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भारत में मृदा निर्माण के प्रमुख कारक (Major factors of soil formation in India)

भारत में मृदा निर्माण को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक (Major Factors Influencing Soil Formation in India)-

  • भारत में मृदा निर्माण को प्रभावित करने वाले कारक दो प्रकार के होते हैं। जैसे-
  • 1. सक्रिय कारक (Active Factors)
  • 2. निष्क्रिय कारक (Passive Factors)


1. सक्रिय कारक (Active Factors)-

  • (I) जलवायु (Climate)

  • (II) जैव पदार्थ (Organic Matter)


(I) जलवायु (Climate)-

  • (A) तापमान (Temperature)

  • (B) वर्षा (Rainfall)


(A) तापमान (Temperature)-

  • जिस क्षेत्र में तापमान अधिक होता है वहाँ जीवाणु सक्रिय होकर जैव पदार्थ को अपघटित करके ह्यूमस का निर्माण करते हैंं। (In high temperature regions, bacteria becomes active and form humus by decomposing organic matter)

  • जिस क्षेत्र में तापमान कम होता है वहाँ जीवाणु कम सक्रिय होने पर अपघटन नहीं कर पाते हैं जिससे कारण ह्यूमिक अम्ल का निर्माण होता है। (In low temperature regions, bacteria become less active and cannot decompose organic matter leading to formation of humic acid in soil)


(B) वर्षा (Rainfall)-

  • जिन क्षेत्रों में वर्षा अधिक होती है वहाँ मृदा में उपस्थित जल में घुलनशील पदार्थ (सिलिका, चूना) जल में घुलकर नीचे चले जाते हैं जिससे मृदा की उर्वरता कम हो जाती है। (In high rainfall regions, water soluble elements (lime and silica) perculates in the soil reducing its fertility) जैसे- लैटेराइट मृदा (Laterite Soil)

  • जिन क्षेत्रों में वर्षा कम होती है वहाँ शुष्क मृदा पायी जाती है। (In low rainfall regions, arid soils are formed)

  • वाष्पीकरण की अधिकता के कारण शुष्क क्षेत्रों की मृदा में लवणीयता अधिक पायी जाती है। (Due to high evaporation rates, high salinity is found in soils of arid regions)


तापमान+ वर्षा =

  • अधिक तापमान व अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में जीवाणु अत्यधिक सक्रिय हो जाते हैं जिसके कारण ह्यूमस निर्माण करके उसे नष्ट भी कर देते हैं। (In high temperature and high rainfall region, bacteria become highly active due to which humus is formed but later gets destroyed)


(II) जैव पदार्थ (Organic Matter)-

  • जैव पदार्थ दो प्रकार के होते हैं। जैसे-
  • (अ) जीवित जैव पदार्थ (Living Organic Matter)
  • (ब) मृत जैव पदार्थ (Dead Organic Matter)
  • जीवित जैव पदार्थों में जीवाणु शामिल है। (Living organic matter includes bacteria)
  • मृत जैव पदार्थों में पेड़-पौधों तथा मृत जीव-जन्तुओं के अवशेष शामिल है। (Dead organic matter includes remains of pants and animals)
  • जीवाणु मृत जैव पदार्थों का अपघटन करके ह्यूमस का निर्माण करते हैं। (Bacteria decompose the organic matter to form humus)
  • अधिक ह्यूमस वाली मृदा उपजाऊ तथा गहरे रंग की होती है। (Soil with more amount of humus is fertile and of dark color)


2. निष्क्रिय कारक (Passive Factors)-

  • (I) जनक चट्टानें (Parent Rocks)
  • (II) समय (Time)
  • (III) उच्चावच (Relief)
  • (IV) अवस्थिति (Location)


(I) जनक चट्टानें (Parent Rocks)-

  • जिस चट्टान से मृदा का निर्माण होता उस चट्टान में पाए जाने वाले खनिज मृदा में भी पाए जाते हैं। (The minerals which are soil forming rocks are also found in the soil) जैसे-

  • (A) बेसाल्ट चट्टानों से बनी काली मृदा में टाइटेनीफेरस मैग्नेटाइट पाया जाता है क्योंकि बेसाल्ट चट्टान (Basalt Rock) में भी टाइटेनीफेरस मैग्नेटाइट (Titaniferous Magnetite) पाया जाता है।

  • (B) आग्नेय एवं कायांतरित चट्टानों से बनी लाल पीली मृदा में लौह तत्व की मात्रा अधिक पायी जाती है। (Red and yellow soils formed by igneous and metamorphic rocks have high iron content)


(II) समय (Time)-

  • मृदा निर्माण में जितना अधिक समय लगता है मृदा उतनी ही परिपक्व (Mature) होती है।

  • परिपक्व मृदा में "मृदा परिच्छेदिका" (Soil Profile) का निर्माण होता है।


(III) उच्चावच (Relief)-

  • ये मृदा के संचयन (Accumulation) को प्रभावित (Influence) करते हैं।

  • पर्वतीय ढालों पर अधिक अपरदन (Erosion) के कारण मृदा की पतली परत (Thin Layer) पायी जाती है जबकि मैदानी भागों में मृदा के जमाव के कारण मोटी परत (Thick Layer) पायी जाती है।

  • मोटी परत वाली मृदा का रंग गरहा होता है। (Thick layer soil is dark in color)


(IV) अवस्थिति (Location)-

  • अवस्थिति के आधार पर मृदा दो प्रकार की होती है। जैसे-

  • (A) क्षेत्रीय मृदा (Zonal Soil)

  • (B) अक्षेत्रीय मृदा (Azonal Soil)


(A) क्षेत्रीय मृदा (Zonal Soil)-

  • क्षेत्रीय मृदा अधिक समय तक एक ही स्थान पर स्थित रहती है।

  • क्षेत्रीय मृदा में जनक चट्टानों के गुण अधिक पाये जाते हैं।
  • कम अपरदन (Erosion) के कारण क्षेत्रीय मृदा के कण मोटे होते हैं।
  • क्षेत्रीय मृदा में जलग्रहण क्षमता कम होती है।
  • क्षेत्रीय मृदा में "मृदा परिच्छेदिका" (Soil Profile) का निर्माण होता है।
  • क्षेत्रीय मृदा जैसे- लाल पीली मृदा (Red Yellow Soil)


(B) अक्षेत्रीय मृदा (Azonal Soil)-

  • अक्षेत्रीय मृदा कम समय के लिए एक ही स्थान पर स्थित रहती है।

  • अक्षेत्रीय मृदा में जनक चट्टानों के गुण कम पाये जाते हैं।
  • अधिक अपरदन (Erosion) के कारण मृदा के कण बारीक होते हैं।
  • अक्षेत्रीय मृदा में जलग्रहण क्षमता अधिक होती है।
  • अक्षेत्रीय मृदा में "मृदा परिच्छेदिका" (Soil Profile) का निर्माण नहीं होता है।
  • अक्षेत्रीय मृदा जैसे- जलोढ़ मृदा (Alluvial Soil)


मृदा परिच्छेदिका (Soil Profile)-

  • O संस्तर- कार्बनिक पदार्थ (Organic)
  • A संस्तर- सतह मृदा (Surface) मृदा की ऊपरी परत
  • B संस्तर- अवमृदा (Subsoil) अपक्षयित शैल पदार्थ-बालू गाद चिकनी मिट्टी
  • C संस्तर- अधः स्तर (Substratum)- अपक्षयित शैल पदार्थ
  • R संस्तर- आधारी शैल (Bedrock)- जो अपक्षयित नहीं हुए


भारत में मृदा निर्माण को प्रभावित करने वाले अन्य कारक (Other Factors  Influencing Soil Formation in India)-

  • 1. मानवीय गतिविधियाँ (Human Activities)


1. मानवीय गतिविधियाँ (Human Activities)-

  • रासायनिक उर्वरकों (Chemical Fertilizers) के अधिक उपयोग से मृदा की गुणवत्ता (Soil Quality) में कमी आती है।

  • अत्यधिक सिंचाई (Excessive Irrigation) के कारण मिट्टी की लवणता (Salinity) बढ़ जाती है।

  • अत्यधिक चराई (Excessive Grazing) व वनोन्मूलन (Deforestation) के कारण मृदा अपरदन (Soil Erosion) की समस्या बढ़ जाती है।


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