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बेरोजगारी (Unemployment)

बेरोजगारी (Unemployment)-

    • 1. बेरोजगारी का अर्थ (Meaning of Unemployment)
    • 2. बेरोजगारी के प्रकार या स्वरूप (Types of Unemployment)
    • 3. बेरोजगारी के कारण (Reasons of Unemployment)
    • 4. बेरोजगारी के प्रभाव (Effects of Unemployment)
    • 5. भारत में बेरोजगारी का मापन (Measurement of Unemployment in India)
    • 6. बेरोजगारी निवारण के उपाय (Measures To Combat Unemployment)
    • 7. बेरोजगारी से संबंधित सरकारी योजनाएं एवं कार्यक्रम (Government Schemes and Programs Related To Unemployment)


                1. बेरोजगारी का अर्थ (Meaning of Unemployment)-

                • वह अवस्था जिसमें श्रमबल का एक भाग काम करने की इच्छा तथा योग्यता तो रखता है परंतु उसे रोजगार प्राप्त नहीं होता बेरोजगारी कहलाती है।

                • बेरोजगारी (Unemployment) = श्रमबल (Labor Force) - कार्यबल (Work Force)


                श्रमबल (Labor Force)-

                • 15 से 65 वर्ष की आयु का प्रत्येक व्यक्ति जो काम करने की इच्छा व योग्यता रखता हो श्रमबल कहलाता है।


                कार्यबल (Work Force)-

                • श्रमबल के अंतर्गत आने वाला व्यक्ति जिसे रोजगार प्राप्त हो चुका हो कार्यबल कहलाता है।


                2. बेरोजगारी के प्रकार या स्वरूप (Types of Unemployment)-

                • (I) स्वैच्छिक बेरोजगारी (Voluntary Unemployment)
                • (II) अनैच्छिक बेरोजगारी (Involuntary Unemployment)
                • (III) घर्षण जनित बेरोजगारी (Frictional Unemployment)
                • (IV) चक्रीय बेरोजगारी (Cyclical Unemployment)
                • (V) अल्प बेरोजगारी (Under Employment)
                • (VI) शिक्षित बेरोजगारी (Educated Unemployment)
                • (VII) संरचनात्मक बेरोजगारी (Structural Unemployment)
                • (VIII) तकनीकी बेरोजगारी (Technical Unemployment)
                • (IX) प्रच्छन्न या अदृश्य या छद्म बेरोजगारी (Disguised Unemployment)
                • (X) मौसमी बेरोजगारी (Seasonal Unemployment)


                                (I) स्वैच्छिक बेरोजगारी (Voluntary Unemployment)-

                                • यदि श्रमबल के अंतर्गत आने वाला व्यक्ति नियत मजदूरी पर काम करने के लिए तैयार नहीं हो तो इसे स्वैच्छिक बेरोजगारी कहा जाता है।
                                • स्वैच्छिक बेरोजगारी तब होती है जब व्यक्ति को क्षमता अनुसार काम या वेतन नहीं मिलता है।
                                • स्वैच्छिक बेरोजगारी का संबंध गरीबी (Poverty) से नहीं होता है।


                                (II) अनैच्छिक बेरोजगारी (Involuntary Unemployment)-

                                • श्रमबल के अंतर्गत आने वाला व्यक्ति यदि नियत मजदूरी से कम पर भी काम करने को तैयार है परंतु इसके बावजूद भी उसे काम नहीं मिले तो इस प्रकार की बेरोजगारी को अनैच्छिक बेरोजगारी कहा जाता है।
                                • अनैच्छिक बेरोजगारी गरीबी से प्रत्यक्ष संबंधित होती है।


                                          (III) घर्षण जनित बेरोजगारी (Frictional Unemployment)-

                                          • श्रमबल के अंतर्गत आने वाला व्यक्ति जब एक रोजगार को छोड़कर दूसरा रोजगार प्राप्त करता है तो बीच के समय में जब वह बेरोजगार रहता है तो इस बेरोजगारी को घर्षण जनित बेरोजगारी या संघर्षात्मक बेरोजगारी कहते हैं।
                                          • घर्षण जनित बेरोजगारी अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर खतरा नहीं है।


                                          (IV) चक्रीय बेरोजगारी (Cyclical Unemployment)-

                                          • अर्थव्यवस्था में मांग एवं पूर्ति के बीच असंतुलन के कारण विशेषकर मंदी की परिस्थिति में उत्पन्न बेरोजगारी को चक्रीय बेरोजगारी कहा जाता है।


                                          (V) अल्प बेरोजगारी (Under Employment)-

                                          • जब श्रमबल के अंतर्गत आने वाला व्यक्ति न्यूनतम मजदूरी पर काम कर रहा हो परंतु उसे क्षमता के अनुसार काम प्राप्त नहीं हो तो इसे अल्प बेरोजगारी कहा जाता है।


                                          (VI) शिक्षित बेरोजगारी (Educated Unemployment)-

                                          • जब दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली, आर्थिक अवसरों की कमी या बेहतर रोजगार की तलाश में शिक्षित युवा बेरोजगार होता है तो इसे शिक्षित बेरोजगारी कहते हैं।


                                          (VII) संरचनात्मक बेरोजगारी (Structural Unemployment)-

                                          • अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक परिवर्तन के कारण जो बेरोजगारी उत्पन्न होती है वह संरचनात्मक बेरोजगारी कहलाती है।
                                          • विकास के साथ-साथ अर्थव्यवस्था की संरचना बदलती रहती है।
                                          • किसी एक क्षेत्र में मांग कम होती है तो दूसरे क्षेत्र में मांग बढ़ जाती है।
                                          • संरचना में परिवर्तन के साथ-साथ मांग का स्वरुप भी बदलता रहता है।


                                          (VIII) तकनीकी बेरोजगारी (Technical Unemployment)-

                                          • उत्पादन की तकनीक में सुधार तथा नयी मशीनों से उत्पादन के कारण जो बेरोजगारी उत्पन्न होती है वह तकनीकी बेरोजगारी कहा जाता है।


                                            (IX) प्रच्छन्न या अदृश्य या छद्म बेरोजगारी (Disguised Unemployment)-

                                            • प्रच्छन्न या अदृश्य या छद्म बेरोजगारी के तहत श्रमबल के अंतर्गत आने वाले व्यक्ति को रोजगार तो प्राप्त हो जाता है परंतु उसके श्रम की सीमांत उत्पादकता शून्य होती है। 
                                            • प्रच्छन्न या अदृश्य या छद्म बेरोजगारी जरूरत से ज्यादा श्रमिकों के नियोजन से होता है।
                                            • यहाँ सीमांत उत्पादकता से तात्पर्य यह है कि एक अतिरिक्त श्रमिक की उत्पादकता शून्य के बराबर हो।
                                            • प्रच्छन्न या अदृश्य या छद्म बेरोजगारी कृषि क्षेत्र में सर्वाधिक होती है।


                                            (X) मौसमी बेरोजगारी (Seasonal Unemployment)-

                                            • जब व्यक्तियों को मौसम के अनुसार रोजगार प्राप्त हो तथा इसके पश्चात वे बेरोजगार हो जाते हैं तो इसे मौसमी बेरोजगारी कहते हैं। जैसे- कृषि, कपड़ा उद्योग, ज्यूस आदि के श्रमिक मौसमी बेरोजगारी के कारण समय विशेष में बेरोजगार हो जाते हैं।


                                            शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी के प्रकार (Types of Unemployment in Urban Areas)-

                                            • (I) घर्षण जनित बेरोजगारी (Frictional Unemployment)
                                            • (II) चक्रीय बेरोजगारी (Cyclical Unemployment)
                                            • (III) अल्प बेरोजगारी (Under Employment)
                                            • (IV) शिक्षित बेरोजगारी (Educated Unemployment)
                                            • (V) संरचनात्मक बेरोजगारी (Structural Unemployment)

                                            • (VI) तकनीकी बेरोजगारी (Technical Unemployment)


                                            ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी के प्रकार (Types of Unemployment in Rural Areas)-

                                            • (I) प्रच्छन्न या अदृश्य बेरोजगारी (Disguised Unemployment)

                                            • (II) मौसमी बेरोजगारी (Seasonal Unemployment)


                                            3. बेरोजगारी के कारण (Reasons of Unemployment)-

                                            • (I) तीव्र जनसंख्या वृद्धि से रोजगार के अवसरों में कमी।
                                            • (II) संसाधनों की कमी से रोजगार सृजन की दर कम होना।
                                            • (III) आधारभूत ढांचा कमजोर होने के कारण उद्योग पर्याप्त रूप से विकसित नहीं हो पाए अर्थात् औद्योगिकीकरण का अभाव विशेषकर MSMEs का विकास ना होना।
                                            • MSMEs Full Form = Micro, Small and Medium Enterprises
                                            • MSMEs का पूरा नाम = सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम
                                            • (IV) कृषि का पिछड़ापन व मानसून की विसंगति
                                            • (V) आर्थिक संवृद्धि का धीमा होना।
                                            • (VI) रोजगार विहीन समृद्धि का होना।
                                            • (VII) बेरोजगारी उन्मूलन के लिए चलायी जा रही योजनाओं में भ्रष्टाचार होना।

                                            • (VIII) L.P.G. के कारण सार्वजनिक सेवाओं में कमी के कारण सरकारी नौकरियों में कमी आने लगी।
                                            • L.P.G. Full Form = Liberalisation, Privatisation and Globalisation
                                            • L.P.G का पूरा नाम = उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण
                                            • (IX) शिक्षा का स्तर अत्यन्त कमजोर है और सभी लोग शिक्षित भी नहीं है।

                                            • (X) शिक्षण संस्थानों में बाजार आधारित कौशल उपलब्ध नहीं कराया जाता है जिसके कारण शिक्षित बेरोजगारी की समस्या देखी जाती है।
                                            • (XI) भारत में उद्यमिता की प्रवृति अत्यंत कमजोर है इसलिए अधिकतर लोग जॉब सिकर (Job Seeker) है। तथा रोजगार प्रदान करने वालों (Job Givers) की संख्या बहुत कम है। अर्थात् भारत में रोजगार की मांग करने वाले अधिक है तथा रोजगार देने वाले लोग कम है।
                                            • जॉब सिकर (Job Seeker) = रोजगार की मांग करने वाला
                                            • जॉब गिवरस (Job Givers) = रोजगार प्रदान करने वाला


                                            4. बेरोजगारी के प्रभाव (Effects of Unemployment)-

                                            • (I) मानसिक प्रभाव (Mental Effects)
                                            • (II) शारीरिक प्रभाव (Physical Effects)
                                            • (III) आर्थिक प्रभाव (Economic Effects)
                                            • (IV) सामाजिक प्रभाव (Social Effects)


                                            (I) मानसिक प्रभाव (Mental Effects)-

                                            • बेरोजगारी के मानसिक प्रभाव में तनाव (Stress) व अवसाद (Depression)


                                            (II) शारीरिक प्रभाव (Physical Effects)

                                            • बेरोजगारी के शारीरिक प्रभाव में नींद विकार (Sleep Disorder) और भोजन विकार (Eating Disorder)


                                            (III) आर्थिक प्रभाव (Economic Effects)-

                                            • (A) मानव संसाधन का अपव्यय होता है। (Wastage of Human Resources)
                                            • (B) बेरोजगारी का दुष्चक्र बढ़ता है। (Vicious Circle of Unemployment Increases)
                                            • (C) गरीबी की दर तीव्रता से बढ़ती है। (Rate of Poverty Increases Rapidly)
                                            • (D) GDP Growth Rate कम होती है। (GDP Growth Rate is Less)


                                            (A) मानव संसाधन का अपव्यय होता है। (Wastage of Human Resources)-

                                            • किसी भी अर्थव्यवस्था (Economy) की सबसे बड़ी चुनौती उपलब्ध संसाधनों का कुशलतम उपयोग सुनिश्चित करना है तथा बढ़ती बेरोजगारी यह प्रदर्शित करती है कि हम उपलब्ध मानव संसाधनों (Human Resources) का उपयोग करने में सक्षम नहीं है।


                                            (B) बेरोजगारी का दुष्चक्र बढ़ता है। (Vicious Circle of Unemployment Increases)-

                                            • किसी भी अर्थव्यवस्था (Economy) में यदि बेरोजगारी बढ़ती है तो इससे भरण पोषण की लागत भी बढ़ती है और इससे हमारी बचत, निवेश व उत्पादन क्रमशः घटते हैं। इन सभी के परिणाम स्वरूप रोजगार के अवसर और भी कम हो जाते हैं और यह बेरोजगारी का दुष्चक्र अनवरत चलता रहता है जो बेरोजगारी को बढ़ता है।


                                            (IV) सामाजिक प्रभाव (Social Effects)-

                                            • पलायतन का संकट बढ़ता है।
                                            • बेरोजगारी से व्यक्ति सामाजिक रूप से स्वयं को कटा हुआ महसूस करता है।
                                            • बेरोजगारी से युवाओं में तनाव व कुंठा उत्पन्न होती है।
                                            • वे आंतकवाद (Terrorism) व नक्सलवाद (Naxalism) जैसी समस्याओं के फलने फूलने को अवसर प्रदान करते हैं जिससे अपराधों में वृद्धि होती है।
                                            • इसी तरह बेरोजगार व्यक्ति अभावग्रस्तता (Deprivation) व शक्तिहीनता (Powerlessness) के शिकार होते हैं जिसके कारण हर जगह उनका शोषण होता है।
                                            • बेरोजगारी से घरेलू हिंसा (Domestic Violence) में वृद्धि होती है।


                                            5. भारत में बेरोजगारी का मापन (Measurement of Unemployment in India)-

                                            • भारत में बेरोजगारी की गणना राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के द्वारा की जाती है। अर्थात् भारत में बेरोजगारी के आंकड़े राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के द्वारा जारी किये जाते हैं।
                                            • राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) से पहले भारत में बेरोजगारी की गणना (NSSO) के द्वारा की जाती थी। अर्थात् राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) से पहले भारत में बेरोजगारी के आंकड़े राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (NSSO) के द्वारा जारी किये जाते थे।
                                            • NSO Full Form = National Statistical Office
                                            • NSO का पूरा नाम = राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय
                                            • NSSO Full Form = National Sample Survey Organization
                                            • NSSO का पूरा नाम = राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन
                                            • बेरोजगारी की गणना तीन प्रकार से की जाती है। जैसे-
                                            • (I) सामान्य स्थिति बेरोजगारी (Usual Status Unemployment)
                                            • (II) साप्ताहिक स्थिति बेरोजगारी (Weekly Status Unemployment)
                                            • (III) दैनिक स्थिति बेरोजगारी (Daily Status Unemployment)


                                            (I) सामान्य स्थिति बेरोजगारी (Usual Status Unemployment)-

                                            • सामान्य स्थिति बेरोजगारी उन लोगों की संख्या बताती है जिन्हें पूरे वर्ष भर कौशल स्तर के अनुसार काम नहीं मिला हो।
                                            • सामान्य स्थिति बेरोजगारी या सामान्य अवस्था बेरोजगारी के अंतर्गत यदि व्यक्ति 365 दिनों में से 183 दिन या 183 दिन से अधिक दिन रोजगार में नियोजित है तो उसे कार्यबल (Work Force) में माना जाता है।
                                            • यदि वह व्यक्ति 183 दिनों से रोजगाररत नहीं है तो उसे कार्यबल (Work Force) से बाहर माना जाता है।
                                            • इस प्रकार सामान्य स्थिति बेरोजगारी दीर्घकालिक बेरोजगारी (Long Term Unemployment) को प्रदर्शित करती है।


                                            (II) साप्ताहिक स्थिति बेरोजगारी (Weekly Status Unemployment)-

                                            • साप्ताहिक स्थिति बेरोजगारी उन लोगों की संख्या बताती है जिन्हें पूरे सप्ताह कार्य नहीं मिला हो।
                                            • साप्ताहिक स्थिति बेरोजगारी के अंतर्गत यदि व्यक्ति 7 दिनों में 1 घंटा भी काम प्राप्त करने में असमर्थ रहता है तो उसे बेरोजगार मान लिया जाता है।


                                            (III) दैनिक स्थिति बेरोजगारी (Daily Status Unemployment)-

                                            • दैनिक स्थिति बेरोजगारी उन लोगों की संख्या बताती है जिन्हें किसी दिन 1 घंटे से अधिक एवं 4 घंटे से कम काम प्राप्त होता है तो उसे आधे दिन कार्यरत (Half Day Work) माना जाएगा और 4 घंटे से अधिक काम करने पर वह व्यक्ति पूरे दिन कार्यरत (Full Day Work) माना जाएगा।
                                            • दैनिक स्थिति बेरोजगारी, बेरोजगारी की सर्वोतम माप प्रस्तुत करती है।


                                            आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण (PLFS)-

                                            • बेरोजगारी के आंकड़े राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा "आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण" (PLFS) में जारी किए जाते हैं।
                                            • PLFS Full Form = Periodic Labour Force Survey
                                            • PLFS का पूरा नाम = आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण
                                            • आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण (PLFS) को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO)जारी करता है।
                                            • आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण (PLFS) को अप्रैल, 2017 में शुरु किया गया था।
                                            • आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण (PLFS) को त्रिमासिक (Quarterly) आधार पर जारी किया जाता है।


                                            ओकुन का नियम (Okun's Law)-

                                            • ओकुन का नियम किसी देश की विकास दर (Growth Rate) बेरोजगारी दर (Unemployment Rate) के बीच संबंध बताता है।
                                            • विकास दर व बेरोजगारी दर में विपरीत संबंध पाया जाता है।
                                            • ओकुन के नियम के अनुसार यदि किसी देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 3% की वृद्धि होती है तो उसे देश की बेरोजगारी दर में 1% की कमी आयोगी।
                                            • इसी प्रकार यदि किसी देश में बेरोजगारी की दर में 1% की वृद्धि होती है तो उस देश की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 3% की कमी आयेगी।


                                            सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी (CMIE)-

                                            • CMIE Full Form = Center for Monitoring Indian Economy

                                            • CMIE का पूरा नाम = सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी
                                            • सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी (CMIE) एक प्रमुख व्यावसायिक सूचना कंपनी है।
                                            • सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी (CMIE) की स्थापना सन् 1976 में एक स्वतंत्र थिंकटैंक या विचारक समूह (Think Tank) के रूप में हुई थी।
                                            • सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी (CMIE) का मुख्यालय मुम्बई (महाराष्ट्र) में स्थित है।
                                            • सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी (CMIE) के द्वारा बेरोजगारी दर के आंकड़े भी जारी किए जाते हैं।


                                            6. बेरोजगारी निवारण के उपाय (Measures To Combat Unemployment)-

                                            • (I) उत्पादन में वृद्धि करके (By Increasing Production)
                                            • (II) जनसंख्या नियंत्रित करके (By Controlling Population)
                                            • (III) बचत को प्रोत्साहित करके (By Encouraging Savings)
                                            • (IV) MSMEs को बढ़ावा देकर (By Promoting MSMEs)
                                            • (V) स्वरोजगार को बढ़ावा देकर (By Promoting Self Employment)
                                            • (VI) शैक्षणिक सुधार करके (By Making Educational Reforms) अर्थात् व्यावयासित प्रशिक्षण अनिवार्य करके (By Making Vocational Training Compulsory)
                                            • (VII) बेरोजगारी को मिटाने के लिए क्षमता निर्माण पर बल दिया जाना चाहिए तथा उद्योगों की मांग के अनुसार प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। (To eradicate unemployment, emphasis should be given on skill development and training should be given according to the demand of industries)
                                            • (VIII) सहकारी उद्योगों को बढ़ावा देकर (By Promoting Cooperative Industries)
                                            • (IX) स्वयं सहायता समूह के माध्यम से रोजगार को बढ़ावा देकर (By Promoting Employment Through Self Help Groups)
                                            • (X) श्रम आधारित तकनीक को बढ़ावा देकर (By Promoting Labor Based Technology)
                                            • (XI) खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को बढ़ावा देकर (By Promoting Food Processing Industries)
                                            • (XII) निर्यात को बढ़ावा देकर (By Promoting Exports)


                                            7. बेरोजगारी से संबंधित सरकारी योजनाएं एवं कार्यक्रम (Government Schemes and Programs Related To Unemployment)-

                                              • (I) उस्ताद योजना (Ustad Scheme)
                                              • (II) स्किल इंडिया (Skill India)
                                              • (III) गरीब कल्याण रोजगार अभियान (Garib Kalyan Rojgar Abhiyaan- GKRA)
                                              • (IV) प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना (Pradhan Mantri Rojgar Protsahan Yojana- PMRPY)
                                              • (V) इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना (Indira Gandhi Urban Employment Guarantee Scheme)
                                              • (VI) प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (Prime Minister Employment Generation Programme- PMEGP)
                                              • (XI) मुद्रा योजना (MUDRA Yojana)
                                              • (XV) उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (Production Linked Incentive Scheme/ P.L.I. Scheme)


                                                            (I) उस्ताद योजना (Ustad Scheme)-

                                                            • शुरुआत (Launched)- उस्ताद योजना की शुरुआत 14 मई 2015 को वाराणसी, उत्तर प्रदेश से की गई थी।
                                                            • मंत्रालय (Ministry)- अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय (Ministry of Minority Affairs)
                                                            • उद्देश्य (Objective)- अल्पसंख्यक समुदाय में पारंपरिक कला और हस्तशिल्प से संबंधित हस्तकला को बढ़ावा देने के लिए अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों का क्षमता विकास व प्रशिक्षण देने के उद्देश्य से उस्ताद योजना शुरु की गई है।


                                                            (II) स्किल इंडिया (Skill India)-

                                                            • शुरुआत (Launched)- स्किल इंडिया योजना की शुरुआत 15 जुलाई 2015 को की गई थी।
                                                            • उद्देश्य (Objective)- भारत में कामगारों (Workers) का कौशल विकास (Skill Development) बढ़ाने हेतु तथा भारत को क्षमता निर्माण कर केंद्र बनाने के लिए स्किल इंडिया योजना की शुरुआत की गई थी।


                                                            (III) गरीब कल्याण रोजगार अभियान (Garib Kalyan Rojgar Abhiyaan- GKRA)-

                                                            • GKRA Full Form = Garib Kalyan Rojgar Abhiyaan
                                                            • GKRA का पूरा नाम = गरीब कल्याण रोजगार अभियान
                                                            • शुरुआत (Launched)- गरीब कल्याण रोजगार अभियान की शुरुआत 20 जून 2020 को बिहार के तेलिहार गाँव (खगड़िया जिला) से प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के द्वारा की गई थी।
                                                            • उद्देश्य (Objective)- गरीब कल्याण रोजगार अभियान का उद्देश्य उन गाँव या क्षेत्रों में आजीविका के अवसरों को सशक्त करना था जहाँ COVID-19 से प्रभावित प्रवासी श्रमिक बड़ी संख्या में शहरों से वापस लौट चुके थे।
                                                            • गरीब कल्याण रोजगार अभियान भारत के कुल 116 जिलों में चलाया गया था। जैसे-
                                                            • बिहार (Bihar)- 32 जिले
                                                            • उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh)- 31 जिले
                                                            • मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh)- 24 जिले
                                                            • राजस्थान (Rajasthan)- 22 जिले
                                                            • ओडिशा (Odisha)- 4 जिले
                                                            • झारखंड (Jharkhand)- 3 जिले
                                                            • गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत 125 दिनों तक रोजगार संचालित किया गया था।


                                                            (IV) प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना (Pradhan Mantri Rojgar Protsahan Yojana- PMRPY)-

                                                            • PMRPY Full Form = Pradhan Mantri Rojgar Protsahan Yojana
                                                            • PMRPY का पूरा नाम = प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना
                                                            • प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना की घोषणा वर्ष 2016-17 के बजट में की गई थी।
                                                            • उद्देश्य (Objective)- प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना का उद्देश्य नियोक्ताओं (Employers) को प्रोत्साहित करके औपचारिक क्षेत्र में नए रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना है।
                                                            • प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना के तहत नियोक्ता द्वारा कर्माचारियों के ईपीएफ (EPF) में किए जाने वाले 12% अंशदान का भुगतान भारत सरकार के द्वारा किया जा रहा है।
                                                            • EPF Full Form = Employees Provident Fund
                                                            • EPF का पूरा नाम = कर्माचारी भविष्य निधि
                                                            • प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना के तहत 15000 रुपये प्रति माह से कम आय अर्जित करने वाले कर्मचारियों को शामिल किया गया है।


                                                            (V) इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना (Indira Gandhi Urban Employment Guarantee Scheme)-

                                                            • यह राज्य सरकार की योजना है।

                                                            • शुरुआत (Launched)- इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना की शुरुआत 9 सितम्बर, 2022 को की गई थी।
                                                            • इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना की शुरुआत खानिया की बावड़ी (जयपुर) से की गई थी।
                                                            • उद्देश्य (Objective)- इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना का उद्देश्य राज्य के शहरी निकायों में गरीब, वंचित एवं जरुरतमंद लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाना।
                                                            • इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना के तहत वर्तमान (1 अप्रैल, 2023 से) में 125 दिनों का रोजगार प्रदान किया जाता है। पहले 100 दिनों का रोजगार प्रदान किया जाता था।
                                                            • इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना का वार्षिक बजट 800 करोड़ रुपये है।
                                                            • 18 से 60 वर्ष की आयु को कोई भी व्यक्ति इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना के तहत रोजगार प्राप्त कर सकता है। (जनआधार कार्ड अनिवार्य)
                                                            • इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना के तहत आवेदक को 15 दिनों के भीतर रोजगार उपलब्ध करवाया जाता है।
                                                            • इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना के तहत वेतर व्यक्ति के बैंक खाते में प्राप्त होता है। (प्रति 15 दिन में वेतन दिया जाता है।)
                                                            • कार्य- पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण, स्वच्छता, आदि।


                                                            (VI) प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (Prime Minister Employment Generation Programme- PMEGP)-

                                                            • PMEGP Full Form = Prime Minister Employment Generation Programme
                                                            • PMEGP का पूरा नाम = प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम
                                                            • प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम की शुरुआत 15 अगस्त, 2008 को की गई थी।
                                                            • प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम की शुरुआत तात्कालीन प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह के द्वारा की गई थी।
                                                            • उद्देश्य (Objective)- भारत में स्वरोजगार (Self Employment) को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी।
                                                            • लाभ (Benefit)- प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत विनिर्माण क्षेत्र (Manufacturing Sector) के लिए 25 लाख एवं सेवा क्षेत्र (Service Sector) के लिए 10 लाख रुपए की क्रेडिट (ऋण) सीमा निर्धारित है।


                                                            महत्वपूर्ण लिंक (Important Link)-

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