लोक देवताओं तथा लोक संतों का योगदान (Contribution of Folk Deities and Folk Saints)-
- 1. राजनीतिक योगदान (Political Contribution)
- 2. सामाजिक योगदान (Social Contribution)
- 3. धार्मिक योगदान (Religious Contribution)
- 4. आर्थिक योगदान (Financial Contribution)
- 5. पर्यावरणीय योगदान (Environmental Contribution)
- 6. कलात्मक योगदान (Artistic Contribution)
- 7. सांस्कृतिक योगदान (Cultural Contribution)
1. राजनीतिक योगदान (Political Contribution)-
- राजस्थान के कई लोक देवता तथा संत राज परिवारों से संबंधित थे। अतः उन्होंने जनता को अधिक प्रभावित किया।
- राजस्थान के राजा महाराजा संतों से प्रभावित थे अतः वे जनता के प्रति उदार हो गये थे।
- राजस्थान के लोक देवताओं ने राष्ट्र की रक्षा के लिए विदेशी आक्रमणकारियों का सामना किया था। जैसे- गोगाजी, कल्ला जी राठौड़
2. सामाजिक योगदान (Social Contribution)-
- राजस्थान के लोक देवता तथा संतो ने हिन्दू मुस्लिम एकता बढ़ाने का कार्य किया था। जैसे- गोगाजी, आचार्य तुलसी, आई माता
- राजस्थान के लोक देवता तथा संतो ने छुआछुत दूर करने के प्रयास किये थे। जैसे- पाबूजी, रामदेव जी, रूपादे
- राजस्थान के लोक देवता तथा संतों ने महिला सशक्तिकरण पर बल दिया था जैसे- मीरा बाई, राणा बाई
- राजस्थान के लोक देवता तथा संतों ने सामाजिक सुधार करने के प्रयास किये थे। जैसे- जाम्भोजी ने विधवा विवाह को प्रोत्साहन दिया था।
- राजस्थान के लोक देवता तथा संतों ने समाज को तात्कालिन बीमारियों से मुक्ति दिलायी थी।
3. धार्मिक योगदान (Religious Contribution)-
- राजस्थान के लोक देवता तथा संतों ने सरल भक्ति पर बल दिया था।
- राजस्थान के लोक देवता तथा संतों ने भक्ति की नई विचार धारा प्रारम्भ की थी। (निर्गुण भक्ति)
- राजस्थान के लोक देवता तथा संतों ने समाज में नैतिक तथा आध्यात्मिक मूल्यों को बढ़ावा दिया था। जैसे- अणुव्रत आंदोलन
4. आर्थिक योगदान (Financial Contribution)-
- राजस्थान के लोक देवताओं तथा संतों के मंदिरों में मेलों का आयोजन किया जाता है जिससे आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है।
5. पर्यावरणीय योगदान (Environmental Contribution)-
- राजस्थान के लोक देवताओं तथा संतों ने पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया था।
- राजस्थान के लोक देवताओं तथा संतों ने जीव जन्तु संरक्षण को बढ़ावा दिया था।
6. कलात्मक योगदान (Artistic Contribution)-
- राजस्थान के लोक देवताओं तथा संतों के अनुयायियों के द्वारा मंदिरों का निर्माण करवाया गया जिससे राजस्थान की स्थापत्य कला को बढ़ावा मिला।
- राजस्थान के लोक देवताओं तथा संतों के मंदिरों में चित्र बनाये जाते थे जिससे चित्रकला को बढ़ावा मिला। जैसे- पिछवाई, फड़
7. सांस्कृतिक योगदान (Cultural Contribution)-
- राजस्थान के लोक संतों ने स्थानीय बोलियों में उपदेश दिए थे तथा अनेक ग्रंथों की रचना की थी जिससे राजस्थान की भाषा व साहित्य का विकास हुआ।
- राजस्थान के लोक देवताओं तथा संतों के अनुयायियों ने लोक गीत, लोक नृत्य तथा वाद्य यंत्रों का विकास किया था। जैसे- तेजा, लांगुरिया, अग्नि नृत्य, तेरह ताली नृत्य, कमायचा, खड़ताल