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ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming)

ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming)-

  • ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी की सतह के नजदीक तथा निचले क्षोभमण्डल में होने वाली औसत तापमान की वृद्धि जिसके कारण वैश्विक जलवायु प्रारूप में परिवर्तन हो जाता है ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं।
  • ग्लोबल वार्मिंग प्राकृतिक तथा मानव जनित कारणों से हो सकती है परन्तु मुख्यतः मानव जनित कारणों से ही होती है।
  • ग्रीन हाऊस गैसों के उत्सर्जन के कारण ग्लोबल वार्मिंग (वैश्विक उष्णता) प्रभाव दिखाई देगा।
  • यदि 100 वर्षों में पृथ्वी के औसत तापमान में 2℃ की बढ़ोतरी हो जाती है तो उसे ग्लोबल वार्मिंग माना जाता है।
  • पिछली शताब्दी में पृथ्वी के औसत तापमान में 0.6℃ की बढ़ोतरी हुई है।
  • IPCC के अनुसार वर्तमान में पृथ्वी का औसत तापमान 16.1℃ हो चुका है।
  • IPCC Full Form = Intergovernmental Panel on Climate Change
  • IPCC का पूरा नाम = जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल


ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव (Impacts of Global Warming)-

  • 1. बढ़े हुए तापमान के कारण ग्लेशियर (Glaciers) तथा हिम चोटियों (Ice Caps) का पिघलना।
  • 2. समुद्रों के जल स्तर में वृद्धि होना।
  • 3. वर्षा के प्रारूपों (Rainfall Pattern) में बदलाव होना।
  • 4. प्राकृतिक आवासो की क्षती के कारण अनेक वन्य जीवों की प्रजातियों का विलुप्त होना।
  • 5. प्राकृतिक आपदाये जैसे- ग्रमी की लहर (Heat Wave), बाढ़ (Flooding), तुफान (Hurricanes) आदि घटनाओं में वृद्धि होना।
  • 6. बीमारियों तथा महामारियों की तीव्रता बढ़ना।
  • 7. प्रवाल भित्तियों (Coral Reef) का विरंजन (Bleaching) होना।
  • 8. समुद्र के तापमान में परिवर्तन के कारण पादप पलवकों (Plankton) की संख्या कम होना।

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