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ग्रीनहाउस प्रभाव (Greenhouse Effect)

हरितगृह प्रभाव (Greenhouse Effect)- या ग्रीनहाउस प्रभाव

  • ग्रीनहाउस प्रभाव प्राकृतिक रूप से होनी वाली घटना है जिसके कारण पृथ्वी की सतह तथा निचला वायुमण्डल (Lower Atmosphere) गर्म रहता है।
  • ग्रीनहाउस के कारण पृथ्वी पर जीवों को जीवित रहने हेतु उपयुक्त तापमान प्राप्त होता है।
  • वायुमण्डल में CO2 तथा अन्य गैसे एक आवरण का निर्माण करती है जिसके कारण सूर्य से आने वाली कम तरंगदैर्ध्य (Wavelength) की प्रकाश विकिरणे वायुमण्डल से होकर पृथ्वी सतह तक पहुंच पाती है। परन्तु पृथ्वी द्वारा उत्सर्जित की जाने वाली अधिक तरंगदैर्ध्य की उष्मीय (Heat) या पार्थिव (Terrestrial) या अवरक्त (Infrared) विकिरणे वायुमण्डल के बाहर नहीं जा पाती है तथा अवशोषित कर ली जाती है।
  • इसके कारण निम्न वायुमण्डल तथा पृथ्वी की सहत के तापमान में वृद्धि होती है इसे ही ग्रीनहाउस प्रभाव कहा जाता है।
  • हरित गृह प्रभाव एक प्राकृतिक परिघटना है जिसके कारण पृथ्वी का औसत तापमान 15℃ बना रहता है।
  • अगर ग्रीन हाउस प्रभाव नहीं होता तो पृथ्वी का औसत तापमान -19/-18℃ होता। अतः प्राकृतिक हरित गृह प्रभाव पृथ्वी पर जीवन के लिए आवश्यक  है परन्तु वर्तमान में ग्रीन हाउस प्रभाव की तीव्रता बढ़ने के कारण पृथ्वी के औसत तापमान में बढ़ोतरी हो रही है।
  • शुक्र ग्रह के वायुमण्डल में CO2 की सांद्रता 90% है अतः शुक्र ग्रह का औसत तापमान 447℃ है।


ग्रीन हाउस प्रभाव के कारण (Causes of Green House Effect)-

  • ग्रीन हाउस प्रभावों के दो भागों में बाटा गया है। जैसे-
  • 1. प्राकृतिक कारण (Natural Causes)
  • 2. मानवजनित कारण (Manmade Causes)


1. प्राकृतिक कारण (Natural Causes)-

  • ग्रीन हाउस प्रभाव के प्राकृति कारण क्रमशः-
  • (I) जलवाष्प (Water Vapour)- सबसे बड़ा कारण
  • (II) कार्बन डाई ऑक्साइड (Carbon Dioxide- CO2)
  • (III) मिथेन (Methane- CH4)
  • (IV) ओजोन (Ozone- O3)


2. मानवजनित कारण (Manmade Causes)-

  • ग्रीन हाउस प्रभाव के मानवजनित कारण क्रमशः-
  • (I) कार्बन डाई ऑक्साइड (Carbon Dioxide- CO2)- 76% (सबसे बड़ा कारण)
  • (II) मिथेन (Methane- CH4)- 16%
  • (III) नाइट्रस ऑक्साइड (Nitrous Oxide- N2O)- 6%
  • (IV) फ्लोरिनेटेड गैसें (Fluorinated Gases)- 2% जैसे-
  • (A) हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (Hydrofluorocarbons- HFC)
  • (B) परफ्लूरोकार्बन (Perfluorocarbons- PFC)
  • (C) सल्फर हेक्साफ्लोराइड (Sulfur hexafluoride- SF6)


ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार क्षेत्र (Sectors responsible for the emission of greenhouse gases)-

  • IPCC Report 2014 (World) के अनुसार-
  • 1. ऊर्जा संयंत्र (Power Station)- 25%
  • 2. कृषि, वन तथा भूमि उपयोग (Agriculture, Forest and Land Use)- 24%
  • 3. औद्योगिक प्रक्रम (Industrial Process)- 21%
  • 4. यातायात ईंधन (Transportation Fuel)- 14%
  • IPCC Full Form = Intergovernmental Panel on Climate Change
  • IPCC का पूरा नाम = जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल


ग्रीन हाउस गैसों का निवास समय (Residence Time of Green House Gases)-

  • 1. मिथेन (Methane- CH4)- 12 वर्ष
  • 2. कार्बन डाई ऑक्साइड (Carbon Dioxide- CO2)- 100 वर्ष
  • 3. नाइट्रस ऑक्साइड (Nitrous Oxide- N2O)- 115 वर्ष
  • 4. हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (Hydrofluorocarbons- HFC)- 1 से 270 वर्ष
  • 5. परफ्लूरोकार्बन (Perfluorocarbons- PFC)- 800 से 50000 वर्ष
  • 6. सल्फर हेक्साफ्लोराइड (Sulfur hexafluoride- SF6)- 3200 वर्ष


ग्रीन हाउस गैसों की ग्लोबल वार्मिंग क्षमता (Global Warming Potential of Green House Gases)-

  • 100 वर्षों में ग्रीन हाउस गैसों की ग्लोबल वार्मिंग क्षमता-

  • 1. कार्बन डाई ऑक्साइड (Carbon Dioxide- CO2)- 1

  • 2. मिथेन (Methane- CH4)- 21 गुणा ज्यादा (CO2 से)
  • 3. नाइट्रस ऑक्साइड (Nitrous Oxide- N2O)- 310 गुणा ज्यादा (CO2 से)
  • 4. हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (Hydrofluorocarbons- HFC)- 140 से 11700 गुणा ज्यादा (CO2 से)
  • 5. परफ्लूरोकार्बन (Perfluorocarbons- PFC)- 6500 से 9200 गुणा ज्यादा (CO2 से)
  • 6. सल्फर हेक्साफ्लोराइड (Sulfur hexafluoride- SF6)- 23900 गुणा ज्यादा (CO2 से)


कार्बन उत्सर्जन करने वाले देशों का घटता क्रम (Decreasing order of Countries on Basis of Emission of CO2)-

  • 1. चीन (China)- 30%
  • 2. अमेरिका (USA)- 15%
  • 3. यूरोपियन यूनियम (European Union)- 9%
  • 4. भारत (India)- 7%
  • 5. रूस (Russia)- 5%

 

ब्लैक कार्बन (Black Carbon)-

  • ब्लैक कार्बन ठोस कण (Solid Particle) होते हैं जो एयरोसोल (Aerosol) के रूप में मिलते हैं।
  • ब्लैक कार्बन का निर्माण आंशिक दहन (Incomplete Combustion) से होता है।
  • ब्लैक कार्बन वायु प्रदूषण (Air Pollution) का कार्य करते हैं।
  • ब्लैक कार्बन वायु प्रदूषण के साथ-साथ ऊष्मा अवशोषित (Absorbing heat) करके पृथ्वी का तापमान बढ़ाने में योगदान करते हैं।
  • ब्लैक कार्बन बर्फ पर जमा होने पर ब्लैक कार्बन के द्वारा प्रकाश का अवशोषण बढ़ा दिया जाता है।


ब्राउन कार्बन (Brown Carbon)-

  • ब्राउन कार्बन वायुमण्डल में कार्बनिक एयरोसोल (Aerosol) के रूप में मिलता है।
  • ब्राउन कार्बन सर्वव्यापक होने के साथ-साथ ब्राउन कार्बन के स्रोत भी अनेक होते हैं।
  • ब्राउन कार्बन के द्वारा ब्लैक कार्बन के अतिरिक्त ऊष्मा का अवशोषण करके तापमान में वृद्धि की जाती है।
  • ब्राउन कार्बन के उदाहरण- मृदा में उपस्थित तथा ह्यूमस तथा ह्यूमस जैसे पदार्थ, जैव-एरोसोल (Bio-aerosol) इत्यादि।


ग्रीन हाउस प्रभाव की तीव्रता से होने वाले प्रभाव (Effects of the intensification of the greenhouse effect)-


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