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रैयतवाड़ी व्यवस्था (Ryotwari System)

रैयतवाड़ी व्यवस्था (Ryotwari System)-

  • रैयत (Ryot) =  किसान (Farmer)

    • बंगाल के गवर्नर जनरल लॉर्ड हेस्टिंग्स के शासन काल में दक्षिण भारत में रैयतवाड़ी नामक भू-राजस्व व्यवस्था प्रारम्भ हुई थी।
    • 1792 ई. में "कैप्टन रीड" (Captain Reed) ने बारामहल, तमिलनाडु (Baramahal, Tamil Nadu) से रैयतवाड़ी व्यवस्था की शुरुआत की थी।
    • कालांतर में मद्रास (Madras) में मुनरो (Munro) तथा बॉम्बे (Bombay) में एलफिंस्टन (Elphinstone) ने रैयतवाड़ी व्यवस्था को बड़े तौर पर लागू किया था।
    • रैयतवाड़ी व्यवस्था में किसानों का भूमि का मालिक माना गया।
    • रैयतवाड़ी व्यवस्था भारत के 51% क्षेत्र पर लागू होती थी।


    रैयतवाड़ी व्यवस्था के लागू करने के कारण (Reasons for Implementing Ryotwari System)-

    • (I) दक्षिण भारत में जमींदार वर्ग (Landlord Class) का अभाव था।
    • (II) किसानों ने मांग की थी की हम रानी की रैयत बनना चाहते हैं।
    • (III) ईस्ट इंडिया कंपनी ने माना कि किसानों को भूमि का मालिक बनाने से भूमि या खेती में सुधार करेंगे।
    • (IV) किसानों को भूमि का मालिक बनाने से किसान अंग्रेजों के समर्थक हो जाएंगे तथा अंग्रजों को अपने प्रशासनिक सुधार लागू करने में आसानी होगी।
    • (V) स्थाई बंदोबस्त में कई कमियां थी जैसे-
    • (A) स्थाई बंदोबस्त में ईस्ट इंडिया कंपनी भू-राजस्व बढ़ा नहीं सकती थी।
    • (B) जमींदारों ने भूमि सुधारने के प्रयास नहीं किये थे।
    • (C) अनुपस्थित जमींदारों की श्रृंखला बन गई थी।


    रैयतवाड़ी व्यवस्था के लाभ (Advantages of Ryotwari System)-

    • (I) आरम्भ में किसानों ने बंजर भूमि को सुधारने के प्रयास किए थे।
    • (II) अंग्रेजों को अपने प्रशासनिक सुधारों (Administrative Reforms) को लागू करने में आसानी रही।
    • (III) भारत में भूमि वितरण का एक आदर्श स्थापित किया गया।


    रैयतवाड़ी व्यवस्था की हानियां (Disadvantages of Ryotwari System)-

    • (I) भू-राजस्व अधिक था।
    • (II) ईस्ट इंडिया कंपनी समय-समय पर भू-राजस्व बढ़ा दिया करती थी इसलिए किसानों का शोषण हुआ।
    • (III) अंग्रेज नकदी में भू-राजस्व लेते थे इसलिए किसान साहूकारों के कर्ज जाल में फंस गए थे।
    • (IV) राजस्व वसूली के लिए कंपनी को अधिक कर्मचारियों की आवश्यकता होती थी अतः इस विभाग में दूसरे विभागों से कर्मचारी लगाए गए इसलिए दूसरे विभाग में प्रशासनिक कार्य में कमी आई।
    • (V) ईस्ट इंडिया कंपनी के प्रशासनिक अधिकारी (Administrative Officers) जमींदारों के रूप में आ गए थे।
    • (VI) प्राचीन भारतीय भूमि व्यवस्था टूट गई थी तथा भूमि व किसान दोनों चलायमान (Transferable) हो गए थे।
    • (VII) भू-राजस्व वसूली में कठोरता बरती जाती थी तथा भू-राजस्व जमा ना कराने पर किसानों को भूमि से बेदखल कर दिया जाता था।
    • (VIII) ईस्ट इंडिया कंपनी ने कृषि में कोई नई तकनीक लाने का प्रयास नहीं किया।
    • (IX) ईस्ट इंडिया कंपनी दक्षिण भारत की परिस्थितियों से परिचित नहीं थी इसलिए अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग भू-राजस्व कर दिया था।

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