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पुंछी आयोग (Punchhi Commission)

पुंछी आयोग (Punchhi Commission)-

    • पुंछी आयोग का गठन (Formation of Punchhi Commission)-
    • पुंछी आयोग का अध्यक्ष (Chairperson of Punchhi Commission)-
    • पुंछी आयोग की सिफारिशें (Recommendations of Punchhi Commission)


        पुंछी आयोग का गठन (Formation of Punchhi Commission)-

        • पुंछी आयोग का गठन सन् 2007 में सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश मदन मोहन पूंछी (Madan Mohan Punchhi) की अध्यक्षता में किया गया था।


        पुंछी आयोग का अध्यक्ष (Chairperson of Punchhi Commission)-

        • पुंछी आयोग के अध्यक्ष मदन मोहन पुंछी है।


        पुंछी आयोग की सिफारिशें (Recommendations of Punchhi Commission)

        • पुंछी आयोग ने सन् 2010 में अपनी सिफारिशें (Recommendations) प्रस्तुत की थी। जैसे-
        • 1. समवर्ती सूची (Concurrent List) में उल्लिखित विषयों पर कानून बनाने से पहले संघ को राज्यों के साथ व्यापक समझौता करना चाहिए।
        • 2. केवल संसदीय सर्वोच्चता (Parliamentary Supremacy) सिद्ध करने के लिए संघ को संमवर्ती सूची के विषयों पर कानून नहीं बनाना चाहिए।
        • 3. यदि राष्ट्रहित (National Interest) में कानून की एकरुपता (Uniformity of Law) आवश्यक हो तो ही संघ को समवर्ती सूची के विषयों पर कानून बनाना चाहिए।
        • 4. समवर्ती सूची पर कानून बनाते समय अंतर्राज्यीय परिषद (Inter-State Council) को अंकेक्षण (Auditing) का अधिकार दिया जाना चाहिए।
        • 5. यदि राज्यपाल (Governor) राज्य के विधेयक को राष्ट्रपति के लिए आरक्षित रखता है तो राष्ट्रपति को 6 माह के भीतर अवश्य कोई निर्णय लेना चाहिए (अनुच्छेद 200)
        • 6. राज्यपाल की नियुक्ति के समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए जैसे-
        • (I) प्रतिष्ठित व्यक्ति (Eminent Person) राज्यपाल बने।
        • (II) वह राज्य से बाहर का व्यक्ति हो।
        • (III) राज्य की स्थानीय राजनीति (Local Politics) में सक्रिय (Active) भूमिका ना रही हो।
        • (IV) पिछले कुछ समय से राजनीति में सक्रिय ना रहा हो।
        • 7. राज्यपाल को बिना किसी ठोस कारण के 5 वर्ष के कार्यकाल से पूर्व पद से नहीं हटाया जाना चाहिए।
        • 8. राष्ट्रपति की भाँति राज्यपाल को हटाने के लिए भी महाभियोग (Impeachment) की प्रक्रिया का प्रावधान हो तथा इसे संविधान में जोड़ा जाए।
        • 9. अनुच्छेद 163 के तहत राज्यपाल को विवेकाधीन शक्ति (Governor Discretionary Powers) नहीं दी गई है अतः राज्यपाल को मंत्रीपरिषद् (Council of Ministers) की सलाह से कार्य करना चाहिए।
        • 10. विधानसभा द्वारा पारित किए गए किसी विधेयक पर राज्यपाल को 6 माह के भीतर निर्णय लेना होगा।
        • 11. यदि विधानसभा (Legislative Assembly) के आम-चुनावों में किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है तो चुनाव पूर्व के सबसे बड़े गठबंधन अथवा राजनीतिक दल को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करना चाहिए। (चुनाव पूर्व के गठबंधन को एक राजनीतिक दल ही माना जाना चाहिए।)
        • 12. सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करते समय निम्नलिखित क्रम का ध्यान रखा जाना चाहिए-
        • (I) चुनाव पूर्व गठबंधन वाले दलों का समूह जिसके पास सबसे बड़ी संख्या हो।
        • (II) सबसे बड़ा राजनीतिक दल जो दूसरों के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश करे।
        • (III) चुनाव बाद का सबसे बड़ा गठबंधन जिसमें सभी दल सरकार में शामिल होना चाहते हैं।
        • (IV) चुनाव बाद का गठबंधन जिसमें सभी दल सरकार में शामिल ना हो रहे हो। कुछ दल शामिल हो और कुछ बाहर से समर्थन दे।
        • 13. मुख्यमंत्री को हटाने से पूर्व उसे फ्लोर टेस्ट का अवसर दिया जाना चाहिए।
        • 14. राज्यपाल से सभी गैर-संवैधानिक दायित्व ले लिए जाने चाहिए जैसे- विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति का दायित्त्व।
        • 15. अनुच्छेद 352 व 356 के तहत आपातकाल की उद्घोषणा अंतिम विकल्प के रूप में ही की जानी चाहिए। इनकी शर्ते कठिन बनाई जाए।
        • 16. एस.आर. बोम्मई बाद, 1994 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णयों को संविधान में जोड़ा जाए।
        • 17. अनुच्छेद 356 के तहत मंत्रिपरिषद् व राज्य की विधानसभा को भंग करने की बजाय स्थानीय आपातकाल का विकल्प रखा जाना चाहिए।
        • 18. अनुच्छेद 263 के तहत गठित अंतरराज्यीय परिषद् अधिक विश्वसनीय, शक्तिशाली तथा निष्पक्ष होनी चाहिए। इसकी भूमिका को अधिक प्रभावी बनाया जाना चाहिए।
        • 19. क्षेत्रीय परिषदों को अधिक सक्रिय किया जाना चाहिए तथा वर्ष में कम से कम दो बैठक अनिवार्य की जानी चाहिए।
        • 20. राज्यों के वित्तमंत्रियों की एम्पावर्ड कमेटी की भाँति राज्यों के मुख्यमंत्रियों की एम्पावर्ड कमेटी का भी गठन होना चाहिए।
        • 21. नई अखिल भारतीय सेवाओं का सृजन किया जाना चाहिए जैसे-
        • (I) स्वास्थ्य
        • (II) शिक्षा
        • (III) इंजीनियरिंग
        • (IV) न्यायिक
        • 22. संघीय ढाँचे को सशक्त करने के लिए राज्यसभा की शक्तियों को बढ़ाया जाना चाहिए ताकि इसकी भूमिका अधिक प्रभावी हो तथा राज्यसभा में राज्यों को समान प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए।
        • 23. स्थानीय निकायों को संविधान के तहत शक्तियाँ प्रदान कर अधिक सशक्त व प्रभावी किया जाना चाहिए।
        • 24. प्रति 3 वर्ष पश्चात खनिजों के लिए रॉयल्टी का पुनःनिर्धारण किया जाना चाहिए।
        • 25. केंद्रीय कर संग्रह में उपकर व अधिभार की हिस्सेदारी को सीमित किया जाए।
        • 26. वित्त आयोग जो वर्तमान में वित्त मंत्रालय के अधीन विभाग के रूप में कार्य करता है इसे अलग किया जाए तथा इसका पृथक सचिवालय हो।

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