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भारत में यूरोपियों का आगमन (Arrival of Europeans in India)

भारत में यूरोपीय कंपनियों का आगमन (Arrival of European companies in India)-

  • भारत में यूरोपीय कंपनियों के आगमन का क्रम-
  • 1. पुर्तगाली (Portuguese)- 1498 ई.
  • 2. डच (Dutch)- 1602 ई.
  • 3. अंग्रेज (English) या ब्रिटिश (Britishers)- 1608 ई.
  • 4. डेनिश (Danish)- 1616 ई.
  • 5. फ्रांसीसी (French)- 1664 ई.
  • 6. स्वीडिश (Swedish)- 1731 ई.


1. पुर्तगाली (Portuguese)- 1498 ई.-

  • 1498 ई. में वास्को-डी-गामा (Vasco-Da-Gama) भारत के कालीकट बंदरगाह पर पहुँचा।
  • कालीकट के राजा जमोरिन (Zamorin) या सामुद्री (Samudri) ने वास्को डी गामा का स्वागत किया था।
  • जमोरिन कालीकट का हिन्दू शासक था।
  • बार्थोलोम्यू डियाज (Bartolomeu Dias) ने "केप ऑफ गुड होप" (Cape of Good Hope) की खोज की थी।
  • अब्दुल मनीक (Abdul Manik) नामक गुजराती व्यक्ति वास्को-डी-गामा मार्गदर्शक (Guide) था।
  • वास्को डी गामा को भारत पहुँचने में 90 दिन लगे थे।
  • वास्को डी गामा को भारत के साथ व्यापार में 60 गुना फायदा हुआ था।
  • वास्को डी गामा ने भारत से मसाले खरीदे थे।
  • 1502 ई. में वास्को डी गामा दूसरी बार भारत आया था।
  • पेड्रो अल्वारेज कैब्राल (Pedro Alvarej Cabral) भारत आने वाला दूसरा पुर्तगाली था।
  • 1505 ई. में पुर्तगालियों के द्वारा भारत में "एस्तादो-डी-इंडिया" (Eastado-De-India) की स्थापना की गई थी।
  • 1503 ई. में पुर्तगालियों ने कोचीन में प्रथम फैक्ट्री की स्थापना की थी। (विदेशियों द्वारा भारत में पहली फैक्ट्री कोचीन में 1503 में खोली गई थी।)
  • वास्को डी गामा एक समुद्री लुटेरा था।
  • वास्को डी गामा को भारत में पुर्तगाली साम्राज्य का गवर्नर (Governor) भी नियुक्त किया गया था।
  • वास्को-डी-गामा की कब्र (Grave) कोचीन (Cochin) में स्थित है।
  • 1505 ई. में फ्रांसिस्को-डी-अल्मेड़ा (Francisco-De-Almeida) को भारत में पुर्तगालियों का प्रथम गवर्नर (Governor) या वायसराय (Viceroy) बनाया गया था।
  • 1509 ई. में अल्फोंसो-डी-अल्बुकर्क (Alfonso-De-Albuquerque) को भारत में पुर्तगालियों का दूसरा गवर्नर (Governor) या वायसराय (Viceroy) बनाया गया था।
  • अल्बुकुर्क (Albuquerque) को भारत में पुर्तगाली साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक कहा जाता है।
  • 1510 ई. में अल्बुकुर्क ने कृष्ण देवराय (Krishnadevaraya) की सहायता से बीजापुर के सुल्तान से गोवा जीत लिया था।
  • 1530 ई. में नीनो-डी-कुन्हा (Nino-De-Cunha) ने कोचीन से अपनी राजधानी को गोवा में स्थानांतरण कर लिया था।


पुर्तगाली साम्राज्य की विशेषताएं (Features of Portuguese Empire)-

  • नीले समुद्र की नीति (Blue Sea Policy)
  • पुर्तगाली स्वयम् को समुद्र का स्वामी मानते थे।
  • समुद्री गतिविधि में किसी को भी पुर्तगालियों से एक लाइसेंस लेने की आवश्यकता होती थी।
  • अकबर ने भी समुद्र देखने के लिए पुर्तगालियों से लाइसेंस (Cartaz/ कार्ट्ज) लिया था।
  • अकबर ने खम्बात की खाड़ी (Gulf of Khambhat)/ कैम्बे (Cambay) में समुद्र पहली बार देखा था।
  • कार्ट्ज सिस्टम (Cartaz Syatem)
  • आर्मेडा काफिला व्यवस्था (Armada Convoy System)- पुर्तगाली समुद्र में व्यापारिक जहाजों को सहायता उपलब्ध करवाते थे।
  • पुर्तगालियों ने भारत में बड़े जहाजों का निर्माण प्रारम्भ किया था।
  • 1556 ई. में गोवा में पहली बार प्रिंटिंग प्रेस (Printing Press) या छापाखाना लगाया गया था।
  • मक्का (Maize) और तम्बाकू (Tobacco) की खेती पुर्तगालियों ने प्रारम्भ की थी।
  • जहाँगीर ने तम्बाकू की खेती पर प्रतिबंध लगा दिया था।
  • स्थापत्य कला (Architecture) की "गोथिक शैली" (Gothic Style) प्रारम्भ हुई।
  • गोथिक शैली की विशेषताएं-
  • (I) ऊंची छत
  • (II) नुकीला मेहराब
  • (III) सुन्दर अलंकरण
  • (IV) इमारत के नजदीक उद्यान


2. डच (Dutch)- 1602 ई.

  • डच- नीदरलैंड के लोग
  • 1596 ई. में पहला डच यात्री "कार्नेलियन डे हस्तमान" (Carlenian-De-Hastman) भारत आया था।
  • सन् 1602 ई. में डचो के द्वारा भारत में "डच ईस्ट इण्डिया कंपनी" (Dutch East India Company) की स्थापना हुई थी।
  • सन् 1605 ई. में मसूलीपट्टनम (Masulipattnam) में पहली फैक्ट्री की स्थापना हुई थी यह पूर्वी तट पर पहली विदेशी फैक्ट्री थी।
  • 1653 ई. में चिनसुरा, बंगाल (Chinsura, Bengal) में फैक्ट्री की शुरुआत की गई।
  • 25 नवम्बर, 1759 ई. में अंग्रेजों ने 'बेदरा के युद्ध' (Battle of Bedara) में डचों को हरा दिया था।
  • वेदरा के युद्ध में हारने के बाद डचों ने इण्डोनेशिया पर अपना ध्यान केंद्रित किया तथा मसालों को व्यापार करते थे।


3. अंग्रेज (English) या ब्रिटिश (Britishers)- 1608 ई.

  • 1599 ई. में प्रथम अंग्रेज यात्री 'जॉन मिडेनहॉल' (John Midenhall) भारत आया था।
  • 31 दिसम्बर 1600 ई. को अंग्रेजों के द्वारा भारत में 'ईस्ट इण्डिया कंपनी' (East India Company) की स्थापना की गई।
  • कंपनी का वास्तविक नाम- "द कंपनी एण्ड गवर्नर ऑफ मर्चेन्ट्स ऑफ लंदन ट्रेडिंग इनटू द ईस्ट इण्डिज" (The Company and Governor of Merchants of London Trading Into The East Indies)
  • यह कंपनी मर्चेन्ट एडवेंचर कंपनी (Merchant Adventure Company)/ जॉन कंपनी (John Company)/ बहादुर कंपनी (Brave Company) के नाम से प्रसिद्ध थी।
  • इंग्लैण्ड के शासक ने कंपनी को 15 वर्षों के लिए व्यापारिक एकाधिकार दिये थे।
  • 1608 ई. में कैप्टन हॉकिन्स (Captain Hawkins) इंग्लैण्ड के राजा जेम्स-प्रथम (James-I) का राजदूत (Ambassador) बनकर भारत आया था।
  • 1609 ई. में कैप्टन हॉकिन्स मुगल बादशाह जहाँगीर से आगरा में मिला।
  • कैप्टन हॉकिन्स को फारसी भाषा (Persian Language) का ज्ञान था।
  • जहाँगीर ने कैप्टन हॉकिन्स को 400 का मनसब (Mansab) दिया था लेकिन कैप्टन हॉकिन्स व्यापारिक रियायतें प्राप्त नहीं कर पाया था।
  • 1615 ई. में सर टामस रो (Sir Thomas Roe) भारत आया था।
  • सर टामस रो भारत आने वाला दूसरा राजदूत (Ambassador) था।
  • 10 जनवरी 1616 ई. में सर टामस रो ने अजमेर में जहाँगीर से मुलाकात की तथा व्यापारिक रियायतें प्राप्त करने में सफल रहा। लेकिन वास्तव में ये रियायतें गुजरात के गवर्नर खुर्रम (शाहजहाँ) ने दी थी।
  • 1611 ई. में मसूलीपट्टनम में फैक्ट्री की स्थापना की गई। (पूर्वी तट पर यह प्रथम अंग्रेजी फैक्ट्री थी।)- यह एक अस्थाई फैक्ट्री या कारखाना था।
  • 1613 ई. सूरत (Surat) में प्रथम अंग्रेजी फैक्ट्री या कारखाने की स्थापना की गई।
  • यह अंग्रेजों का भारत में प्रथम स्थायी कारखाना था।
  • अंग्रेजों ने चन्द्रगिरि (Chandragiri) के राजा से चैन्नई (Chennai) नामक गाँव खरीदा तथा वहाँ 1639 ई. में मद्रास की स्थापना की गई।
  • मद्रास का संस्थापक फ्रांसिस डे था। (The founder of Madras was Francis Day)
  • मद्रास की स्थापना 1639 ई. में फ्रांसिस डे के द्वारा की गई थी।
  • 1661 ई. में इंग्लैण्ड के राजकुमार चार्ल्स-II (Charles-II) की शादी पुर्तगाली राजकुमारी कैथरीन (Catherine) के साथ हुई।
  • रार्ल्स-II को बॉम्बे (Bombay) दहेज में दिया गया था।
  • 1668 ई. में बॉम्बे को ईस्ट इण्डिया कंपनी को 10 पाउंड प्रतिवर्ष में लीज पर दिया गया था।
  • बॉम्बे का संस्थापक गेराल्ड आंगियर (Gerald Aungier) था।
  • बॉम्बे की स्थापना 1668 ई. में गेराल्ड आंगियर के द्वारा की गई थी।
  • ईस्ट इण्डिया कंपनी ने बंगाल में सुतानाती (Sutanati), कलकत्ता (Calcutta) व गोविन्दपुर (Govindpur) नामक 3 गाँव 12,000 रुपये में खरीदे।
  • 1698 ई. में कलकत्ता में फैक्ट्री की स्थापना की गई तथा यहाँ पर फोर्ट विलियम (Fort William) बनाया गया।
  • कलकत्ता का संस्थापक जॉब चारनॉक (Job Charnock) था।
  • कलकत्ता की स्थापना 1698 ई. में जॉब चारनॉक के द्वारा की गई थी।
  • 1717 ई. में जॉन सरमन (John Surman) के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मण्डल मुगल बादशाह फर्रुखसियर (Farrukhshiyar) से मिला।
  • फर्रुखसियर ने ईस्ट इण्डिया कंपनी को कई व्यापारिक रियासतें दी जैसे-
  • (I) 3,000 रुपये में बंगाल में व्यापार की छूट।
  • (II) 10,000 रुपये में सूरत बंदरगाह से व्यापार की छूट।
  • (III) अंग्रेजों के बॉम्बे टकसाल के सिक्कों को मान्यता दी गई।
  • (IV) अंग्रेज कलकत्ता के आस-पास जमीन खरीद करते हैं।
  • इतिहासकार ओर्म (Orme) ने इस समझौते को "ईस्ट इण्डिया कंपनी का मैग्नाकार्टा" (Magna Carta of East India Company) कहा है।


4. डेनिश (Danish)- 1616 ई.-

  • 1616 ई. में डेनिशो के द्वारा भारत में "डेनिश ईस्ट इण्डिया कंपनी" (Danish East India Company) की स्थापना की गई थी।
  • मुख्य केंद्र (Main Centre)- डेनिशों का मुख्य केंद्र सीरामपुर, बंगाल (Sirampur, Bengal) था।
  • 1853 ई. में डेनिश अपना सारा व्यापार अंग्रेजों को बेच कर डेनमार्क चले गए थे।


5. फ्रांसीसी (French)- 1664 ई.-

  • 1664 ई. में फ्रांसीसीयों द्वारा भारत में "फ्रेंच ईस्ट इण्डिया कंपनी" (French East India Company) की स्थापना की गई थी।
  • भारत में फ्रेंच ईस्ट इण्डिया कंपनी की स्थापना फ्रांसीसी शासक लुई-14 (Louis-XIV) के शासन काल में हुई थी।
  • फ्रेंच ईस्ट इण्डिया कंपनी की स्थापना फ्रांसीसी शासक लुई-14 (Louis-XIV) के मंत्री कोलबर्त (Colbert) ने की थी।
  • फ्रेंच ईस्ट इण्डिया कंपनी एक सरकारी नियंत्रण वाली व्यापारिक कंपनी (Government Controlled Trading Company) थी।
  • 1668 ई. में फ्रेंच ईस्ट इण्डिया कंपनी के द्वारा सूरत (Surat) में पहला कारखाना स्थापित किया गया था।
  • 1669 ई. में फ्रेंच ईस्ट इण्डिया कंपनी के द्वारा मसूलीपट्टनम (Masulipattnam) में दूसरा कारखाना स्थापित किया गया था।
  • 1673 ई. में फ्रेंच ईस्ट इण्डिया कंपनी ने वालिकोंडापुरम के राज्यपाल (Governor of Valikondapuram) शेर खान लोदी (Sher Khan Lodi) से पुडुचेरी (Puducherry) गाँव खरीदा था।
  • फ्रेंको मार्टिन ने पुदुचेरी को पांडिचेरी (Pondicherry) के रूप में विकसित किया था।
  • फ्रेंको मार्टिन ने पांडिचेरी में फोर्ट लुई (Fort Louis) का निर्माण करवाया था।


आंग्ल-फ्रांसीसी संघर्ष (Anglo-French Conflict) या कर्नाटक संघर्ष (Carnatic Conflict)-

  • कर्नाटक, तमिलनाडु में एक रियासत थी।
  • कर्नाटक रियासत की राजधानी अरकाट (Arcot) थी।
  • अंग्रेजों तथा फ्रांसीसीयों के बीच 3 युद्ध हुई थे जिन्हें कर्नाटक युद्ध कहा जाता है। जैसे-
  • (I) प्रथम कर्नाटक युद्ध (First Carnatic War)
  • (II) दूसरा कर्नाटक युद्ध (Second Carnatic War)
  • (III) तीसरा कर्नाटक युद्ध (Third Carnatic War)


(I) प्रथम कर्नाटक युद्ध (First Carnatic War)-

  • वर्ष (Year)- 1746-1748
  • कारण (Reason)- ऑस्ट्रिया का उत्तराधिकार (Austrian Succession)
  • मध्य- अंग्रज Vs फ्रांसीसी
  • अंग्रेजी कप्तान वार्नेट (Warnet) ने फ्रांसीसीयों के जहाज पकड़ लिये थे।
  • फ्रांसिसी गवर्नर डुप्ले (Dupleix) ने मोरिशस (Mouritius) से लॉ बूर्दने (Law Bourdain) को बुलाया।
  • डुप्ले तथा लॉ बूर्दने ने मिलकर मद्रास को घेर लिया तथा लॉ बूर्दने धन लेकर मद्रास अंग्रेजों को दे देता है लेकिन डुप्ले ने कर्नाटक के नवाब अनवरुद्दीन को पराजीत कर पुनः मद्रास पर अधिकार कर लिया था।
  • उस समय मद्रास अंग्रेजों का सबसे बड़ा केंद्र था।
  • एक्स ला शापेल (जर्मनी) की संधि द्वारा प्रथम कर्नाटक युद्ध समाप्त हो गया।
  • अंग्रेजों को मद्रास वापस दे दिया गया था लेकिन प्रथम कर्नाटक युद्ध में फ्रांसिसीयों की जीत हुई थी।


2. दूसरा कर्नाटक युद्ध (Second Carnatic War)-

  • वर्ष (Year)- 1749- 1754 ई.
  • कारण (Reason)- भारतीय रियासतों का आंतरिक संघर्ष (Internal conflict of Indian states)
  • (A) मध्य- अनवरुद्दीन (Anwaruddin) Vs चन्दा साहिब (Chanda Sahib)
  • चन्दा साहिब, अनवरुद्दीन का बहनोई था।
  • इस युद्ध में अंग्रेजों ने कर्नाटक रियासत के राजा अनवरुद्दीन का साथ दिया।
  • इस युद्ध में डुप्ले (फ्रांसीसी) ने अनवरुद्दीन के विरोधी चन्दा साहिब का साथ दिया।
  • (B) मध्य- नासिर जंग (Nasir Jung) Vs मुजफ्फर जंग (Muzaffar Jung)
  • मुजफ्फर जंग, नासिर जंग का भतीजा था।
  • इस युद्ध में अंग्रेजों ने हैदराबाद (दक्कन) रियासत के राजा नासिर जंग का साथ दिया।
  • इस युद्ध में डुप्ले (फ्रांसीस) ने नासिर जंग के विरोधी मुजफ्फर जंग का साथ दिया।


अम्बूर का युद्ध (Battle of Ambur)-

  • वर्ष- 1749 ई.
  • मध्य- डुप्ले (फ्रांसिसी) + चन्दा साहिब + मुजफ्फर जंग Vs अनवरुद्दीन + अंग्रेज
  • फ्रांसिसी, चन्दा साहिब व मुजफ्फर जंग ने मिलकर अनवरुद्दीन की हत्या कर दी।
  • डुप्ले की सहायता से चन्दा साहिब कर्नाटक का नवाब बना।
  • थोड़ दिन बाद नासिर जंग भी लड़ता हुआ मारा गया था।
  • डुप्ले की सहायता से मुजफ्फर जंग हैदराबाद (दक्कन) का नवाब बना।
  • डुप्ले एक शासक निर्माता के रूप में प्रसिद्ध हो गया था।
  • यह फ्रांसिसीयों का भारत में स्वर्ण काल था।
  • मुजफ्फर जंग ने डुप्ले के साथ सहायक संधि की।-
  • (I) डुप्ले ने मुजफ्फर जगं की रक्षा के लिए अपनी एक सेना हैदराबाद में नियुक्त की।
  • (II) मुजफ्फर जंग ने डुप्ले को कृष्णा नदी के दक्षिण का भाग दिया
  • डुप्ले को भारत में सहायक संधि का जनक कहा जाता है।
  • अब तक इस युद्ध में फ्रांसिसीयों की जीत हुई लेकिन रॉबर्ट क्लाइव (Robert Clive) अपने 210 सैनिकों के साथ अरकाट को जीत लेता है इसके बाद फ्रांसिसी हारने लगते हैं।
  • डुप्ले को हटाकर गोडेहू (Godehu) को नया फ्रांसिसी गवर्नर बनाया गया।
  • गोडेहू ने जनवरी 1755 में अंग्रेजों से पॉण्डीचेरी की संधि कर ली तथा युद्ध समाप्त हो गया।
  • इस युद्ध में अन्त में अंग्रेजों की जीत हुई थी।


3. तीसरा कर्नाटक युद्ध (Third Carnatic War)-

  • वर्ष- 1756- 1763

  • कारण (Reason)- कनाड़ा पर अधिकार करने के लिए इंग्लैण्ड और फ्रांसिसीयों के बीच सात वर्षीय युद्ध


वांडीवाश का युद्ध (Battle of Wandiwash)-

  • वर्ष- 22 जनवरी, 1760
  • मध्य- आयरकूट (Eryecoote)-अंग्रेज Vs लाली या बुस्सी (Lali/ Bussy)- फ्रांसिसी
  • वांडीवाश के युद्ध में फ्रांसिसी निर्णायक रूप से हार गये थे।
  • अंग्रेजों ने पॉण्डिचेरी पर भी अधिकरा कर लिया था।
  • पेरिस की संधि द्वारा वाडीवाश का युद्ध समाप्त हो गया।
  • वांडीवाश के युद्ध के बाद फ्रांसिसीयों का प्रभाव भारत में समाप्त हो गया था।

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