई. में वत्सराज प्रतिहार के शासन काल में उद्योतन सूरि ने जालौर में कुवलयमाला नामक पुस्तक लिखी थी।
- कुवलयमाला पुस्तक में 18 भाषाओं का वर्णन किया गया है जिसमें मरुभाषा भी शामिल है।
आईन-ए-अकबरी (अबुल फजल)-
- 16वीं शताब्दी में अबुल फजल ने आईन-ए-अकबरी नामक पुस्तक लिखी थी।
- आईन-ए-अकबरी पुस्तक में मारवाड़ी भाषा का उल्लेख किया गया है।
Linguistic Survey of India (जॉर्ज अब्राह्म ग्रियर्सन)-
- 1912 ई. में जॉर्ज अब्राहम ग्रियर्सन (George Abraham Grierson) ने "Linguistic Survey of India" नामक पुस्तक लिखी थी।
- Linguistic Survey of India पुस्तक में राजस्थानी भाषा का उल्लेख किया गया है।
गुर्जरी अपभ्रंश-
- 11वीं शताब्दी से लेकर 13वीं शताब्दी तक राजस्थानी भाषा, गुर्जरी अपभ्रंश मानी जाती है।
प्राचीन राजस्थानी-
- 13वीं शताब्दी से लेकर 16वीं शताब्दी तक राजस्थानी भाषा प्राचीन राजस्थानी मानी जाती है।
- प्राचीन राजस्थानी के ज्यादातर साहित्य जैनों के द्वारा लिखे गए है। (जैन साहित्य)
मध्यकालीन राजस्थानी-
- 16वीं शताब्दी से लेकर 18वीं शताब्दी तक राजस्थानी भाषा मध्यकालीन राजस्थानी मानी जाती है। (चारण साहित्य)
- मध्यकालीन राजस्थानी के ज्यादतर साहित्य चारणों के द्वारा लिखे गए है।
आधुनिक राजस्थानी-
- 18वीं शताब्दी से लेकर वर्तमान तक राजस्थानी भाषा आधुनिक राजस्थानी मानी जाती है।