राजस्थान का साहित्य (Literature of Rajasthan)- राजस्थानी साहित्य (Rajasthani Literature)
- राजस्थानी साहित्य मुड़िया लिपि में लिखा जाता था।
- मुड़िया लिपि को ही महाजनी लिपि कहा जाता था।
प्राचीन व मध्यकालीन राजस्थानी साहित्य या प्राचीन व मध्यकालीन राजस्थानी साहित्य की पुस्तकें-
- 1. भरतेश्वर बाहुबली घोर (वज्रसेन सूरी)
- 2. भरतेश्वर बाहुबली रास (शालिभद्र सूरि)
- 3. शालिभद्र रास (जिनराज सूरि)
- 4. कवयन्ना रास (जिनराज सूरि)
- 5. गजसुकमाल रास (जिनराज सूरि)
- 6. नेमिनाथ रास (सुमति गणि)
- 7. पृथ्वीराज वाग्विलास (माणिक्य सुन्दर सूरि)
- 8. मलयसुन्दरी कथा (माणिक्य सुन्दर सूरि)
- 9. हम्मीर महाकाव्य (नयनचन्द्र सूरि)
- 10. विजयपाल रासो (नल्ल सिंह)
- 11. शत्रुसाल रासो (डूंगरसी)
- 12. हम्मीर रासो (सारंगधर)
- 13. हम्मीर रासो (महेश)
- 14. हम्मीर रासो (जोधराज)
- 15. हम्मीर बन्धन (अमृत कैलाश)
- 16. हम्मीररायण (भांडउ व्यास)
- 17. खुमाण रासो (दलपत सिंह)
- 18. राणा रासो (दयाल)
- 19. अमरसार या अमर रासो (जीवधर)
- 20. जवान रासो (सीताराम रतनू)
- 21. मान चरित्र रासो (नरोत्तम)
- 22. कायम रासो (न्यामत खाँ या कवि जान)
- 23. बुद्धि रासो (जल्ह)
- 24. बुद्धि विलास (बख्तराम शाह)
- 25. ढोला-मारू रा दूहा (कवि कल्लोल)
- 26. ढोला-मारू री चौपाई (कुशललाभ)
- 27. ढोला-मारू री बात (खुशालचन्द)
- 28. गुण सार (महाराज अजीत सिंह)
- 29. गज उद्धार (महाराज अजीत सिंह)
- 30. भाव विरही (महाराज अजीत सिंह)
- 31. रामकृष्ण जस (शेर सिंह)
- 32. वैद्यक सार (महाराजा जोरावर सिंह)
- 33. पूजा पद्धति (महाराजा जोरावर सिंह)
- 34. रसिक चमन (महाराणा अरिसिंह)
- 35. प्रेम विनोद (छत्र कुंवरि)
- 36. राठौड़ रतनिसिंह महेसदासोत री वचनिका (जग्गा खिड़िया)
- 37. रतन रासो (कुम्भकर्ण सांदू)
- 38. अचलदास खींची री वचनिका (शिवदास गाड़ण)
- 39. गजगुणरुपक (केशवदास गाड़ण)
- 40. अमर सिंह राज दूहा (केशवदास गाड़ण)
- 41. विवेक वार्ता (केशवदास गाड़ण)
- 42. विरुद छहतरि (दुरसा आढ़ा)
- 43. किरतार बावनी (दुरसा आढ़ा)
- 44. वीरमदेव सोलंकी रा दूहा (दुरसा आढ़ा)
- 45. भीम विलास (किसना जी आढ़ा)
- 46. ईश्वरी विलास महाकाव्य (कृष्ण भट्ट)
- 47. भासा भारथ (खेतसी सांदू)
- 48. रामायण (मेहाजी गोदारा)
- 49. जसवन्त जसो भूषण (मुरारिदास)
- 50. हरिपिंगल प्रबन्ध (जोगीदास)
- 51. वीरमायण (बादर ढाढ़ी)
- 52. जगविलास (नंदराम)
- 53. सेकार भाव (नंदराम)
- 54. सम्वत सार (साईंदान)
- 55. सुजान चरित (सूदन)
- 56. अनिरुद्ध उषा पुराण (सुरजनदास पूनियां)
- 57. केहर प्रकाश (बख्तावर जी)
- 58. हंसावली (असाईत)
- 59. गलागैंल (अमरनाथ जोगी)
- 60. केसरी सिंह समर (हरिनाथ)
- 61. वाराणसी विलास (देवकर्ण)
- 62. त्रिया विनोद (मुरलीधर)
- 63. अश्वमेध यज्ञ (मुरलीधर)
- 64. प्रबंध चिन्तामणि (मेरुतुंग)
- 65. महावीर चरित (हेमचन्द्र)
- 66. समराइच्च कहा (हरिभद्र सूरि)
- 67. नेमिनाथ बारहमासा (पल्हण)
- 68. लीलावती रासो (कुशलधीर)
- 69. किसन जी री वेलि (करमसी सांखला)
- 70. सत्यस्वरूप (वृन्द)
1. भरतेश्वर बाहुबली घोर (वज्रसेन सूरी)-
- भरतेश्वर बाहुबली घोर नामक पुस्तक वज्रसेन सूरी के द्वारा लिखी गई है।
- भरतेश्वर बाहुबली घोर पुस्तक राजस्थान के साहित्य की सबसे प्राचीनतम पुस्तक मानी जाती है।
- भरतेश्वर बाहुबली पुस्तक में भरत और बाहुबली की जानकारी मिलती है।
- भरत और बाहुबली जैनों के पहले तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव जी के बेटे हैं।
2. भरतेश्वर बाहुबली रास (शालिभद्र सूरि)-
- भरतेश्वर बाहुबली रास नामक पुस्तक शालिभद्र सूरि के द्वारा लिखी गई है।
- भरतेश्वर बाहुबली रास नामक पुस्तक 1184 ई. में लिखी गई थी।
- भरतेश्वर बाहुबली रास सन् का उल्लेख करने वाली राजस्थान के साहित्य की प्राचीनतम पुस्तक मानी जाती है।
- भरतेश्वर बाहुबली रास नामक पुस्तक में भगवान ऋषभदेव के बेटे भरत और बाहुबली की जानकारी मिलती है।
3. शालिभद्र रास (जिनराज सूरि)-
- शालिभद्र रास नामक पुस्तक जिनराज सूरि के द्वारा लिखी गई है।
- शालिभद्र रास पुस्तक जैनों की कहानियों पर लिखी गई पुस्तक है।
4. कवयन्ना रास (जिनराज सूरि)-
- कवयन्ना रास नामक पुस्तक जिनराज सूरि के द्वारा लिखी गई है।
- कवयन्ना रास पुस्तक जैनों की कहानियों पर लिखी गई पुस्तक है।
5. गजसुकमाल रास (जिनराज सूरि)-
- गजसुकमाल रास नामक पुस्तक जिनराज सूरि के द्वारा लिखी गई है।
- गजसुकमाल रास पुस्तक जैनों की कहानियों पर लिखी गई पुस्तक है।
6. नेमिनाथ रास (सुमति गणि)-
- नेमिनाथ रास नामक पुस्तक सुमति गणि के द्वारा लिखी गई है।
- सुमति गणि एक जैन साधु था।
7. पृथ्वीराज वाग्विलास (माणिक्य सुन्दर सूरि)-
- पृथ्वीराज वाग्विलास नामक पुस्तक माणिक्य सुन्दर सूरि के द्वारा लिखी गई है।
8. मलयसुन्दरी कथा (माणिक्य सुन्दर सूरि)-
- मलयसुन्दरी कथा नामक पुस्तक माणिक्य सुन्दर सूरि के द्वारा लिखी गई है।
9. हम्मीर महाकाव्य (नयनचन्द्र सूरि)-
- हम्मीर महाकाव्य नामक पुस्तक नयनचन्द्र सूरि के द्वारा लिखी गई है।
- नयनचन्द्र सूरि ग्वालियर के राजा वीरम के दरबारी विद्वान थे।
- ग्वालियर मध्य प्रदेश राज्य में स्थित है।
- हम्मीर महाकाव्य रणथम्भौर के राजा हम्मीर देव चौहान पर लिखी गई पुस्तक है।
10. विजयपाल रासो (नल्ल सिंह)-
- विजयपाल रासो नामक पुस्तक नल्ल सिंह के द्वारा लिखी गई है।
- विजयपाल रासो में बयाना के राजा विजयपाल जादौन की जानकारी मिलती है।
- बयाना राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित है।
11. शत्रुसाल रासो (डूंगरसी)-
- शत्रुसाल रासो नामक पुस्तक डूंगरसी के द्वारा लिखी गई है।
- शत्रुसाल रासो में बूंदी के राजा शत्रुसाल की जानकारी मिलती है।
12. हम्मीर रासो (सारंगधर)-
- हम्मीर रासो नामक पुस्तक सारंगधर के द्वारा लिखी गई है।
- हम्मीर रासो रणथम्भौर के राजा हम्मीर देव चौहान पर लिखी गई पुस्तक है।
13. हम्मीर रासो (महेश)-
- हम्मीर रासो नामक पुस्तक महेश के द्वारा लिखी गई है।
- महेश के द्वारा लिखी गई हम्मीर रासो रणथम्भौर के राजा हम्मीर देव चौहान पर लिखी गई पुस्तक है।
14. हम्मीर रासो (जोधराज)-
- हम्मरी रासो नामक पुस्तक जोधराज के द्वारा लिखी गई है।
- जोधराज नीमराणा ठिकाने के राजा चंद्रभान चौहान का दरबारी विद्वान था।
- जोधराज के द्वारा हम्मीर रासो अहीरवाटी भाषा में लिखी गई है।
- अहीरवाटी भाषा को राठी भाषा भी कहते हैं।
- अहीरवाटी भाषा कोटपूतली (जयपुर) से बहरोड़ (अलवर) के बीच बोली जाती है।
- जोधराज के द्वारा लिखी गई हम्मीर रासो रणथम्भौर के राजा हम्मीर देव चौहान पर लिखी गई पुस्तक है।
15. हम्मीर बन्धन (अमृत कैलाश)-
- हम्मीर बन्धन नामक पुस्तक अमृत कैलाश के द्वारा लिखी गई है।
- हम्मीर बन्धन पुस्तक रणथम्भौर के राजा हम्मीर देव चौहान पर लिखी गई है।
16. हम्मीररायण (भांडउ व्यास)-
- हम्मीररायण नामक पुस्तक भांडउ व्यास के द्वारा लिखी गई है।
- हम्मीररायण पुस्तक रणथम्भौर के राजा हम्मीर देव चौहान पर लिखी गई है।
17. खुमाण रासो (दलपत विजय)-
- खुमाण रासो नामक पुस्तक दलपत विजय के द्वारा लिखी गई है।
- खुमाण रासो में बापा रावल से राजसिंह तक की जानकारी मिलती है।
- बापा रावल अपने अंतिम दिनों में संन्यासी बन गये थे तथा अपने पुत्र खुमाण को राजा बना दिया था।
18. राणा रासो (दयाल)-
- राणा रासो नामक पुस्तक दयाल के द्वारा लिखी गई है।
- राणा रासो में बापा रावल से लेकर जयसिंह तक की जानकारी मिलती है।
19. अमरसार या अमर रासो (जीवधर)-
- अमरसार को ही अमर रासो कहा जाता है।
- अमरसार या अमर रासो नामक पुस्तक जीवधर के द्वारा लिखी गई है।
- अमरसार यो अमर रासो में महाराणा प्रताप तथा अमरसिंह-I की जानकारी मिलती है।
20. जवान रासो (सीताराम रतनू)-
- जवान रासो नामक पुस्तक सीताराम रतनू के द्वारा लिखी गई है।
- जवान रासो में मेवाड़ के राजा महाराणा जवान सिंह की जानकारी मिलती है।
21. मान चरित्र रासो (नरोत्तम)-
- मान चरित्र रासो नामक पुस्तक नरोत्तम के द्वारा लिखी गई पुस्तक है।
- मान चरित्र रासो में आमेर (जयपुर) के महाराजा मानसिंह की जानकारी मिलती है।
22. कायम रासो (न्यामत खाँ या कवि जान)-
- कायम रासो नामक पुस्तक न्यामत खाँ के द्वारा लिखी गई है।
- न्यामत खाँ कवि जान के नाम से पुस्तकें लिखते थे।
- कायम रासो में फतेहपुर के कायमखानी वंश का इतिहस बताया गया है।
- कायमखानी पहले चौहान राजपूत थे।
- कायम रासो में चौहानों को ब्राह्मण बताया गया है।
23. बुद्धि रासो (जल्ह)-
- बुद्धि रासो नामक पुस्तक जल्ह के द्वारा लिखी गई है।
- बुद्धि रासो जैनों की पुस्तक है।
24. बुद्धि विलास (बख्तराम शाह)-
- बुद्धि विलास नामक पुस्तक बख्तराम शाह के द्वारा लिखी गई है।
- बुद्धि विलास में जयपुर की स्थापना की जानकारी मिलती है।
25. ढोला-मारू रा दूहा (कवि कल्लोल)-
- ढोला-मारू रा दूहा नामक पुस्तक कवि कल्लोल के द्वारा लिखी गई है।
- ढोला-मारू रा दूहा ढोला-मारू पर लिखी गई पुस्तक है।
- ढोला नरवर का राजकुमार था।
- मारू पूगल की राजकुमारी थी।
- नरवर मध्य प्रदेश में स्थित है।
- पूगल राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित है।
26. ढोला-मारू री चौपाई (कुशललाभ)-
- ढोला-मारू री चौपाई नामक पुस्तक कुशललाभ के द्वारा लिखी गई है।
- ढोला-मारू री चौपाई ढोला-मारू पर लिखी गई पुस्तक है।
- ढोला नरवर का राजकुमार था।
- मारू पूगल की राजकुमारी थी।
- नरवर मध्य प्रदेश में स्थित है।
- पूगल राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित है।
27. ढोला-मारू री बात (खुशालचन्द)-
- ढोला-मारू री बात या ढोला-मारू री वात नामक पुस्तक खुशालचन्द के द्वारा लिखी गई है।
- ढोला-मारू री बात ढोला-मारू पर लिखी गई पुस्तक है।
- ढोला नरवर का राजकुमार था।
- मारू पूगल की राजकुमारी थी।
- नरवर मध्य प्रदेश में स्थित है।
- पूगल राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित है।
28. गुण सार (महाराज अजीत सिंह)-
- गुण सार नामक पुस्तक महाराज अजीत सिंह के द्वारा लिखी गई है।
- महाराज अजीत सिंह जोधपुर के राजा थे।
29. गज उद्धार (महाराज अजीत सिंह)-
- गज उद्धार नामक पुस्तक महाराज अजीत सिंह के द्वारा लिखी गई है।
- महाराज अजीत सिंह जोधपुर के राजा थे।
30. भाव विरही (महाराज अजीत सिंह)-
- भाव विरही नामक पुस्तक महाराज अजीत सिंह के द्वारा लिखी गई है।
- महाराज अजीत सिंह जोधपुर के राजा थे।
31. रामकृष्ण जस (शेर सिंह)-
- रामकृष्ण जस नामक पुस्तक शेर सिंह के द्वारा लिखी गई है।
- शेर सिंह जोधपुर के महाराजा विजय सिंह के राजकुमार थे।
32. वैद्यक सार (महाराजा जोरावर सिंह)-
- वैद्यक सार नामक पुस्तक महाराजा जोरावर सिंह के द्वारा लिखी गई है।
- महाराजा जोरावर सिंह बीकानेर के राजा थे।
33. पूजा पद्धति (महाराजा जोरावर सिंह)-
- पूजा पद्धति नामक पुस्तक महाराजा जोरावर सिंह के द्वारा लिखी गई है।
- महाराजा जोरावर सिंह बीकानेर के राजा थे।
34. रसिक चमन (महाराणा अरिसिंह)-
- रसिक चमन नामक पुस्तक महाराणा अरिसिंह के द्वारा लिखी गई है।
- महाराणा अरिसिंह मेवाड़ के राजा थे।
35. प्रेम विनोद (छत्र कुंवरि)-
- प्रेम विनोद नामक पुस्तक छत्र कंवरि के द्वारा लिखी गई है।
- छत्र कुंवरि किशनगढ़ की राजकुमारी थी।
- छत्र कुंवरि किशनगढ़ के राजा सावंत सिंह की पौत्री थी।
36. राठौड़ रतनसिंह महेसदासोत री वचनिका (जग्गा खिड़िया)-
- राठौड़ रतनसिंह महेसदासोत री वचनिका नामक पुस्तक जग्गा खिड़िया के द्वारा लिखी गई है।
- रतनसिंह राठौड़ रतलाम का राजा था।
- रतलाम मध्य प्रदेश में स्थित है।
- रतनसिंह राठौड़ धरमत के युद्ध में लड़ता हुआ मारा गया था।
- धरमत मध्य प्रदेश में स्थित है।
- धरमत का युद्ध दारा शिकोह तथा औरंगजेब के मध्य हुआ था।
- धरमत का युद्ध 15 अप्रैल 1658 ई. को मध्य प्रदेश के धरमत नामक स्थान पर लड़ा गया था।
- धरमत के युद्ध में दारा शिकोह का सैनापति महाराजा जसवंत सिंह प्रथम था।
- जसवंत सिंह के घायल होने के बाद युद्ध का नेतृत्व रतनसिंह राठौड़ ने किया था।
37. रतन रासो (कुम्भकर्ण सांदू)-
- रतन रासो नामक पुस्तक कुम्भकर्ण सांदू के द्वारा लिखी गई है।
- रतन रासो में रतलाम के रतनसिंह की जानकारी मिलती है।
- रतनसिंह राजस्थान का एकमात्र ऐसा योद्धा है जिस पर वचनिका व रासो दोनों लिखे गये है।
- वर्तमान में रतलाम मध्य प्रदेश में स्थति है।
38.अचलदास खींची री वचनिका (शिवदास गाड़ण)-
- अचलदास खींची री वचनिका नामक पुस्तक शिवदास गाड़ण के द्वारा लिखी गई है।
- अचलदास खींची री वचनिका में गागरौण के अचलदास खींची की जानकारी मिलती है।
39. गजगुणरुपक (केशवदास गाड़ण)-
- गजगुणरुपक नामक पुस्तक केसवदास गाड़ण के द्वारा लिखी गई है।
- गजगुणरुपक में जोधपुर के राजा गजसिंह की जानकारी मिलती है।
- केशवदास गाड़ण जोधपुर के राजा गजसिंह का दरबारी विद्वान था।
40. अमर सिंह रा दूहा (केशवदास गाड़ण)-
- अमर सिंह रा दूहा नामक पुस्तक केशवदास गाड़ण के द्वारा लिखी गई है।
- अमर सिंह रा दूहा में नागौर के राजा अमर सिंह की जानकारी मिलती है।
- जोधपुर के राजा गजसिंह ने अपनी प्रेमिका अनारा बेगम के कहने पर अपने बड़े बेटे अमर सिंह का नागौर भेज दिया तथा अपने छोटे बेटे जसवंत सिंह को जोधपुर का राजा बनाया था।
- केशवदास गाड़ण जोधपुर के राजा गजसिंह का दरबारी विद्वान था।
41. विवेक वार्ता (केशवदास गाड़ण)-
- विवेक वार्ता नामक पुस्तक केशवदास गाड़ण के द्वारा लिखी गई है।
- विवेक वार्ता उपनिषदों पर लिखी गई टीका है। अर्थात् विवेक वार्ता में उपनिषदों को छोटे रूप में लिखा गया है।
- किसी पुस्तक का छोटा रूप ही टीका कहलाता है।
- केशवदास गाड़ण जोधपुर के राजा गजसिंह का दरबारी विद्वान था।
42. विरुद छहतरि (दुरसा आढ़ा)-
- विरुद छहतरि नामक पुस्तक दुरसा आढ़ा के द्वारा लिखी गई है।
- विरुद छहतरि में महाराणा प्रताप की 76 उपाधियों की जानकारी मिलती है।
43. किरतार बावनी (दुरसा आढ़ा)-
- किरतार बावनी नामक पुस्तक दुरसा आढ़ा के द्वारा लिखी गई है।
- किरतार बावनी में सामाजिक व आर्थिक स्थित का वर्णन किया गया है।
44. वीरमदेव सोलंकी रा दूहा (दुरसा आढ़ा)-
- वीरमदेव सोलंकी रा दूहा नामक पुस्तक दुरसा आढ़ा के द्वारा लिखी गई है।
- वीरमदेव सोलंकी रा दूहा में मेवाड़ के सैनापति वीरमदेव सोलंकी की जानकारी मिलती है।
45. भीम विलास (किसना जी आढ़ा)-
- भीम विलास नामक पुस्तक किसना जी आढ़ा के द्वारा लिखी गई है।
- भीम विलास में मेवाड़ के महाराणआ भीम सिंह की जानकारी मिलती है।
46. ईश्वरी विलास महाकाव्य (कृष्ण भट्ट)-
- ईश्वरी विलास महाकाव्य कृष्ण भट्ट के द्वारा लिखी गई पुस्तक है।
- ईश्वरी विलास महाकाव्य में जयपुर के महाराजा ईश्वरी सिंह की जानकारी मिलती है।
47. भासा भारथ (खेतसी सांदू)-
- भासा भारथ नामक पुस्तक खेतसी सांदू के द्वारा लिखी गई है।
- भासा भारत महाभारत का ढींगल भाषा में अनुवाद है। अर्थात भासा भारथ में महाभारत का राजस्थानी में अनुवाद किया गया है।
48. रामायण (मेहाजी गोदारा)-
- रामायण नामक पुस्तक मेहाजी गोदारा के द्वारा लिखी गई है।
- मेहाजी गोदारा के द्वारा रामायण को राजस्थानी भाषा में लिखा गया है।
49. जसवन्त जसो भूषण (मुरारिदास)-
- जसवन्त जसो भूषण नामक पुस्तक मुरारिदास के द्वारा लिखी गई है।
- जसवन्त जसो भूषण में जोधपुर के महाराजा जसवन्त सिंह-II की जानकारी मिलती है।
- जसवन्त जसो भूषण में अलंकारों का प्रयोग अधिक किया गया है।
- राजस्थानी साहित्य में सर्वाधिक अलंकारों का प्रयोग जसवन्त जसो भूषण में किया गया है। अर्थात् राजस्थान के साहित्य की जसवन्त जसो भूषण पुस्तक में अलंकारों का सर्वाधिक प्रयोग किया गया है।
- मुरारिदास जोधपुर के महाराजा जसवन्त सिंह-II का दरबारी विद्वान था।
- मुरारिदास बांकी दास जी के पोते थे।
- बांकी दास जी जोधपुर के महाराजा मानसिंह के दरबारी विद्वान थे।
50. हरिपिंगल प्रबन्ध (जोगीदास)-
- हरिपिंगल प्रबन्ध नामक पुस्तक जोगीदास के द्वारा लिखी गई है।
- हरिपिंगल प्रबन्ध में प्रतापगढ़ के राजा हरिसिंह की जानकारी मिलती है।
51. वीरमायण (बादर ढाढ़ी)-
- वीरमायण नामक पुस्तक बादर ढाढ़ी के द्वारा लिखी गई पुस्तक है।
- वीरमायण में मारवाड़ के राजा मल्लीनाथ जी व उनके बेटे जगमाल तथा राजा वीरमदेव व उनके बेटे गोगादेव की जानकारी मिलती है।
- वीरमदेव जोईयो के खिलाफ लड़ता हुआ मारा गया था।
- गोगादेव अपने पिला वीरमदेव की हत्या का बदला लेता है।
- वीरमदेव मारवाड़ के राजा मल्लीनाथ जी का भाई था।
- मारवाड़ के राजा मल्लीनाथ जी ने अपने बेटे जगमाल को राजा न बनाकर अपने भाई वीरमदेव को राजा बनाया था।
52. जगविलास (नंदराम)-
- जगविलास नामक पुस्तक नंदराम के द्वारा लिखी गई है।
- नंदराम मेवाड़ के महाराणा जगतसिंह-II का दरबारी विद्वान था।
53. सेकार भाव (नंदराम)-
- सेकार भाव नामक पुस्तक नंदराम के द्वारा लिखी गई है।
- नंदराम मेवाड़ के महाराणा जगतसिंह-II का दरबारी विद्वान था।
- सेकार भाव में सीकार की जानकारी मिलती है।
54. सम्वत सार (साईंदान)-
- सम्वत सार नामक पुस्तक साईंदान के द्वारा लिखी गई है।
- सम्वत सार में वर्षा की जानकारी मिलती है।
55. सुजान चरित (सूदन)-
- सुजान चरित नामक पुस्तक सूदन के द्वारा लिखी गई है।
- सुजान चरित में भरतपुर के महाराजा सुरजमल की जानकारी मिलती है।
56. अनिरुद्ध उषा पुराण (सुरजनदास पूनियां)-
- अनिरुद्ध उषा पुराण नामक पुस्तक सुरजनदास पूनियां के द्वारा लिखी गई है।
- अनिरुद्ध भगवान श्री कृष्ण के पोते थे।
- उषा अनिरुद्ध का रानी थी।
- अनिरुद्ध उषा पुराण अनिरुद्ध व उषा पर लिखी गई पुस्तक है।
57. केहर प्रकाश (बख्तावर जी)-
- केहर प्रकाश नामक पुस्तक बख्तावर जी के द्वारा लिखी गई है।
- बख्तावर जी मेवाड़ के महाराणा स्वरूप सिंह के दरबारी विद्वान थे।
58. हंसावली (असाईत)-
- हंसावली नामक पुस्तक असाईत के द्वारा लिखी गई है।
59. गलागैंल (अमरनाथ जोगी)-
- गलागैंल नामक पुस्तक अमरनाथ जोगी के द्वारा लिखी गई है।
- गलागैंल से जोगी सम्प्रदाय की जानकारी मिलती है।
60. केसरी सिंह समर (हरिनाथ)-
- केसरी सिंह समर नामक पुस्तक हरिनाथ के द्वारा लिखी गई है।
- केसरी सिंह खंडेला ठिकाने के सामंत थे।
- खंडेला सीकर में स्थित है।
61. वाराणसी विलास (देवकर्ण)-
- वारणसी विलास नामक पुस्तक देवकर्ण के द्वारा लिखी गई है।
- देवकर्ण मेवाड़ के महाराणा जगतसिंह-II का दीवान था।
- वाराणसी विलास पिंगल शैली में लिखी गई पुस्तक है।
62. त्रिया विनोद (मुरलीधर)-
- त्रिया विनोद नामक पुस्तक मुरलीधर के द्वारा लिखी गई है।
- मुरलीधर कोठारिया के सामंत उदयभान का दरबारी विद्वान था।
63. अश्वमेध यज्ञ (मुरलीधर)-
- अश्वमेध यज्ञ नामक पुस्तक मुरलीधर के द्वारा लिखी गई है।
- मुरलीधर कोठारिया के सामंत उदयभान का दरबारी विद्वान था।
64. प्रबंध चिन्तामणि (मेरुतुंग)-
- प्रबंध चिन्तामणि नामक पुस्तक मेरुतुंग के द्वारा लिखी गई है।
- प्रबंध चिन्तामणि में पृथ्वीराज चौहान की जानकारी मिलती है।
65. महावीर चरित (हेमचन्द्र)-
- महावीर चरित नामक पुस्तक हेमचन्द्र के द्वारा लिखी गई है।
- महावीर चरित से कुमारपाल चालुक्य की जानकारी मिलती है।
66. समराइच्च कहा (हरिभद्र सूरि)-
- समराइच्च कहा नामक पुस्तक हरिभद्र सूरि के द्वारा लिखी गई है।
- समराइच्च कहा पुस्तक में उज्जैन के राजा समरादित्य की जानकारी मिलती है।
67. नेमिनाथ बारहमासा (पल्हण)-
- नेमिनाथ बारहमासा नामक पुस्तक पल्हण के द्वारा लिखी गई है।
- पल्हण एक जैन कवि थे।
68. लीलावती रासो (कुशलधीर)-
- लीलावती रासो नामक पुस्तक कुशलधीर के द्वारा लिखी गई है।
69. किसन जी री वेलि (करमसी सांखला)-
- किसन जी री वेलि नामक पुस्तक करमसी सांखला के द्वारा लिखी गई है।
70. सत्यस्वरूप (वृन्द)-
- सत्यस्वरूप नामक पुस्तक वृन्द के द्वारा लिखी गई है।
- सत्यस्वरूप पुस्तक से औरंगजेब के पुत्रों के बीच हुए उत्तराधिकारी संघर्ष की जानकारी मिलती है।
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