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राजस्थान के प्रमुख लोक नाट्य (Major Folk Theatre of Rajasthan)

राजस्थान के लोक नाट्य (Folk Theatre of Rajasthan)-

  • नाट्य = संगीत + नृत्य + नाटक


राजस्थान के प्रमुख लोक नाट्य (Major Folk Theatre of Rajasthan)-

    • 1. तमाशा लोक नाट्य (Tamasha Folk Theater)
    • 2. नौटंकी लोक नाट्य (Nautanki Folk Theater)
    • 3. गवरी लोक नाट्य (Gavri Folk Theatre)
    • 4. रम्मत लोक नाट्य (Rammat Folk Theatre)
    • 5. भवाई लोक नाट्य  (Bhawai Folk Theatre)
    • 6. स्वांग लोक नाट्य (Swang Folk Theatre)
    • 7. चारबैंत लोक नाट्य (Charbaint Folk Theatre)
    • 8. ख्याल लोक नाट्य (Khyal Folk Theatre)
    • 9. रामलीला (Ramleela)
    • 10. रासलीला (Rasleela)
    • 11. सनकादिक लीला (Sankadik Leela)
    • 12. गौर लीला (Gaur Leela)


          1. तमाशा लोक नाट्य (Tamasha Folk Theater)-

          • तमाशा लोक नाट्य मूल रूप से महाराष्ट्र का लोक नाट्य है।
          • जयपुर के राजा सवाई प्रताप सिंह के शासन काल में तमाशा लोक नाट्य जयपुर में लोकप्रिय हुआ था।
          • तमाशा लोक नाट्य के लिए बंशीधर भट्ट को महाराष्ट्र से जयपुर बुलाया गया था।
          • तमाशा लोक नाट्य का आयोजन एक खुले मैदान में किया जाता है जिसे अखाड़ा कहते हैं।
          • जयपुर की प्रसिद्ध नृत्यांगना 'गौहर जान' तमाशा लोक नाट्य में भाग लेती है।
          • मुख्य कहानियां- निम्नलिखित कहानियों पर तमाशा लोक नाट्य किया जाता है।
          • (I) होली के दिन जोगी-जोगण तमाशा किया जाता है।
          • (II) होली के अगले दिन हीर-राँझा का तमाशा किया जाता है।
          • (III) शीतलाष्टमी के दिन जूठन मियां का तमाशा किया जाता है। (जुठ्ठन मियां का तमाशा)
          • (IV) चैत्र अमावस्या के दिन गोपीचन्द-भर्तृहरि का तमाशा किया जाता है।
          • भर्तृहरि उज्जैन के राजा थे।
          • मुख्य कलाकार- तमाशा लोक नाट्य के मुख्य कलाकार निम्नलिखित है।-
          • (I) वासुदेव भट्ट
          • (II) फूलजी भट्ट
          • (III) गोपीजी भट्ट


          2. नौटंकी लोक नाट्य (Nautanki Folk Theatre)-

          • नौटंकी लोक नाट्य में 9 प्रकार के वाद्य यंत्रों का प्रयोग किया जाता है। जैसे-
          • (I) नगाड़ा (Nagada)
          • (II) सांरगी (Sarangi)
          • (III) शहनाई (Shahnai)
          • (IV) डफली (Dafali)
          • नौटंकी लोक नाट्य राजस्थान के भरतपुर क्षेत्र में लोकप्रिय है।
          • भरतपुर में नौटंकी लोक नाट्य हाथरस शैली में प्रस्तुत किया जाता है।
          • प्रवर्तक- भूरीलाल जी
          • नौटंकी लोक नाट्य की शुरुआत भूरीलाल जी के द्वारा की गई थी।
          • मुख्य कलाकार- नौटंकी लोक नाट्य के मुख्य कलाकार निम्नलिखित है।
          • (I) गिरिराज प्रसाद (Giriraj Prasad)
          • (II) नत्थाराम (Nattharam)
          • गिरिराज प्रसाद तथा नत्थाराम ने नौटंकी लोक नाट्य को आगे बढ़ाया था।
          • मुख्य कहानियां- निम्नलिखित कहानियों पर नौटंकी लोक नाट्य होता है।
          • (I) अमरसिंह राठौड़
          • (II) आल्हा-उदल
          • (III) सत्यवान-सावित्री
          • (IV) हरिश्चन्द्र-तारामती


          3. गवरी लोक नाट्य (Gavri Folk Theatre)-

          • गवरी लोक नाट्य राजस्थान का प्राचीनतम लोक नाट्य है।
          • गवरी लोक नाट्य को "मेरू लोक नाट्य" भी कहा जाता है।
          • गवरी लोक नाट्य मेवाड़ में भील पुरुषों के द्वारा किया जाता है।
          • गवरी लोक नाट्य रक्षाबन्धन (श्रावण पूर्णिमा) के अगले दिन से शुरु होता है तथा 40 दिनों तक चलता है। अर्थात् भाद्रपद कृष्ण एकम् के दिन से शुरू होकर 40 दिनों तक चलता है।
          • गवरी लोक नाट्य शिव-भस्मासुर की कहानी पर आधारित है।
          • गवरी या राई = पार्वती
          • राईबुड़िया = शिव
          • सूत्रधार (Narrator) = कुटकुडिया
          • हास्य कलाकार = झटपटिया
          • अन्य कलाकार = खेल्ये
          • गवरी लोक नाट्य में पार्वती को गवरी या राई कहा जाता है।
          • गवरी लोक नाट्य में शिव को राईबुड़िया कहा जाता है।
          • गवरी लोक नाट्य के सूत्रधार को कुटकुडिया कहा जाता है।
          • गवरी लोक नाट्य के हास्य कलाकार को झटपटिया कहा जाता है।
          • गवरी लोक नाट्य के अन्य कलाकारों को खेल्ये कहा जाता है।
          • कहानियां- गवरी लोक नाट्य निम्नलिखित कहानियों पर किया जाता है।
          • (I) बन्जारा-बन्जारी
          • (II) कालू कीर
          • (III) देवी अम्बर
          • (IV) खाडलियो भूत
          • (V) मियां भिंयावड
          • गवरी लोक नाट्य में विभिन्न कहानियों को आपस में जोड़ने के लिए नृत्य किया जाता है जिसे "गवरी की घाई" कहा जाता है।
          • भानू भारती का "पशु गायत्री नाटक" गवरी लोक नाट्य पर आधारित है।


          4. रम्मत लोक नाट्य (Rammat Folk Theatre)-

          • रम्मत लोक नाट्य राजस्थान के जैसलमेर तथा बीकानेर क्षेत्रों में लोकप्रिय है।
          • रम्मत लोक नाट्य को श्रावण के महीने तथा होली पर किया जाता है।
          • रम्मत लोक नाट्य शुरू करने से पहले लोक देवता रामदेव जी का भजन गाते हैं।
          • रम्मत लोक नाट्य के दौरान कई अन्य गीत भी गाये जाते हैं। जैसे-
          • (I) गणपति वन्दना (Ganpati Vandana)
          • (II) चौमासा (Chaumasa)
          • (III) लावणी (Lavani)
          • वाद्य यंत्र- रम्मत लोक नाट्य के दौरान निम्नलिखित वाद्य यंत्र बजाते हैं।
          • (I) ढोल (Dhol)
          • (II) नगाड़ा (Nagada)


          जैसलमेर क्षेत्र का रम्मत लोक नाट्य (Rammat Folk Theatre of Jaisalmer Region)-

          • तेज कवि ने रम्मत लोक नाट्य को राजस्थान के जैसलमेर क्षेत्र में लोकप्रिय किया था।
          • तेज कवि नें अपनी रम्मत से अंग्रेजी नीतियों का विरोध किया था।
          • तेज कवि ने अपनी स्वतंत्र बावनी नामक रम्मत गांधी जी को भेंट की थी।
          • तेज कवि की अन्य रम्मत-
          • (I) मूमल (Moomal)
          • (II) छेले तम्बोलन (Chhele Tambolan)
          • तेज कवि ने श्री कृष्ण अखाड़ा कम्पनी का गठन किया था।


          बीकानेर क्षेत्र का रम्मत लोक नाट्य (Rammat Folk Theatre of Bikaner Region)-

          • फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से चतुर्दशी तक पुष्करणा ब्राह्मणों द्वारा पाटो (पाटा) पर रम्मत का आयोजन किया जाता है।
          • मुख्य कहानियां- निम्नलिखित कहानियों पर रम्मत लोक नाट्य किया जाता है।
          • (I) अमर सिंह राठौड़- आचार्यों का चौक
          • (II) चौबेल नौटंकी- बिस्सा चौक
          • (III) जमनादास जी- कीकाणी व्यास चौक
          • (IV) हेडाउ-मेरी- बारह गुवाड़
          • अमर सिंह राठौड़ की रम्मत आचार्यों के चौक में की जाती है।
          • चौबेल नौटंकी की रम्मत बिस्सा चौक में की जाती है।
          • जमनादास जी की रम्मत कीकाणी व्यास चौक में की जाती है।
          • हेडाउ-मेरी की रम्मत बारह गुवाड़ में की जाती है।
          • हेडाउ-मेरी की रम्मत को जवाहरलालजी के द्वारा प्रारम्भ किया गया था।
          • मुख्य कलाकार- रम्मत लोक नाट्य के मुख्य कलाकार निम्नलिखित है।
          • (I) मनीराम व्यास
          • (II) तुलसीदास
          • (III) फागु महाराज
          • (IV) सुआ महाराज


          5. भवाई लोक नाट्य  (Bhawai Folk Theatre)-

          • भवाई लोक नाट्य गुजरात के सीमावर्ती क्षेत्रों में भवाई समाज के द्वारा उदयपुर संभाग में किया जाता है।
          • भवाई लोक नाट्य में सामाजिक समस्याओं पर व्यंग्य किये जाते हैं।
          • भवाई लोक नाट्य में कलाकार मंच पर अपना परिचय नहीं देते हैं।
          • पुरुष कलाकार = सगाजी
          • महिला कलाकार = सगीजी
          • भवाई लोक नाट्य में पुरुष कलाकारों को सगाजी कहा जाता है।
          • भवाई लोक नाट्य में महिला कलाकारों को सगीजी कहा जाता है।
          • मुख्य कहानियां- भवाई लोक नाट्य निम्मलिखित कहानियों पर किया जाता है।
          • (I) बीकाजी-बाघजी (Bikaji Baghji)
          • (II) जसमल ओडण (Jasmal Odan)
          • शान्ता गांधी ने जमसल ओडण लोक नाट्य को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय किया था।
          • ओड एक जनजाति है।
          • ओड जनजाति के द्वारा तालाब खोदने का कार्य किया जाता है।


          6. स्वांग लोक नाट्य (Swang Folk Theatre)-

          • स्वांग लोक नाट्य में कलाकार द्वारा पौराणिक तथा ऐतिहासिक पात्रों के कपड़े पहनकर अभिनय किया जाता है।
          • स्वांग लोक नाट्य में एक ही कलाकार भाग लेता है।
          • स्वागं लोक नाट्य में कलाकार को बहुरुपिया कहा जाता है।
          • स्वांग लोक नाट्य राजस्थान के भीलवाड़ा क्षेत्र में लोकप्रिय है।
          • मुख्य कहानी- निम्नलिखित मुख्य कहानी पर स्वांग लोक नाट्य किया जाता है।
          • (I) नाहरो का स्वांग
          • नाहरो का स्वांग चैत्र कृष्ण त्रयोदशी के दिन मांडल में किया जाता है।
          • मांडल राजस्थान के भीलवाड़ा में स्थित है।
          • राजस्थान में नाहरो का स्वांग शाहजहाँ के शासन काल में प्रारम्भ किया गया था।
          • मुख्य कलाकार- स्वांग लोक नाट्य के मुख्य कलाकार निम्नलिखित है।
          • (I) परशुराम जी (Parashuraj Ji)
          • (II) जानकीलाल भांड (Jankilal Bhand)
          • जानकीलाल भांड को मंकी मैन (Monkey Man) के नाम से भी जाना जाता है।


          7. चारबैंत लोक नाट्य (Charbaint Folk Theatre)-

          • चारबैंत लोक नाट्य मूल रूप से अफगानिस्तान का लोक नाट्य  है।
          • नवाब फैजुल्ला खाँ के शासन काल में चारबैंत लोक नाट्य राजस्थान के टोंक क्षेत्र में लोकप्रिय हुआ था।
          • चारबैंत लोक नाट्य को पहले पश्तो भाषा में प्रस्तुत किया जाता था।
          • करीम खाँ निहंग तथा खलीफा करीम खाँ ने चारबैंत लोक नाट्य को स्थानीय भाषा में प्रस्तुत किया था।
          • वाद्य यंत्र- डफ (चारबैंत लोक नाट्य के दौरान डफ वाद्य यंत्र बजाया जाता है।)


          8. ख्याल लोक नाट्य (Khyal Folk Theatre)-

          • ख्याल लोक नाट्य में संगीत पर अधिक बल दिया जाता है।
          • ख्याल लोक नाट्य में पौराणिक तथा ऐतिहासिक कहानियां प्रयोग में ली जाती है।
          • सूत्रधार (Narrator)- हलकारा
          • ख्याल लोक नाट्य में सूत्रधार को हलकारा कहा जाता है।
          • राजस्थान में ख्याल के प्रकार- राजस्थान में 9 प्रकार की ख्याल की जाती है। जैसे-
          • (I) कुचामनी ख्याल (Kuchamani Khyal)- नागौर
          • (II) जयपुरी ख्याल (Jaipuri Khyal)- जयपुर
          • (III) शेखावाटी ख्याल (Shekhawati Khyal)- शेखावाटी
          • (IV) अलीबख्शी ख्याल (Alibakhshi Khyal)- अलवर
          • (V) हेला ख्याल (Hela Khyal)
          • (VI) ढप्पाली ख्याल (Dhappali Khyal)
          • (VII) कन्हैया ख्याल (Kanhaiya Khyal)
          • (VIII) भेंट के दंगल (Bhent Ke Dangal)
          • (IX) तुर्रा-कलंगी (Turra-Kalangi)


          (I) कुचामनी ख्याल (Kuchamani Khyal)-

          • कुचामनी ख्याल राजस्थान के नागौर क्षेत्र में की जाती थी।
          • प्रवर्तक- लच्छीराम जी
          • नागौर क्षेत्र में कुचामनी ख्याल की शुरुआत लच्छीराम जी के द्वारा की गई थी।
          • मुख्य कलाकार- उगमराज (कुचामनी ख्याल में मुख्य कलाकार है।)
          • कुचामनी ख्याल ओपेरा संगीत की तरह होती है।
          • कुचामनी ख्याल में महिला पात्रों की भूमिका पुरुषों के द्वारा निभाई जाती है।
          • मुख्य कहानियां- निम्नलिखित कहानियों पर कुचामनी ख्याल की जाती है।
          • (A) चाँद-नीलगिरि (Chand Nilgiri)
          • (B) राव रिडमल (Rao Ridmal)
          • (C) मीरा मंगल (Meera Mangal)
          • (D) गोगाजी चौहान (Gogaji Chahan)


          (II) जयपुरी ख्याल (Jaipuri Khyal)-

          • जयपुरी ख्याल राजस्थान के जयपुर क्षेत्र में की जाती थी।
          • जयपुरी ख्याल में महिला पात्रों की भूमिका महिलाओं के द्वारा निभाई जाती है।
          • जयपुरी ख्याल में महिलाएं भी भाग लेती है।
          • जयपुरी ख्याल में नये प्रयोग किये जा सकते हैं।


          (III) शेखावाटी ख्याल (Shekhawati Khyal)-

          • शेखावाटी ख्याल राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र में की जाती थी।
          • मुख्य केंद्र- चिड़ावा (शेखावाटी ख्याल का मुख्य केंद्र चिड़ावा है।)
          • चिड़ावा राजस्थान के झुंझुनूं जिले में स्थित है।
          • मुख्य कलाकार- शेखावाटी ख्याल के मुख्य कलाकार निम्नलिखित है।
          • (I) नानूराम जी (Nanuram Ji)
          • (II) दूलिया राणा (Duliya Rana)


          (IV) अलीबख्शी ख्याल (Alibakhshi Khyal)-

          • अलीबख्शी ख्याल राजस्थान के अलवर क्षेत्र में की जाती थी।
          • अलीबख्श मुंडावर के नवाब थे।
          • मुंडावर राजस्थान के अलवर जिले में स्थित है।
          • अलीबख्शी ख्याल मुंडावर के नवाब अलीबख्श के शासन काल में प्रारम्भ हुई थी।
          • मुंडावर के नवाब अलीबख्श को अलवर का रसखान कहा जाता है।
          • अलीबख्शी ख्याल को अहीरवाटी भाषा (अहीरवाटी बोली) में प्रस्तुत किया जाता था।


          (V) हेला ख्याल (Hela Khyal)-

          • हेला ख्याल राजस्थान के लालसोट (दौसा), दौसा तथा सवाईमाधोपुर क्षेत्रों में की जाती थी।

          • वाद्य यंत्र- नौबत (हेला ख्याल के दौरान नौबत वाद्य यंत्र का प्रयोग किया जाता था।)


          (VI) ढप्पाली ख्याल (Dhappali Khyal)-

          • ढप्पाली ख्याल राजस्थान के लक्ष्मणगढ़ (अलवर) तथा भरतपुर क्षेत्रों में की जाती थी।

          • वाद्य यंत्र- डफ

          • ढप्पाली ख्याल के दौरान डफ वाद्य यंत्र का प्रयोग किया जाता था।


          (VII) कन्हैया ख्याल (Kanhaiya Khyal)-

          • कन्हैया ख्याल राजस्थान के भरतपुर, करौली तथा सवाईमाधोपुर क्षेत्रों में की जाती थी।
          • सूत्रधार (Narrator)- मेड़िया
          • कन्हैया ख्याल के सूत्रधार को मेड़िया कहा जाता है।
          • कन्हैया ख्याल को मीणा समाज के द्वारा शुरू किया गया था लेकिन अब सभी समाज के लोग कन्हैया ख्याल में भाग लेते हैं।


          (VIII) भेंट के दंगल (Bhent Ke Dangal)-

          • भेंट के दंगल ख्याल राजस्थान के धौलपुर के बाड़ी व बसेड़ी क्षेत्रों में की जाती थी।


          (IX) तुर्रा-कलंगी (Turra-Kalangi)-

          • तुर्रा-कलंगी ख्याल राजस्थान के चित्तौड़गढ़ क्षेत्र में की जाती थी।
          • प्रवर्तक-
          • (A) तुकनगीर (Tukangir)
          • (B) शाह अली (Shah Ali)
          • राजस्थान में तुर्रा-कलंगी ख्याल शुरुआत तुकनगीर व शाह अली के द्वारा की गई थी।
          • चंदेरी के राजा तुकनगीर व शाह अली को तुर्रा व कलंगी भेंट किये थे। तुर्रा तुकनगीर को व कलंगी शाह अली को भेंट किये थे।
          • चंदेरी मध्य प्रदेश में स्थित है।
          • तुर्रा-कलंगी ख्याल शिव पार्वती की कहानी पर आधारित है।
          • तुर्रा-कलंगी ख्याल में दो पक्ष होते हैं। जैसे-
          • (A) शिव पक्ष
          • (B) पार्वती पक्ष
          • शिव पक्ष का झंडा भगवा रंग का होता है।
          • पार्वती पक्षा का झंडा हरा रंग का होता है।
          • संवाद- बोल
          • संवाद प्रतिस्पर्धा- गम्मत
          • तुर्रा-कलंगी ख्याल में संवाद को बोल कहा जाता है।
          • तुर्रा-कलंगी ख्याल में संवाद प्रतिस्पर्धा को गम्मत कहा जाता है।
          • तुर्रा-कलंगी ख्याल में मंच की सजावट की जाती है।
          • तुर्रा-कलंगी ख्याल में दर्शक भी भाग ले सकते हैं।
          • सहेडू सिंह तथा हमीद बेग ने तुर्रा-कलंगी ख्याल को राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में लोकप्रिय किया था।
          • मुख्य केंद्र- तुर्रा-कलंगी ख्याल के मुख्य केंद्र निम्नलिखित है।
          • (A) घोसुंडा (चित्तौड़गढ़)
          • (B) निम्बाहेड़ा (चित्तौड़गढ़)
          • मुख्य कलाकार- तुर्रा-कलंगी ख्याल के मुख्य कलाकार निम्नलिखित है।
          • (A) चेतराम (Chetram)
          • (B) ताराचन्द (Tarachand)
          • (C) जयदयाल (Jaidayal)
          • (D) ओंकार सिंह (Onkar Singh)
          • (E) नानालाल (Nanalal)


          9. रामलीला (Ramleela)-

          • प्रवर्तक- तुलसीदास जी
          • रामलीला लोक नाट्य की शुरुआत तुलसीदास जी के द्वारा की गई थी।
          • रामलीला भगवान श्री राम के जीवन पर आधारित है।
          • मुख्य केंद्र- 
          • (I) बिसाऊ (झुंझुनूं)- बिसाऊ में मूक रामलीला की जाती है।
          • (II) अटरू (बारां)- रामलीला के दौरान अटरू में जनता द्वारा धनुष तोड़ा जाता है।
          • (III) भरतपुर- भरतपुर में वेंकटेश रामलीला होती है।
          • (IV) पाटून्दा (कोटा)
          • मूक रामलीला = राइलेंट रामलीला


          10. रासलीला (Rasleela)-

          • प्रवर्तक- वल्लभाचार्य
          • रासलीला लोक नाट्य की शुरुआत वल्लभाचार्य के द्वारा की गई थी।
          • रासलीला भगवान श्री कृष्ण के जीवन पर आधारित है।
          • मुख्य केंद्र- रासलीला लोक नाट्य के प्रमुख केंद्र निम्नलिखित है।
          • (I) कामां (Kaman)- भरतपुर
          • (II) फूलेरा (Phoolera)- जयपुर
          • (III) हरदोणा (Hardona)- जयपुर
          • (IV) आसलपुर (Asalpur)- जयपुर
          • (V) गुड़ा (Guda)- जयपुर
          • मुख्य कलाकार- रासलीला लोक नाट्य के मुख्य कलाकार निम्नलिखित है।
          • (I) शिवलाल कुमावत (Shivlal Kumawat)


          11. सनकादिक लीला (Sankadik Leela)-

          • मुख्य केंद्र- सनकादिक लीला के मुख्य केंद्र निम्नलिखित है।
          • (I) घोसुंडा (Ghosunda)- चित्तौड़गढ़
          • (II) बस्सी (Bassi)- चित्तौड़गढ़
          • घोसुंडा में सनकादिक लीला आश्विन माह में की जाती है।
          • बस्सी में सनकादिक लीला कार्तिक माह में की जाती है।
          • सनकादिक लीला अन्य सभी देवताओं के जीवन पर आधारित है।


          12. गौर लीला (Gaur Leela)-

          • गौर लीला राजस्थान के आबू क्षेत्र में की जाती है।
          • आबू राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित है।
          • गरासिया जनजाति के द्वारा गणगौर पर गौर लीला लोक नाट्य किया जाता है।
          • मुख्य कहानी- गौर लीला लोक नाट्य निम्नलिखित कहानी पर किया जाता है।
          • (I) भख्योर की गणगौर (Bhakhyor Ki Gangaur)
          • भख्योर की गणगौर वैशाख शुक्ल चतुर्दशी के दिन की जाती है।
          • भख्योर की गणगौर में महिलाएं सिर पर शिव व पार्वती की मूर्तियां रखकर नाचती है।
          • भख्योर की गणगौर में पुरुषों के द्वारा तलवारबाजी की जाती है।

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