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ओजोन परत (Ozone Layer)

ओजोन परत (Ozone Layer)-

    • ओजोन परत (Ozone Layer) या ओजोन परत अवक्षय (Ozone Layer Depletion)
    • ओजोन परत की मोटाई या सांद्रता का मापन (Measurement of Thickness or Concentration of Ozone Layer)
    • ओजोन छेद (Ozone Hole)
    • ओजोन की सान्द्रता (Ozone Concentration)
    • ओजोन परत क्षरण के कारण (Causes of Ozone Layer Depletion)
    • ओजोन परत क्षय में ध्रुवीय समताप मण्डलीय बादलों की भूमिका (Role of Polar Stratospheric Clouds in Ozone Depletion)
    • ओजोन परत क्षरण के प्रभाव (Effects of Ozone Layer Depletion)
    • ओजोन परत क्षरण का नियंत्रण (Control of Ozone Layer Depletion)
    • HFC के गुण (Properties of HFC)
    • CFC के गुण (Properties of CFC)
    • HCFC के गुण (Properties of HCFC)
    • HFO के गुण (Properties of HFO)


    ओजोन परत (Ozone Layer) या ओजोन परत अवक्षय (Ozone Layer Depletion)-

    • ओजोन (O3) एक प्राकृति जहरीली गैस है जो ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से मिलकर बनी होती है।
    • ओजोन वायुमण्डल के दो क्षेत्रों में पायी जाती है। जैसे-
    • 1. क्षोभ मण्डल (Troposphere)
    • 2. समताप मण्डल (stratosphere)


    1. क्षोभ मण्डल (Troposphere)-

    • क्षोभमण्डल में उपस्थित ओजोन जीवों के लिए घातक होती है क्योंकि ओजोन वायु को प्रदूषित करती है, स्मोग बनाने में सहायक है तथा श्वसन तंत्र के लिए हानिकारक होती है।


    2. समताप मण्डल (stratosphere)-

    • समताप मण्डल में पायी जानी वाली ओजोन सूर्य की प्रकाश विकिरणों के साथ आने वाली पराबैंगनी विकिरणों को अवशोषित करके सुरक्षा कवच बनाती है इसलिए समताप मण्डल की ओजोन हमारे लिए अच्छी है।

    • समताप मण्डल में (लभगभ 16 से 25 किलोमीटर के बीच) ओजोन की सान्द्रता अधिक होती है अतः इस क्षेत्र को ओजोन परत कहा जाता है।


    डॉबसन इकाई (Dobson Unit- DU)-

    • ओजोन परत की सांद्रता डॉबसन इकाई में मापी जाती है।
    • 1 DU = 2.69 × 10^20 ओजोन अणु प्रति घन मीटर
    • 1 DU = 1ppb


    ओजोन परत की मोटाई या सांद्रता का मापन (Measurement of Thickness or Concentration of Ozone Layer)-

    • ओजोन परत की मोटाई या सांद्रता का मापना निम्न उपकरणों के द्वारा किया जाता है।
    • (I) डोबसन स्पैक्ट्रोफोटोमीटर (Dobson Spectrophotometer)
    • (II) द फिल्टर ओजोनोमीटर (The Filter Ozonometer)
    • (III) टोटल ओजोन मैपिंग स्पैक्ट्रोमीटर (Total Ozone Mapping Spectrometer)
    • उपर्युक्त तीनों मीटर निम्बस-7 उपग्रह (Nimbus-7 Satellite) में लगे हुए है।
    • निम्बस-7 उपग्रह (Nimbus-7 Satellite) को नासा (NASA) के द्वारा स्थापित किया गया था।


    ओजोन छेद (Ozone Hole)-

    • यदि समताप मण्डल में ओजोन की सान्द्रता 220 DU से कम हो जाये तो इसे ओजोन परत में छेद कहते हैं।
    • अंटार्कटिका (दक्षिणी ध्रुव) के ऊपर ओजोन छेद अगस्त के अन्त से अक्टूबर के प्रारम्भ में बनता है।
    • उत्तरी ध्रुव पर ओजोन की सान्द्रता में सर्वाधिक कमी मार्च से अप्रैल माह के दौरान आती है।
    • दिन के समय ओजोन की सान्द्रता बढ़ती है जबकि रात्री में ओजोन की सान्द्रता घटती है।


    ओजोन की सान्द्रता (Ozone Concentration)-

    • समताप मंडल में ओजोन के बनने तथा टूटने की प्रक्रिया प्राकृतिक रूप से चलती रहती है इन दोनों क्रियाओं के कारण ओजोन की निश्चित सान्द्रता बनी रहती है।
    • परन्तु पिछले कुछ वर्षों में मनुष्य द्वारा CFC तथा अन्य हेलोजन (विशेष रूप से क्लोरीन व ब्रोमीन) का उपयोग बढ़ाने के कारण ओजोन के नष्ट होने की प्रक्रिया बढ़ गई है जिसके कारण ओजोन की सान्द्रता में कमी आयी है।


    ओजोन परत क्षरण के कारण (Causes of Ozone Layer Depletion)-

    • (I) क्लोरोफ्लोरोकार्बन (Chlorofluorocarbons- CFCs)
    • (II) नाइट्रोजन ऑक्साइड (Nitrogen Oxides)
    • (III) ब्रोमीन युक्त योगिक (Bromine Containing Compounds)
    • (IV) सल्फ्यूरिक अम्ल कण (Sulphuric Acid Particles)
    • (V) कार्बन टेट्राक्लोराइड (Carbon Tetrachloride- CCl4)


    (I) क्लोरोफ्लोरोकार्बन (Chlorofluorocarbons- CFCs)

    • क्लोरोफ्लोरोकार्बन के निम्न गुण जैसे जंगरोधकता, अज्वलनशीलता, कम विषाक्तता तथा रासायनिक स्थिरता के कारण अनेक क्षेत्रों में व्यापक एवं विविध उपयोग है।
    • क्लोरोफ्लोरोकार्बन का उपयोग फ्रीज में प्रशीतक के रूप में, एरोसोल स्प्रे के रूप में, प्रणोदक में, प्लास्टिक उद्योग में फॉर्मिग एजेन्ट के रूप में, आग बुझाने वाले पदार्थ के रूप में तथा धात्विक एवं इलेक्ट्रोनिक पूर्जों की सफाई हेतु उपयोग में लाया जाता है।
    • CF2Cl2________ CClF2 + Cl-
    • Cl- + O3_________Cl- + O2
    • ClO- + O3________Cl- + O2
    • इस प्रक्रिया में एक क्लोरीन आयन एक लाख ओजोन के अणुओं को प्रकाश की सहायता से विखण्डन द्वारा ऑक्सीजन में बदल देता है।


    ओजोन परत क्षय में ध्रुवीय समताप मण्डलीय बादलों की भूमिका (Role of Polar Stratospheric Clouds in Ozone Depletion)-

    • (I) सामान्यतः हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) तथा क्लोरीन नाइट्रेट (CloNo2) सक्रिय क्लोरीन आयन के भण्डार होते हैं तथा सामान्य परिस्थितियों में ये आपस में बहुत कम या ना के बराबर अभिक्रिया करते हैं।
    • (II) परन्तु ध्रुवीय समताप मण्डलीय बादलों की उपस्थिति में ये आपस में तेजी से अभिक्रिया करना शुरू कर देते है तथा क्लोरीन आयन मुक्त करते हैं।
    • (III) ध्रुविय समताप मण्डलीय बादलों के कारण नाइट्रोजन ऑक्साइड का भी अवशोषण हो जाता है अतः परिणाम स्वरूप क्लोरीन आयन तथा क्लोरीन मोनोऑक्साइड ज्यादा मात्रा में ओजोन को नष्ट करते हैं।


    ओजोन परत क्षरण के प्रभाव (Effects of Ozone Layer Depletion)-

    • ओजोन परत की मोटाई या सान्द्रता में कमी के कारण पृथ्वी सतह तर पराबैंगनी बी (UV-B Radiation) विकिरणें अधिक मात्रा में पहुंचना प्रारम्भ हो जाती है जिसका मानव स्वास्थ्य, जन्तुओं, पादपों, सूक्ष्म जीवों, मानव उपयोगिक सामग्रियों तथा वायु की गुणवत्ता पर गहरा प्रभाव पड़ता है। जैसे-
    • (I) पराबैंगनी बी (UV-B Radiation) विकिरणों से मानव स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है तथा अनेक रोग जैसे- त्वचा रोग, नेत्र रोग, संक्रामक रोग तथा कुछ मामलों में त्वचा कैंसर भी होता है।
    • (II) पराबैंगनी बी विकिरणों के प्रभाव से जीवों के आनुवांशिक पदार्थ (DNA) को नुकसान पहुंचता है।
    • (III) पादपों की विकासात्मक प्रक्रियाएं पराबैंगनी-बी (UV-B Radiation) विकिरणों से प्रभावित होती है।
    • (IV) पराबैंगनी बी विकिरणों (UV-B Radiation) के कारण पादप पलवकों की गतिशिलता प्रभावित होती है जिसके कारण इन जीवों के जीवत रहने की दर कम हो जाती है।
    • (V) पराबैंगनी बी विकिरणों (UV-B Radiation) से जलीय तथा स्थलीय जैव भू-रासायनिक चक्र प्रभावित होते हैं।
    • (VI) प्राकृतिक तथा कृत्रिम बहुलकों के साथ-साथ अनेक व्यवसायिक रूप से महत्वपूर्ण सामग्रियों की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।


    ओजोन परत क्षरण का नियंत्रण (Control of Ozone Layer Depletion)-

    • 1. वियना सम्मेलन 1985 (Vienna Convention 1985)
    • 2. मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल 1987 (Montreal Protocol 1987)
    • 3. किगाली समझौता 2016 (Kigali Agreement 2016)


    1. वियना सम्मेलन 1985 (Vienna Convention 1985)-

    • वियना सम्मेलन में ओजोन परत के क्षय को रोकने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय प्रयासों की रूपरेखा तैयार की गई थी।

    • वियना सम्मेलन में CFC के उपयोग को कम करने हेतु कोई कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौता नहीं हो पाया था।


    2. मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल 1987 (Montreal Protocol 1987)-

    • ओजोन परत का क्षरण करने वाले पदार्थों के उत्पादन तथा उपयोग को प्रतिबन्धित करने के लिए कनाडा के मॉन्ट्रियल शहर में जो समझौता हुआ उसे मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल कहते हैं।
    • मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल समझौते को 16 सितम्बर 1987 को सदस्य देशों के हस्ताक्षर हेतु जारी किया गया था इसलिए 16 सितम्बर को विश्व ओजोन दिवस के रूप में मनाया जाता है।
    • मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल समझौता 1 जनवरी 1989 से प्रभावी हुआ था।


    मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के प्रावधान (Provisions of Montreal Protocol)-

    • मॉण्ट्रियल प्रोटॉकोल समझौते के तहत सभी सदस्य देशों को CFC का उपयोग तथा उत्पादन 1986 के स्तर पर बनाये रखना है तथा इसमें वृद्धि को प्रतिबन्धित कर दिया गया था।

    • सन् 1998 तक CFC का उपयोग तथा उत्पादन घटाकर 50% कर देना होगा।


    कोपेनहेगन संशोधन 1992 (Copenhagen Amendment 1992)-

    • मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल समझौते में ही संशोधन किया गया जिसे कोपोनहेगन संशोधन 1992 नाम दिया गया था।
    • कोपेनहेगन सम्मेलन में विकसित तथा विकासशील देशों के लिए CFC के उपयोग की समय सीमा को निर्धारित किया गया था।
    • कोपेनहेगन समझौते के अनुसार विकसित देश CFC का उपयोग सन् 2000 तक कर सकते हैं इसके बाद पूर्णतः बंद कर देंगे।
    • कोपेनहेगन समझौते के अनुसार विकासशील देश CFC का उपयोग 2010 तक कर सकते हैं इसके बाद पूर्णतः बंद कर देंगे।
    • भारत में सन् 2008 से CFC को पूर्णतः प्रतिबन्धित कर दिया गया है।


    3. किगाली समझौता 2016 (Kigali Agreement 2016)-

    • किगाली समझौता मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल का ही संशोधन रूप है।
    • किगाली समझौता रवांडा (Rwanda) की राजधानी किगाली (Kigali) में 2016 में हुआ था।
    • मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के सदस्य देशों के 28वें सम्मेलन में एक संशोधन किया गया जिसे किगाली समझौता कहा जाता है।
    • किगाली रवाडा का एक शहर है।
    • किगाली समझौते में यह तय किया गया की HFC जिसका उपयोग 1990 के दशक से CFC के विकल के रूप में किया जा रहा है, के उत्पादन तथा उपयोग को चरणबद्ध तरीके से कम किया जाएगा अर्थात् हाइड्रो फ्लोरो कार्बन (HFC) के उत्पादन व उपयोग को चरणबद्ध तरीके से कम करना है।
    • किगाली समझौता सदस्य देशों के लिए चरणबद्ध तरीके से कम किया जाएगा।
    • किगाली समझौता सदस्य देशों के लिए कानूनी रूप से बाध्याकारी होगा।
    • यदि HFC के उपयोग को नियंत्रित कर लिया जाएगा तो सन् 2100 तक पृथ्वी के औसत तापमान में वृद्धि को 0.5℃ तक कम किया जा सकेगा।
    • किगाली समझौता 1 जनवरी 2019 से प्रारम्भ हुआ तथा 2047 तक चलेगा।

    • 1 जनवरी 2019 से 2047 तक सभी देश HFC से HFO पर स्थानांतरित कर जाएंगे।


    किगाली समझौते के तहत सभी सदस्य देशों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है। (All Countries were divided into 3 group) जैसे-

    • 1. विकसित एवं समृद्ध देश (Developed Countries- USA, UK, EU)
    • 2. उभरती हुई अर्थव्यवस्था- चीन, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका (Emerging Economy- China, Brazil, South Africa)
    • 3.  विकासशील तथा गर्म जलवायु देश- भारत, पाकिस्तान, ईरान, सऊदी अरब (Developing and hot Climate- India, Pakistan, Iran, Saudi Arabia)


    1. विकसित एवं समृद्ध देश (Developed Countries- USA, UK, EU)-

    • विकसित व समृद्ध देश सन् 2011-13 तक HFC का अधिकतम उत्पादन कर सकते हैं।
    • विकसित व समृद्ध देश सन् 1 जनवरी 2019 से HFC के उत्पादन को कम करना प्रारम्भ करेंगे।
    • विकसित व समृद्ध देशों को प्रथम चरण में HFC का उत्पादन 15% तक घटाना होगा।

    • विकसित व समृद्ध देशों को HFC का शेष 85% उत्पादन सन् 2036 तक घटाना होगा।


    2. उभरती हुई अर्थव्यवस्था- चीन, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका (Emerging Economy- China, Brazil, South Africa)-

    • उभरती हुई अर्थव्यवस्था वाले देश सन् 2020-22 तक HFC का अधिकतम उत्पादन कर सकते हैं।
    • उभरती हुई अर्थव्यवस्था वाले देश सन् 2024 से HFC के उत्पादन को कम करना प्रारम्भ करेंगे।
    • उभरती हुई अर्थव्यवस्था वाले देशों को प्रथम चरण में HFC का उत्पादन 20% तक घटाना होगा।

    • उभरती हुई अर्थव्यवस्था वाले देशों को HFC का शेष 80% उत्पादन सन् 2045 तक घटाना होगा।


    3.  विकासशील तथा गर्म जलवायु देश- भारत, पाकिस्तान, ईरान, सऊदी अरब (Developing and hot Climate- India, Pakistan, Iran, Saudi Arabia)-

    • विकासशील तथा गर्म जलवायु देश सन् 2024-26 तक HFC का अधिकतम उत्पादन कर सकते हैं।
    • विकासशील तथा गर्म जलवायु देश सन् 2028 से HFC के उत्पादन को कम करना प्रारम्भ करेगें।
    • विकासशील तथा गर्म जलवायु देशों को प्रथम चरण में HFC के उत्पादन 15% तक घटाना होगा।
    • विकासशील तथा गर्म जलवायु देशों को HFC का शेष 85% उत्पादन सन् 2047 तक घटाना होगा।


    HFC के गुण (Properties of HFC)-

    • HFC Full Form = Hydrofluorocarbon
    • HFC का पुरा नाम = हाइड्रोक्लोरोकार्बन
    • HFC गैस शून्य ओजोन क्षयकारी है।
    • HFC गैस में ग्लोबल वार्मिंग की क्षमता निम्न है।
    • HFC एक रंगहीन (Colorless), गंधहीन (Odorless) एवं स्वादहीन (Testeless) गैस है।
    • HFC का उपयोग फ्रीज (Refrigerators), ए.सी. (Air Conditioners), फॉम उद्योग (Foam Industry), प्लास्टिक उद्योग (Plastic Industry), कीटनाशक उद्योग (Insecticide Industry) तथा प्रशीतक (Cooling Agent) के रूप में मुख्यतः किया जाता है।
    • HFC के द्वारा ओजोन परत का क्षय तो नहीं किया जाता है लेकिन ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) पर HFC का प्रभाव CO2 की तुलना में हजारों गुना अधिक होता है।


    CFC के गुण (Properties of CFC)-

    • CFC Full Form = Chlorofluorocarbons
    • CFC का पूरा नाम = क्लोरोफ्लोरोकार्बन
    • CFC गैस उच्च ओजोन क्षयकारी है।
    • CFC में ग्लोबल वार्मिंग की क्षमता उच्च है।


    HCFC के गुण (Properties of HCFC)-

    • HCFC Full Form = Hydrochlorofluorocarbon

    • HCFC का पूरा नाम = हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन
    • HCFC गैस निम्न ओजोन क्षयकारी है।
    • HCFC गैस में ग्लोबल वार्मिंग की क्षमता उच्च है।


    HFO के गुण (Properties of HFO)-

    • HFO Full Form = Hydrofluoroolefin
    • HFO का पूरा नाम = हाइड्रोफ्लोरोऑलीफिन (हाइड्रो फ्लोरो ऑलीफिन)
    • HFO गैस शून्य ओजोन क्षयकारी है।
    • HFO गैस में ग्लोबल वार्मिंग क्षमता निम्न है।

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