सरकारिया आयोग (Sarkaria Commission)-
- सरकारिया आयोग का गठन (Formation of Sarkaria Commission)
- सरकारिया आयोग का अध्यक्ष (Chairperson of Sarkaria Commission)
- सरकारिया आयोग की सिफारिशें (Recommendations of Sarkaria Commission)
सरकारिया आयोग का गठन (Formation of Sarkaria Commission)-
- सरकारिया आयोग का गठन सन् 1983 में किया गया था।
सरकारिया आयोग का अध्यक्ष (Chairperson of Sarkaria Commission)-
- सरकारिया आयोग के अध्यक्ष रनजीत सिंह सरकारिया (Ranjeet Singh Sarkaria) है।
सरकारिया आयोग की सिफारिशें (Recommendations of Sarkaria Commission)-
- सरकारिया आयोग ने सन् 1987 में अपनी सिफारिशें दी थी।
- सरकारिया आयोग के द्वारा कुल 247 सिफारिशें दी गई थी। जैसे-
- 1. राज्यपाल की नियुक्ति के समय मुख्यमंत्री से परामर्श किया जाना चाहिए तथा यह प्रावधान संविधान में जोड़ा जाना चाहिए। जैसे-
- (I) राज्यपाल प्रतिष्ठित व्यक्ति हो।
- (II) राज्यपाल सत्ताधारी दल का ना हो।
- (III) सक्रिय राजनीति में नहीं, यदि राजनीति में तो Cooling off Period (बीच में शांतिकाल रहा हुआ हो लेकिन किसी भी राजनीतिक पद नहीं रहा हुआ हो)
- (IV) राज्य की राजनीति में नहीं।
- (V) अल्पसंख्यक को अवसर दिया जाना चाहिए।
- (VI) उपराष्ट्रपति, लोकसभा अध्यक्ष से परामर्श
- 2. राज्यपाल को बिना किसी ठोस कारण के कार्यकाल (5 वर्ष) की समाप्ति से पूर्व नहीं हटाया जाना चाहिए ओर यदि हटाया जाए तो-
- (I) दोनों सदनों में अपना पक्ष रखने का अवसर देना।
- (II) हटाने का कारण बताना।
- 3. यदि त्रिशंकु विधानसभा हो तो चार विकल्प जैसे-
- (I) चुनाव पूर्व गठबंधन
- (II) यदि सबसे बड़ा दल दावा करे।
- (III) चुनाव बाद का गठबंधन (सरकार में शामिल)
- (IV) चुनाव पश्चात गठबंधन (बाहर से समर्थन)
- 4. अनुच्छेद 356 का प्रयोग अंतिम विकल्प के रूप में ही किया जाना चाहिए तथा इसका दुरुपयोग ना किया जाए। जैसे-
- (I) राज्यपाल की रिपोर्ट के बाद ही घोषणा की जानी चाहिए।
- (II) रिपोर्ट संक्षिुप्त, स्पष्ट, सभी तथ्य व आधार उल्लेखित हो।
- (III) रिपोर्ट मीडिया के समक्ष रखी जानी चाहिए।
- (IV) कार्यकारी सरकार को मौका देना।
- (V) संसद द्वारा राष्ट्रपति शासन के अनुमोदन के बाद ही विधान सभा को भंग करना।
- 5. अनुच्छेद 263 के तहत स्थाई अंतर्राज्यीय परिषद् (Permanent Inter-State Council) का गठन किया जाए।
- 6. अखिल भारतीय सेवाओं (All India Services) को अधिक मजबूत बनाया जाए तथा ऐसी कुछ और अखिल भारतीय सेवाओं का सृजन किया जाना चाहिए।
- 7. राष्ट्रीय विकास परिषद (National Development Council- NDC) का नाम बदलकर 'राष्ट्रीय विकास एवं आर्थिक परिषद्' (National Economic and Development Council- NEDC) किया जाना चाहिए।
- 8. क्षेत्रीय परिषदों (Zonal Councils) को और अधिक सक्रिय किया जाना चाहिए।
- 9. विधान परिषद् (Legislative Council) के लिए प्रस्ताव पारित होता है तो निश्चित समय में संसद (Parliament) के समक्ष रखना।
- 10. अनुच्छेद 163 के तहत दी गई विवेकाधीन शक्तियाँ (Discretionary Powers) नहीं है।
- 11. राज्यों में केंद्रीय बलों (Central Forces) को तैनात करने की केंद्र की शक्ति यथावत् रहनी चाहिए अर्थात् राज्यों की सहमति के बिना भी राज्यों में केंद्रीय बलों को तैनात करने की शक्ति केंद्र के पास रहनी चाहिए।
- 12. निगम कर (Corporation Tax) में राज्यों को हिस्सेदारी दी जानी चाहिए।
- 13. समवर्ती सूची (Concurrent List) के किसी विषय पर राष्ट्रहित में एकरूप कानून (Uniform Law) बनाने से पहले राज्यों के साथ अंतर्राज्यीय परिषद (Inter-State Council) में परामर्श करना चाहिए।
- 14. राज्यसभा (Rajya Sabha) की भूमिका यथावत् रहनी चाहिए।
- 15. संसद के अनुमोदन के बाद ही मुख्यमंत्री (Chief Minister- CM) के विरुद्ध जाँच आयोग (Enquiry Commission) नियुक्त किया जाना चाहिए।
- 16. अनुच्छेद 3 यथावत् रहे (राज्य के पुनर्गठन की संघ की शक्ति)
- 17. त्रिभाषा फॉर्मूला समान रूप से लागू करने की दिशा में कदम उठाने चाहिए।
- 18. भाषायी अल्पसंख्यकों (Languistic Minorities) के लिए आयोग का गठन किया जाए।
- 19. आकाशवाणी (Radio), दूरदर्शन (Television), दूरसंचार (Telecommunication) के मामलों में राज्यों को स्वायत्तता नहीं दी जाए।
- 20. अनुच्छेद 200 (राज्यपाल द्वारा विधेयक आरक्षित करना)
- (I) यदि राज्य विधेयक राष्ट्रपति के लिए आरक्षित रखा जाता है तो चार माह में निर्णय।
- (II) विधेयक पुनर्विचार (Reconsideration) के लिए लौटाने का निर्णय दो माह में।
- (III) राष्ट्रपति यदि राज्य के किसी विधेयक को अस्वीकार (Withholds) करता है तो इसका कारण बताया जाना चाहिए।
- (IV) राज्य के अध्यादेश (State Ordinance) को आरक्षित रखने पर राष्ट्रपति द्वारा 15 दिन में निर्णय
- 21. राज्य सरकार अध्यादेश (Ordinance) एक बार से अधिक पुनःप्रख्यापित (Repromulgated) नहीं कर सकती है। अर्थात् राज्य सरकरा अध्यादेश को 1 बार पुनः प्रख्यापित कर सकती है दूसरी बार नहीं कर सकती है।
- 22. कराधान (Taxation) से संबंधित अवशिष्ट शक्तियाँ केंद्र के पास हो तथा शेष अवशिष्ट शक्तियाँ (Residuary Powers) राज्यों के पास हो।
- 23. शिक्षा (Education)- मानक (UGC) केंद्र द्वारा निर्धारित किन्तु क्रियान्वयन (Implementation) राज्यों द्वारा।
- 24. CM को 30 दिन का समय देना।
- 25. उच्च न्यायालय (Hight Court) के न्यायाधीश (Judge) का स्थानान्तरण उसी की इच्छा से होना चाहिए।
- 26. सामान्य जनता के कार्य उनकी ही भाषा में किये जाने चाहिए।
- 27. खनिज (Minerals), प्राकृतिक गैस (Natural Gas) आदि- 2 वर्ष