महालवाड़ी व्यवस्था (Mahalwari System)-
- महाल = गाँव या गाँव का समूह
- बंगाल के गवर्नर जनरल लॉर्ड हेस्टिंग्स के शासन काल में उत्तर भारत में महालवाड़ी नामक भू-राजस्व व्यवस्था प्रारम्भ हुई थी।
- महालवाड़ी व्यवस्था 1822 ई. में लॉर्ड हेस्टिंग्स के शासन काल में हॉल्ट मैकेंजी (Halt Mackenzie) के द्वारा आरम्भ की गई थी।
- कालांतर में मार्टिन बर्ड (Martin Bird) ने महालवाड़ी व्यवस्था को बड़े तौर पर लागू किया था।
- मार्टिन बर्ड को उत्तर भारत में भूमि सुधारों का जनक कहा जाता है। (Martin Bird is called the father of land reforms in North India)
- उत्तर पश्चिम प्रांत (North West Province) में महालवाड़ी व्यवस्था को जेम्स थॉमसन (James Thomson) ने लागू किया था।
- महालवाड़ी व्यवस्था ब्रिटिश भारत के 30% क्षेत्र पर लागू होती थी।
- महालवाड़ी व्यवस्था पंजाब (Punjab), संयुक्त प्रांत (United Provinces) तथा उत्तर पश्चिम प्रांत (North West Province) में लागू की गई थी।
- महालवाड़ी व्यवस्था में पूरे गाँव का भू-राजस्व एक साथ निश्चित कर दिया जाता था।
- यहाँ पर ग्रामसभा को भूमि का मालिक बनाया गया।
- प्रारम्भ में महालवाड़ी व्यवस्था में भू-राजस्व 80% रखा गया लेकिन बाद में विलियम बैंटिक (William Bentinck) ने महालवाड़ी व्यवस्था में भू-राजस्व घटाकर 66% कर दिया था।
- डलहौजी (Dalhousie) ने सहारनपुर नियम (Saharanpur Rule) के अनुसार महालवाड़ी व्यवस्था में भू-राजस्व को 50% कर दिया था।
महालवाड़ी व्यवस्था की कमियां (Drawbacks of Mahalwari System)-
- भू-राजस्व अधिक था इसलिए किसानों का शोषण होता था।
- भूमि पर ग्रामसभा का अधिकार था परंतु बड़े किसान जमींदारों की भूमिका में आ गए थे तथा बड़े किसानों ने छोटे किसानों की भूमि हड़प ली।
- कई किसान भू-राजस्व देने से मना कर देते थे इसका प्रभाव अन्य किसानों पर पड़ता था जिससे गाँव की सामाजिक व्यवस्था बिगड़ गई।